मंगलवार, 22 सितंबर 2020

प्रदूषित हवा में सांस लेने को मजबूर होंगे

प्रदूषित हवा में सांस लेने को मजबूर होंगे गाज़ियाबाद और एनसीआर के निवासी, पंजाब में किसानों ने शुरू किया पराली जलाना।


अश्वनी उपाध्याय


गाजियाबाद। गाज़ियाबाद समेत एनसीआर के सभी निवासियों को इस सर्दी में भी दूषित हवा में जीने को मजबूर होना पड़ेगा। इसका कारण है।पंजाब के किसानों का पराली जलाना।  सूत्रों के अनुसार  पंजाब में किसानों ने फसलों के बचे हुए भागों यानी पराली को जलाना शुरू कर दिया है। नेशनल एरोनोटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) की ओर से जारी ताज़ा तस्वीरों से इस बात के संकेत मिले हैं।
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार पराली जलाने के शुरुआती संकेतों का पता चला है। पराली  जलाना भारतीय दंड संहिता और 1981 के वायु प्रदूषण नियंत्रण अधिनियम के तहत अपराध माना गया है। इसके बावजूद ये किसान धान के बचे हुए भागों को जलाना जारी रखते हैं। यह अभ्यास विकल्पों और श्रमिकों की कमी के चलते शुरू हुआ था।नासा के संसाधन प्रबंधन प्रणाली से आग का डाटा देने वाले सूचना तंत्र खेतों में आग लगाने में लगातार वृद्धि दिखाता है। गोडार्ड अर्थ साइंसेज टेक्नोलोजी एंड रिसर्च के वैज्ञानिक पवन गुप्ता के हवाले से अखबार ने कहा कि मानचित्र में लाल धब्बे के रूप में दिखाई देने वाली आग ज्यादातर पंजाब के अमृतसर से है। अमृतसर के अलावा पंजाब में तरन तारन, फिरोजपुर, कपूरथला, मनसा और जालंधर में भी पराली जलाई जाती है। 13 से 16 सितम्बर के बीच सेटलाइट से मिले डेटा के अनुसार 5 से 7 जगहों पर खेतों में आग लगी देखी गई।गुप्ता ने कहा कि पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटना शुरू हो गई है। इस साल हम सेटेलाइट एयर क्वालिटी डेटा का विश्लेषण कर अनुमान लगाने का प्रयास करेंगे कि इसका स्थानीय जलवायु और मौसम पर क्या प्रभाव पड़ता है। वहीं एक अधिकारी ने कहा है।कि इस साल परली जलाने के कम मामलों की उम्मीद कर रहे हैं।
केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का कहना है। कि पिछले साल दिल्ली में वायु प्रदूषण खेतों में फसलों के बचे हुए हिस्से में आग लगाने के कारण बढ़ा था। खेतों में जलाई जाने वाली पराली दिल्ली, हरियाणा और पंजाब की सरकारों के बीच विवाद का कारण बनती रही है। पिछले साल दिल्ली सरकार ने पराली जलाने के बढ़ते मामलों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने के लिए केंद्र, पंजाब और हरियाणा सरकार को निशाने पर लिया था।आपको बता दें कि पराली जलाने को दिल्ली में प्रदूषण के कारणों में से एक माना गया। पंजाब और हरियाणा की पराली से दिल्ली के प्रदूषण में पिछले साल 46 फीसदी तक प्रभाव था। प्रदूषण का स्तर गंभीर स्तर में आने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 5 नवंबर तक सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल प्रतिबंध निर्माण गतिविधि की घोषणा की।इससे पहले पंजाब और हरियाणा को किराए के आधार पर कृषि मशीनरी देने के लिए कस्टम हायरिंग सेंटर (CHC) स्थापित करने का प्रस्ताव दिया गया। फसलों के अवशेष प्रबंधन के लिए ज्यादा उच्च स्तर के मशीनी उपकरण खरीदने में असमर्थ किसानों के लिए यह प्रस्ताव था।                   


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