मंगलवार, 7 जुलाई 2020

तत्काल प्रभाव से पटवारी निलंबित

पुलिस महानिरीक्षक पटवारी को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया। गुप्तचर विभाग की शिकायत पर 


रतन सिंह चौहान


पलवल। जिला उपायुक्त नरेश नरवाल ने गांव दीघोट हलका के पटवारी डोर सिंह को निलंबित कर दिया है। उपायुक्त ने बताया कि अतिरिक्त पुलिस महानिरक्षक गुप्तचर विभाग हरियाणा से शिकायत प्राप्त हुई थी कि पटवारी डोर सिंह अपने पास कार्य को करवाने के लिए नीजि व्यक्ति रखता है और अपने मुख्यालय पर हाजिर नहीं रहता है, जिसकी जांच तत्कालीन अतिरिक्त उपायुक्त द्वारा की गई, जांच में पाया गया था कि पटवारी डोर सिंह गांव में नहीं बैठता है जबकि उसे ग्राम सचिवालय दीघोट में एक कमरा अपना कार्य करने के लिए दिया हुआ था। इस लापरवाही के दृष्टिïगत वित्तायुक्त राजस्व विभाग एवं अतिरिक्त मुख्य सचिव हरियाणा द्वारा पटवारी डोर सिंह को निलंबित करने के आदेश प्राप्त हुए थे।दीघोट हल्का के पटवारी को निलंबित किए जाने के बाद होडल,हसनपुर, हथीन में अपने पास प्राइवेट आदमी रखने वाले पटवारियों में हड़कंप मच गया है। अधिकांश पटवारियों के पास कार्यरत प्राइवेट व्यक्ति राजस्व रिकार्ड को खंगालते रहते हैं। उल्लेखनीय है कि होडल उपमंडल के अधिकांश पटवारियों ने अपने पास निजी व्यक्तियों की नियुक्ति कर रखी हैं। पटवारियों के सभी पिछले दरवाजे से होने वाले कार्यों को निजी व्यक्तियों के द्वारा ही अमलीजामा पहनाया जाता है। पैसों का लेन-देन का खेल इन्हीं निजी व्यक्तियों के द्वारा ही खेला जाता है। जैसे कि सरकारी तौर पर दाखिल खार्ज चढ़ाने की फीस मात्र दो-ढाई सौ रुपए होती है लेकिन पटवारियों के द्वारा रखे गए निजी व्यक्ति 2000 से 2500 रुपए तक वसूलते हैं। नगर परिषद कार्यालय में भी यह खेल जारी है। रिहायशी प्रमाणपत्र बनवाने के लिए लोगों से मकान की रजिस्ट्री मांगी जाती है जबकि पैतृक मकान के जमीन की रजिस्ट्री नहीं होती ऐसे हालात में होडल नगर परिषद कार्यालय के कर्मचारी लोगों से सीधे पैसे की मांग करते हुए कहा जाता है कि उन्हें सरकार से कोई वेतन नहीं मिलता है हमें तो आप लोगों से ही अपने वेतन की पूर्ति करनी होती है। लोगों को समझ नहीं आ रहा है कि ऐसे लोगों का वेतन कितना होना चाहिए और ऐसे लोग आम आदमी से कितना पैसा वसूल रहे हैं। ऐसा नही है कि उच्च अधिकारियों को इस  अवैध काले कारनामों की जानकारी नहीं है। आम नागरिकों को भी यह महसूस होने लगा है कि सरकार चाहे किसी भी पार्टी की हो अधिकारी तो यही रहने है और सरकार भी इन मामलों से अनभिज्ञ नहीं है नेताओं को भी इन मामलों से से कोई सरोकार नहीं है उनका काम तो चेहरा देखकर ही कर दिया जाता है। सरकार के स्वच्छ और पारदर्शिता तो सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगाने वाले आम नागरिकों को से अधिक कौन जानता है।             



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