सोमवार, 15 जून 2020

विरोध करने वालों ने पक्ष में खोला मोर्चा

प्रवीर भट्टाचार्य


एक पुरानी कहावत है- खोदा पहाड़ ,निकली चुहिया । यह कहावत बिलासपुर के मंदिर कांड पर पूरी तरह फिट बैठ रही है। रविवार दिन भर भारतीय राष्ट्रवादी संगठन के साथ तमाम हिंदू संगठनों ने जिस अपराधी के लिए हंगामा मचाया, शाम होते होते उनकी सहानुभूति उसी अपराधी के प्रति इस कदर उमड़ पड़ी कि अब वे उसका इलाज कराने पर उनका फोकस ठहर गया हैं । शनिवार रात किसी सरफिरे ने सिम्स के सामने स्थित शिव हनुमान मंदिर की दीवार पर एक पोस्टर चस्पा कर दिया था। पोस्टर में देवी काली की तस्वीर की फोटो कॉपी थी, जिस पर उनके खिलाफ बेहद गंदी गंदी बातें लिखी थी । उनका संबंध अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम से जोड़ा गया था। स्वाभाविक तौर पर इसकी जानकारी होने पर बिलासपुर में हंगामा खड़ा हो गया। बात तब और बिगड़ गई जब कार्यवाही के लिए पहुंचे कोतवाली थाना प्रभारी कलीम खान के मजहब को लेकर कुछ लोगों ने सवाल खड़े कर दिए। गुस्सायी पुलिस सब को उठा लाई और उनके खिलाफ धारा 341 और 147 के तहत मामला दर्ज कर दिया।


लेकिन कोतवाली पुलिस ने शाम होते-होते उस आरोपी को भी ढूंढ निकाला, जिसकी वजह से पूरे शहर में बवाल मचा था। यहीं पर आकर वह कहावत सही साबित हो गई, जिसका जिक्र हमने शुरू में किया था। पता चला कि इस इलाके में रहने वाले एक बुजुर्ग मानसिक रूप से विक्षिप्त व्यक्ति ने ही यह हरकत की थी । शुरू में लोगों को लगा कि मामले को रफा-दफा करने के लिए पुलिस निरीह विक्षिप्त को बलि का बकरा बना रही है, लेकिन जब आंदोलनकारी स्वयं थाने पहुंचे और उस उस विक्षिप्त से बात की तो फिर शक की कोई गुंजाइश नहीं बची । उस विक्षिप्त के पास कई और कागज भी मिले, जिस पर इसी तरह की बातें लिखी हुई थी। तसल्ली के लिए उससे अपने सामने वही बातें लिखवाई गई तो हैंडराइटिंग पूरी तरह से मैच कर गयी। उसने बताया कि ऐसा उसने पहली बार नहीं किया। इससे पहले भी वह कई मर्तबा कई मंदिरों में इसी तरह की चीजें चिपका चुका है । ऐसा क्यों किया पूछने पर वह कहता है कि मेरा दिमाग खराब हो गया था, मुझे माफ कर दीजिए। लोग इस बात से हैरान है कि जिस विक्षिप्त को अपनी तक सुध नहीं, उसे यह कैसे पता है की पोस्टर का फोटो कॉपी कहां कराना है। उस पर क्या लिखना है और उसे कहां चिपकाना है ।शायद इसी कारण से आरोपी के असली या नकली होने पर संदेह हो रहा था ,लेकिन जांच से यह दूध का दूध और पानी का पानी हो गया और शक की कोई गुंजाइश ही नहीं बची । आंदोलनकारियों ने अपनी आंखों से देखा कि आरोपी चलने फिरने के काबिल भी नहीं है ।उसकी हालत बेहद दयनीय है लिहाजा दिन भर जिसे सख्त से सख्त सजा देने की मांग की जा रही थी अब उसी को सेंदरी के मानसिक रोग अस्पताल भेजने की तैयारी आंदोलनकारियों में से कुछ लोग कर रहे हैं।
आरोपी का नाम ओमी गुलाटी है । बताया जा रहा है कि वह पुराना बस स्टैंड हनुमान मंदिर के बाहर भीख मांगकर गुजरा करता है । आरोपी यादव मोहल्ला टीकरापारा मे रहता है।


वैसे आरोपी को सरफिरा कहकर खारिज नहीं किया जा सकता क्योंकि उसकी हरकतें ऐसी है जिससे शहर में आग लग सकती है। अगर यह व्यक्ति इसी तरह खुला घूमता रहा तो पता नहीं इसके कारण किस दिन कोई बड़ा बवाल मच जाए । इस बार तो मामला आसानी से सुलझ गया लेकिन हर बार ऐसा हो यह जरूरी नहीं, इसलिए इस व्यक्ति को या तो मानसिक चिकित्सालय में रखा जाना चाहिए या फिर कहीं भी कैद रखा जाए ताकि यह बारूद इसी तरह खुला शहर में ना घूम पाये। पकड़ा गया आरोपी कम शातिर नहीं है। आरोपी अब भी खुद को पेशावर का मानता है और कहता है कि दाऊद इब्राहिम से उसकी बात होती है। इतना ही नहीं हिंदू धर्म के विरुद्ध उसके दिमाग में कोई ग्रंथि तो है जो उसे हिंदू धर्म से नफरत करना सिखा रही है । इसलिए यह आदमी चलता फिरता मानव बम से कम नहीं है।


एक बात और


हमें बीमारी से लड़ना है, बीमार से नहीं।


और सबसे बड़ी बात किसी ने किसी से माफी नहीं मांगी है। अगर लक्ष्य को हासिल करना है तो फिर संगठित रहना सीखना होगा। एकता का मूल मंत्र भूल कर सिर्फ पराजय हासिल हो सकती है। समझदार को इशारा काफी है।


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