रविवार, 5 अप्रैल 2020

ऑस्ट्रेलियन भेड़ों की नस्ल का पालन

देहरादून। उत्तराखंड एक ऐसा शहर हैं जहां भेड़ पालन का एक ऐसा व्यवसाय है जिसके द्वारा वहां बड़े स्तर पर उन का कारोबार किया जाता है। पहले उत्तराखंड में सिर्फ भारतीय नस्ल की भेड़ों का इस्तेमाल किया जाता था लेकिन अब ऑस्ट्रेलियन भेड़ों की नस्ल का भी पालन किया जा रहा है।


पालन के लिए ऑस्ट्रेलिया से कुछ खास नस्ल की भेड़ों को टिहरी गढ़वाल लाया गया है। एस मामले में सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने ऑस्ट्रेलियाई समुह से इन भेड़ों की जानकारी ली। सीएम रावत ने इस कदम को उठाकर ऑस्ट्रेलिया से भेड़ आयात के रास्ते को सुगम किया है। बता दें कि ऑस्ट्रेलिया से 240 भेड़ों को मंगाने में उत्तराखंड सरकार का कुल खर्चा  8.5 करोड़ का खर्च आया है। इन भेड़ों को किसानों की आय में वृद्धि और उत्तराखंड में ऊन के कारोबार को बढ़ावा देने के लिए लाया गया है। सीएम रावत का कहना है कि इनकी संख्या को बढ़ाया भी जाएगा। इन 240 भेड़ो में 200 फीमेल और 40 मेल भेड़ों को टिहरी गढ़वाल के कोपरधार में चल रहे राजकीय भेड़ प्रजनन प्रक्षेत्र में लाया गया है। इन सभी भेड़ों को 3 साल तक प्रजनन के लिए रखा जाएगा, जिन्हें चौथे साल तक किसानों को सौंप दिया जाएगा।


वहीं भारत सरकार ने किसानों की आय को बढ़ाने के लिए हिमाचल, कश्मीर, और उत्तराखंड में ऑस्ट्रेलिया से मेरिनों भेड़ों का आयात किया है। इन भेड़ों की खास बात ये है कि एक बार में इन भेड़ों से 6 से 7 किलो ऊन उतारी जा सकती है। जो भारतीय नस्ल की भेड़ों से ज्यादा है। इन भेडों से 8 साल तक ऊन उत्पादन किया जा सकता है। भेड़ों के रख-रखाव के लिए ऑस्ट्रेलिया से आए किसानों का राज्य के मुख्यमंत्री ने स्वागत करते हुए कहा कि इन भेड़ों से राज्य के किसानों की आय दोगनी तिगुनी हो जाएगी, जो राज्य में भेड़ के व्यवसाय के लिए वरदान साबित होगी। मुख्यमंत्री ने ये भी कहा कि देश मे ऑस्ट्रेलिया से ऊन को मंगवाया जाता है, जो काफी महंगी होती है। भारत में इन भेड़ों का पालन होने से ऊन के लिए विदेशों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।


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