सोमवार, 31 अगस्त 2020

मुहर्रम पर सभी को पीएम ने दिया संदेश

अकांशु उपाध्याय


नई दिल्ली। मोहर्रम पर पीएम का संदेश, ‘शक्ति देती है इमाम हुसैन की समानता और निष्पक्षता’नरेंद्र मोदी ने इमाम हुसैन की शहादत को याद करते हुए ट्वीट किया है।
इस्लामिक कैलेंडर का पहला महीना मोहर्रम होता है। इस महीने की 10वीं तारीख को अशुरा का दिन कहते हैं।इसी दिन पैगंबर मोहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन और उनके 71 साथी शहीद हुए थे। इन शहीदों में सबसे छोटा शहीद 6 महीने के इमाम हुसैन के बेटे अली असगर थे. इस सभी को सिर्फ हक, इंसानियत और सच के रास्ते पर चलने की वजह से यजीद नाम के एक शासक द्वारा मार दिया गया था।इस वजह से मोहर्रम का पूरा महीना गम का महीना माना जाता है।
इमाम हुसैन की इस शहादत को आजतक कोई नहीं भुला पाया है।पीएम नरेंद्र मोदी ने भी इमाम हुसैन की शहादत को याद करते हुए एक ट्वीट किया है। अपने ट्वीट में प्रधानमंत्री मोदी ने लिखा, ''हम इमाम हुसैन (एएस) के बलिदान को याद करते हैं। उनके लिए, सच्चाई और न्याय के मूल्यों से ज्यादा महत्वपूर्ण कुछ नहीं था।समानता और निष्पक्षता पर उनका जोर उल्लेखनीय है और बहुतों को शक्ति देता है.''
गौरतलब है कि शिया और सुन्नी दोनों ही समुदाय मोहर्रम के गम में शामिल होते हैं। हालांकि, दोनों के बीच के मतभेदों की वजह से दोनों का इस गम में शामिल होने का तरीका भी काफी अलग है।शिया मुसलमान इस दिन जुलूस में हिस्सा लेते हैं और इमाम हुसैन के लिए ताजिया ले जाते हैं। शिया मुसलमानों में ये सिलसिला पूरे 2 महीने 8 दिनों तक चलता है।मुहर्रम का चांद दिखाई देने के बाद शिया महिलाएं और लड़कियां अपनी चूड़ियां तोड़ देती हैं. साथ ही वो श्रंगार की चीजों से भी 2 महीने 8 दिन के लिए दूरी बना लेती हैं।साथ ही 2 महीने 8 दिनों के लिए शिया मुसलमान किसी तरह की खुशी नहीं मनाते और न ही किसी दूसरे की खुशी में शामिल होते हैं।             


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