शुक्रवार, 19 मार्च 2021

एयरफोर्स ज्वाइन करने के लिए करते थे प्रेरित, शहीद


ग्वालियर/ जालौन। वायुसेना के जहाज मिग-21 का हादसा होने के कारण जालौन का लाल कैप्टन आशीष गुप्ता शहीद हो गए हैं। शहीदी पर चचेरी बहन रुपाली ने बताया कि  अज्जू भइया हमेशा देश सेवा की बातें करते थे। और वह उन्हें भी प्रेरित करते थे। कि वह भी एयरफोर्स ज्वाइन कर लें। बहन ने बताया कि वह बहुत ही कम बोलते थे। लेकिन जब भी बोलते देश सेवा की ही बातें करते थे।
अज्जू के शहीद हो जाने पर उनकी बहन ने बताया कि भाई हमेशा सभी बहनों से फोन पर बात करते थे और कहते थे। कि आज लड़कियां भी देश सेवा में आगे आ रही है।
भाई के बात मान बहन रुपाली ने तो भाई की बातों से प्रेरित होकर एयरफोर्स की तैयारी शुरू कर दी थी। लेकिन सफलता नहीं मिली। रुपाली ने बताया कि भइया का फोन अक्सर हम पांच बहनों में से किसी न किसी के पास आया ही करता था।
यह बात और है। कि काम में व्यस्त होन के कारण वे ज्यादा समय बात नहीं करते थे। सिर्फ पापा मम्मी के साथ पूरे घर के हाल चाल पूछकर फिर से फोन करने को कहते हुए बात खत्म कर देते थे। बता दें, कि शहीद अजय अंतिम बार अपने दोस्त की शादी में आए थे। जिसके बाद वह उरई स्थित घर पर आ गए थे।
कैप्टन आशीष के जहाज की दुर्घटना की खबर पूरे गांव में आग की तरह फैल गई। जिसके बाद उनके दोस्तों और रिश्तेदारों में केवल उन्हीं की चर्चा थी। वहीं घर के पास रहने वाले उनके साथी रवि गुप्ता, सुमित, प्रेमनाथ आदि खड़े होकर कैप्टन आशीष के बारे में ही चर्चा कर रहे थे। साथियों ने बताया कि यूं तो आशीष का आना जाना काफी कम था, लेकिन आता था तो तीन चार दिन रहता था और सभी से एक बार मिलता जरूर था। उन्हें भुलाना इतना आसान नहीं होगा।
2010 में छाया मोदी से हुई थी। कैप्टन की शादी
परिवार के सुरेश गुप्ता ने बताया कि अज्जू की शादी 2010 में झांसी के गुरसराय के मोदी परिवार की बेटी छाया से हुई थी। हम सभी उसकी शादी में शामिल भी हुए थे। सुबह जिस वक्त से मिग-21 के हादसे के शिकार हुआ और उसमें जान गंवाने वाले आशिष का जिकर किया गया तो परिवार चौंकना हो गया और अपनी आंखें टीवी पर गढ़ा ली। लेकिन कहीं से भी कोई पुख्ता जानकारी नहीं मिल पाई। भले ही आशीष के परिजनों और मोहल्ले वालों को हादसे की जानकारी सुबह सवा ग्यारह से लेकर दोपहर 12 बजे तक हो गई थी। लेकिन पुलिस प्रशासन के किसी भी अधिकारी और किसी भी जनप्रतिनिधि व नेता ने कैप्टन के घर पहुंचने की जरूरत महसूस नहीं की। इससे परिजनों और इलाके के लोगों में काफी नाराजगी रही।

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