गुरुवार, 14 मई 2020

13 को भूमि के पास से गुजरेगा 'धूमकेतु'

नई दिल्ली। अंतरिक्ष के कई ऐसे रहस्य हैं जिनसे अब भी पर्दा नहीं उठा है। लेकिन, कई बार लोगों को बेहद हैरतअंगेज नजारे देखने भी अंतरिक्ष में देखने को मिलते हैं। बुधवार को भी एक ऐसा ही नजारा देखने को मिलेगा। 13 मई को धरती पर आसमानी आतिशबाजी का नजारा देखने को मिल सकता है। ये बेहद खूबसूरत नजारा होगा जब आसमान से चमकते हुए धूमकेतु धरती के पास से निकलेंगे। इन्हें आप बिना किसी दूरबीन के खुली आंखों से देख सकते हैं।


गौरतलब है कि मई के महीने में ऐसा दो बार होने वाला है। एक धूमकेतु 13 मई को धरती से करीब 8.33 करोड़ किलोमीटर दूर से गुजरेगा। इसका नाम है कॉमेट स्वान फिलहाल ये धरती से करीब 8.50 करोड़ किलोमीटर दूर है। यह काफी तेजी से धरती की तरफ आ रहा है। इसके बाद 23 मई को कॉमेट एटलस धरती के पास से गुजरेगा।



खगोलविद् ने लगाया था पता: 13 मई को दिखने वाले कॉमेट यानी धूमकेतु स्वान के बारे में करीब एक महीने पहले 11 अप्रैल को एक नौसिखिये खगोलविद माइकल मैटियाज्जो ने पता लगाया था। वह नासा के सोलर एंड हेलियोस्फेयरिक ऑब्जरवेटरी से आंकड़े देख रहा था। तभी उसे सोहो सोलर विंड एनिसोट्रॉपिस इंस्ट्रूमेंट में इसकी तस्वीर दिखाई दी। फिर इसका नाम स्वान रख दिया गया। स्वान इंस्ट्रूमेंट का उपयोग सौर मंडल में हाइड्रोजन का पता लगाने के लिए किया जाता है। लेकिन, इसकी मदद से माइकल ने स्वान धूमकेतु का पता लगा लिया। अब यह धूमकेतु 13 मई को धरती के पास से निकलेगा। इस कॉमेट का एक ट्विटर हैंडल भी है।


यहां से दिखेगा अतिशबाजी वाला धूमकेतु: धूमकेतु स्वान सिर्फ उन लोगों को दिखाई देगा जो भूमध्य रेखा के दक्षिण में रहते होंगे। दुख की बात ये है कि भारत भूमध्य रेखा के उत्तर में है, इसलिए यहां के लोगों को खुली आंखों से ये धूमकेतु संभवतः देखने को न मिले। भारत के लोग इसे दूरबीन से इसे देख सकते हैं। यह पाइसेज कॉन्स्टीलेशन (मीन नक्षत्र) की तरफ से तेजी से आ रहा है। यह आपको हरे रंग में काफी तेजी से चमकता हुआ दिखाई देगा। इसके बाद, 23 मई को एक और धूमकेतु धरती के बगल से निकलेगा।


नाम है कॉमेट एटलस: इसे कॉमेट सी/2019 वाई4 एटलस भी बुलाते हैं। अभी तक इसकी दूरी का अंदाजा नहीं लग पाया है। कॉमेट एटलस की खोज 28 दिसंबर 2019 को हुई थी। उस समय इसकी चमक काफी धीमी थी। लेकिन अभी यह काफी तेजी से चमक रहा है। एटलस का नाम अमेरिका के हवाई द्वीप पर लगे एस्टेरॉयड टेरेस्ट्रियल इंपैक्ट लास्ट अलर्ट सिस्टम (एटलस) पर रखा गया है। इसका भी अपना ट्विटर हैंडल है। अब यह पता नहीं है कि एटलस पृथ्वी के बगल से किस समय निकलेगा, लेकिन जल्द ही वैज्ञानिक इसकी गति और धरती के बगल से गुजरने का समय पता कर लेंगे। ये भारत से नंगी आंखों से दिखाई देगा। ऐसी संभावना वैज्ञानिकों ने जताई है।


बॉक्स में क्या है धूमकेतु का रहस्य: धूमकेतु जमे हुए गैस, पत्थर और धूल से बनी हुई कॉस्मिक गेंद हैं, जो सूर्य के चारों ओर परिक्रमा कर रही हैं। जब वे जमे हुए होते हैं, तो उनका आकार एक छोटे से सूर्य जैसा होता है। परिक्रमा करते हुए जब ये सूर्य के निकट आ जाते हैं तो बहुत गर्म हो जाते हैं और गैस व धूल का वमन करते हैं जिसके कारण विशालकाय चमकती हुई पिंड का निर्माण हो जाता है जो कभी कभी ग्रहों से भी बड़े आकार के होते हैं ।


नासा के अनुसार अभी तक 3526 धूमकेतु पहचाने जा चुके हैं। धूमकेतु को बर्फ का मिश्रण भी माना जाता है क्योंकि ये जमे हुए गैस और पानी से मिलकर बने हुए रहते हैं। 1995 तक 878 धूमकेतुओं को सूचीबद्ध किया गया है और उनकी कक्षाओं की गणना की जा चुकी है। इनमें से 184 धूमकेतु का परिक्रमा काल 200 वर्षों से कम है। धूमकेतु का अंतरिक्ष विज्ञान में बहुत महत्व है क्योंकि उसके अध्ययन से अंतरिक्ष के बारे में कई अनोखी जानकारियां मिलती हैं।


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