मंगलवार, 8 दिसंबर 2020

किसान आंदोलन ने खट्टर के हाथ-पांव फूलाए

हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला और उनकी माता नैना चौटाला को छोड़कर बाकि 7 विधायकों ने किसान आन्दोलन का समर्थन किया है। 

राणा ओबरॉय


करनाल। किसानों के भारत बंद आह्वाहन के बाद सरकार की विपक्षी पार्टियां भी उग्र तेवर में हैं। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ने भारत बंद के ठिक एक दिन पहले खट्टर सरकार को विधान सभा में आने की ललकार लगाई है। उन्होंने राज्यपाल को ई-मेल के जरिए पत्र भेजकर विधानसभा का आपात कालीन सत्र बुलाने की मांग की है।


कृषि बिल 2020 के खिलाफ चल रहे ऐतिहासिक किसान आन्दोलन अंतर्राष्ट्रीय बन चुका है। 36 ब्रिटिश सांसदों और कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टीन ट्रूडो ने भी किसान आन्दोलन का समर्थन किया है। सरकार ने कई बार किसानों के साथ बैठक की लेकिन बेनतीजा रहा। किसानों का मानना है कि कृषि बिल 2020 एक काला कानून है जैसा कि ईस्ट इंडिया कम्पनी का था। कुछ वरिष्ठ पत्रकारों का भी मानना है कि ऐसा कानून गरीब- मझोले किसानों बड़ी ही बेदर्दी से कूचल देगा। भारी जन दबाव को देखते हुए कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियों ने किसान आन्दोलन और भारत बंद का समर्थन किया है। 


भारी जनआक्रोश और किसानों के गुस्से को देखते हुए हरियाणा केपूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने राज्यपाल को पत्र में लिखा है कि राजनीतिक अस्थिरता और सरकार के प्रति अविश्वास को देखते हुए विशेष सत्र जरूरी है। श्री हुड्डा ने कहा कि इन असाधारण परिस्थितियों में राज्यपाल अपनी संवैधानिक जिम्मेदारियों का निर्वहन करें। उन्होंने कहा कि गठबंधन सरकार जनता और विधायकों का विश्वास खो चुकी है। इसलिए कांग्रेस पार्टी  हरियाणा सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाना चाहती है। उन्होंने कहा कि प्रदेश का अन्नदाता दिल्ली बॉर्डर पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहा है, लेकिन सरकार ने आंदोलन को दबाने के लिए अलोकतांत्रिक तरीके अपनाएं। हुड्डा ने कहा कि किसानों को एमएसपी की गारंटी और एमएसपी से कम पर खरीद करने वालों को सजा का प्रावधान जरूरी है।


कृषि बिल जब संसद में पेश किया गया तभी से हरियाणा और पंजाब में किसान आंदोलन कर रहे है। किसानों के इस आक्रोश को दबाने के लिए हरियाणा सरकार किसानों को देशद्रोही बनाने पर तुल गयी। सरकार के दमनकारी योजनाओं की भनक जब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंची तो ,काफी केन्द्र सरकार और हरियाणा सरकार की काफी आलोचना हुयी। कनाडा ने साफ कहा है कि भारत के किसान आंदोलन का जल्द से जल्द समाधान नहीं निकला गया तो, विश्व को इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।


इसी कड़ी मे हरियाणा की राजनीति चरम पर आ गयी। सत्ता पक्ष के विधायकों ने भी कई बार सरकार को सचेत किया कि किसान के साथ बैठ कर मुद्दे को सुलझा लेना बेहतर होगा। लेकिन खट्टर सरकार पर इसका कोई असर नहीं हुआ। सूत्रों के अनुसार सरकार के भीतर विधायक नाराज चल रहे हैं। हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला और उनकी माता नैना चौटाला को छोड़कर बाकि 7 विधायकों ने किसान आन्दोलन का समर्थन किया है। जजपा के 10 विधायकों में से 5 विधायक पहले ही किसानों को अपना समर्थन दे चुके हैं। किसानों को समर्थन देने वाले नारनौंद से विधायक राम कुमार गौतम, बरवाला से जोगीराम सिहाग, जुलाना से अमरजीत ढांडा, गुहला-चीका से ईश्वर सिंह व पांचवे विधायक नरवाना से रामनिवास सुरजखेड़ा हैं।  रामनिवास सुरजखेड़ा ने कहा है कि वे किसानों की आवज बुलंद करने के लिए जल्द ही दिल्ली पहुंचेगे और विधायक के पद से इस्तीफा देंगें। विधायकों की नाराजगी से विपक्ष को मौका मिल गया और हुड्डा ने राज्यपाल से खट्टर सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के लिए विधान सभा सत्र बुलाने की मांग कर दी।                         


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