सोमवार, 21 सितंबर 2020

3 लाख से अधिक युवाओं को दी नौकरियां

समाजवादी सरकार के मुकाबले योगी सरकार ने 3 साल में दी ज्यादा नौकरियां।
बृजेश केसरवानी


लखनऊ। पिछली सरकार के पूरे कार्यकाल में हुई उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की विभिन्न भर्तियों में लगभग 26,000 अभ्यर्थियों का चयन किया गया। वहीं, मौजूदा सरकार ने 3 वर्षों में 26,103 अभ्यर्थियों का चयन किया है।
उत्तर प्रदेश में पिछली सरकारों के मुकाबले योगी सरकार ने अपनी तीन साल के कार्यकाल में ही ज्यादा नौकरियां दी हैं। योगी सरकार में युवाओं को तीन लाख से ज्यादा नौकरियां भी मिली हैं। दरअसल, उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग, उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग सहित सभी विभागीय भर्तियों में पारदर्शी और निष्पक्ष प्रक्रिया को अपनाया। यही वजह है कि योगी सरकार तीन साल में ही पिछली सरकारों के मुकाबले ज्यादा नौकरियां देने में कामयाब रही।
भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ी सपा-बसपा शासनकाल में हुई भर्तियां।
सपा-बसपा शासनकाल में हुई सभी भर्तियां भ्रष्टाचार की हीं भेंट चढ़ गई।
इन भर्तियों में भाई-भतीजावाद, वंशवाद, क्षेत्रवाद खूब चला और ज्यादातर भर्तियों को लेकर न्यायालय को हस्तक्षेप करना पड़ा। कई मामलों की जांच तो सीबीआई से भी करानी पड़ी। जानकारों की मानें तो हाईकोर्ट में लगभग 500 और सुप्रीम कोर्ट में 50 से अधिक मुकदमें लंबित हैं। वर्ष 2012 से 2017 तक उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के इतिहास में पहली बार पीसीएस-2015 की प्रारंभिक परीक्षा का प्रश्नपत्र लीक हुआ और  वर्ष 2016 की आरओ व एआरओ प्रारंभिक परीक्षा का भी प्रश्नपत्र लीक हुआ। मौजूदा सरकार ने इन परीक्षाओं को निरस्त कराकर दोबारा परीक्षा कराने का फैसला लिया।
समाजवादी के 5 वर्ष पर योगी सरकार के तीन साल भारी।
पिछली सरकार के पूरे कार्यकाल में हुई उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की विभिन्न भर्तियों में लगभग 26,000 अभ्यर्थियों का चयन किया गया । वहीं, मौजूदा सरकार ने 3 वर्षों में 26,103 अभ्यर्थियों का चयन किया है।
सवालों में रही भर्ती प्रक्रिया की विश्वसनीयता।
मार्च 2017 से पहले की सरकारों के कार्यकाल में उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग और उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग सहित विभिन्न विभागीय भर्तियों में अपनाई गई प्रक्रिया की विश्वसनीयता कटघरे में रही।
सपा शासनकाल में उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग का अध्यक्ष आपराधिक इतिहास के व्यक्ति डा. अनिल यादव को बनाया गया था। साथ ही अयोग्य विभागीय अधिकारी रिजवानुर्रहमान को सचिव बनाया गया।इन दोनों को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने पद से बर्खास्त किया।
आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश  रोजगार अभियान के तहत 1.25 करोड़ से अधिक रोजगार उपलब्ध कराये गये हैं। 50 लाख से अधिक कामगारों को क्रियाशील औद्योगिक इकाइयों में रोजगार दिया गया। 11 से अधिक कामगारों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए विभिन्न औद्योगिक संस्थानों से एमओयू हस्ताक्षरित किया गया।              


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