मंगलवार, 8 फ़रवरी 2022

2021 में 5 लाख लोगों ने फेसबुक का दामन छोड़ा

2021 में 5 लाख लोगों ने फेसबुक का दामन छोड़ा  

अकांंशु उपाध्याय    

नई दिल्ली। फेसबुक के दिन सही नहीं चल रहे हैं, ऐसा कहना गलत नहीं होगा। लगता है कि फेसबुक यूजर्स को मेटा नाम पसंद नहीं आया है। कंपनी की तरफ से एक तिमाही रिपोर्ट जारी की गई है। जिसके मुताबिक, 2021 में करीब 5 लाख लोगों ने फेसबुक का दामन छोड़ दिया है। कंपनी ने पिछली तिमाही के आधार पर चौथी तिमाही में आधा मिलियन ग्लोबल डेली यूजर्स को खो दिया है। कंपनी के लॉन्च से लेकर अब तक यह पहली बार है जब कंपनी के डेली एक्टिव यूजर्स में गिरावट देखी गई है।

रिपोर्ट के मुताबिक,  व्हाट्सएप और इंस्टाग्राम लिए यूजर ग्रोथ भी एकदम कम रही। जिसे ना के बराबर कहा जा सकता है। आंकड़ों पर गौर करें तो 17 वर्षों में पहली फेसबुक के यूजर्स में गिरावट देखने को मिली है। मेटा के तिमाही फाइनेंशियल रिजल्टमें बताया गया है कि कंपनी का परफॉर्मेंस एनालिस्ट उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पाया है। जहां एक तिमाही पहले कंपनी के डेली एक्टिव ग्लोबल यूजर्स की संख्या 1.930 अरब थी वो अब अब 1.929 अरब रह गई है। एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी को जो सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है डेली एक्टिव यूजर्स में वो नॉर्थ अमेरिका से है। 5 लाख यूजर्स में सबसे टॉप पर नॉर्थ अमेरिका रहा। बता दें कि विज्ञापन के जरिए यहां पर सबसे ज्यादा कमाई होती है।

मेटा के अनुसार, एप्पल ने प्राइवेसी पॉलिसी में जो बदलाव किए हैं। उसके चलते कंपनी अपने प्लेटफॉर्म पर ऐड के लिए यूजर्स को टारगेट नहीं कर पा रही है। कंपनी ने यह भी बताया है कि उसे इसके बाद सबसे ज्यादा नुकसान टिकटॉक और गूगल के यूट्यूब से भी हुआ है।दिसंबर तिमाही में कंपनी ने 10.3 अरब डॉलर की कमाई की थी। इस दौरान कंपनी की बिक्री की बात करें तो यह एक साल पहले 28.1 अरब डॉलर से बढ़कर 33.67 अरब डॉलर हो गई थी। वहीं, प्रति शेयर हुई कमाई पर गौर किया जाए तो यह 3.88 डॉलर (साल भर पहले) से कम होकर 3.67 डॉलर पर आ गई है। आंकड़ों पर गौर किया जाए तो 200 अरब डॉलर यानी करीब 15 लाख करोड़ रुपये का नुकसान झेलना पड़ा है।

