मंगलवार, 7 अप्रैल 2020

सार्वजनिक सूचनाएं एवं विज्ञापन

सतर्क रहें, सावधानी बरतें।


प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

यूनिवर्सल एक्सप्रेस    (हिंदी-दैनिक)


अप्रैल 08, 2020, RNI.No.UPHIN/2014/57254


1. अंक-240 (साल-01)
2. बुधवार, अप्रैल 08, 2020
3. शक-1942,चैैत्र-शुक्ल पक्ष, तिथि- पूर्णमासी, विक्रमी संवत 2077।


4. सूर्योदय प्रातः 06:15,सूर्यास्त 06:40।


5. न्‍यूनतम तापमान 18+ डी.सै.,अधिकतम-33+ डी.सै.।


6.समाचार-पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है। सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा।
7. स्वामी, प्रकाशक, संपादक राधेश्याम के द्वारा (डिजीटल सस्‍ंकरण) प्रकाशित। प्रकाशित समाचार, विज्ञापन एवं लेखोंं से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहींं है।


8.संपादकीय कार्यालय- 263 सरस्वती विहार, लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102


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सोमवार, 6 अप्रैल 2020

डासना जेल में शुरू सैनिटाइजिंग टनल

गाजियाबाद। जिला जेल डासना में रविवार को सैनिटाइजिंग टनल का शुभारंभ किया गया। इस मौके पर जेल के अधिकारी वह स्टाफ मौजूद रहा। जेल प्रशासन ने बताया कि पुलिस महानिदेशक/ महानिरीक्षक कारागार आनंद कुमार के निर्देशन में 5 अप्रैल 2020 को डासना जेल में सैनिटाइजिंग टनल का शुभारंभ किया गया।


वैश्विक महामारी कोविड-19 से बंदियों व स्टाफ को वीसंक्रमित करने के उद्देश्य से सैनिटाइजिंग टनल की शुरुआत की गई है। इस टनल के बनने से कारागार में निरुद्ध बंदियों व स्टाफ को कोविड-19 से प्रभावी ढंग से निपटने में सहायता मिलेगी। जेल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर सुनील त्यागी ने बताया कि अब जो भी बंदी या स्टाफ डासना जेल में प्रवेश करेगा वह इसी सैनिटाइजिंग टनल से होकर गुजरेगा जिससे कोरोनावायरस का खतरा खत्म हो जाएगा।


डीएम-एसएसपी ने किया निरीक्षण

मुकेश सिंघल
गाजियाबाद। COVID-19 (कोरोना वायरस) लॉकडाउन के सफल क्रियान्वयन व कोरोना संक्रमण के प्रसार को रोकने व संक्रमित व्यक्तियों के इलाज हेतु बनाए गए विभिन्न क्वॉरेंटाइन/ आइसोलेशन सैंटरों (सुंदरदीप इंस्टीट्यूट, आरकेजीआईटी कॉलेज, संयुक्त चिकित्सालय व अन्य ) का जिलाधिकारी व वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कलानिधि नैथानी द्वारा संयुक्त भ्रमण / निरीक्षण किया गया तथा मौजूदा मैडिकल स्टाफ / पुलिसकर्मियों व अन्य कर्मचारियों से वार्ता कर जायजा लिया गया तथा उनके द्वारा सेवाभाव से किये जा रहे कार्यों के लिए हौसलाअफजाई की गई। इस दौरान एडीएम सिटी व एसपी सिटी भी मौजूद रहे।
 
इस दौरान आवश्यक सतर्कता व सजगता बरतने, सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखने, कोरोना संक्रमण से बचाव हेतु आवश्यक निर्देश दिए गए। साथ ही क्वॉरेंटाइन या आइसोलेट किए गए व्यक्तियों के परिजनों को प्रशासन/ पुलिस/चिकित्सकों को सहयोग करने हेतु ब्रीफ किया गया।
 एसएसपी द्वारा इस दौरान संक्रमण से खुद के बचाव हेतु सैनिटाइजर, मास्क, ग्लव्स आदि का उपयोग करते हुए लगातार साबुन से हाथ धोयें व सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने तथा अपने आसपास अन्य लोगों को भी उक्त के बारे में जागरूक करने हेतु निर्देशित किया गया ।


