शुक्रवार, 18 जून 2021

'प्रकृति' का सृजन हर सवाल का सटीक जवाब हैं

अकांशु उपाध्याय            

नई दिल्ली। प्रकृति का सृजन अपने आप में हर सवाल का सटीक जवाब है। किसी प्राणी की वास्तविक आवश्यकता और जीवन की हर एक वस्तु प्रकृति ने अपनी गोद में संजो रखी है। इसका लाखों-करोड़ों प्राणियों के प्रति प्यार, माँ के समान अनमोल और अतुलनीय है, जो अपने सभी बच्चों को समान दृष्टि से देखने का हुनर रखती है। बदले में प्राणियों का भी कर्तव्य है, प्रकृति के मोल को समझना। इसके बिना अपने जीवन की कल्पना करना भी प्राणी के लिए उसकी मृत्यु को निमंत्रण देने के बराबर है। लेकिन सत्य तो यही है कि अन्य प्राणियों से परे मानव अपने जीवन को दांव पर लगाने को उतारू हो चला है। अपने फायदे के लिए लगातार पेड़ों को काटना, अपशिष्ट पदार्थों को नदियों में प्रवाहित करना या जमीन में गाढ़ना, आदि तमाम कारण हैं, जिनके परिणाम दुष्कर हैं। 

यह विचारणीय है कि क्या वाकई में इसमें मानव का कुछ फायदा है ? पीआर 24x7 के फाउंडर, अतुल मलिकराम कहते हैं कि मध्यप्रदेश के बकस्वाहा के स्वाहा किए जाने वाले बेशकीमती जंगल अब मानव को मूल्यहीन लगने लगे हैं। कारण यह है कि उसकी नजर में हीरों का मोल जीवन से कहीं गुना अधिक है। एक बार स्वयं से यह सवाल करने के बाद जवाब खुद-ब-खुद मानव को मिल जाएगा कि पृथ्वी से जीवन का विनाश हो जाने के बाद ये हीरे किसके और क्या काम आएँगे ? अब समय आ गया है प्रकृति से खिलवाड़ को पूर्णतः रोकने का। सरकार को इसके लिए ठोस नियम बनाने पर गंभीरता से विचार करने की सख्त आवश्यकता है। 

जिसके अंतर्गत पेड़ काटने, जंगलों का विनाश करने, जलाशयों को समाप्त करने, अपशिष्ट पदार्थों के अनुचित प्रवाह, अन्य प्राणियों के जीवन को दांव पर लगाने आदि पर भारी मात्रा में दंड सुनिश्चित किए जाएं।  ऑक्सीजन तथा जल ही जीवन के लिए सबसे अधिक महत्वपूर्ण हैं, और इन दोनों पर ही वर्तमान में खतरा मंडरा रहा है, जिसके परिणाम भविष्य का विनाश करने वाले होंगे। आर्टिफिशियल ऑक्सीजन के परिणाम हमने इस महामारी में देख ही लिए हैं। कुछ महीनों में ही इसकी भारी मात्रा में कमी सामने आ गई। विचार करें कि जब इस क्षति के चलते धरती का हर एक प्राणी आर्टिफिशियल ऑक्सीजन का उपयोग करने को मजबूर हो जाएगा, तो क्या इतने कम समय में इसकी आपूर्ति हो सकेगी।

जितने कम समय में हमें पेड़ ऑक्सीजन देते हैं। जब प्रकृति हम पर इतने उपकार करने के लिए अपना फायदा नहीं देखती है, तो हम क्यों अपने फायदे के लिए प्रकृति का नाश कर रहे है ? हम अब भी संभल सकते हैं। सरकार के कानूनों के अलावा हम भी यह प्रण जरूर लें कि हम कम से कम एक या दो पेड़ अवश्य लगाएंगे। साथ ही अन्य लोगों को भी पेड़ लगाने के लिए प्रेरित करेंगे और इन्हें काटने का सख्त विरोध करेंगे। अपने-अपने स्तर पर जलाशयों को स्वच्छ रखने में बेहतर योगदान देंगे और अन्य लोगों द्वारा इन्हें दूषित किए जाने पर अधिकार से रोकेंगे। यदि अब भी हमने पर्यावरण पर ध्यान नहीं दिया, तो हम बहुत ही कम समय में खुद को अँधेरे गर्त में झोंक देंगे, और इससे हमें बाहर निकालने प्रकृति भी नहीं आएगी।