उत्तराखंड: 12 फरवरी को चुनावी रैली करेंगी प्रियंका

उत्तराखंड: 12 फरवरी को चुनावी रैली करेंगी प्रियंका  
पंकज कपूर    
देहरादून। उत्तराखंड में 10 फरवरी को सियासी घमासान होगा। एक तरफ जहां चुनाव प्रचार को धार देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उत्तराखंड आएंगे। वहीं, कांग्रेस पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी भी तीसरी बार उत्तराखंड के दौरे पर पहुंचेंगे। प्रियंका गांधी भी 12 फरवरी को उत्तराखंड में चुनावी रैली करेंगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दस फरवरी को अल्मोड़ा आ सकते हैं। पीएम के आगमन के लिए भाजपा कार्यकर्ताओं ने तैयारी शुरू कर दी है। सोमवार को भाजपा पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने इस संबंध में एक बैठक की। भाजपा जिलाध्यक्ष रवि रौतेला ने बताया कि जिले में चुनाव प्रचार के लिए पार्टी के स्टार प्रचारकों के कार्यक्रम तय किए गए हैं।
मंगलवार को केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह जागेश्वर क्षेत्र में जनसभा करेंगे। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा नौ फरवरी को सल्ट सीट में जनसभा करेंगे। दस फरवरी को अल्मोड़ा के सिमकनी मैदान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जनता को संबोधित करेंगे। पीएम मोदी के कार्यक्रम की तैयारियों को लेकर कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी दी जा रही है। बैठक में प्रदेश महामंत्री सुरेश भट्ट, केदार जोशी, गोविंद पिलख्वाल, ललित लटवाल, शिवेंद्र प्रधान, विनोद रावत, कृष्णा रावत, दर्शन रावत आदि थे। वहीं, कांग्रेस पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी 10 फरवरी को तीसरी बार उत्तराखंड का दौरा करेंगे। पार्टी की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा 12 फरवरी को उत्तराखंड पहुंचेंगी। पार्टी सूत्रों के अनुसार राहुल गांधी 10 फरवरी को श्रीनगर और अल्मोड़ा में रैली को संबोधित करेंगे।
जबकि, प्रियंका गांधी वाड्रा 12 फरवरी को ऊधमसिंह नगर और हरिद्वार में रैली को संबोधित करेंगी। महामंत्री संगठन मथुरादत्त जोशी ने बताया कि दोनों नेताओं को कार्यक्रम लगभग तय है। हालांकि अभी एआईसीसी से कार्यक्रम जारी नहीं हुआ है। उन्होंने बताया कि राहुल और प्रियंका गांधी के अलावा भी तमाम दूसरे नेता उत्तराखंड में प्रचार के लिए आ रहे हैं।

भाजपा कार्यकर्ताओं ने थाने में जमकर किया हंगामा

भाजपा कार्यकर्ताओं ने थाने में जमकर किया हंगामा 

पंकज कपूर          

हरिद्वार। हरिद्वार में भाजपा कार्यकर्ताओं ने देर रात कनखल थाने में पहुंचकर जमकर हंगामा किया। भाजपा कार्यकर्ताओं ने कांग्रेस प्रत्याशी सतपाल ब्रह्मचारी और उनके समर्थकों पर बैरागी कैंप क्षेत्र के निवासियों के साथ मारपीट करने का आरोप लगाया। 

हंगामा कर रहे लोगों का कहना है कि सतपाल ब्रह्मचारी और उनके समर्थक बैरागी कैंप क्षेत्र में वोट मांगने पहुंचे थे। इस बीच कुछ स्थानीय लोगों ने उनसे सवाल पूछे। जिसके बाद वहां कहा सुनी हो गई और फिर मारपीट की नौबत आ गई। वहीं, पुलिस अधिकारियों का कहना है कि एक पक्ष की ओर से शिकायत मिली है। जिसके बाद मामले की जांच की जा रही है।

आस्ट्रेलिया में 'पृथ्वी' की सबसे पुरानी चट्टानें मिलीं

आस्ट्रेलिया में 'पृथ्वी' की सबसे पुरानी चट्टानें मिलीं 
अखिलेश पांडेय        
वाशिंगटन डीसी/ सिडनी। पश्चिमोत्तर ऑस्ट्रेलिया के पिलबारा में पृथ्वी की कुछ सबसे पुरानी चट्टानें मिली हैं। जो 3.6 अरब वर्ष से अधिक पुरानी हैं।
यह जानकारी अमेरिका के स्पेस एजेंसी राष्ट्रीय वैमानिकी और अन्तरिक्ष प्रबंधन (नासा) ने दी है। नासा के मुताबिक ये लौह-समृद्ध चट्टानें वायुमंडलीय ऑक्सीजन की उपस्थिति और यहां तक कि जीवन की शुरुआत से पहले बनी थीं। आगे यह भी पता चला कि इन चट्टानों पर 3.45 अरब साल पुराने जीवाश्म स्ट्रोमेटोलाइट्स, माइक्रोबियल साइनोबैक्टीरिया की कॉलोनियां थीं।
नासा ने बताया है कि यहां की प्राप्ति छवि एस्टर का एक सम्मिश्रण है, जो नासा जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी (जेपीएल), जापान के अर्थव्यवस्था व्यापार और उद्योग मंत्रालय, देशों के वैज्ञानिक तथा उद्योग संगठनों के बीच एक संयुक्त प्रयास के पाँच पृथ्वी-अवलोकन उपकरणों में से है।

