मंगलवार, 18 जून 2019

ऑनलाइन का अधूरापन नुकसान का

एडीए में नक्शा ऑनलाइन पास कराने की प्रणाली शुरू होते होते फिर रह गई
आखिर कब तक आम आदमी का खून चुसेगी यह भ्रष्ट व्यवस्था 


पिछले कुछ दिनों में अजमेर विकास प्राधिकरण में सरकार ने नक्शा प्रस्तुत करने की एवं स्वीकृत कराने की ऑनलाइन योजना बनाई थी। जिसका तोड़ एडीए में व्याप्त भ्रष्ट प्रशासनिक तंत्र ने निकाल लिया है । हाल ही में कुछ दिन पहले सरकार द्वारा यह नई प्रणाली अपनाने हेतु मानस बनाया गया था । जिसके तहत ऑनलाइन नक्शे लेने के लिए 4 लेयर में नक्शा वेबसाइट के माध्यम से स्वीकृति हेतु प्रस्तुत करना प्रस्तावित था। जिसके शुरू होते ही लोगों को ऑनलाइन ही अपना नक्शा प्रस्तुत कर आवेदन करने की सुविधा दी जानी थी।लेकिन अब यह फिर संभव होने में देरी होती दिखाई देने लगी है। क्योंकि एडीए प्रशासन के पास ऑनलाइन नक्शा स्वीकृत करने की प्रणाली में मौजूदा एडीए कर्मचारियों को ट्रेनिंग देना बाधा के रूप में उभर कर सामने आया है ।यह भी खूब ही भैया ! सरकार चाहती है कि सारी प्रणाली ऑनलाइन कर दी जाए ताकि आम जनता को परेशानी का सामना ना करना पड़े और रोज-रोज के एडीए के चक्कर लगाने न पड़े । लेकिन नहीं साहब !!! ऐसे कैसे हो जाएगा ? अब तक तो अजमेर विकास प्राधिकरण में जितने भी लोग भीतर की कार्यप्रणाली और कार्यशैली से वाकिफ हैं. वह यही जानते हैं कि बिना पैसा खिलाए या सुविधा शुल्क दिए यहां कुछ भी संभव नहीं है ।आपको जानकारी के लिए बता दें की शहर भर में ऐसे दलाल भी घूम रहे हैं जो मात्र एडीए का नक्शा पास कराने की फाइल बनाने हेतु मोटी राशि आम लोगों से वसूल लेते हैं । फिर उसके बाद प्रोसेस में फाइल चलाने इत्यादि का सुविधा शुल्क अलग है । अब यदि यह प्रणाली ऑनलाइन हो जाएगी तो एडीए मैं व्याप्त भ्रष्टाचारी तंत्र की जेबें आखिर कैसे भरेंगी ? तो साहब इसका तोड़ निकालते हुए एडीए प्रशासन ने यह कह दिया है कि - उनके अधिकारियों को ऑनलाइन नक्शा स्वीकृत करने की ट्रेनिंग की जरूरत है। मतलब कुछ भी ! 
इस देश में व्याप्त भ्रष्टाचार की जड़ें इतनी ज्यादा गहरा चुकी हैं कि वह सरकार की मंशा पर भी पानी फेरने में 2 सेकेंड का समय लगाती हैं।अजमेर शहर के प्रॉपर्टी डीलर एसोसिएशन के कुछ पदाधिकारी भी इसके समर्थंन में यह कहते हुए नजर आ रहे हैं कि - अभी तक आम जनता ऑनलाइन प्रणाली से बहुत ज्यादा सहज नहीं है इसलिए यह प्रणाली एडीए के काम में रोड़ा अटका ने वाली साबित हो रही है। कोई इन लोगों से यह पूछे कि - क्यों भाई ??? आम आदमी क्या आज अपना आधार कार्ड अपडेट करवाने के लिए नहीं पहुंचता क्या ई मित्र वालों के पास ? बस समझने की देरी है आम आदमी को की भाई यदि ऑनलाइन नक्शा जमा करवाओगे तो अधिकारी वर्ग को समयावधि के भीतर काम करके देना ही पड़ेगा। और फ़ाइल प्राप्ति की रसीद भी ऑनलाइन ही मिल जाएगी।
दरअसल सच्चाई यह है की यह प्रॉपर्टी डीलरों , अधिकारियों और दलालों का गठबंधन ही है जिसने यहां की कार्यप्रणाली को जबरदस्ती जटिल बना रखा है।नक्शा पास कराने के लिए एडीए पहुंचता है तो उसके लिए सबसे पहले दलालों, अधिकारियों और प्रॉपर्टी डीलिंग व्यवसायियों के जाल से बचकर फाइल लगाना अपने आप बहुत बड़ी चुनौती होता है। और कहीं न कहीं बेचारा आम आदमी इस भ्रष्ट तंत्र के जाल में फस कर अपना काम नहीं करवा पाता है। मजे की बात तो यह है कि सरकार को भी इस चीज के बारे में पूरा ज्ञान है । शायद इसीलिए इस प्रणाली को ऑनलाइन करने हेतु सरकार ने कदम उठाना शुरू किया है। परंतु सरकार के अधिकारी खुद ही इस प्रणाली को फेल करने पर तुले हैं। ताकि उनकी जेबें भरे जाने के बीच में कोई व्यवधान उत्पन्न ना हो। यदि यह प्रणाली कारगर साबित होती है तो एडीए में व्याप्त भ्रष्टाचार में कमीं आएगी।और अधिकारी वर्ग भी निर्धारित तिथि के अंदर प्रक्रिया पूर्ण करने की बाध्यता महसूस करेगा। अब देखना यह है कि कितनी जल्दी सरकार अपने ही कर्मचारियों को इस प्रणाली के लिए मानसिक रूप से तैयार करके जनता को राहत पहुंचाने की दिशा में सकारात्मक कदम उठाती है ? या फिर ऐसा सकारात्मक कदम उठा पाती भी है या नहीं ?


नरेश राघानी


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