गुरुवार, 27 अगस्त 2020

बच्चों को सोच-समझकर खिलाएं 'बिस्कुट'

रायपुर। बच्चे जब 6 माह से ज्यादा के हो जाते हैं तो उन्हें ठोस आहार खिलाना शुरू कर दिया जाता है। ऐसे में कई लोग अपने बच्चों को बिस्कुट खिलाते हैं। बिस्कुट का टेस्ट बच्चों को अच्छा लगता है, जिसके कारण बच्चे आसानी से बिस्कुट खा लेते हैं। बच्‍चे को सभी बिस्‍कुट खिलाना सही नहीं होता है और इसके नुकसान भी हो सकते हैं। बिस्कुट प्रोसेस्ड होते हैं। इनमें कई तरह के प्रिजर्वेटिव्‍स डाले जाते हैं। इनमें रिफाइंड व्‍हीट फलोर, ट्रांस फैट, एडिटिव्‍स और कई सिंथेटिक तत्‍व भी मिलाए जाते हैं। बिस्कुट में मौजूद तत्व बच्चों के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं। बिस्‍कुटों में अधिक मात्रा में रिफाइंड शुगर का इस्तेमाल किया जाता है।


इनमें इस्तेमाल की जाने वाली शुगर रेगुलर ग्‍लूकोज से ज्‍यादा मीठी होती है, जिससे बच्चे मोटापे और डायबिटीज से शिकार हो सकते हैं। बच्‍चों को बिस्‍कुट से कोई पोषण नहीं मिलता है। मार्केट में बिकने वाले बिस्कुट बच्चों के लिए जंक फूड की तरह काम करते हैं। इससे एनर्जी तो मिलती है लेकिन पोषण नहीं। बिस्कुट में ट्रांस फैट का इस्तेमाल किया जाता है। इससे गंभीर स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याएं भी हो सकती हैं। इसकी वजह से शरीर में गुड और बैड कोलेस्‍ट्रोल में असंतुलन आ सकता है। आप घर पर ही बच्चों के लिए बिस्कुट बना सकते है। इसमें आप रागी, बेसन, होल व्‍हीट आटे, ओट्स, मीठे के लिए खजूर का सिरप, गुड, घी आदि का इस्तेमाल कर सकते हैं।                 


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