भाजपा का यूके में मुख्यमंत्री बदलने का काम: कांग्रेस

भाजपा का यूके में मुख्यमंत्री बदलने का काम: कांग्रेस  
पंकज कपूर         
देहरादून। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि उत्तराखंड की तकदीर व तस्वीर बदलने का दावा करने वाली भाजपा सरकार ने सिर्फ प्रदेश में मुख्यमंत्री बदलने का काम किया। उन्होंने प्रदेश व केंद्र की भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए तमाम तथ्य पेश करते हुए कहा कि जनता स्वयं भाजपा के काम का आंकलन कर सकती है।
यहां होटल शिखर के सभागार में आयोजित प्रेस वार्ता में सुरजेवाला ने कहा कि पुण्य और पराक्रम की देवभूमि उत्तराखंड को 5 सालों में भाजपा ने महंगाई और बेरोजगारी के अंधे कुएं में धकेल दिया। उत्तराखंड के भविष्य पर ग्रहण लगाया व मेहनती बहादुर जनता की महंगाई से जेब काटी।
उन्होंने कहा कि बेरोज़गारी से उत्तराखंड के युवा बेज़ार हो चुके हैं। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) ने हाल ही में चौंकाने वाली रिपोर्ट जारी की है, जिसमें उत्तराखंड की बेरोजगारी की भयावह तस्वीर सामने आई हैं। उत्तराखंड में साल 2021 में 20 से 29 वर्ष के आयु वर्ग में बेरोजगारी की दर 56.41 प्रतिशत है। 20 से 24 वर्ष के आयु वर्ग में बेरोजगारी की दर सबसे ज्यादा 81.76 प्रतिशत। 25 से 29 वर्ष में यह दर 24.39 प्रतिशत है। वहीं सबसे चौंकानेवाली बात है कि प्रदेश में 20 से 24 वर्ष के आयु वर्ग की महिलाओं में बेरोजगारी की दर 100 प्रतिशत है।
उन्होंने कहा कि जो हाल मोदी ने देश का किया, वही उत्तराखंड की भाजपा सरकार ने प्रदेश का किया है। उत्तराखंड में बेरोजगारी की यह बिसात नई नहीं। महामारी से पहले भी अक्टूबर से दिसंबर, 2019 में
उत्तराखंड में बेरोजगारी की दर 19 प्रतिशत थी। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार में केंद्रीय विभागों, केंद्रीय सरकारी उपक्रमों व सरकारी संस्थाओं में 30 लाख) खाली पड़े हैं। सुरेजेवाल ने कहा कि दो करोड़ रोजगार हर साल देने का वादा कर सत्ता में भाजपा आई, लेकिन नरेंद्र मोदी सात साल में 14 करोड़ नौकरियां तो दी नहीं, उल्टा पिछले 2 साल में 12.20 करोड़ रोजगार जरूर चले गए।
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के 2021-22 के बजट में चौंकाने वाला खुलासा हुआ। राजपत्रित और अराजपत्रित पदों का विवरण देते हुए सरकार ने खुद बताया है कि प्रदेश भर में विभिन्न विभागों में करीब 57,000 पद खाली पड़े हैं, जो प्रदेश के कुल मंजूरशुदा पदों का 23 प्रतिशत हैं। 