वैज्ञानिकों ने मर्दों को प्रेग्नेंट करने का चमत्कार किया

बीजिंग। चीन के वैज्ञानिक अजीबोगरीब रिसर्च करते रहते हैं। बीते दिनों चीन के वुहान लैब से निकले एक वैज्ञानिक ने दावा किया था कि चीन अजीबोगरीब रिसर्च करते रहता है। वहां कई ऐसे रिसर्च किये जाते हैं, जो आमतौर पर अन्य देशों में बैन है। इसी के बीच अब चीन के वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि उन्होंने मर्दों को प्रेग्नेंट करने का चमत्कार कर दिखाया है। इसके लिए वो कई सालों से रिसर्च कर रहे थे। अब जाकर इस रिसर्च का नतीजा सामने आ गया है। चीन में वैज्ञानिकों द्वारा किये इस रिसर्च में नर चूहे की बॉडी पर एक्सपेरिमेंट किया गया। इसमें नर की बॉडी में सर्जरी के जरिये मादा की बॉडी से निकाला गया बच्चेदानी फिट किया गया। इसके बाद नर को प्रेग्नेंट कर सिजेरियन के जरिये बच्चे पैदा करवाए गए। इस रिसर्च के बाद अब फ्यूचर में मर्दों के प्रेग्नेंट होने के चांसेस बढ़ गए हैं। इंफोवार्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इस रिसर्च के बाद अब वैसे ट्रांसजेंडर जो बच्चे पैदा करना चाहते हैं, को मदद मिलेगी।

ये एक्सपेरिमेंट शंघाई के नेवल मेडिकल यूनिवर्सिटी  द्वारा किया गया। इसमें रिसर्चर्स ने मादा चूहों की बॉडी से बच्चेदानी को पहले बाहर निकला। इसके बाद उसे नर चूहे की बॉडी में फिट किया। इस यूट्रस ट्रांसप्लांट के बाद नर को प्रेग्नेंट कर उसकी सिजेरियन के जरिये डिलीवरी करवाई गई। इस रिसर्च को चार स्टेप में पूरा किया गया। इसे रैट मॉडल बताया गया। हालांकि, अभी इसकी सक्सेस रेट मात्र 3.68 परसेंट ही बताई गई है। नर चूहे में एक्सपेरिमेंट कामयाब हो गया और नर ने 10 बच्चे पैदा किये। 

चीन के रिसर्चर अब रैट मॉडल को इंसानों पर अपनाने की फ़िराक में हैं। ऐसा पहली बार हुआ है कि एक्सपेरिमेंट में नर को प्रेग्नेंट किया गया। मैमल में हुए इस एक्सपेरिमेंट से अब इसके इंसानों में कामयाब होने की उम्मीद बढ़ गई है। इससे पहले स्कूल ऑफ़ मेडिसिन ने ट्रांसजेंडर्स के लिए भी ऐसा एक एक्सपेरिमेंट किया था। इसमें वैसे ट्रांसजेंडर्स जो प्रेग्नेंट होना चाहते हैं। अपने यूट्रस की सर्जरी नहीं करवाते और मेल की बॉडी में ही प्रेग्नेंट हो जाते हैं।

तीसरी लहर से भयभीत होने की आवश्यकता नहीं

संदीप मिश्र               

बलिया। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि कोरोना की तीसरी लहर से भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है। बल्कि इसके लिए सावधानी जरूरी है और इसके बचाव के लिए प्रदेश में मुकम्मल तैयारी की जा रही है। मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को बलिया में अपने चार घंटे के प्रवास के दौरान उन्होंने जिला अस्पताल के कोविड सेंटर का निरीक्षण किया और मरीजों से मुलाकात की। उन्होंने मरीजो से पूछा कि यह व्यवस्था केवल आज के लिए की गई है कि पहले भी रहती है। कोविड वार्ड का निरीक्षण करने के बाद मुख्यमंत्री ट्रामा सेंटर के वैक्सीनेशन केंद्र पहुंचे और वहां तैनात एएनएम व जीएनएम से पूछताछ की। 

