सोमवार, 7 दिसंबर 2020

शहरवासी कर रहे प्रवासी पक्षियों का इन्तजार

अठखेलियां देखने को उत्सुक अजमेर शहरवासी, कर रहे हैं प्रवासी पक्षियों का इन्तजार


अजमेर। सर्दी का समय है और दिसम्बर माह शुरू हो चुका है। लेकिन अब भी जिले में प्रवासी पक्षियों का इंतजार है। अजमेर की आना सागर और फायसागर झील समेत किशनगढ की गुंदोलाव झील, ब्यावर के बिचड़ली तालाब में हर साल इस समय प्रवासी पक्षियों की आवक हो जाती थी। लेकिन इस बार नहीं हुई है। हाल ही में तैयार किया गया बर्ड पार्क भी सूना ही है। पर्यावरण विदों की माने तो इस साल सर्दी देरी से शुरू हुई है। और उतनी सर्द भी नहीं है। साथ ही जलाशयों का जल स्तर अन्य सालों के मुकाबले इस बार ज्यादा है। यही कारण है। कि प्रवासी पक्षियों की आवक नहीं हुई। लेकिन माह के अन्त तक प्रवासी पक्षियों की आवक होने की उम्मीद है।
ये प्रवासी पक्षी आते है यहां
अजमेर की आनासागर व फायसागर झील सहित किशनगढ के गुंदोलाव झील व ब्यावर के बिचडली तालाब में जिले में मुख्यत हवासील (ग्रेट व्हाइट व डेल​मेशियन पेलिकन), किंगफिशर (पाइड), पनडुब्बी (डेवचिक) टिकडी आरी (कूट), सीखपर (पिनटेल), राजहंस (फ्लेमिगो), बगुला, जल चिडिय़ा (जेकाना पिहूया), सारसक्रेन, टिटहरी, स्टाईल्ड, पेटेड स्टॉर्क (जान्हिल), क्रेन (कुरजां) एवं डोमेसायल क्रेन आदि प्रवासी पक्षी आते है।
लगभग तैयार है बर्ड पार्क
सर्द मौसम में अजमेर की ऐतिहासिक आनासागर झील में आने वाले प्रवासी पक्षियों के लिए बर्ड पार्क भी लगभग तैयार है। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत वैशाली नगर स्थित सागर विहार कॉलोनी के पीछे 90 लाख रूपये की लागत 26 हजार 400 वर्ग मीटर क्षेत्रफल में बर्ड पार्क में मिट्टी के सात – आठ प्राकृतिक टीलों का निर्माण किया गया है। बर्ड पार्क में चारों तरफ पांच फीट ऊंचाई की चार दीवारी का निर्माण, इस पर दो फीट रेलिंग लगाई गई है। पार्क का मुख्य द्वार भी तैयार किया गया है। वर्तमान में पार्क की कच्ची भूमि पर घास लगाने का काम जारी है। बर्ड पार्क में सौ से अधिक विभिन्न किस्म के पेड़-पौधे लगाए जाएंगे।
मौसम में बदलाव के साथ आते है पक्षी
यहां पक्षी बारिश के बाद सर्दियों में आना प्रारंभ होते है। यह पक्षी पूर्वी यूरोप, साइबेरिया, मंगोलिया, पोलैण्ड सहित अन्य देशों से आते है। झीलों में पक्षियों को भोजन भी आसानी से मिल जाता है। मौसम भी पक्षियों के लिए अनुकूल है। शिकार की संभावना भी नगण्य है। अक्टूबर से ही मेहमान पक्षी यहां आना शुरू होते हैं। और फरवरी में वापसी शुरू होती है। पक्षी विशेषज्ञों ने बताया कि यूरोप सहित विदेशों में अक्टूबर, नवंबर में बर्फ जम जाती है। ऐसे में पक्षियों को सबसे बड़ी समस्या भोजन की हो जाती है। ऐसे में ये हजारों किलोमीटर की उड़ान भरकर भारत की तरफ आते हैं।                                                                                                                              


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