शर्मनाक तो यह है कि खुद मुख्यमंत्री, पुष्कर सिंह धामी 30 सितम्बर को अपने ट्विटर अकाउंट से पोस्ट कर जानकारी देते हैं कि राज्य में पिछले साढ़े चार साल में मात्र 15,000 अप्रत्यक्ष और प्रत्यक्ष रोजगारों का सृजन हुआ है। एक ओर सरकारी विभागों में 57 हजार पद खाली हैं, दूसरी ओर सरकार साढ़े चार साल में मात्र 15,000 रोजगार की शेखी बघारती है। जून 2021 में आयी “उत्तराखंड ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग” की रिपोर्ट ने बताया कि लगभग 3.5 लाख से अधिक प्रवासी सितम्बर 2020 तक अपने मूल स्थानों को लौटे, जिनमें अधिकतर पौड़ी, टिहरी, अल्मोड़ा से थे। रोजगार न मिलने के कारण 29 प्रतिशत लोग रोजगार के लिये पुनः पलायन कर गए। 
सुरेजेवाला ने कहा कि हाल ही में मोदी सरकार की श्रम मंत्रालय की रिपोर्ट से यह खुलासा हुआ कि राष्ट्रीय करियर सेवा के तहत प्रौद्योगिकी का लाभ उठाते हुए उत्तराखंड को मिलने वाले रोजगार मेले का बजट खत्म ही कर दिया। मजदूरों से भी विश्वासघात हुआ है। उन्होंने कहा कि चुनाव के मौके पर उत्तराखंड की धोखेबाज भाजपा सरकार ने वादा किया कि मनरेगा में 150 दिन का रोजगार देंगे, पर सच्चाई यह है कि अब तक साल में 38 दिनों का ही रोजगार मिल रहा है।
सुरजेवाला ने कहा कि भाजपा के रोजगार कार्यालय ने ही उत्तराखंड में भयंकर बेरोजगारी की पोल खोल दी है। उत्तराखंड के बेरोजगार कार्यालयों में आज की तारीख में 08 लाख बेरोजगारों ने अपना रजिस्ट्रेशन कर रखा है। शर्मनाक तरीके से इन एम्प्लॉयमेंट एक्सचेंज के माध्यम से 2017-18 में मात्र 0.84 प्रतिशत लोगों को नौकरियों के अवसर उपलब्ध कराए गए। 2018-19 में 0.68 प्रतिशत लोगों को और 2019-20 में मात्र 0.34 प्रतिशत लोगों को।
वहीं, भाजपा सरकार में महंगाई प्रचंड है। पेट्रोल, डीज़ल, दाल, तेल, नमक, सब्जी, सब लोगों की पहुँच के बाहर कर दिए गए हैं। आज अल्मोड़ा-हलद्वानी में घर का खाना बनाने की गैस रूपये 937 पार है, बाज़ार की खाना बनाने की गैस रूपये 2,077 पार है, पेट्रोल रूपये 94 पार, डीज़ल रूपये 87 पार, खाना बनाने का सरसों तेल रूपये 200 पार है। तुअर दाल रूपये 100 पार, मूंग दाल रूपये 125 पार और उड़द दाल रूपये 130 पार हो गई है। चाय अब रूपये 200 किलो तक महंगी हो गई है। प्रेस वार्ता में मिनाक्षी ओला, पीतांबर पांडे, प्रकाश चंद्र जोशी आदि तमाम वरिष्ठ कांग्रेसी नेतागण मौजूद थे।

