रविवार, 18 अगस्त 2019

यूपी कैबिनेट का किया जाएगा विस्तार

लखनऊ। उत्तर प्रदेश कैबिनेट में जल्द ही फेरबदल हो सकता है और योगी मंत्रिमंडल में नए चेहरों को जगह मिल सकती है। शनिवार शाम को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सूबे की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से मुलाकात की। दोनों के बीच करीब आधे घंटे तक बातचीत चली। इस मुलाकात के बाद से योगी मंत्रिमंडल के विस्तार की अटकलें तेज हो गई हैं।बताया जा रहा है कि यह मुलाकात बेहद अहम थी, जिसको पूरी तरह से गोपनीय रखा गया। इस दौरान सीएम योगी और राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के बीच राज्य में होने वाले कैबिनेट फेरबदल और नए मंत्रियों को शामिल करने को लेकर चर्चा हुई।इस मुलाकात के बाद से 20 अगस्त तक यूपी मंत्रिमंडल में फेरबदल के कयास लगाए जा रहे हैं। माना जा रहा है कि जल्द ही योगी मंत्रिमंडल में नए चेहरे शामिल होंगे और कुछ मंत्रियों की छुट्टी होगी। इसके साथ ही कई मंत्रियों के विभाग भी बदले जाएंगे।इससे पहले शुक्रवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और बीजेपी के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की थी। इस बैठक में बीजेपी के संगठन महामंत्री बीएल संतोष भी शामिल हुए थे। इस दौरान चारों नेताओं के बीच यूपी में मंत्रिमंडल में फेरबदल को लेकर लंबी चर्चा हुई थी।


बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात के बाद खबर आई थी कि इन चारों नेताओं ने मंत्रिमंडल में संभावित फेरबदल को आखिरी रूप दिया है। आपको बता दें कि हालिया लोकसभा चुनाव में इलाहाबाद सीट से रीता बहुगुणा जोशी, कानपुर से सत्यदेव पचौरी और आगरा से एसपी सिंह बघेल ने जीत दर्ज की थी। इसके बाद तीनों नेताओं ने योगी मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था।इसके अलावा ओम प्रकाश राजभर भी योगी सरकार का साथ छोड़ चुके हैं। इन चारों मंत्रियों के विभाग दूसरे सहयोगी मंत्री संभाल रहे हैं। उत्तर प्रदेश में सीएम योगी समेत मंत्रिमंडल में कुल 43 सदस्य हैं, जबकि अधिकतम 60 मंत्री बनाए जा सकते हैं। इस तरह से करीब एक दर्जन मंत्री बनाए जाने की गुंजाइश है।


संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्वागत:इमरान

नई दिल्‍ली। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा कश्मीर पर बंद कमरे में विचार-विमर्श करने का शनिवार को स्वागत करते हुए कहा कि इस विवाद को हल करना विश्व निकाय की ”जिम्मेदारी” है।खान ने ट्विटर पर कहा कि पांच दशक में यह पहली बार है जब ”दुनिया के सर्वोच्च कूटनीतिक फोरम” ने कश्मीर और वहां मौजूद ”गंभीर स्थिति” के मुद्दे को उठाया। उन्होंने कहा, ”मैं संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक का स्वागत करता हूं।”खान ने कहा कि इस मुद्दे पर परिषद के 11 प्रस्ताव हैं और यह बैठक ”इन प्रस्तावों की पुन: पुष्टि” के लिए हुई। उन्होंने कहा कि इस विवाद का समाधान निकालना ”इस विश्व निकाय की जिम्मेदारी” है।


खान के बयान से एक दिन पहले संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने न्यूयॉर्क में एक अनौपचारिक बैठक में कश्मीर के मुद्दे को उठाया। पाकिस्तान ने इसे बड़ी सफलता मिलने का दावा किया है।असल में कश्मीर पर सुरक्षा परिषद की बैठक बेनतीजा रही जिससे पाकिस्तान और उसके मित्र देश चीन की इस मुद्दे का अंतरराष्ट्रीयकरण करने की कोशिशों को धक्का लगा। 15 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अधिकतर सदस्यों ने इसे नयी दिल्ली और इस्लामाबाद के बीच द्विपक्षीय मुद्दा बताया।


बैठक की जानकारी रखने वाले सूत्रों ने बताया कि चीन अगस्त महीने के लिए सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष पोलैंड द्वारा किए गए विचार-विमर्श के बाद कोई नतीजा निकालने या बयान जारी करने पर जोर दे रहा था। बहरहाल, सुरक्षा परिषद के ज्यादातर सदस्यों ने कहा कि कोई बयान जारी नहीं होना चाहिए या कोई नतीजा नहीं निकालना चाहिए।चीन और पाकिस्तान के अनुरोध पर अनौपचारिक बैठक पूरी होने के बाद संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने मीडिया से कहा कि भारत का रुख यही था और है कि संविधान के अनुच्छेद 370 संबंधी मामला पूर्णतया भारत का आतंरिक मामला है और इसका कोई बाह्य असर नही है ।


