बुधवार, 4 सितंबर 2019

डीएम-एसएसपी ने गंगनहर का किया निरीक्षण

गाजियाबाद। मुरादनगर गंगनहर पर जहाँ गाजियाबाद के डीएम व कप्तान गंगनहर का निरीक्षण करने पहुंचे ।वही कुछ लोग गंगनहर पर गणेश मूर्ति विसर्जन कर रहें थे।मुरादनगर पुलिस को ओर लोगों को जरा भी अर्लट अधिकारी का खौफ नहीं रहा ।मात्र पांच दस मिनट करने आये डीएम व एसएसपी गंगनहर का निरीक्षक जल्द से जल्द हो गये थे ।गाजियाबाद के लिए रवाना नहीं तो अधीनस्थ अधिकारियों पर जमकर फटकार लगती । गणपति बाबा का आशिर्वाद अपने सर्द्धालु भक्तों पर बन गया ।


गाजियाबाद पुलिस को मिली बड़ी कामयाबी

अविनाश श्रीवास्तव


गाजियाबाद।  पुलिस को आज एक बड़ी कामयाबी मिली है,जब पुलिस मुठभेड़ में 50 हजार का ईनामी बदमाश गोली लगने से घायल हो गया, जिसे पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तार बदमाश के कब्जे से 1 पिस्टल व चोरी की बाईक बरामद हुई है।


मिली जानकारी के मुताबिक थाना कविनगर पुलिस द्वारा आज करीब 11:25 बजे थाना क्षेत्र कविनगर में चैकिंग की जा रही थी। 2 बाईक सवार संदिग्ध व्यक्ति आते दिखायी दिये। जिन्हें रोकने का इशारा किया गया पर नही रुके साथ ही जान से मारने की नियत से पुलिस पार्टी पर फायर करते हुए भागने लगे।पुलिस पार्टी की जवाबी फायरिंग में बदमाश प्रदीप पुत्र रतिराम निवासी हैदर नगर जनपद हापुड़ पैर में गोली लगने से घायल हो गया।


जिसको पुलिस ने गिरफ्तार कर उपचार हेतु अस्पताल में भर्ती किया गया।1 फरार है जिसकी तलाश की जा रही है।गिरफ्तार अभियुक्त के कब्जे से मसूरी थाने से चोरी की बाइक व कविनगर थाना से संबंधित 1पिस्टल लाइसेंसी 32 बोर 3 जिंदा 2 खोखा कारतूस बरामद हुए है। गिरफ्तार अभियुक्त थाना ट्रॉनिका सिटी के मुकदमा व थाना कविनगर के केस में वांछित है। गिरफ्तार अभियुक्त पर करीब 1 दर्जन लूट, हत्या, डकैती आदि के मुकदमे पंजीकृत है। अभियुक्त के अन्य अपराधिक इतिहास की जानकारी की जा रही है।


नगर-पालिका में लचर सफाई व्यवस्था

गाजियाबाद। मुरादनगर शहर की सफाई व्यवस्था को लेकर मुख्यमंत्री जनसुनवाई पोर्टल पर शिकायत की गई हैं। जिसमें शहर की सफाई व्यवस्था को सुचारू कराने की मांग की गई हैं।कच्ची सराय निवासी एवं सौंदर्य प्रसाधन के दुकानदार मिल्लत खान ने मुख्यमंत्री पोर्टल पर जनसुनवाई के तहत शिकायत दर्ज कराई हैं।की मुरादनगर में सफाई व्यवस्था चौपट होने के कारण जगह-जगह गंदगी के ढेर लगे रहते हैं। उन्होंने कहा की शहर की गंदगी को डालने के लिए नगर पालिका परिषद के पास कोई निश्चित स्थान नहीं हैl नगर पालिका परिषद शहर के कूड़े को गंग नहर किनारे सड़क पर डाल रहा हैं l जिस कारण वहां से गुजरने वाले लोगों को तो भारी परेशानियों का सामना करना ही पड़ा हैं।वही बदबू से ऑर्डिनेंस फैक्ट्री में स्थिति स्कूल में पढ़ने वाले छात्र छात्राओं को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है l मिल्लत खान ने कहा हैं। कि शहर की गंदगी को डालने के लिए नगर पालिका परिषद एक निश्चित स्थान तय करेंl जिससे कि लोगों को परेशानी का सामना ना करना पड़े l उन्होंने इस समस्या के समाधान की मांग की हैं।