सरकार को घेरने की योजना बना रहीं भाजपा: सत्र

सरकार को घेरने की योजना बना रहीं भाजपा: सत्र 
नरेश राघानी         
जयपुर। राजस्थान विधानसभा के बुधवार से शुरू हो रहे बजट सत्र के हंगामेदार रहने की संभावना है। क्योंकि मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) किसानों, युवाओं और कानून व्यवस्था समेत कई मुद्दों को लेकर सरकार को घेरने की योजना बना रही है। बजट सत्र की शुरुआत बुधवार सुबह 11 बजे राज्यपाल के अभिभाषण से होगी। सदन के कामकाज पर फैसला करने के लिए सदन की कार्यवाही स्थगित होने के बाद कार्य मंत्रणा समिति की बैठक होगी।
उल्लेखनीय है कि विधानसभा का यह सत्र ऐसे समय में शुरू हो रहा है, जब राज्य की कांग्रेस सरकार राजस्थान शिक्षक पात्रता परीक्षा-2021 (रीट) के पेपर लीक प्रकरण को लेकर मुख्य विपक्षी दल भाजपा के निशाने पर है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बजट सत्र से ठीक पहले सोमवार को रीट लेवल-2 परीक्षा रद्द कर युवाओं को राहत दी है। इसके अलावा किसानों की कर्जमाफी का मुद्दा भी भाजपा उठा सकती है।
कर्ज नहीं चुकाने वाले किसानों की जमीन कुर्की करने तथा इस संबंध में नोटिस जारी किए जाने के विरोध में दौसा जिले के कुछ किसानों ने हाल ही में जयपुर में प्रदर्शन किया था। हालांकि, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जमीन की नीलामी प्रक्रिया को रोकने का निर्देश दिया था। विपक्षी दल भाजपा ने कहा कि किसानों, युवाओं से जुड़े कई मुद्दे हैं जहां सरकार उदासीन रही है और उन्हें विधानसभा में प्रमुखता से उठाया जाएगा। बजट सत्र से पहले कांग्रेस तथा उसके सहयोगी विधायकों का तीन दिवसीय शिविर यहां एक होटल में हुआ।
इसमें मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तथा पार्टी के प्रदेश प्रभारी अजय माकन ने विधायकों से संवाद किया। वहीं, भारतीय जनता पार्टी के विधायक दल की बैठक मंगलवार को विधानसभा परिसर में हुई। इसमें नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सहित अन्य विधायक शामिल हुए। पार्टी प्रवक्ता के अनुसार, भाजपा विधायक दल की बैठक में रीट पेपर लीक मामले की सीबीआई जांच सहित अन्य मुद्दों पर आर-पार की लड़ाई लड़ने की रणनीति पर चर्चा की गई।

कांग्रेस की संकल्पना में गैर संवैधानिक नेशन: पीएम

कांग्रेस की संकल्पना में गैर संवैधानिक नेशन: पीएम 
अकांशु उपाध्याय         
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कांग्रेस का संघवाद पर बार-बार सवाल उठाये जाने को लेकर उस पर बड़ा हमला करते हुए कहा कि उसे अपना नाम ‘इंडियन नेशनल कांग्रेस’ से बदल कर ‘फेडरेशन आफ कांग्रेस’ कर लेना चाहिए। पीएम मोदी ने मंगलवार को राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर ग्यारह घंटे तक हुयी चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि कांग्रेस को ‘नेशन’ पर आपत्ति है। यानि ‘नेशन’ उसकी संकल्पना में गैर संवैधानिक है।
उन्होंने कहा कि इंडियन नेशनल कांग्रेस को उसका नाम बदल कर ‘फेडरेशन आफ कांग्रेस’ कर लेना चाहिए। कांग्रेस के सदस्य जब इसका कड़ा विरोध कर सदन से जाने लगे तो प्रधानमंत्री ने कहा कि लोकतंत्र में सिर्फ सुनाना ही नहीं होता है सुनना भी होता है। सालों तक उपदेश देने की आदत के कारण कांग्रेस को बातें सुनने में मुश्किल हो रही है । उन्होंने कहा कि संविधान निर्माता बाबा साहब भीम राव अम्बेडकर ने कहा था कि प्रशासनिक सुविधा के लिए राज्यों में बांटा जा सकता है लेकिन देश अभिन्न रुप से एक है।