जनसंघ से भाजपा तक का सफर

भारतीय जनता पार्टी आज 40 साल हो गई है। 6 अप्रेल 1980 को इसकी स्थापना हुई थी, इन 40 सालो के सफर में बीजेपी में अभूतपूर्व परिवर्तन हुआ है। दो सीट से लेकर 303 सीटों का सफर बीजेपी इन 40 सालो में तय किया किया। वर्ष 1951 में श्यामाप्रसाद मुखर्जी ने जनसंघ की शुरुआत की जो आगे चलकर बीजेपी में परिवर्तित हो गई। श्यामाप्रसाद मुखर्जी और दीनदयाल उपाध्याय बीजेपी के पितृ पुरुष माने जाते है। 1980 में बीजेपी की स्थपना के बाद स्व अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय जनता पार्टी के पहले अध्यक्ष बने, अटल बिहारी को वाजेपयी को लालकृष्ण आडवाणी साथ मिला। दोनों ने ही पार्टी को मजबूत करने अहम् भूमिका निभाई। पार्टी निर्माण के बाद पहली बार वर्ष 1984 में बीजेपी ने चुनाव लड़ा और दो सीटे मिली। बीजेपी को हिंदुत्व वाली छवि और अयोध्या के राममंदिर ने देश भर पहचान दिलाई। वर्ष 1991 में में लालकृष्ण आडवाणी द्वारा सोमनाथ से अयोध्या तक निकाला । रथयात्रा ने देशभर में बीजेपी को पहचान दिलाई और खुलकर हिंदुत्व की बात करने वाली पार्टी बनकर सामने आई। 6 दिसंबर 1992 में बाबरी मस्जिद को बीजेपी नेताओ ने गिरा दिया जिसमे लालकृष्ण आडवाणी, मुरलीमनोहर जोशी और उमा भारती समेत नेताओ का नाम आया। अयोध्या रथ यात्रा और बाबरी मस्जिद गिराने का फायदा बीजेपी को वर्ष 1996 के लोकसभा चुनाव में मिला। लोकसभा में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर सामने आई। रास्ट्रपति ने सरकार बनाने बीजेपी को आमंत्रित किया। ये सरकार ज्यादा दिन नहीं चली और कुछ दिनों बाद ही गिर गई।


वर्ष 1998 में बीजेपी ने फिर अपने सहयोगी दलों के साथ मिलकर केंद्र में सरकार बनाई और अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री बने। बीजेपी ने फिर 1999 में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन बनाकर लोकसभा चुनाव लड़ा। इस गठबंधन में 20 से दल शामिल हुए, इस गठबंधन को 294 सीटों पर जीत मिली। इसमें बीजेपी को 182 सीटें हासिल हुई जिसके बाद एक बार फिर से अटल बिहारी वाजपेयी प्रधामंत्री बने और इस बार उन्होंने पांच साल का अपना कार्यकाल पूरा किया।


वर्ष 2002 के बाद से बीजेपी केंद्र की सत्ता से वंचित रही। अटलबिहारी के बाद नरेंद्र मोदी वर्ष 2014 में  दमदार नेता बनकर उभरे और बीजेपी ने 282 सीटे और नरेंद्र मोदी प्रधानमत्री बने। उसके बाद से बीजेपी निरंतर उचाईयो को छू रही है है। बीजेपी के आज 15 से अधिक राज्यों में बीजेपी और उसके सहयोगियो की सरकार है। 1991 के दौर में अटलबिहारी वाजपेयी और लालकृष्णा अडवाणी की जोड़ी थी जो वर्तमान में नरेंद्र मोदी और अमित शाह की है। जिसके नीतियों के दम पर बीजेपी बढ़ते क्रम पर है।


