आखिर यूपीए की सरकार में कितनी लूट हुई? अब एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार का 25 हजार करोड़ रुपए का बैंक घोटाला सामने आया। अफसरशाही के खिलाफ भी चलना चाहिए अभियान।
डॉ. मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री काल और श्रीमती सोनिया गांधी के दिशा-निर्देश में दस वर्ष तक चली यूपीए की सरकार में कितने घोटाले हुए, अब वह धीरे-धीरे सामने आ रहा है। पी चिदंबरम जैसे कांग्रेस नेता तो जेल में हैं ही, लेकिन जिन राजनीतिक दलों ने कांग्रेस की सरकार को समर्थन देकर टिकाए रखा, उन्होंने भी लूट करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। इसका ताजा उदाहरण एनसीपी के अध्यक्ष शरद पवार से जुड़े 25 हजार करोड़ रुपए का बैंक घोटाला है। कांग्रेस और एनसीपी के नेता आरोप लगा सकते हैं कि यह राजनीतिक द्वेषता से की गई कार्यवाही है, लेकिन हकीकत यह है कि मुम्बई हाईकोर्ट ने इस मामले में कार्यवाही करने के आदेश दिए हैं। प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों ने को-ऑपरेटिव बैंक घोटाले के जो दस्तावेज प्रस्तुत किए, उसकी प्राथमिक जांच करने के बाद कोर्ट ने कार्यवाही के आदेश दिए हैं। सब जानते हैं कि शरद पवार की एनसीपी ने किन शर्तों पर यूपीए सरकार को समर्थन दिया। नागरिक उड्डयन जैसा भारी भरकम मंत्रालय एनसीपी के पास था। यानि सरकार को समर्थन देने की पूरी कीमत वसूली गई। अब जब कार्यवाही हो रही है तो राजनीतिक द्वेषता का आरोप लगाया जा रहा है। आम धारणा है कि राजनेता जो भ्रष्टाचार करते हैं उस पर कार्यवाही नहीं होती, लेकिन अब यह धारण टूट रही है। सरकार में रह कर भ्रष्टाचार करने वाले बड़े बड़े नेता जेल में हैं या फिर जेल जाने की तैयारी है। जब कोई राजनेता भ्रष्टाचार के आरोप में जेल जाता है तो सबसे ज्यादा सुकून आम व्यक्ति को होता है। असल में आम व्यक्ति के हितों की अनदेखी करके ही लूट मचाई जाती है। 25 हजार करोड़ रुपए के घोटाले से अंदाजा लगाया जा सकता है कि महाराष्ट्र में किस प्रकार आम लोगों को लूटा गया। गंभीर बात तो यह है कि ऐसे राजनेता भ्रष्टाचार का पैसा विदेशों में समायोजित करते हैं।
अफसरों के खिलाफ भी चले अभियान:
आईएएस, आईपीएस, राज्य सेवा के अधिकारी, इंजीनियर आदि के खिलाफ भी जांच पड़ताल का अभियान चलाना चाहिए। यूपी में पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के मुख्य सचिव रहे नेतराम से जुड़ी 230 करोड़ रुपए की सम्पत्तियों को आयकर विभाग ने जब्त कर लिया है। यह अच्छी बात है कि आम धारणा है कि अफसर बगैर रिश्वत के काम करता ही नहीं है। चाहे पटवारी हो या कलेक्टर। हर काम में पैसा चाहिए। सरकार पारदर्शिता के चाहे कितने भी कानून बना ले, लेकिन अफसरशाही भ्रष्टाचार की गली निकाल ही लेते हैं। यदि देश के आईएएस और आईपीएस की ही सम्पत्तियों की जांच करवा ली जाए तो भ्रष्टाचार के सारे रिकॉर्ड टूट जाएंगे। हालांकि मोदी सरकार ने भ्रष्ट अफसरों को जबरन रिटायर करने का अभियान चलाया है। लेकिन यदि अफसरों की सम्पत्तियों की जांच हो जाए तो आम लोगों को बहुत सुकून मिलेगा।
एस.पी.मित्तल
बुधवार, 25 सितंबर 2019
यूपीए सरकार की लूट (संपादकीय)
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