शुक्रवार, 27 मार्च 2020

वायरसः हाई रिस्क पर है 'इंडिया'

नई दिल्ली। कोरोना का संक्रमण रोकने के लिए दुनिया के देश कितने गंभीर हैं और किस तरह के कदम उठा रहे हैं, इसका पता इस बात से चलता है कि देशों ने संक्रमण के शुरुआती 100 मामले आने के बाद कितनी तेजी से कदम उठाया। इस समझने के लिए कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या को दो हिस्सों में बांट लें।


पहला चरण पहला पॉजीटिव केस से 100वें मरीज तक और दूसरा 100वें मरीज से हर नए पॉजीटिव केस। इसे आधार बनाकर अगर आंकड़ों का अध्ययन करें तो स्थिति स्पष्ट हो जाती है कि किसने इस वायरस के संक्रमण को रोकने में ज्यादा सफलता हासिल की है। इससे ठीक उलट भारत समेत दो दर्जन ऐसे देश हैं जहां 100वां केस आने के बाद रोजाना संक्रमण दर में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। संक्रमण का यही बढ़ता ग्राफ भारत को हाई रिस्क जोन में खड़ा करता है।जापान, कोरिया ने कर दिखाया, अब चुनौती हमारी है


उदाहरण के तौर पर अगर जापान को लें तो पहले से 100 मरीज तक यहां हर रोज संक्रमण की दर 13 फीसद रही जबकि 100वें मरीज के बाद रोजाना की संक्रमण दर घटकर 8.1 रह गई। कुछ इसी राह पर दक्षिण कोरिया और सिंगापुर भी चले। लेकिन भारत समेत 23 ऐसे देश हैं जहां तस्वीर बिल्कुल उलट दिखी। यहां 100वां पॉजीटिव केस आने के बाद संक्रमण की औसत रोजाना दर 10.8 से बढ़कर 11.8 फीसद हो गई। अमेरिका में तो यह दर दोगुनी, थाईलैंड में तीन गुनी हो गई। बढ़ते संक्रमण की दर ही 130 करोड़ की आबादी वाले अपने देश के लिए चिंता का सबब बनी हुई है।


यही वजह है कि सरकार ने देशभर में लॉकडाउन कर सामाजिक दूरी बनाने की घोषणा की है ताकि सामाजिक दूरी बढ़ाई जाए और कोरोना का संक्रमण रोका जाए। पिछले तीन दिन से जनता कफ्र्यू और लॉकडाउन का सकारात्मक असर दिखा भी है, लेकिन सुधार की अभी और बहुत गुंजाइश है। आइसीएमआर का दावा है कि अगर सामाजिक दूरी के नियमों को देशवासी मानें तो संक्रमण की दर आधी से भी कम कर दी जाएगी।


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