शुक्रवार, 2 जनवरी 1970

संकट के वक्त राज्यों की सोच राष्ट्रीय नहीं

संकट के समय राज्यों की सोच राष्ट्रीय नहीं बल्कि प्रादेशिक


 नई दिल्ली। भारत में सूत्रों की मानी जाए तो कोरोना जैसे राष्ट्रीय संकट को लेकर भी राज्यों की सोच राष्ट्रीय नहीं बल्कि प्रादेशिक ही है। हालांकि यह बात खुलकर सामने आ गई है और केंद्र से लेकर राज्यों तक ने इसे स्वीकार कर लिया है कि कोरोना से जंग लंबी है और हमें इसके साथ जीना सीखना चाहिए। लेकिन वह केवल अपनी सीमाओं को सुरक्षित रखने में जुटे हैं। हरियाणा सरकार की ओर से एक बयान आया कि उनके यहां पाए गए अधिकतर संक्रमित दिल्ली से आए थे। लिहाजा सीमा सील कर दी है। लेकिन दिल्ली क्या करे, जहां पूरे देश से लोग आते हैं।


शराब बिक्री के जरिए राजस्व उगाहने में शारीरिक दूरी (सोशल डिस्टेंसिंग) का मापदंड टूटता है तो सेस बढ़ाया जाता है। लेकिन राज्यों के बीच आपसी समन्वय बढ़ाकर सीमाओं पर मुस्तैदी और सुरक्षा के लिए चाक चौबंद होने पर अब तक बात नहीं हो रही है। राज्यों के बीच समन्वय और संवाद की यह कमी हर किसी को परेशान कर सकती है।


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