किसी के जुनून या भावनाओं से नहीं चलेंगे: एचसी

किसी के जुनून या भावनाओं से नहीं चलेंगे: एचसी  
इकबाल अंसारी        
कर्नाटक। कर्नाटक के कॉलेज में हिजाब पहनने के मामले में मंगलवार को कर्नाटक हाई कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि हम कारणों और कानून के मुताबिक चलेंगे, किसी के जुनून या भावनाओं से नहीं। जो संविधान कहेगा, वो हम करेंगे। हमारे लिए संविधान ही भगवद्गीता है।
सुनवाई के दौरान जस्टिस कृष्णा दीक्षित ने कहा कि हम कारणों से चलेंगे, कानून से चलेंगे। किसी के जुनून या भावनाओं से नहीं है। जो संविधान कहेगा, वही करेंगे। संविधान ही हमारे लिए भगवद्गीता है। मैंने संविधान के मुताबिक चलने की शपथ ली है। भावनाओं को इतर रखिए। हम ये सब हर रोज होते नहीं देख सकते।
गौरतलब है कि कर्नाटक के उडुपी के एमजीएम कॉलेज में छात्र गुटों के बीच हिजाब पहनने को लेकर बवाल खड़ा हो गया था। हिजाब पहनकर जब छात्राएं कॉलेज पहुंचीं तो उन्हें क्लास में एंट्री नहीं दी गई। विवाद बड़ा होता देख कॉलेज को अगले आदेश तक बंद कर दिया गया।
इस बीच,  कर्नाटक उच्च न्यायालय में मंगलवार को उडुपी स्थित पूर्व विश्वविद्यालय महाविद्यालय में हिजाब पहनने की अनुमति देने के लिए विद्यार्थियों द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई होने की उम्मीद है। इस बीच, कुंदापुर स्थित एक निजी महाविद्यालय की दो और छात्राओं ने भी याचिका दायर कर इसी तरह की अनुमति देने का अनुरोध किया है। 
भंडारकर कला एवं विज्ञान महाविद्यालय की दो छात्राओं ने याचिका में महाविद्यालय के प्रधानाचार्य, मैंगलोर विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार और कुन्दापुर के विधायक हलदय श्रीनिवास को प्रतिवादी बनाया है। याचिका में छात्राओं ने आरोप लगाया कि महाविद्यालय ने विधायक के कहने पर ‘हिजाब’ के साथ परिसर में उनके प्रवेश पर रोक लगा दी है।
यह याचिका सुहा मौलाना और ऐशा अलीफा नामक छात्राओं ने दायर की है जो बीबीए पाठ्यक्रम में पंजीकृत हैं। लड़कियों ने याचिका में रेखांकित किया कि जब उन्होंने महाविद्यालय में प्रवेश लिया तब हिजाब को लेकर कोई विवाद नहीं था। उन्होंने दावा किया कि प्रधानाचार्य ने तीन फरवरी को अचानक हिजाब पर यह कहते हुए रोक लगा दी कि सरकार ने कक्षा के भीतर हिजाब पहनने पर रोक लगाई है। याचिका में छात्राओं ने कहा कि जब उनके अभिभावक प्रधानाचार्य से मिले तो उन्होंने बताया कि विधायक के निर्देश पर यह कदम उठाया गया है। विधायक महाविद्यालय विकास समिति के अध्यक्ष भी हैं।

'जीयूवीएनएल' के बीच समझौते पर संज्ञान लिया

'जीयूवीएनएल' के बीच समझौते पर संज्ञान लिया 
अकांशु उपाध्याय       
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने अडानी पावर (मुंद्र) लिमिटेड और गुजरात ऊर्जा विकास निगम (जीयूवीएनएल) के बीच हुए समझौते पर मंगलवार को संज्ञान लिया और निजी कंपनी की ओर से बिजली खरीद समझौता (पीपीए) रद्द करने को बरकरार रखने के 2019 के शीर्ष अदालत के फैसले के खिलाफ राज्य के सार्वजनिक उपक्रम की क्यूरेटिव (उपचारात्मक) याचिका को बंद कर दिया।
प्रधान न्यायाधीश एन.वी.रमण की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ को जीयूवीएनएल की ओर से अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने बताया कि तीन जनवरी को राज्य के सार्वजनिक उपक्रम और अडानी पावर (मुद्रा) लिमिटेड के बीच समझौते पर सहमति बन गई है। वेणुगोपाल ने पीठ से कहा कि समझौते के मद्देनजर क्यूरेटिव याचिका बंद की जा सकती है और उसके अनुरूप ही फैसले में बदलाव किया जा सकता है।
संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति यूयू ललित, न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत शामिल हैं। पीठ ने कहा कि वह यह दर्ज करते हुए मामले को बंद कर देगी कि दोनों पक्ष समझौते के तहत कार्य करेंगे। अडानी पावर के वकील ने भी वेणुगोपाल के अनुरोध का समर्थन किया और कहा कि समझौते के तहत कंपनी जीयूवीएनएल को दो हजार मेगावाट बिजली की आपूर्ति बहाल करेगी।
गौरतलब है कि 17 सितंबर 2021 को हुई अहम घटना में शीर्ष अदालत से कहा कि वह जीयूवीएनएल की ओर से दायर क्यूरेटिव याचिका पर खुली अदालत में सुनवाई करेगी जिसमें उद्योग के आकलन के मुताबिक अड़ानी समूह को करीब 1100 करोड़ रुपये का हर्जाना दिया जाना था। उच्चतम न्यायालय की तीन न्यायाधीशों की पीठ ने जुलाई 2019 में फैसला दिया था कि अडानी पावर द्वारा वर्ष 2009 में जीयूवीएनएल को पीपीए को रद्द करने का नोटिस कानूनी रूप से वैध था।

