बुधवार, 18 नवंबर 2020

फर्शे अज़ा सिखाता है जिंदगी का सलीक़ा

फर्शे अज़ा सिखाता है ज़िन्दगी को अच्छी तरबीयत के साथ जीने का सलीक़ा


(मौलाना मो०अली गौहर)


बृजेश केसरवानी


प्रयागराज। इन्सान को वालीदैन की अज़मत और खिदमतगुज़ारी की नाफरमानी नहीं करनी चाहिये।माँ बाप को दूखी रखने और उसकी क़ुरबत न हासिल करने के बाद भी जितनी दौलत और सरमाया जमा कर लिया जाए अल्लाह उससे कभी राज़ी नहीं होता।अगर इनसान चाहता है की अल्लाह को राज़ी रखा जाए तो अपने वालीदैन के साथ हुसने सुलूक से पेश आओ।उक्त बातें मौलाना मो०अली गौहर साहब क़िबला ने दायरा शाह अजमल स्थित इमामबाड़ा नवाब अब्बन मरहुम के अज़ाखाने मे स्व सै०हसन अब्बास सफवी (सग़ीर) की बरसी की मजलिस को सम्बोधित करते हुए इल्म हासिल करने के साथ वालीदैन के साथ बच्चों का कैसा सुलूक होना चाहिये इस पर तफसीली गुफ्तुगु की।मौलाना गौहर ने कहा माले दुनिया हासिल कर लेना ही बेहतरीन तरबीयत का तक़ाज़ा नहीं।अपने को जन्म देने वाले माँ और बाप से हुसने सुलूक से पेश आना ही अल्लाह की रज़ा और क़ुरबत हासिल करने का ज़रीया है। वालीदैन की खुशनूदी हासिल करने का मेयार है की जब भी अपने वालीदैन को कुछ दो तो एक हाँथ से नहीं दोनों हाँथों से दो ताकी उनका हाँथ तुमहारे हाँथों से उपर रहे।और उनहे नीचे झूकना न पड़े।मौलाना ने हराम की ग़ेज़ा से बचने की ताकीद करते हुए करबला वालों से सीखने की नसीहत की कहा हुसैन और खानदाने रिसालत ने भूखा रहना गवारा किया लेकिन माले हराम को ग़ेज़ा नहीं बनाया।मौलाना की तक़रीर से पहले शहनशाह हुसैन सोनवी ने मर्सियाख्वानी से मजलिस का आग़ाज़ किया।शायर डॉ०क़मर आब्दी,अनवार अब्बास और नायाब बलयावी ने ताज़ियती नज़्म के ज़रीये खेराजे अक़ीदत पेश की।नायाब बलयावी ने अपने तास्सुरात का कुछ इस अन्दाज़ मे   तंज़ कसने वालों पर प्रहार किया कहा:- तनज़ीया अश्के ग़में शाह पे हसने वालों!
मुरदा होने से जो बचना है तो रोना होगा!!
ग़ैर होकर भी तरफदार ए अज़ा दिखता है!
हो न हो उसने तबर्रुक़ कभी खाया होगा!!
कोरोना काल में मात्र पाँच लोगों की इजाज़त मिलने पर कहा। पाँच अफराद की मजलिस मे इजाज़त थी मिली!
पंजतन आँएगे तो रौशन अज़ाखाना होगा!!
मजलिस में स्व हसन अब्बास सफवी की मग़फिरत को दुआ भी की गई।इस मौक़े पर मंज़र कर्रार,जलाल हैदर,ज़ाकिरे अहलेबैत रज़ा अब्बास ज़ैदी,सै०मो०अस्करी,क़मर भाई,रज़ा इसमाईल सफवी,अस्करी अब्बास,ज़ेया इसमाईल सफवी,अर्श अब्बास,काज़िम अब्बास,अहमद जावेद,बाक़र मेंहदी,ज़रग़ाम हैदर,जावेद रिज़वी करारवी,तसवीर मुस्तफा,अनवर मुस्तफा,शादाब रज़ा,शादाब मसीहउज़्ज़माँ,शबीह अब्बास जाफरी,कामरान रिज़वी,माजिद अली समेत अन्य लोग मौजूद रहे।


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