शुक्रवार, 1 मई 2020

आसान नहीं है प्रवासियों की घर वापसी

नई दिल्ली। देश के अलग-अलग राज्यों में फंसे मजदूरों की घर वापसी के लिए भले ही केंद्र सरकार की हरी झंडी मिल गई हो, लेकिन राज्यों के लिए अब इन मजदूरों का पलायन एक बड़ी चुनौती बन गया है। कोरोना के त्रासदी काल में घर जाने से पहले मजदूरों का पंजीकरण, वाहनों का इंतजाम, स्क्रीनिंग समेत तमाम जरूरी बंदोबस्त अब सरकारों के लिए सिरदर्द बन गए हैं। सबसे बड़ी समस्या ऐसी स्थितियों में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराने की है, जिसके लिए तमाम राज्य अधिकारियों से मंथन करने में जुटे हैं।
बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने गुरुवार को केंद्र से मांग की है कि वह अलग-अलग राज्यों में फंसे मजदूरों को वापस लाने के लिए स्पेशल ट्रेनों का इंतजाम कराए। मोदी ने केंद्र सरकार से असमर्थता जताते हुए कहा है कि बिहार जैसे राज्य खुद अपने 27 लाख मजदूरों को महाराष्ट्र और दक्षिण भारत के राज्यों से घर लाने में सक्षम नहीं हैं।
दूसरी ओर बिहार के प्रमुख सचिव स्वास्थ्य संजय कुमार ने भी यह माना है कि अगर मजदूर राज्य में वापस लौटते हैं तो उनकी स्क्रीनिंग कराई जा सकती है। हालांकि अभी ये स्पष्ट नहीं है कि घर लौटने वाले मजदूरों को क्वारंटीन में रखने की नौबत आई तो इसके लिए कितना बड़ा इंतजाम करना होगा।
मजदूरों की घर वापसी होगी बड़ी चुनौती


 
वहीं यूपी की योगी सरकार ने देश के अलग-अलग हिस्सों में फंसे मजदूरों को तत्काल घर ना आने की सलाह दी है। सीएम योगी ने मजदूरों से अपील करते हुए कहा है कि वह आगे भी उसी धैर्य को बरकरार रखें, जिसका प्रदर्शन उन्होंने अब तक किया है। योगी ने कहा है कि जो भी मजदूर अलग-अलग राज्यों में फंसे हैं, वह अपने राज्य की सरकार से बात कर लें। यूपी की सरकार ऐसे मजदूरों को वापस लाने के लिए सारे इंतजाम कर रही है और प्रदेश के अधिकारी खुद अलग-अलग राज्यों के संपर्क में हैं।
यूपी सरकार बना रही प्लान:-
यूपी सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, देश के किसी कोरोना प्रभावित राज्य से वापस यूपी आने वाले लोगों को 14 दिन के अनिवार्य क्वारंटीन में रखने के आदेश दिए गए हैं। हालांकि प्रवासी मजदूरों को लाने के लिए अभी योजना अमल में लाई नहीं गई है। सरकार की तैयारी है कि हम या तो ऐसे मजदूरों को अपने राज्य के बॉर्डर से रिसीव कर लें या फिर अलग-अलग राज्यों में परिवहन निगम की बसों को भेजकर इन्हें वापस लाया जाए।
महाराष्ट्र में DM की अनुमति के बिना ना छोड़ें जिला:-
महाराष्ट्र सरकार ने भी गुरुवार को एक विस्तृत गाइडलाइन जारी करते हुए अंतरराज्यीय मूवमेंट की नियमावली की जानकारी दी है। उद्धव सरकार का आदेश है कि प्रदेश में रहने वाला भी शख्स बिना जिला कलेक्टर के आदेश के अपने जिलों से बाहर नहीं जा सकेगा। इसके अलावा कलेक्टर की अनुमति के बिना किसी भी जिलों में प्रवेश की इजाजत नहीं होगी। अगर किसी को बाहर जाने की इजाजत दी जाती है तो ऐसे लोगों को वाहन पास जारी किए जाएंगे, जिसमें यात्रियों के रूट, नाम और अन्य डिटेल्स लिखे होंगे।
कलेक्टरों को दिए गए हैं कई अधिकार
इसी तरह गुजरात की सरकार ने भी प्रदेश में रहने वाले 5-7 लाख प्रवासी मजदूरों को वापस भेजने के लिए पास की व्यवस्था लागू की है। इसका पूरा प्राधिकार जिला कलेक्टर को दे दिया गया है। सरकार ने कहा है कि जो भी मजदूर घर जाना चाहते हैं, उन्हें सरकार के पोर्टल पर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराना होगा और वेरिफिकेशन के बाद ऐसे लोगों को पास इशू किए जाएंगे। असम और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में भी सरकारों ने ऐसे ही ऑनलाइन सिस्टम का इंतजाम किया है, जिसपर रजिस्ट्रेशन के बिना किसी को बाहर जाने की अनुमति नहीं होगी। भले ही सरकारों ने अलग-अलग योजनाओं के आधार पर मजदूरों को घर भेजने की कोशिश शुरू की है, लेकिन यह जरूर है कि इतनी बड़ी संख्या में मजदूरों की घर वापसी एक चुनौतीपूर्ण स्थिति जरूर बना सकती है।


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