वसुंधरा को खाली करना पड़ेगा बंगला

तो अब राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को सरकारी बंगला संख्या 13 खाली करना पड़ेगा। हाईकोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्रियों को मिलने वाली आजीवन सुविधाओं पर रोक लगाई। राजे ने मुख्यमंत्री रहते हुए सुप्रीम कोर्ट के आदेश दर किनार किए थे।

भगवान के यहां देर है पर अंधेर नहीं। यह कहावत अब राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्रीमती वसुंधरा राजे पर चरितार्थ हो रही है। 2013 से 2018 के कार्यकाल में वसुंधरा राजे और उनके दलाल किस्म के चमचों ने जो ज्यादतियां की उसी का परिणाम है कि अब राजे को जयपुर में सिविल लाइंस स्थित सरकारी बंगाल संख्या 13 खाली करना पड़ेगा। 4 सितम्बर को जोधपुर स्थित हाईकोर्ट के जज प्रकाश चंद गुप्ता ने राजस्थान मंत्री वेतन संशोधन अधिनियम 2017 को अवैध घोषित कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि किसी भी पूर्व मुख्यमंत्री को मिलने वाली सुविधाओं को सुप्रीम कोर्ट के आदेश में देखा  जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व में आदेश दे रखा है कि पूर्व मुख्यमंत्री आजीवन सुविधा लेने के हकदार नहीं है। ऐसे में राजस्थान में भी किसी पूर्व मुख्यमंत्री को सरकारी बंगला और अन्य सुविधाएं नहीं दी जा सकती है। हाईकोर्ट के आदेश के बाद पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को भी सिविल लाइंस  स्थित बंगला संख्या 13 खाली करना पड़ेगा तथा सरकारी सुविधाएं भी लौटानी पड़ेगी। हालांकि वसुंधरा राजे के पास अरबों रुपए की सम्पत्ति है, लेकिन अब उन्हें सरकारी सुविधाओं का मोह छोडऩा पड़ेगा। यहां यह खासतौर से उल्लेखनीय है कि वसुंधरा राजे जब मुख्यमंत्री थी तभी उन्होंने 2017 में विधानसभा में प्रस्ताव स्वीकृत करवाया। इस प्रस्ताव में पूर्व मुख्यमंत्री को जयपुर के सिविल लाइंस क्षेत्र में केबिनेट मंत्री को मिलने वाला बंगला देने के साथ साथ निजी सचिव, 2 स्टेनोग्राफर, एक कार्यालय अधीक्षक, ड्राइवर, तीन चपरासी तथा देशभर में मुफ्त हवाई यात्रा आदि की सुविधा स्वीकृत करवा ली। कांग्रेस इस बिल पर कोई ऐतराज नहीं करे, इसके लिए तबके पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भी ऐसी सुविधाएं दी गई। इतना ही नहीं पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा नहीं होने के बावजूद नियमों के विरुद्ध पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ पहाडिय़ा को भी ऐसी सुविधा उपलब्ध करवाई गई। सब जानते हैं कि मुख्यमंत्री के पद पर रहते हुए वसुंधरा राजे ने मुख्यमंत्री के सरकारी निवास बंगला संख्या 8 को तो बनाए रखा, साथ ही सिविल लाइंस के बंगला संख्या 13 पर भी अवैध तौर पर काबिज रहीं। मुख्यमंत्री रहते हुए राजे ने बंगला संख्या 13 में सरकारी खर्चे पर तमाम तरह की सुविधाएं उपलब्ध करवा ली। इसे राजनीति का घालमेल ही कहा जाएगा कि अशोक गहलोत के सीएम बनने पर वसुंधरा राजे को पूर्व मुख्यमंत्री की हैसियत से बंगला संख्या 13 ही अलॉट कर दिया गया। कांग्रेस सरकार बन जाने के बाद विधानसभा अध्यक्ष कैलाश मेघवाल ने अपने अंतिम दिनों के कार्यकाल में विधायकों को सरकारी आवास आवंटित कर दिए थे, लेकिन नए विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने मेघवाल के आवंटन आदेश को पलट दिया, लेकिन वसुंधरा राजे के बंगले से कोई छेड़छाड़ नहीं की। यानि राजनीति में दिखता है कुछ और होता कुछ अलग है। वसुंधरा राजे को उम्मीद थी कि वे बंगला संख्या 13 में आजीवन रहेंगी, लेकिन हाईकोर्ट के आदेश से अब राजे को इस बंगले से बाहर निकलना होगा। यहां यह उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी जब उत्तर प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री सुश्री मायावती और अखिलेश यादव ने लखनऊ के सरकारी बंगले खाली नहीं किए थे, तो सामान बाहर फिकवाने की नौबत आ गई थी। बाद में अखिलेश यादव पर बंगले को क्षतिग्रस्त करने और नालों की टोंटी तक ले जाने के आरोप लगे। आखिलेश ने भी वसुंधरा की तरह मुख्यमंत्री रहते हुए अपने लिए सरकारी बंगला तैयार करवाया था। पूर्व होते ही अखिलेश ने इस बंगले को आवंटित करवा लिया। लेकिन बाद में बेईज्जत होकर अखिलेश को बंगला खाली करना पड़ा। राजस्थान के मौजूदा मुख्यमंत्री चाहते हुए भी वसुंधरा राजे के प्रति कोई नरम रुख नहीं अपना सकेंगे, क्योंकि यदि राजे ने बंगला खाली नहीं किया तो हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दायर होगी। 
एस.पी.मित्तल