2014 में सरकार में आने के बाद नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी ने श्यामाप्रसाद मुखर्जी और लालकृष्ण अडवाणी के सपने को पूरा किया। कश्मीर से धारा 370 हटाकर वहां तिरंगा फहराया गया। वही 28 सालो से लंबित राम मंदिर का मुद्दा इनके कार्यकाल में समाप्त हुआ। जिसके बाद अयोध्या में राम मंदिर बनाने की तैयारी शुरू हो गई है। दुनिया भर में 10 करोड़ कार्यकर्ताओ वाली बीजेपी विश्व में सबसे बड़ी पार्टी बन गई है। वर्ष 2014 में आई बीजेपी और वर्ष 2019 में बानी बीजेपी की सरकार में बहुत परिवर्तन हुआ है। पुराने समय के तमाम बड़े नेता दरकिनार कर नए लोगो को पार्टी में शामिल किया गया है।


मतभेद भुलाकर एकजुट होने का समय

नई दिल्ली। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने सोमवार को कहा कि कोरोना संकट देश में धर्म, जाति और वर्ग आधारित मतभेदों को भुलाकर एकजुट होने का मौका है। उन्होंने यह भी कहा कि देश एकजुट होकर इस महामारी को पराजित करेगा। उधर, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने सरकार से एक बार फिर सरकार से आग्रह किया कि कोरोना की व्यापक स्तर पर जांच की जाए।
राहुल गांधी ने ट्वीट किया, 'कोरोना संकट भारत के लिए एक ऐसा मौका है जिसमें लोग अपने धर्म, जाति एवं वर्ग के मतभेदों को पीछे छोड़कर एकजुट हों और इस खतरनाक वायरस को पराजित करें।' उन्होंने कहा,' करुणा, संवेदना और त्याग इस सोच की बुनियाद हैं। हम साथ मिलकर इस लड़ाई को जीतेंगे।' अपने इस ट्वीट के साथ राहुल ने हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल पेश करती एक तस्वीर भी साझा की।
वहीं, प्रियंका गांधी ने ट्वीट किया, 'कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने का एकमात्र रास्ता ज्यादा से ज्यादा जांच है। तभी हम संक्रमित व्यक्ति का उपचार कर सकते हैं। प्रियंका ने कहा, 'ज्यादा से ज्यादा जांच करो, फिर उपचार करो- यही हमारा मंत्र होना चाहिए। आप सबसे मेरी गुजारिश है कि ज्यादा जांच के लिए आवाज उठाइए।'


भुखमरी और तंगहाली का जश्न

आज हमारा देश कोरोना जैसी महामारी से जूझ रहा है। लगातार हमारे देश में कोरोना के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। कोरोना से होने वाली मौत का आंकड़ा भी लगभग 100 के पार पहुंच चुका है। हमारा देश आज एक ऐसी महामारी से जूझ रहा है जिस से निकल पाने के बावजूद भी देश बहुत पीछे चला जाएगा। भारत में 22 मार्च 2020 को देश के प्रधानमंत्री की अपील पर एक दिन का जनता कर्फ्यू लगाया गया था। उसी दिन कुछ प्रदेशों व जिलों को लॉक डाउन कर दिया गया था। 24 मार्च 2020 को रात्रि आठ बजे देश के प्रधानमंत्री ने राष्ट्र के नाम एक संबोधन दिया और रात्रि 12:00 बजे से अगले 21 दिनों तक यानी 14 अप्रैल 2020 तक संपूर्ण देश को लॉक डाउन कर दिया।


इसमें कुछ रोजमर्रा की चीजों को खोला गया। हमारे देश के प्रधानमंत्री ने इकोनॉमी को छोड़कर जनता को चुना क्योंकि अगर जनता ही नहीं रहेगी तो कैसी और किस काम की इकोनॉमी। लॉकडाउन के बाद भी धीरे-धीरे कोरोना के मरीजों की संख्या बढ़ रही है। इसी बीच खबरें आई की दिहाड़ी मजदूरों के आगे रोजी-रोटी का संकट आ गया।


