शनिवार, 14 मार्च 2020

मध्यप्रदेश में सियासत या साजिश ?

एम.एच.जकरीया 


मध्यप्रदेश में कमलनाथ सरकार को बड़ा झटका लगा है। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया । ऐसी क्या मज़बूरी थी की ज्योतिआदित्य सिंधिया की राजनीतिक शुरुवात कांग्रेस से शुरू हुई और पिता माधव राव सिंधिया के आकस्मिक दुर्घटना में निधन होने के बाद अपने पिता के स्थान पर ग्वालियर और गुना से अपनी राजनीति के सफर की शुरुवात की ज्योतिरादित्य बीते 18 सालों से कांग्रेस के साथ रहे हैं. उनके पिता माधवराव सिंधिया भी पार्टी के आला नेताओं में शुमार किए जाते थे. 30 सितंबर 2001 को ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता माधवराव सिंधिया की उत्तर प्रदेश में एक हेलिकॉप्टर दुर्घटना में मौत हो गई. वे मध्य प्रदेश की गुना सीट से सांसद थे.


2001 में पिता माधवराव के निधन के तीन महीने बाद ज्योतिरादित्य कांग्रेस में शामिल हो गए और इसके अगले साल उन्होंने गुना से चुनाव लड़ा जहाँ की सीट उनके पिता के निधन से ख़ाली हो गई थी. वो भारी बहुमत से जीते. 2002 की जीत के बाद वो 2004, 2009 और 2014 में भी सांसद निर्वाचित हुए. मगर 2019 के चुनाव में वे अपने ही एक पूर्व निजी सचिव केपीएस यादव से हार गए. केपीएस यादव ने बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ा था.


ज्योतिरादित्य केंद्र में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकारों (2004-2014) में मंत्री रहे. 2007 में उन्हें संचार और सूचना तकनीक मामलों का मंत्री बनाया गया, 2009 में वे वाणिज्य व उद्योग मामलों के राज्य मंत्री बने और 2014 में वे ऊर्जा मंत्री बने.


कांग्रेस नेता राहुल गांधी के साथ ज्योतिरादित्य की नज़दीकी कई मौक़ों पर साफ़ दिखाई दी. 2014  के चुनावों में कांग्रेस की करारी हार के बाद भी दोनों नेता कई बार साथ दिखे थे. लेकिन मध्य प्रदेश के मौजूदा मुख्यमंत्री कमलनाथ के साथ उनके रिश्ते उतने मधुर नहीं रहे. वो पहले भी राज्य में सरकार के कामकाज से नाराज़गी जता चुके थे लेकिन ये कोई इतना बड़ा मसला नहीं था यूँ तो कांग्रेस के कई दिग्गज बड़े नेता चुनाव हार चुके है जिसमे पी चिदंबरम भी है जिन्हे कई तरह की जांच और जेल जाना पड़ा था लेकिन उन्होंने समझौता नहीं किया क्या  ज्योतिरादित्य भी किसी दबाव में थे ?


क्योकि इतना बड़ा फैसला नासमझी भरा तो नहीं कहा जा सकता है जो वर्षो पुरानी अपनी स्वतः की राजनीति को छेड़ने का प्रयास करे क्योकि वे बेहतर जानते है की उन्हें और उनके सहयोगियों को भारतीय जनता पार्टी में ज़ीरो से शुरुवात करनी होगी क्योकि मध्यप्रदेश की राजनीति में पहले से ही कई बड़े राजनीतिक दिग्गज मौजूद है क्या उन्हें कांग्रेस जैसा सम्मान मिल पायेगा क्या वैसा स्थान भारतीय जनता पार्टी म ज्योतिआदित्य सिंधिया बना सकेंगे ?


क्योकि कांग्रेस को उनके पिता माधवराव सिंधिया ने भी छोड़कर देखा था परिणाम क्या हुआ सबने देखा था ।  तो क्या ज्योतिरादित्य सिंधिया किसी साजिश का शिकार हो गए है या किसी बड़े दबाव के चलते उन्हें कांग्रेस छोड़ने को मज़बूर होना पड़ा है क्योकि सामने राज्यसभा के चुनाव है और वर्तमान केंद्र सरकार हर तरह से राज्यों में अपना वर्चस्व स्थापित करना चाहती है और उसके लिए हर तरह के हथकंडे अपना रही है गोवा, कर्नाटक, असम, कई उदाहरण सामने देखे जा सकते है और जानकारी के अनुसार और भी कांग्रेस शासित राज्यों को प्रभावित करने की इनकी योजना है जिससे सावधान रहने की आवश्यकता है ।


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