गुरुवार, 25 मार्च 2021

'सेक्स एडिक्शन' टर्म पर दुनिया में फिर छिड़ी बहस

वाशिंगटन डीसी। अमेरिका के अटलांटा क्षेत्र में स्पा सेंटर में गोलीबारी करने वाले युवक की गिफ्तारी के बाद 'सेक्स एडिक्शन' टर्म एक बार फिर चर्चा में आ गया है। दरअसल, इस युवक ने अपने बचाव में कहा था। कि इस घटना के पीछे की वजह उसका सेक्स एडिक्शन है। युवक ने कहा कि स्पा सेंटर को देखकर उसका एडिक्शन बढ़ जाता था। और स्पा सेंटर से नफरत की वजह से इस हमले को अंजाम दिया। आरोपी ने बताया कि उसके सेक्स एडिक्शन की वजह से उसे उसके परिवार से बाहर निकाल दिया गया था। वह अपने घर पर घंटों पॉर्न देखता था। इसके बाद से ही ये सवाल उठने लगे हैं। कि क्या सेक्स की लत कोई बीमारी है। जिसकी वजह से व्यक्ति किसी की जान भी ले सकता है। सेक्स की लत की वजह से हिंसात्मक हो जाने पर एक्सपर्ट और मनोवैज्ञानिक एकमत नहीं हैं। आइए सबसे पहले जानते हैं कि सेक्स एडिक्शन क्या है और इसके क्या लक्षण हैं ? सेक्स एडिक्शन के लक्षण- किसी भी लत की तरह सेक्स की लत भी व्यक्ति के दिमाग पर हावी हो जाती है। हेल्थ एक्सपर्ट सेक्स को सेहत के लिए हेल्दी मानते हैं। लेकिन जरूरत से ज्यादा ये शारीरिक और मानसिक सेहत को नुकसान पहुंचाता है। सेक्स एडिक्शन होने पर व्यक्ति हर समय सिर्फ सेक्स के बारे में ही सोचता है। ऐसे लोग इसके गंभीर नतीजे जानने के बाद भी हमेशा किसी ना किस सेक्सुअल एक्टिविटी में लगे रहते हैं। ये लोग सेक्स की लत की वजह से अपनी पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ दोनों खराब कर लेते हैं। जिन लोगों को सेक्स की लत होती है। उनके एक साथ कई लोगों से संबंध होते हैं। ये लोग अपने पार्टनर से किसी तरह का भावनात्मक लगाव नहीं रखते हैं। कई सेक्स एडिक्टेड नियमित रूप से सेक्स वर्कर्स के पास भी जाते हैं। अपने रोजमर्रा के काम के साथ ये साइबर सेक्स, पोर्नोग्राफी में भी लिप्त रहते हैं। सेक्स एडिक्शन वाले लोग अनसेफ सेक्स का भी खतरा मोल लेते हैं। ऐसे लोगों को यौन संबंध से भावनात्मक संतुष्टि नहीं मिलती है। और सेक्सुअल एक्टिविटी के बाद कई बार ये अपराधबोध महसूस करते हैं। सेक्स एडिक्शन के कारण- सेक्स की लत कैसे लग जाती है। इसके पीछे कोई वैज्ञानिक कारण नहीं है। लेकिन कई तरह की मानसिक स्थितियां इसके पीछे जिम्मेदार मानी जाती है। जैसे कि डिप्रेशन, अकेलापन या फिर एक तरह की उदासी कई लोगों को सेक्सुअल बिहेवियर की तरफ ले जाती है। ऐसे लोगों में सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज होने का खतरा ज्यादा होता है। विशेषज्ञों की राय- विश्व स्वास्थ संगठन के इंटरनेशनल स्टैस्टिकल क्लासीफिकेशन ऑफ डिसीज (सीबीआई10) और अमेरिकन साइकेट्रिस्ट एसोसिएशन, कंपल्सिव सेक्शुअल बिहेवियर को कोई बीमारी नहीं मानता है। इसका कारण ये बताया गया है कि हर व्यक्ति की सेक्स ड्राइव अलग-अलग होती है. मई 2019 में वर्ल्ड हेल्थ असेंबली में