कश्मीर में ना गोली चली ,ना पत्थर

एक माह में कश्मीर घाटी में न गोली चली, न पत्थर। 
सरकार की यही सबसे बड़ी उपलब्धि है। 
जम्मू और लद्दाख में तो जश्न का माहौल।

नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटे पूरा एक माह हो गया। इस एक माह में ईद का पर्व भी मना और चार शुक्रवार को जुमे की नमाज भी हुई। इस माह में सुरक्षा बलों को किसी भी स्थान पर गोली चलाने की जरुरत नहीं हुई और न ही किसी कश्मीरी ने जवानों पर पत्थर फेंके। 1980 के बाद से ही आए दिन आतंकी वारदातें तथा सुरक्षा बलों पर हमले हो रहे थे। लेकिन पांच अगस्त को अनुच्छेद 370 को हटाने के बाद जम्मू कश्मीर के हालात पूरी तरह बदल गए हैं। सरकार की यह सबसे बड़ी उपलब्धि है कि कश्मीर घाटी पूरी तरह शांत हैं। पाकिस्तान परस्त कुछ लोग कह सकते हैं कि घाटी में पाबंदियां सख्त है, इसलिए शांंति है। पाकिस्तान परस्त लोगों का यह तर्क बेमानी है, क्योंकि चरमपंथ के समय घाटी के आतंकियों की हरकतों का खामियाजा जम्मू और लद्दाख के लोगों को बेवजह उठाना पड़ता था। 5 अगस्त के बाद से जम्मू और लद्दाख में तो जश्न का माहौल है। यहां सरकार ने भी सारी पाबंदियां हटा ली है। कश्मीर घाटी के पांच सात जिलों में पाबंदियां लगी हुई है। यानि चरमपंथ सिर्फ पांच-सात जिलों में ही रह गया है। धीरे-धीरे इन जिलों में भी पाकिस्तान में बैठे हाफिज सईद और भारत में बैठे उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती जैसे नेताओं का असर खत्म हो जाएगा, तब घाटी भी देश की मुख्य धारा से जुड़ जाएगी। चरमपंथ के समय जम्मू कश्मीर में चार चार माह तक कफ्र्यू के हालात रहे हैं, जबकि 370 हट तो मात्र एक माह हुआ है। सरकार पहले ही कह चुकी है कि ऐसे हालातों के लिए फिलहाल एक वर्ष तक की व्यवस्था है। जो पाकिस्तान परस्त अभी भी घाटी में अशांति होने के इंतजार में बैठे हैं। उन्हें मौजूदा हालातों से सबक लेना चाहिए। 3 सितम्बर को ही सैकड़ों कश्मीरी युवकों ने सेना का प्रशिक्षण लेकर देश सेवा का संकल्प लिया है। अब ऐसे कश्मीरी युवक ही सीमा पर जाकर पाकिस्तान को सबक सिखाएंगे। हाफिज सईद, अजहर मसूद जैसी आतंकी पाकिस्तान में बैठ कर कश्मीरी युवकों को हमारे सुरक्षा बलों के विरुद्ध इस्तेमाल करते थे, अब वो कश्मीरी युवक पाकिस्तान की सेना से मुकाबला करने को तैयार है। असल में अब कश्मीर के मुद्दे पर पाकिस्तान और उसके समर्थक अब्दुल्ला व मुफ्ती खानदान का खेल खत्म हो गया है। कश्मीर का अपना कानून होगा और अपना अलग झंडा होगा, यह बीते जाने की बात हो गई। जम्मू कश्मीर प्रांत से लद्दाख को अलग हो चुका है तथा जम्मू कश्मीर भी केन्द्र शासित प्रदेश है। यहां भी भारत का कानून लागू होता है। अब पाकिस्तान जिंदाबाद, हिन्दुस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाना, राष्ट्रीय ध्वज जलाना आदि कृत्य देशद्रोह माना जाएगा। सरकार की यह भी उपलब्धि है कि कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान को किसी भी देश का साथ नहीं मिला है। उल्टे अंतर्राष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान और उसके प्रधानमंत्री इमरान खान की फजीहत हो रही है। 
एस.पी.मित्तल


