गुरुवार, 13 फ़रवरी 2020

रेशमः तितली के अंडे से बनता है कोसा

राजिम। माघी पुन्नी मेला में शासन की जनकल्याणकारी योजनाओं को जनता तक पहुंचाने और जानकारी देने के उद्देश्य से विभिन्न विभागों द्वारा स्टॉल लगाया है। ग्रामोद्योग रेशम प्रभाग विभाग द्वारा लगाए गए स्टॉल में कोसा के बारे में जानकारी दी जा रही है। रेशम प्रभार के नोडल अधिकारी ए.डी.एस कोहलेकर, जी.पी. शर्मा के साथ किरवई के किसान गोविंद साहू और भेखराम साहू श्रद्धालुओं को कोसा उत्पादन की जानकारी उपलब्ध करा रहे हैं। कोसा कृषक गोविंद साहू ने बताया कि सी.एस.बी. या बी.एस.एम.टीसी. से तितली का अण्डा प्राप्त होता है। इस अण्डे को ट्रे मे रखकर प्राकृृतिक तरीके से प्रजनन कराके लार्वा यानि एक छोटा सा कृमि प्राप्त करते है। इस कृमि को हम कहवा, साजा, सरई, साल के वृक्ष के पत्तों में कृमि को डाल देते है। ये कृमि पत्ते को खाकर कीड़ा बन जाते है। वह कीड़ा अपने लार के माध्यम अपने चारो ओर आवरण तैयार करते जाते है। ऐसी स्थिति आती है कि उस आवरण के अन्दर बंद हो जाता है। इस तरह से प्राप्त फल कोसा कहलाता है। कोसा के अन्दर बंद कीड़ा प्यूपा बन जाता है। वही प्यूपा जो अनुकूल वातावरण में तितली बनकर बाहर आते है और कृषक इन्ही तितलियों का संग्रहण कर पुन: कोसा प्राप्त करने के लिये तितलियो से अण्डा प्राप्त करते है। उसी के साथ कोसे से रेशम बनाई जाती है। रेशम का बाजार में अच्छा मूल्य मिल जाता है। ये एक प्रकार का आधुनिक कृषि है जिसमें अधिक लाभ होती है। छत्तीसगढ़ का कोसा पूरी दुनियाः छत्तीसगढ़ का कोसा सिल्क पूरी दुनिया में अपने आरामदायक टेक्स्चर के लिए जाना जाता है। प्रदेश में विदेशी पर्यटकों के आगमन के साथ ही यहां की कोसा सिल्क साडिय़ों के निर्यात में दिनों-दिन बढ़ोतरी हो रही है। राजिम माघी पुन्नी मेला के मौके पर लगाई गई प्रदर्शनी में कोसा सिल्क बनाने वाली तितलियों को भी रखा गया है। इन तितलियों को देखते ही कई लोग इनके बारे में और जानने की इच्छा जाहिर करते नजर आए तो कई लोगों ने इनकी तस्वीरें अपने कैमरे में कैद की। क्या है कोसा की खासियतः कोसा सिल्क प्रदेश के कुछ जिले में मुख्य रूप से तैयार किया जाता है। यह बेहद मजबूत होता है और पूरी दुनिया में अपने नर्म टेक्स्चर के लिए जाना जाता है। यह सिल्क के सबसे शुद्ध प्रकारों में गिना जाता है। इसकी खासियत इसके रंग हैं। कोसा सिल्क प्राकृतिक रूप से हल्के गोल्डन रंग में मिलता है जिसे पलाश, लाख और गुलाब की पंखुडियों से बने रंगों से डाई किया जाता है। सिर्फ साड़ी नहीं डिजाइनर आउटफिट्स भी होते हैं तैयारः पारंपरिक रूप से कोसा से सिर्फ साडिय़ां बनाई जाती थीं लेकिन अब इससे लहंगे भी बनाए जाते हैं। विदेशों में कोसा सिल्क के कपड़ों से कई तरह के डिजाइनर वेस्टर्न आउटफिट्स भी तैयार किये जाते हैं।


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