एक प्रेजेंटेशन में कहा गया था कि ऐसे लोगों को कई बार सेक्स में कम या फिर बिल्कुल भी संतुष्टि नहीं मिलती है। हालांकि, 2022 में आने वाले डब्ल्यूएचओ के इंटरनेशनल स्टैस्टिकल क्लासीफिकेशन ऑफ डिसीज ओईसीडी11 में इस विषय पर कई तरह के बदलाव किए जाने हैं। ओईसीडी11 में सेक्स एडिक्शन की नई व्याख्या की गई है। ओईसीडी11 में कहा गया है, 'कंपलसिव सेक्सुअल बिहेवियर एक तरह का मेंटल डिसऑर्डर है। जो एक पैटर्न पर चलता है। इसमें लोग अपनी यौन इच्छाओं पर नियंत्रण नहीं रख पाते हैं. ये बिहेवियर 6 महीने या फिर इससे ज्यादा समय में बढ़ जाता है। इसका बुरा असर व्यक्ति के निजी, पारिवारिक, सामाजिक, शैक्षिक, व्यावसायिक या अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर पड़ता है। हालांकि, सेक्स एडिक्शन को लेकर हेल्थ एक्सपर्ट्स की अलग-अलग राय है। कोलंबिया यूनिवर्सिटी के मनोचिकित्सक प्रोफेसर डॉक्टर जिव कोहेन का कहना है। जब भी हम किसी लत के बारे में सोचते हैं। तो हमें कुछ खास गतिविधियों में लिप्त रहने का ख्याल आता है। जो दिमाग से संकेत मिलने पर अचानक प्रतिक्रिया देता है। यह नशे की लत का न्यूरोबायोलॉजिकल सबूत है। जो शोधकर्ताओं ने ऐसे लोगों में देखा है। जो ड्रग्स, अल्कोहल का सेवन करते हैं। या फिर जुआ खेलते हैं। आमतौर पर ये सेक्स या पोर्न की लत वालों में नहीं देखा गया है.' अधिकतर शोधकर्ताओं का मानना है। कि सेक्स एडिक्शन कोई मानसिक बीमारी नहीं है। कोंलबिया यूनिवर्सिटी में मनोचिकित्सा विभाग के प्रोफेसर डॉक्टर पॉल एपेलबाउम ने सीएनएन को बताया लत का मतलब सिर्फ व्यवहार पर नियंत्रण खो देना, सामाजिक दुर्बलता और खुद को नुकसान पहुंचाने वाला जोखिम लेना है। कोलंबिया यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉ. जिव कोहेन ने कहा, कई लोग ऐसे हैं। जो अपनी सामान्य सेक्सुअलिटी को लेकर ही अपराधबोध महसूस करते हैं। अगर सेक्स एडिक्शन जैसे टर्म को मान्यता दी गई तो एक चिंता ये भी है। कि तमाम लोग अपनी सेक्सुअलिटी को लेकर सवाल करने लग सकते हैं। कई लोगों को लग सकता है कि वे स्वस्थ नहीं हैं। उन्होंने कहा, सेक्स को लेकर कोई लाइन खींचना बहुत मुश्किल है। अगर किसी की सेक्सुअलिटी से दूसरों के अधिकार प्रभावित होते हैं। तो इसे भले बीमारी माना जा सकता है। लेकिन कुछ लोगों की सेक्स ड्राइव ज्यादा है। तो उन्हें इसमें शामिल करना ठीक नहीं होगा। मनोवैज्ञानिक और 'द मिथ ऑफ सेक्स एडिक्शन' के लेखक डेविड जे ले ने 'द वॉशिंगटन पोस्ट' को बताया ऐसा माना जाता है। कि कुछ लोग जब बहुत ज्यादा उत्तेजित हो जाते है तो वो खुद पर नियंत्रण नहीं रख पाते हैं। लेकिन शोध के अनुसार सेक्स की लत वाले लोग ऐसी स्थितियों में भी खुद पर नियंत्रण रख सकते हैं। कुछ वैज्ञानिकों का कहना है, कि अपराधी सेक्स एडिक्शन शब्द का इस्तेमाल अपना गुनाह छिपाने के लिए करते हैं।

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