शनिवार, 22 फ़रवरी 2020

बांड को वैश्विक सूचकांक में शामिल करना

नई दिल्ली। बजट में किए गए उल्लेख की मांग विदेशी निवेशक बहुत समय से कर रहे थे। बजट में वित्तमंत्री ने कहा था कि कुछ विशेष वर्ग की सरकारी प्रतिभूतियों को घरेलू निवेशकों के लिए उपलब्ध होने के अलावा अप्रवासियों के लिए भी पूरी तरह खोल दिया गया है। ये प्रतिभूतियां सूचकांक पर सूचीबद्ध हैं और इनके लिए लॉक इन पीरियड की जरूरत नहीं है। रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को बताया कि सरकारी बॉन्ड को वैश्विक सूचकांक में शामिल कराने के लिए कई संस्थानों से बातचीत की जा रही है। इस कदम से भारत में बड़ी मात्रा में विदेशी बॉन्ड लाने में मदद मिलेगी, क्योंकि वैश्विक सूचकांक को ट्रैक करने के लिए कई विदेशी बॉन्ड की जरूरत होती है। आगे कहा कि हमारी यह कोशिश सफल रही तो विदेश से बड़ी मात्रा में निष्क्रिय निवेश मिल सकेगा और उद्योगों के लिए घरेलू पूंजी उपलब्ध होगी। इस दिशा में हमारा काम जारी है और हम कई ऐसे संस्थानों से बातचीत कर रहे है, जो वैश्विक सूचकांक की देखरेख करते हैं। हालांकि, इसकी कोई समय सीमा तय नहीं की जा सकती लेकिन जितनी जल्दी संभव होगा, हम इसे पूरा कर लेंगे। केंद्रीय बैंक एनबीएफसी सेक्टर को मुश्किलों से निकालने के लिए 50 एनबीएफसी पर करीबी नजर बनाए हुए है। करीब एक साल की समीक्षा के बाद हमें लगता है कि केवल कुछ ही एनबीएफसी को नकदी संकट का सामना करना पड़ रहा है। उनकी समस्याओं को दूर करने के लिए हम प्रबंधन और प्रवर्तकों के साथ बातचीत कर रहे हैं और बाजार के जरिये अतिरिक्त पूंज उपलब्ध कराने में मदद कर रहे हैं। इन कोशिशों के असर से पिछले कुछ महीनों में पूरे एनबीएफसी क्षेत्र की स्थिति में सुधार दिखने लगा है। अधिकतर एनबीएफसी अब बाजार से पूंजी जुटाने में सक्षम बन रही हैं।


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