शुक्रवार, 15 नवंबर 2019

'जन्म दर-मृत्यु दर' से सरकार चिंतित

रायपुर। राज्य स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण संस्थान छत्तीसगढ़ द्वारा मैटरनल डेथ सर्विलेंस रिस्पांस से संबंधित दो दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन 22-23 नवंबर को किया जाएगा। मैटरनल डेथ सर्विलेंस रिस्पांस प्रशिक्षण में मातृ मृत्यु के कारणों का पता लगाने की ट्रेनिंग दी जायेगी ताकि इन मौतों को रोका जा सके! और कारणों का निराकरण किया जा सके। इस प्रशिक्षण में हर जिले से 1 चिकित्सा अधिकारी एवं 1 स्टाफ नर्स शामिल होंगे। बेहतर स्वास्थ्य प्रदान करने एवं मातृ मृत्यु अनुपात में कमी लाने के उद्देश्य से विभिन्न योजनाओं एवं कार्यक्रम को संचालित किया जा रहा है। प्रदेश में एसआरएस बुलेटिन के अनुसार वर्ष 1997 से 2003 में प्रदेश का मातृ मृत्यु अनुपात 365 प्रति लाख जीवित जन्म पर था! जो वर्तमान में एसआरएस बुलेटिन 2015-17 के अनुसार 141 प्रति लाख जीवित जन्म है। सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स में मात्र मृत्यु दर को 2030 तक 70 प्रति लाख जीवित जन्म  तक लाना है।  मातृ मृत्यु के प्रमुख कारण रक्तस्राव, खून की कमी, उच्च रक्तचाप, सेप्सिस, अवरुध प्रसव और गर्भपात है। प्रशिक्षण की जानकारी देते हुए जिला मुख्य एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ मीरा बघेल ने बताया कि ज्यादातर मातृ मृत्यु गर्भ के दौरान या प्रसव के समय खून बहने और उच्च रक्तचाप के कारण होती है, जिस पर अत्यधिक ध्यान देने की आवश्यकता होती है। इस प्रशिक्षण में बीजापुर, सुकमा, दंतेवाड़ा, बस्तर, कोंडागांव, नारायणपुर, कांकेर, कवर्धा, राजनांदगांव, बालोद, दुर्ग, बेमेतरा, रायपुर, बिलासपुर और सरगुजा से भी प्रतिभागी आयेंगे। डॉ.बघेल ने बताया कि गर्भवती महिलाओं की होने वाली मौतों में यह निश्चित करना जरूरी है कि एएनएम और मितानिन द्वारा गर्भवती महिलाओं का रजिस्ट्रेशन गर्भधारण करने से 12 हफ्ते के अंदर-अंदर किया गया था, गर्भकाल में चार प्रसव पूर्व जांच की गयी और गर्भवती का रक्तचाप, खून की जांच, मधुमेह की जांच और पेशाब की जांच नियमित की जा रही है या नहीं। रक्त अल्पता से बचाव के लिए आयरन फोलिक एसिड की गोलियां लेना भी जरूरी होता है! जिससे खून की कमी को रोका जा सकता है।


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