राजस्थान में संघ का संपर्क

संघ प्रमुख मोहन भागवत और निम्बार्क पीठाधीश्वर श्यामशरण का मिलना, भक्ति और शक्ति का संगम है। पुष्कर में 11 सितम्बर तक रहेंगे भागवत। 

राष्ट्रीय स्वयं संघ के सरसंघ चालक मोहन भागवत 3 सितम्बर को हिंदुओं के तीर्थ स्थल पुष्कर पहुंच गए हैं। भागवत अब 11 सितम्बर तक पुष्कर स्थित माहेश्वरी सेवा सदन में ही प्रवास करेंगे। इस दौरान 7 से 9 सितम्बर के बीच संघ के राष्ट्रीय स्तर के पदाधिकारियों से भागवत का विचार विमर्श होगा। माना जा रहा है कि इन तीन दिनों की अवधि में एक दिन केन्द्रीय मंत्री अमित शाह और भाजपा के कार्यवाहक अध्यक्ष जेपी नड्डा भी भागवत से मुलाकात करेंगे। संघ के कामकाज में भागवत के पुष्कर प्रवास को सामान्य प्रक्रिया माना जा रहा है। संघ प्रमुख का वर्ष प्रवास रहता है। राष्ट्रीय बैठक भी पहले से तय रहती है। भागवत के साथ संघ के राष्ट्रीय स्तर के पदाधिकारी भी पुष्कर में मौजूद हैं। ऐसी बैठकों में संघ के विभिन्न क्षेत्रों में होने वाले कार्यों की समीक्षा भी होती है। संघ के लिए राजनीति शाखा भाजपा और स्वदेशी जागरण मंच में कोई फर्क नहीं होता है। 
भक्ति और शक्ति का संगम:
तीन सितम्बर को पुष्कर पहुंचने पर भागवत ने वैष्णव सम्प्रदाय की निम्बार्क पीठ के आचार्य श्री श्यामशरण महाराज से मुलाकात की। बाद में आचार्य के साथ ही पुष्कर सरोवर की पूजा अर्चना भी की। पुष्कर स्थित निम्बार्क पीठ के परिसर में आचार्य और भागवत के बीच बंद कमरे में लम्बी मंत्रणा हुई। हालांकि मंत्रणा की कोई जानकारी बाहर नहीं आई है, लेकिन माना जा रहा है कि यह मुलाकात भक्ति और शक्ति का संगम है। जहां देश भर के हिन्दू समुदाय की आस्था निम्बार्क पीठ से जुड़ी हुई है तो वहीं संघ की भूमिका को शक्ति के तौर पर देखा जाता है। जब भक्ति और शक्ति का संगम होता है तो फिर राष्ट्र को मजबूती मिलती है। संभवत: दोनों व्यक्तियों में राष्ट्र को मजबूत करने को लेकर ही मंथन हुआ है।  निम्बार्क पीठ के मौजूदा आचार्य श्यामरण के पूर्ववर्ती आचार्य श्रीजी महाराज से भी संघ का जुड़ाव रहा है। श्रीजी भी कई मौकों पर संघ की कार्यप्रणाली की प्रशंसा कर चुके हैं। श्रीजी महाराज के देव लोक गमन के बाद श्याम शरण महाराज आचार्य की गद्दी पर आसीन हुए हैं। अब सम्पूर्ण निम्बार्क पीठ की कमान आचार्य श्यामशरण के पास है। ऐसे में संघ प्रमुख से उनकी मुलाकात बहुत मायने रखती है। आचार्य श्यामशरण भी संघ के कामकाज के प्रशंसक हैं और उन्होंने संघ को देशभक्त संस्था बताया है। 
एस.पी.मित्तल