खाद कारखाना में 95 प्रतिशत काम पूरा: मनसुख

खाद कारखाना में 95 प्रतिशत काम पूरा: मनसुख 

अकांशु उपाध्याय       

नई दिल्ली। रसायन एवं उर्वरक मंत्री मनसुख मांडविया ने मंगलवार को राज्यसभा को बताया कि बरौनी खाद कारखाना में 95 प्रतिशत काम पूरा हो गया है और इसके जून महीने तक उत्पादन शुरू कर देने की संभावना है। मांडविया ने राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान पूरक सवालों के जवाब में यह जानकारी दी।

उन्होंने कहा कि सरकार का प्रयास है कि देश की खाद जरूरतों को देखते हुए आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत देश में ही पर्याप्त उत्पादन हो और इसके लिए बंद पड़े पांच खाद कारखानों के जीर्णोद्धार का फैसला किया गया था। उन्होंने कहा कि रामगुंडम और गोरखपुर खाद कारखानों में उत्पादन शुरू हो गया है और सिंदरी तथा बरौनी खाद कारखानों को चालू करने के लिए काम चल रहा है। उन्होंने कहा कि 2016 मे बरौनी कारखाने के जीर्णोद्धार के लिए 8388 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे और फरवरी 2017 में उसकी नींव रखी गयी थी। उन्होंने कहा कि बरौनी कारखाने को फिर से चालू करने के लिए तेजी से काम चल रहा है और 95 प्रतिशत तक काम पूरा हो गया है। उन्होंने कहा कि कोविड महामारी के कारण इस परियोजना में कुछ देरी हुयी और अब इसके जून महीने तक चालू हो जाने की संभावना है।

अज्ञात लोगों ने चिकित्सक को मारीं गोली, फरार

अज्ञात लोगों ने चिकित्सक को मारीं गोली, फरार  
अकांशु उपाध्याय    
नई दिल्ली। दिल्ली में आरटीआर अस्पताल के बाहर कुछ अज्ञात लोगों ने 26 वर्षीय एक चिकित्सक को कथित तौर पर गोली मार दी। पुलिस ने मंगलवार को यह जानकारी दी। पुलिस के मुताबिक इस हमले के शिकार चिकित्सक की पहचान द्वारका अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टर हेमंत के रूप में हुई है और उनका इलाज चल रहा है। उनकी हालत खतरे से बाहर बताई जा रही है। पुलिस के अनुसार सोमवार की रात डॉक्टर हेमंत अस्पताल के बाहर खड़े थे तभी कुछ अज्ञात हमलावर एक कार में पहुंचे, उन्हें गोली मारी और मौके से फरार हो गए।
हालांकि, स्थानीय लोगों और अस्पताल के सुरक्षाकर्मियों ने आरोपियों को रोकने की कोशिश की, लेकिन घटना के तुरंत बाद वे वहां से भाग निकले। पुलिस ने कहा कि इस घटना के पीछे व्यक्तिगत रंजिश होने का संदेह जताया जा रहा है। पुलिस हमले के सही कारणों का पता लगाने के लिए मामले के सभी पहलुओं की जांच कर रही है। पुलिस हमलावरों की पहचान करने के लिए अस्पताल के बाहर लगे सीसीटीवी फुटेज की भी जांच कर रही है।
इस मामले में अब तक किसी की भी गिरफ्तारी नहीं की गयी है। 
पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि, आरटीआर अस्पताल, जेपी कलां के एक रेजिडेंट डॉक्टर पर गोली चलाने की घटना की सूचना मिली है। पीड़ित डॉक्टर का अस्पताल में इलाज चल रहा है और उनकी हालत स्थिर है। हत्या के प्रयास और शस्त्र अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है और दोषियों को पकड़ने के लिए कई टीमों का गठन किया गया है।

