गुरुवार, 29 अगस्त 2019

अयोध्या:इमारत बनवाने वाला संदेहप्रद

नई दिल्‍ली। अयोध्या मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ में बुधवार को 14वें दिन की सुनवाई में राम जन्मभूमि पुनरुद्धार समिति ने बहस करते हुए कहा था। विवादित इमारत बनवाने वाला कौन था, इस पर संदेह है। मीर बाकी नाम का कोई बाबर का कोई सेनापति था ही नहीं। 3 गुंबद वाली वो इमारत मस्ज़िद नहीं थी।मस्ज़िद में जिस तरह की चीज़ें ज़रूरी होती हैं, वो उसमें नहीं थी।रामजन्मभूमि पुनरुद्धार समिति ने अपनी दलीलें रखते हुए ये भी कहा था कि तीन गुंबद वाली वो इमारत मस्जिद नहीं थी। मस्जिद में जिस तरह की चीज़ें ज़रूरी होती हैं, वो उसमें नहीं थी. समिति ने कहा कि  विवादित इमारत बनवाने वाला कौन था, इस पर संदेह है। मीर बाकी नाम का बाबर का कोई सेनापति था ही नहीं।


राम जन्मभूमि पुनरोद्धार समिति के वकील पीएन मिश्रा ने अपनी दलीलें रखते हुए तीन किताबों का ज़िक्र करते हुए कहा था कि आईने अकबरी, हुमायूंनामा में बाबर द्वारा बाबरी मस्जिद बनने की बात नहीं है। तुर्क-ए-जहांगीरी किताब में भी बाबरी मस्जिद के बारे में कोई जिक्र नही हैं। बाबर सिर्फ इस बात से वाकिफ़ था कि ज़मीन वक़्फ़ की है। पीएन मिश्रा ने कहा कि निकोलो मनूची ने एक किताब लिखी थी जो  इटालियन था और औरंगज़ेब का कमांडर था। सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि औरंगज़ेब का इटालियन कमांडर था? पीएन मिश्रा ने कहा कि-हां औरंगज़ेब का कमांडर इटालियन था। 
इससे पहले मंगलवार को 13वें दिन की सुनवाई में निर्मोही अखाड़ा की दलीलें पूरी होने के बाद रामजन्मभूमि पुनरुद्धार समिति की तरफ से पीएन मिश्रा पक्ष रखा था।मंगलवार सुबह सबसे पहले निर्मोही अखाड़ा की ओर से वकील सुशील जैन ने पक्ष रखा।निर्मोही अखाड़ा ने शेबेट के दावे पर तैयार अपने नोटस को पढ़ा।निर्मोही अखाड़ा ने याचिका भगवान की तरफ से मन्दिर के रखरखाव (मैनेजमेंट) के लिए दाखिल की थी।


जैन ने कहा था कि विवादित स्थल के अंदरूनी आंगन में एक मंदिर था वही जन्मभूमि का मंदिर है, वहां कभी कोई मस्जिद नही थी, मुसलमानों को मंदिर में जाने की इजाज़त नही थी, वह पर हिन्दू अपनी अपनी आस्था अनुसार पूजा करते थे.सुशील कुमार जैन ने कहा था कि रेवन्यू रिकॉर्ड से साफ है कि ज़मीन पर निर्मोही अखाड़े के अधिकार है। निर्मोही खड़ा के वकील सुशील कुमार जैन ने अपनी जिरह पूरी की।सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि आस्था प्रदर्शित करने के लिए स्कन्द पुराण का प्रयोग सद्भावपूर्वक होता है। लेकिन स्कन्दापुराण के माध्यम से जन्म स्थान के अस्तित्व को बताना सही नहीं।


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