मंगलवार, 24 सितंबर 2019

धोखेबाज प्रधानमंत्री (संपादकीय)

धोखेबाज प्रधानमंत्री (संपादकीय)


भारत गणराज्य के प्रधानमंत्री को धोखेबाज कहने का अर्थ है कि गणराज्य द्वारा चयनित सरकार अथवा संसद विश्वास के योग्य नहीं है। इतना भद्दा आरोप लगाना और आरोप का व्यापक विरोध ना होना, राष्ट्रीय गरिमा के विरुद्ध है। वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का नेतृत्व कर रहे हैं। दुनिया में भारत को विभिन्न स्रोतों से स्थापित करने का उद्धत प्रयास कर रहे हैं। राष्ट्रीय विकारों के विरुद्ध कार्यरत संघर्षशील व्यक्ति कुछ तो गलतियां भी कर सकता है या कुछ कमियों का शेष रहना स्वाभाविक होता है। परिपूर्णता अथवा संपूर्णता मनुष्य से सदैव अछूती रहती है।जब कार्यसिद्धि की जाती है तो करता, स्वयं भी सही और गलत के मझधार में बना रहता है। ज्यादातर परिणाम सफलता से चूक जाते हैं इसमें करता का गुणधर्म दोषमुक्त हो जाता है। यदि परिणाम सफल हो जाता है तो भी उसके विपरीत की प्रक्रिया दोनों स्थिति में स्थिर बनी रहती है। यदि सच में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र से कोई धोखा किया है, राष्ट्र विरोधी, दोषपूर्ण कार्य किया है? जिससे राष्ट्र अथवा राष्ट्र वासियों को क्षति या कष्ट उत्पन्न हुआ है या भविष्य में होने की संभावना है। उस तथ्य के प्रमाण सार्वजनिक करें मार्कंडेय काटजू।


न्यायाधीश मार्कंडेय काटजू सर्वोच्च न्यायालय में स्थाई न्यायाधीश रह चुके हैं। भारतीय प्रेस परिषद के अध्यक्ष पद पर कार्य कर चुके हैं और वर्तमान में भारतीय पुनर्मूल्यांकन संघ के अध्यक्ष के रूप में कार्यरत है। काटजू के द्वारा एक ट्वीट लिखा गया है। जिसमें उन्होंने राहुल गांधी को बदतमीज और मोदी को धोखेबाज शब्दों से परिभाषित किया है। ऐसी स्थिति में दलगत विचारधारा से अलग प्रत्येक भारतीय काटजू से यही अपेक्षा करेगा कि वह अपने शब्दों की प्रमाणिकता सार्वजनिक करें। ताकि भारत की जनता के सामने मोदी का सच स्पष्ट हो सके।


राधेश्याम 'निर्भयपुत्र'


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