प्रतिकूल तरीके से काम, पत्रकार मान्यता खों देगें

प्रतिकूल तरीके से काम, पत्रकार मान्यता खों देगें   
अकांशु उपाध्याय       
नई दिल्ली। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय (एमआईबी) ने अपने नए दिशा-निर्देशों में कहा है कि देश की ”सुरक्षा, संप्रभुता और अखंडता” के साथ-साथ ”सार्वजनिक व्यवस्था, शालीनता या नैतिकता” के लिए प्रतिकूल तरीके से काम करने वाले पत्रकार अपनी सरकारी मान्यता खो देंगे। ‘केंद्रीय मीडिया प्रत्यायन दिशा-निर्देश-2022’ की सोमवार को घोषणा की गई।
इसके तहत ऑनलाइन समाचार मंचों के लिए काम कर रहे पत्रकारों की मान्यता के लिए भी दिशा-निर्देश दिए गए हैं। सरकार ने कहा कि समाचार एग्रीगेटर को मान्यता देने पर विचार नहीं किया जा रहा है। इस नीति में कहा गया है कि यदि कोई पत्रकार ‘देश की सुरक्षा, संप्रभुता और अन्य देशों के साथ मित्रवत संबंधों, जन व्यवस्था, शालीनता या नैतिकता के लिए प्रतिकूल काम करता है या अदालत की अवमानना करने, मानहानि या किसी अपराध के लिए उकसाने वाले तरीकों से काम करता है”, तो उसकी मान्यता वापस ले ली जाएगी या निलंबित कर दी जाएगी।
यदि किसी पत्रकार या उसके मीडिया संस्थान को फर्जी दस्तावेज या गलत सूचना देते पाया जाता है, तो भी उसकी मान्यता कम से कम दो वर्ष और अधिकतम पांच साल के लिए निलंबित कर दी जाएगी। इसके अलावा, मान्यता प्राप्त मीडियाकर्मियों को सार्वजनिक / सोशल मीडिया प्रोफाइल, विजिटिंग कार्ड, पत्रों या किसी प्रपत्र या किसी भी प्रकाशित सामग्री पर ‘भारत सरकार से मान्यता प्राप्त’ शब्दों का उपयोग करने से प्रतिबंधित कर दिया गया है।
मंत्रालय प्रेस सूचना ब्यूरो (पीआईबी) के प्रधान महानिदेशक की अध्यक्षता में केंद्रीय मीडिया प्रत्यायन समिति (सीएमएसी) का गठन कर रहा है और इसमें सरकार द्वारा नामित 25 सदस्य शामिल हैं। यह समिति अपनी पहली बैठक की तारीख से दो साल के लिए काम करेगी और पत्रकारों की मान्यता निलंबित करने की जिम्मेदारी संभालेगी। सीएमएसी द्वारा नामित पांच सदस्यों वाली सीएमएसी की एक उप-समिति मान्यता देने संबंधी मामलों पर निर्णय करेगी।
उप-समिति की अध्यक्षता भी पीआईबी के प्रधान महानिदेशक करेंगे। 
ऑनलाइन समाचार मंचों के लिए नई नीति के तहत, मान्यता के लिए आवेदन करने वाले डिजिटल समाचार प्रकाशकों को सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता), 2021 के नियम 18 के तहत सूचना और प्रसारण मंत्रालय को आवश्यक जानकारी प्रस्तुत करनी होगी और नियमों का उल्लंघन नहीं करना होगा।
नीति के अनुसार, ऑनलाइन मंच एक साल से अधिक पुराना होना चाहिए और वेबसाइट का भारत में एक पंजीकृत कार्यालय होना चाहिए और दिल्ली या राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में उनके पत्रकार होने चाहिए। यदि आवेदक द्वारा मुहैया कराई गई सूचना गलत पाई जाती है, तो वह मान्यता के लिए आगामी तीन साल तक आवेदन नहीं कर सकेगा।

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