मंगलवार, 16 मार्च 2021

दासगुप्ता ने दिया राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा

कोलकाता। पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में अपनी उम्मीदवारी की घोषणा के बाद राज्यसभा के मनोनीत सदस्य स्वप्न दासगुप्ता ने मंगलवार को उच्च सदन की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। इससे पहले, तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा ने दासगुप्ता पर संविधान की 10वीं अनुसूची के उल्लंघन का आरोप लगाया था। दासगुप्ता अप्रैल, 2016 में राज्यसभा के सदस्य बने थे। उन्हें पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में भाजपा ने तारकेश्वर सीट से अपना उम्मीदवार बनाया है।दासगुप्ता ने ट्वीट कर कहा, ”बंगाल को बेहतर बनाने की लड़ाई में अपने आप को समर्पित करने के लिए मैंने आज राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। मैं भाजपा उम्मीदवार के रूप में तारकेश्वर विधानसभा सीट से अगले कुछ दिनों के अंदर नामांकन दाखिल करने की उम्मीद करता हूं।”त्रों ने बताया कि दासगुप्ता ने राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू से आग्रह किया है कि उनका इस्तीफा बुधवार से प्रभावी माना जाए। इस्तीफे के बारे में पूछे जाने पर दासगुप्ता ने कहा, ”मैंने हमेशा कहा है कि नामांकन पत्र (पश्चिम बंगाल चुनाव के लिए) दाखिल करने से पहले जो भी आवश्यक कदम उठाने होंगे, वे उठाए जाएंगे।” राज्यसभा सदस्य के रूप में उनका कार्यकाल 24 अप्रैल 2022 तक था। तृणमूल कांग्रेस की लोकसभा सदस्य मोहुआ मोइत्रा ने ट्वीट कर राज्यसभा का मनोनीत सदस्य रहते हुए दासगुप्ता को विधानसभा चुनाव में भाजपा का उम्मीदवार बनाए जाने पर सवाल उठाए थे। उन्होंने ट्वीट में कहा था कि संविधान की 10वीं अनुसूची के अनुसार, अगर कोई मनोनीत सदस्य शपथ लेने के छह महीने के बाद किसी राजनीतिक पार्टी में शामिल होता है तो उसकी सदस्यता रद्द की जा सकती है। मोइत्रा ने कहा, ”दासगुप्ता ने अप्रैल 2016 को उच्च सदन की सदस्यता की शपथ ली थी … असंबद्ध रहे … अब भाजपा में शामिल होने के कारण उन्हें अयोग्य घोषित किया जाना चाहिए।”

उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा कि आज भी राज्यसभा की वेबसाइट पर दासगुप्ता को मनोनीत सदस्य बताया जा रहा है। मोइत्रा ने कहा कि दासगुप्ता को या तो राज्यसभा से इस्तीफा देना चाहिए या उन्हें अयोग्य घोषित किया जाना चाहिए क्योंकि उनके पास कोई ”सेफ्टी नेट” नहीं है। संविधान की 10वीं अनुसूची के अनुसार, अनुच्छेद 99 या 188 के प्रावधानों (जो भी लागू हों) को पूरा करने के बाद मनोनीत सदस्य अपने शपथग्रहण के बाद से छह महीने का समय समाप्त होने के पहले किसी राजनीतिक दल से जुड़ सकता है।

नियम में आगे कहा गया है कि अनुच्छेद 99 या 188 के प्रावधानों (जो भी लागू हों) को पूरा करने के बाद सदन के लिए मनोनीत सदस्य अपने शपथग्रहण के बाद से छह महीने का समय समाप्त होने के बाद किसी राजनीतिक दल से जुड़ता है तो वह सदन की सदस्यता के अयोग्य होगा।

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