श्रद्धालुओं से सेवा शुल्क (संपादकीय)

जियारत के लिए अजमेर आने वाले पाकिस्तानियों पर जब कोई शुल्क नहीं तो फिर करतारपुर साहब जाने वाले सिक्ख श्रद्धालुओं से सेवा शुल्क की वसूली क्यों? यही है भारत और पाकिस्तान की मानसिकता में फर्क। 
करतारपुर स्थित गुरुद्वारे में जाने वाले सिक्ख श्रद्धालुओं से अब पाकिस्तान सेवा शुल्क लेने पर जोर देर रहा है। करतारपुर कोरिडोर के पूरा होने तथा भारत से करतारपुर जाने वाले श्रद्धालुओं को लेकर इन दिनों भारत और पाकिस्तान के बीच उच्चाधिकारियों के मध्य वार्ता का दौर चल रहा है। पाकिस्तान की ओर से जो शर्तें बताई जा रही है उन्हीं में कहा गया है कि सिक्ख श्रद्धालुओं से सेवा शुल्क की वसूली भी पाकिस्तान के द्वारा की जाएगी। हालांकि भारत के विदेश मंत्रालय ने सेवा शुल्क वसूलने पर साफ इंकार कर दिया है। भारत सरकार का कहना है कि सिक्ख समुदाय के लोग धार्मिक दृष्टि से करतारपुर साहब जा रहे हैं ऐसे में शुल्क वसूली करना उचित नहीं है। हालांकि श्रद्धालुओं की संख्या को लेकर भी दोनों देशों के बीच विवाद बना हुआ है। पाकिस्तान का प्रस्ताव है कि एक दिन में पांच हजार से ज्यादा श्रद्धालु न आए। इन श्रद्धालुओं में सरकारी अधिकारियों के आने पर भी रोक लगाई गई। विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तान के इस प्रस्ताव को भी खारिज कर दिया है। एक ओर पाकिस्तान सिक्ख श्रद्धालुओं से सेवा शुल्क वसूलने की बात कर रहा है तो दूसरी ओर अजमेर स्थित सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में आने वाले पाकिस्तान के जायरीन से किसी भी प्रकार कर शुल्क नहीं लिया जाता है। सरकारी स्तर पर सालाना उर्स में पाकिस्तान से आने वाले जायरीन को तो अजमेर के पुरानी मंडी स्थित सेंट्रल गल्र्स स्कूल में ठहराया जाता है। पांच सौ से भी अधिक जायरीन कोई पांच दिनों तक इस स्कूल में नि:शुल्क ठहरते हैं। यानि प्रशासन की ओर से पाक जायरीन से कोई किराया नहीं लिया जाता, यह बात अलग है कि करीब दस दिनों तक स्कूल को बंद करना पड़ता है। प्रशासन की ओर से पाक जायरीन को अनेक प्रकार की सुविधाएं भी उपलब्ध करवाई जाती है। रेलवे स्टेशन से लाने ले जाने की व्यवस्था भी प्रशासन की ओर से नि:शुल्क की जाती है। पाक जायरीन दल पर प्रशासन के द्वारा लाखों रुपया खर्च किया जाता है। एक ओर भारत में पाक जायरीन को इतनी सुविधाएं दी जाती है तो दूसरी ओर करतारपुर साहब जाने वाले सिक्ख श्रद्धालुओं से सेवा शुल्क की वसूली की बात कही जा रही है। असल में भारत और पाकिस्तान की मानसिकता में यही फर्क है। भारत हमेशा पाकिस्तान के प्रति सद्भावना दिखाता है, जबकि पाकिस्तान भारत के श्रद्धालुओं के प्रति भी दुरभावना दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ता है। इसका ताजा उदाहरण करतारपुर साहब जाने वाले श्रद्धालुओं से सेवा शुल्क की वसूली का प्रस्ताव है। 
एस.पी.मित्तल


पायलट ने फ्लाइट अटेंडेंट को प्रपोज किया

पायलट ने फ्लाइट अटेंडेंट को प्रपोज किया  अखिलेश पांडेय  वारसॉ। अक्सर लोग अपने प्यार का इजहार किसी खास जगह पर करने का सोचते हैं। ताकि वो पल ज...