अस्पताल का निरीक्षण करने के बाद मुख्यमंत्री हनुमानगंज विकासखंड के हैबतपुर गांव पहुंचे और वहां बीस मिनट तक रहें। गांव में उन्होंने छोटे बच्चों से बातचीत की और सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से गरीबों को फ्री राशन देने के कार्यक्रम को देखा। इस मौके पर पांच लाभार्थियों को राशन वितरण करने के साथ ही उनसे पूछताछ भी की। बाद में योगी कलेक्ट्रेट गए और वहां जनप्रतिनिधियों व प्रशासनिक अधिकारियों के साथ जिले की स्थिति की समीक्षा की। बैठक के बाद संवाददाताओं से बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में कोरोना की दूसरी लहर अब पूर्ण नियंत्रण की ओर है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के बारे में आशंका व्यक्त की जा रही थी कि मई माह के अंत तक यहां संक्रमितों की संख्या तीस से पचास लाख होगी। लेकिन यहां संक्रमितों की संख्या अब छह हजार तक सीमित हो गई है। उन्होंने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर के नियंत्रण में निगरानी समितियों का कार्य काफी सराहनीय रहा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना की तीसरी लहर से बचाव के लिए प्रत्येक जिले में अभिभावक बूथ बनाए गए हैं।जहां बारह वर्ष से कम आयु के बच्चों के अभिभावकों का वैक्सीनेशन का कार्य तेजी पर है। उन्होंने कहा कि तीसरी लहर से बचाव के लिए जिलों में दवाओं को पहुंचाने का कार्य तेजी पर है। दवा वितरण के लिए आयु के अनुसार चार ग्रुप 0- 1, 1- 5,5 – 12 व 12-18 बनाए गए हैं। योगी ने कहा कि जिस अवधि में कोरोना की तीसरी लहर की आशंका जताई जा रही है वह समय संक्रमण का होता है। मलेरिया, चिकनगुनिया, वायरल बुखार आदि के फैलने का समय होता है। इससे भयभीत होने की आवश्यकता नहीं बल्कि इससे सुरक्षा के उपाय किए जाने की जरुरत है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में प्रत्येक जिले में पीकू वार्ड बनाए जाने का कार्य प्रगति पर है।

महामारी अधिनियम को कड़ाई से लागू किया जाएं

अकांशु उपाध्याय             

नई दिल्ली। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से आग्रह किया है कि स्वास्थ्य कर्मियों की कुशलता तथा सुरक्षा के लिए तेजी से कदम उठाये जाएं और संशोधित महामारी अधिनियम को कड़ाई से लागू किया जाए। मंत्रालय में संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने राज्यों के अतिरिक्त मुख्य सचिवों, प्रधान सचिवों और स्वास्थ्य सचिवों को लिखे पत्र में कहा है कि स्वास्थ्य कर्मियों की हर मोर्चे पर कोविड-19 प्रबंधन में सबसे अहम भूमिका है। उन्होंने कहा कि मंत्रालय ने कई मौकों पर स्वास्थ्य क्षेत्र में काम करने वाले लोगों के रहने और काम करने के स्थानों पर उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने की जरूरत पर जोर दिया है।

अधिकारी ने कहा, ”देश ने व्यापक तौर पर स्वास्थ्य क्षेत्र के लोगों के प्रयासों की सराहना की है। लेकिन कुछ उदाहरण हैं। जिनमें उनकी साख पर धब्बा लगाया गया और कुछ मामलों में तो स्वास्थ्य कर्मियों के खिलाफ हिंसा हुई।” अग्रवाल ने पत्र में लिखा कि हाल ही में असम, पश्चिम बंगाल और कर्नाटक समेत कुछ जगहों से डॉक्टरों, स्वास्थ्य क्षेत्र के कर्मियों तथा अन्य पेशेवरों के खिलाफ हिंसा की खबरें आईं। उन्होंने कहा, ”इस तरह के वाकये हमारे स्वास्थ्य क्षेत्र के कर्मियों के मनोबल को प्रभावित करते हैं जिन्होंने कोविड-19 प्रबंधन में सभी चुनौतियों के खिलाफ अत्यंत प्रतिबद्धता से काम किया।” उन्होंने कहा कि केंद्र ने एक अध्यादेश जारी किया था और बाद में इसे कानून के रूप में अधिसूचित किया जिसके तहत स्वास्थ्य क्षेत्र के कर्मियों के विरुद्ध हिंसा गैर-जमानती और संज्ञेय अपराध है।

