सोमवार, 8 जून 2020

नजदीक उपचुनाव, राजनीतिक दबाव बढ़ा

राणा ओबरॉय


चण्डीगढ़। हरियाणा की सरकार औऱ राजनीति को हिलाकर रख देने वाला ऐसा कांड जिसने सरकार औऱ सत्तारूढ़ पार्टी की कार्यप्रणाली पर अनेको सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं! जिस तरह से एक महिला नेत्री ने सरेआम पुलिस के सामने एक अधिकारी की पिटाई की है।जिसकी वीडियो ने हरियाणा में तहलका मचा रखा है। उस नेत्री पर पार्टी औऱ सरकार द्वारा कोई कार्यवाही न करने के पीछे क्या बरोदा उपचुनाव है! क्या पार्टी कोई कार्यवाही करके जाट मतदाता को नाराज नही करना चाहती है! यदि ऐसा है तो फिर करनाल भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष कथूरिया पर तत्काल प्रभाव से कार्यवाही क्यो की?क्या इन सवालों का भाजपा पार्टी औऱ सरकार के पास कोई जवाब है। एक जिला महामंत्री एसडीएम को सरेआम देखने की धमकी देता है। फिर भी सरकार उदासीन बनी हुई है। इसके परिणाम भविष्य में भाजपा औऱ खट्टर सरकार को देखने को मिल जाएंगे।? अब हम बात करते हैं बरोदा उपचुनाव में राजनीतिक पार्टियों की बिसात बिछाने की। बरोदा के प्रस्तावित उपचुनाव में भाजपा को या उसके उम्मीदवार को लेकर अंदाज और अनुमान लगाएं तो पहले एक बड़े सवाल का जवाब ढूंढना होगा lसवाल यह है कि इस चुनाव में मुख्यमंत्री मनोहर लाल चलेगी या एक बार फिर दिल्ली के पावर सेंटर की मेज की दराज में प्रदेश अध्यक्ष का हस्ताक्षरित नाम रिक्त अथॉरिटी लेटर पहले की तरह फिर पहुंचा दिया जाएगा। माहौल बनाना ही राजनीति है l भाजपा माहौल बनाकर लड़ेगी बरोदा का उपचुनाव ! होती तो निश्चित तौर पर गन्नौर से देवेंद्र कादयान राई से कृष्णा गहलावत खरखोदा से पवन खरखोदा बरोदा से डॉक्टर कपूर सिंह नरवाल गोहाना से ठेकेदार जय सिंह या रामचंद्र जांगड़ा को टिकट मिलती l ऐसे लोग यह जानते हैं कि पिछले चुनाव में गोहाना खरखोदा राई और गन्नौर की टिकटें सांसद रमेश कौशिक ने दिलवाई थी l उनके दो उम्मीदवार जीत गए दो हार गए l इस मामले में एक बात अब भी साफ है कि मुख्यमंत्री अब भी उसी राय के हैं lउनके तीन विश्वासपात्र लोग डॉक्टर कपूर सिंह नरवाल को ही सपोर्ट कर रहे हैं lडॉक्टर कपूर इन नेताओं के माध्यम से ही भाजपा में शामिल हुए थे। बरोदा का उपचुनाव कोई साधारण उपचुनाव नहीं होगा l दिल्ली बैठे लोग एक बात चीख चीख कर कह रहे हैं कि इस उपचुनाव में हर हाल में उम्मीदवार भाजपा का होगा l चंडीगढ़ के भाजपा नेता जाट की उम्मीदवारी के पक्ष में हैं तो दिल्ली वाले तर्क देते हैं कि उम्मीदवार फिर से गैर जाट ही होना चाहिए l वे कहते हैं कि जे जे पी के उम्मीदवार का मैदान में नहीं आना और उसके वोट बैंक का स्वाभाविक रूप से भाजपा को मिलने की आस ही सरकार की जीत के लिए पर्याप्त संभावना बन जाती है lभाजपा के इन नेताओं का तर्क यह भी है कि बेशक हल्के में 48% जाट मतदाता है परंतु गैर जाट इससे भी ज्यादा 52% हैं उनका मानना है कि 48 परसेंट जाट मतदाता जहां दो जगह बटेगा वही जाट मतदाताओं का ही एक वर्ग किसी न किसी कारण से भाजपा के समर्थन में भी पाया जाएगा lऐसे में यदि गैर जाट उम्मीदवार हुआ तो 52परसेंट गैर जाट बहुमत में भाजपा का समर्थन करेगा l इसलिए यह मानकर चलिए कि बरोदा में एक बार फिर पहलवान योगेश्वर दत्त को अखाड़े में उतारा जा सकता है l भाजपा के बड़े नेताओं की नजर में बरोदा में योगेश्वर दत्त गैर जाट उम्मीदवार के रूप में सबसे उपयुक्त उम्मीदवार हैं।उधर मलिक उम्मीदवार के नाम पर विचार हुआ तो उसके पीछे भी शायद रमेश कौशिक जरूर मिलेंगेl परंतु यहां एक बात सबसे महत्वपूर्ण यह है कि भाजपा नेता अपना उम्मीदवार तय करते समय कांग्रेस की रणनीति का जायजा जरूर लेंगे l क्योंकि पिछले चुनाव में भाजपा नेताओं को पता था की बरोदा से कांग्रेस के सीटिंग एमएलए श्री कृष्ण हुड्डा को ही टिकट दी जा रही है परंतु इस बार उन्हें दिमाग पर ज्यादा जोर देना पड़ेगा l इस पहेली का जवाब अभी मिलना मुश्किल है l हम यह मानकर चल रहे हैं कि कोई कितने भ्रम में रहे कोई कितना भ्रम फैलाए , कांग्रेसी की टिकट का फैसला तो बहुत पहले से हुआ पड़ा है परंतु इसे सार्वजनिक करने को कोई तैयार नहीं lआपको मानना होगा कि इस तरह के प्रतिष्ठा पूर्ण चुनाव में उम्मीदवार का नाम किसी ऐसे फार्मूले पर तय हुआ करता है जिससे दूसरे उम्मीदवारों को एक ही पंक्ति के जवाब से संतुष्ट कराया जा सके।


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