लोग पलायन करने को मजबूर हो गए। लोगों ने 200, 400, 600 व 1000 किलोमीटर तक की पैदल यात्रा की। इसी के बाद शुरू हुआ संप्रदायिकता की भावनाओं को भड़काने का खेल। पहले संप्रदायिकता की भावनाओं को सोशल मीडिया पर ताकत दी गई और उसके बाद तबलीगी जमात से कोरोना मरीजों की बढ़ती संख्या को हमारे देश में संप्रदायिकता कर रंग दे दिया। जो कल तक एक साथ उठते बैठते थे, वह आज दुश्मन नजर आने लगे।


इस संप्रदायिकता को रंग देने में कुछ मीडिया हाउसों ने भी अपनी अहम भूमिका निभाई। जनता कर्फ्यू के दिन प्रधानमंत्री मोदी ने कोरोना के इलाज में जुटे कर्म योगियों का अभिवादन करने को कहा, उत्साह बढ़ाने को कहा। थाली ताली घंटी और शंख के माध्यम से देश की जनता ने उन्हें भरपूर समर्थन भी दिया और उत्साहवर्धन भी किया।


इसके बाद पांच अप्रैल को रात नौ बजे नौ मिनट तक घरों की लाइट को बंद कर अपनी बालकनी और छतों में आकर दिये, मोमबत्ती, टॉर्चर और मोबाइल की फ्लैश जलाने की अपील देशवासियों से की गई थी। देशवासियों को कोरोना जैसी महामारी से लड़ने के लिए एकजुटता दिखाने को कहा गया था।


लेकिन बेहद अफसोस हमारे देश का कुछ हिस्सा जो इस समय मानसिक रोगी हो चुका है, वह अपना होश खो बैठा और उसने जमकर आतिशबाजी की। ऐसा तो हमारे पीएम ने नहीं कहा था। लेकिन इसमें यह सवाल खड़ा हो रहा है कि आखिर आतिशबाजी कर वो हिस्सा किस बात की खुशी जाहिर करना चाह रहा था। कोरोना वायरस की चपेट में आकर मरने वालों की संख्या 100 के पार पहुंच चुकी है। बहुत लोगों को रोजी रोटी छिन गई है।


वहीं हमारे देश के कुछ बुद्धिजीवी जश्न मनाने में मशगूल थे। गरीब तबके के लिए रोजी-रोटी का संकट खड़ा है। जगह-जगह लोग सेवा कर रहे हैं। क्या यह जश्न उन लोगों की रोजी रोटी या मौत पर मनाया गया था? आज जो लोग सोशल मीडिया पर संप्रदायिकता की भावना को भड़काने का काम कर रहे हैं। वह शायद कल के बारे में नहीं जानते कई विद्वान अर्थशास्त्रियों का मानना है की लॉक डाउन के बाद भारत में बहुत सारे व्यापार खत्म हो जाएंगे।


कुछ चीजों को सामान्य होने में बहुत सारा समय लगेगा। आज केवल दुख इस बात का है ज्ञान होने के बावजूद भी लोग अज्ञानी बन गए। लेकिन उन अज्ञानीयो का मकसद सिर्फ एक समुदाय को नीचा दिखाने का था। शायद कुछ लोग इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद हमें देशद्रोही साबित करने की कोशिश करेंगे। हम पत्रकार हैं पक्षकार नहीं, सही को सही और गलत को गलत कहना ही हमें सिखाया जाता है। न मैं किसी का विरोधी हूं न मैं किसी का पक्षकार हूं।


मयंक गुप्ता


पायलट ने फ्लाइट अटेंडेंट को प्रपोज किया

पायलट ने फ्लाइट अटेंडेंट को प्रपोज किया  अखिलेश पांडेय  वारसॉ। अक्सर लोग अपने प्यार का इजहार किसी खास जगह पर करने का सोचते हैं। ताकि वो पल ज...