बुधवार, 11 सितंबर 2019

गाय, गांधी और गरीबी (संपादकीय)

गाय, गांधी और गरीबी (संपादकीय)


देश की आर्थिक स्थिति ने देशवासियों को विषयवस्तु पर ध्यान आकृष्ट करने के लिए जरा विवश कर दिया है। देश के विकास की गति का पहिया कहीं अटक गया है। सरकार पर विपक्ष के द्वारा आरोप लगाए जा रहे हैं और छींटाकशी की जा रही है। सरकार भी इस संकट से उबरने का प्रयास कर रही है। देश की आर्थिक विकास दर घटने से देश का पिछड़ना लाजमी हो जाता है। रोजगार और मझले व्यापार को प्राथमिकता में न रखना सरकार को अब खल रहा होगा। मध्यवर्ग का व्यापार और उससे उत्पन्न होने वाले रोजगार के प्रभावित होने के कारण देश की आर्थिक विकास दर निरंतर घटती जा रही है। जिसको रोकने के लिए मोदी सरकार असफल सिद्ध हो रही है। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। लेकिन देश की घटती विकास दर को यदि बढ़ाना संभव नहीं है तो स्थिरता इसका एक सामान्य समाधान हो सकता है। हो सकता है सरकार इस विषय पर विभिन्न आयामों और दृष्टिकोणो से कार्य भी कर रही हो। यह भी हो सकता है कि सरकार उपाय अनुरूप जल्द ही समस्या से उभर जाए। किंतु इस स्थिति से देश की जनता में जो संदेश गया है। मांग और निर्माण की असमानता से व्यापार वर्ग को काफी क्षति पहुंची है। सरकार विभिन्न प्रकार के उपयोग और उधम कर रही है। इसके पीछे एकमात्र राष्ट्र निर्माण ही उद्देश्य है। परंतु नेता और ज्यादातर अधिकारियों पर इसका विशेष प्रभाव नहीं पड़ रहा है। क्यों न मोदी-टू सरकार को आर्थिक वृद्धि अनुपात कानून बनाकर लागू कर देना चाहिए। देश की राजनीति लंबे समय से गाय, गरीबी और गांधी तक ही सीमित रह जाती है। इसका थोड़ा दायरा तो बढ़ना ही चाहिए। मोदी सरकार सच में भ्रष्टाचार विरोधी है या भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया जा रहा है? क्योंकि सरकार भ्रष्टाचार पर कुछ खास नहीं कर पा रही है। इसके विपरीत भ्रष्टाचार के कई मामले प्रकाश में आ रहे हैं जो मामले प्रकाश में आ रहे हैं। उनके विरुद्ध भी सरकार की मंशा अनुरूप कुछ विशेष नही हो पा रहा है।
 राधेश्याम 'निर्भय पुत्र'


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Thank you, for a message universal express.

पायलट ने फ्लाइट अटेंडेंट को प्रपोज किया

पायलट ने फ्लाइट अटेंडेंट को प्रपोज किया  अखिलेश पांडेय  वारसॉ। अक्सर लोग अपने प्यार का इजहार किसी खास जगह पर करने का सोचते हैं। ताकि वो पल ज...