ममता की याचिका पर 24 को सुनवाई करेगा एचसी

मिनाक्षी लोढी            

कोलकाता। कलकत्ता उच्च न्यायालय विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी के नंदीग्राम विधानसभा सीट से निर्वाचन को चुनौती देने वाली पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की याचिका पर 24 जून को सुनवाई करेगा। इससे पूर्व दिन में अदालत ने मामले पर सुनवाई स्थगित कर दी थी। नंदीग्राम से अधिकारी के निर्वाचन को अमान्य घोषित करने संबंधी याचिका पर न्यायमूर्ति कौशिक चंदा की पीठ ने सुनवाई की। न्यायाधीश ने कहा कि बनर्जी को सुनवाई के पहले दिन पेश होना होगा, क्योंकि यह एक चुनाव याचिका है।

बनर्जी के वकील ने कहा कि वह कानून का पालन करेंगी। मामले की सुनवाई को 24 जून तक स्थगित करते हुए न्यायमूर्ति चंद्रा ने निर्देश दिया, ‘‘इस बीच उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार इस अदालत के सामने एक रिपोर्ट पेश करेंगे कि क्या यह याचिका जनप्रतिनिधित्व कानून, 1951 के अनुरुप दाखिल की गयी है।’’ तृणमूल कांग्रेस प्रमुख बनर्जी ने अपनी याचिका में भाजपा विधायक शुभेंदु अधिकारी पर जनप्रतिनिधित्व कानून, 1951 की धारा 123 के तहत भ्रष्ट तरीका अपनाने का आरोप लगाया है। बनर्जी ने याचिका में यह भी दावा किया है कि मतगणना प्रक्रिया में विसंगतियां थीं। निर्वाचन आयोग ने पिछले महीने कांटे के मुकाबले के बाद अधिकारी को नंदीग्राम सीट पर विजयी घोषित किया था।


सपा ने पूर्व जिलाध्यक्ष को पार्टी से निष्कासित किया

हरिओम उपाध्याय             

लखनऊ। समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की स्वीकृति के बाद पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने की वजह से बागपत के पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष ओंकार यादव और किरण पाल उर्फ बिल्लू प्रधान पूर्व जिलाध्यक्ष को पार्टी से छह वर्ष के लिए निष्कासित कर दिया गया। सपा प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने शुक्रवार को बताया कि बागपत के पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष ओंकार यादव तथा किरण पाल उर्फ बिल्लू प्रधान पूर्व जिलाध्यक्ष को पार्टी से छह वर्ष के लिए निष्कासित कर दिया गया है।

इसके अलावा सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की स्वकृति के बाद पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल की संस्तुति पर धीरेन्द्र सिंह निवासी कदमतर मिर्जापुर को समाजवादी युवजन सभा की राज्य कार्यकारिणी में प्रदेश सचिव, यशवीर सिंह चौधरी निवासी सुखरावली अलीगढ़ और मोहम्मद रिजवान खान वाराणसी को समाजवादी युवजन सभा की राज्य कार्यकारिणी में प्रदेश सदस्य नामित किया गया है।

पूजा स्थलों में प्रार्थना पर फिर रोक लगाईं: कश्मीर

श्रीनगर। कश्मीर घाटी में अधिकारियों ने कोरोना वायरस (कोविड-19) महामारी के पॉजिटिव मामलों में वृद्धि को रोकने के लिए कोरोना कर्फ्यू लागू करते हुए सभी प्रमुख श्राइन, जामिया मस्जिदों और अन्य पूजा स्थलों में प्रार्थना पर फिर रोक लगा दी है। छोटी मस्जिदों में विशेष रूप से आंतरिक हिस्सों में शुक्रवार की नमाज अदा की गई और इस दौरान सामूहिक नमाज के दौरान लोग मास्क पहने और सामाजिक दूरी बनाए रखते हुए देखे गए।

कश्मीर संभाग में गुरुवार को 466 कोरोना वायरस के नये मामले सामने आए और चार लोगों की मौत हुई है। पुराने टाउन शहर की ऐतिहासिक जामिया मस्जिद का मुख्य दरवाजा बंद रहा और रमजान के पवित्र महीने के बाद से पूजा स्थल में कोई नमाज अदा नहीं की गई।जबकि घाटी में कोरोना वायरस के पॉजिटिव मामलों की संख्या बढ़ने के बाद अंजुमन औकाफ जामिया मस्जिद ने नमाज पर रोक लगाने की घोषणा की।

पायलट ने फ्लाइट अटेंडेंट को प्रपोज किया

पायलट ने फ्लाइट अटेंडेंट को प्रपोज किया  अखिलेश पांडेय  वारसॉ। अक्सर लोग अपने प्यार का इजहार किसी खास जगह पर करने का सोचते हैं। ताकि वो पल ज...