बोरी में बंद नाले में मिला बच्ची का शव

गाजियाबाद। अभय खंड स्थित नाले के अंदर बोरे में बंद मासूम बच्ची का शव मिलने से इलाके में सनसनी फैल गई। मृतका की शिनाख्त गाजियाबाद खोड़ा थाना क्षेत्र की एक कालोनी से पांच दिन पूर्व लापता मासूम के रूप में हुई। शिनाख्त होने पर पुलिस ने शव पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। शव देखने में चार से पांच दिन पुराना प्रतीत हो रहा था। पुलिस रिपोर्ट दर्ज कर मामले की जांच में जुटी है।शनिवार सुबह करीब 11 बजे राहगीर ने एनएच नौ के पास नाले के अंदर बोरे पर मक्खियां भिनभनाते देखकर उसमें शव होने की आशंका जताते हुए इंदिरापुरम थाना पुलिस को सूचना दी। सूचना पर पहुंची पुलिस ने बोरे को बाहर निकलवाया। बोरा खोलने पर उसमें मासूम लड़की का शव बरामद हुआ। शव देखने में चार से पांच दिन पुराना प्रतीत हो रहा था। पुलिस ने शव कब्जे में लेकर शिनाख्त के लिए खोड़ा समेत अन्य थानों में संपर्क किया। कुछ देर बाद मृतका की शिनाख्त खोड़ा थाना क्षेत्र की एक कालोनी में रहने वाले युवक ने अपनी भांजी के रूप में की।


12 अगस्त से लापता थी बच्ची: बच्ची अपने नाना के पास रहती थी। मामा ने बताया कि 12 अगस्त को सुबह करीब 11 बजे वह घर में खेलते-खेलते संदिग्ध परिस्थिति में लापता हो गई थी। परिजनों ने खोड़ा थाने में उसकी गुमशुदगी दर्ज कराई थी। जानकारी मिलने पर एसपी सिटी और पुलिस क्षेत्रधिकारी ने घटना स्थल का मौका मुआयना किया।


हत्या की वजह स्पष्ट नहीं: पुलिस क्षेत्रधिकारी इंदिरापुरम अंशु जैन ने बताया कि मृतका के शरीर पर किसी प्रकार के चोट के निशान नहीं मिले हैं। प्रारंभिक जांच में मामला रंजिश का प्रतीत हो रहा है। हत्या के अलावा अन्य कोणों पर भी जांच की जा रही है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।


उत्पीड़न,ब्लैकमेल के कारण डीसीपी ने दी जान

राणा ओबरॉय


चंडीगढ़ । डीसीपी विक्रम कपूर को एक विडियो के जरिए ब्लैकमेल किया जा रहा था, जिसमें वह एक महिला के साथ थे। ब्लैकमेलिंग का आरोप एसएचओ अब्दुल शहीद पर है। कहा गया है कि वह 2 करोड़ रुपये की मांग कर रहे थे।डीसीपी विक्रम कपूर की आत्महत्या के मामले में एक नया खुलासा हुआ है। पता चला है कि कपूर को हनी ट्रैप में फंसाया गया था, जिससे वह परेशान थे। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, उन्हें एक विडियो के जरिए ब्लैकमेल किया जा रहा था, जिसमें वह एक महिला के साथ थे। ब्लैकमेलिंग का आरोप एसएचओ अब्दुल शहीद पर है। कहा गया है कि वह 2 करोड़ रुपये की मांग कर रहे थे।आरोपी एसएचओ शहीद को गुरुवार को गिरफ्तार कर लिया गया था। शुक्रवार को उन्हें सस्पेंड कर चार दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया था। सूत्रों से जानकारी मिली है कि एसएचओ शहीद ने एक महिला की सहायता से कपूर को फंसाया। दोनों की एक विडियो भी कथित रूप से एसएचओ के पास थी, जिससे वह कपूर को ब्लैकमेल कर रहे थे।


डीसीपी खुदकुशी: फोन कॉल डीटेल पर टिकी जांच


सूत्र ने कहा, 'शहीद ने इसमें अपनी महिला दोस्त की मदद ली थी। विडियो बनाकर डीसीपी से 2 करोड़ रुपये की मांग की गई। कपूर इस टेंशन में थे कि वह इतने रुपयों का इंतजाम कैसे करें? कपूर ने गुजारिश के लिए शहीद को फोन किया, लेकिन वह कपूर को गालियां देने लगे।'
ज्यादा प्रेशर के लिए पत्रकार का सहारा


कपूर पर ज्यादा प्रेशर बनाने के लिए शहीद ने एक लोकल पत्रकार (सतीश मलिक) की भी मदद ली थी। इस बीच वह पत्रकार कपूर के खिलाफ खबरें करने लगा था। मलिक मजदूर मोर्चा नाम का एक अखबार चलाता है। इस अखबार में वह सीनियर पुलिस अफसर, नेताओं और जजों के खिलाफ ही स्टोरीज किया करता था। 2003 में मलिक को मर्डर के केस मे पकड़ा गया था। उसपर धोखाधड़ी का भी केस था।हालांकि, पुलिस की तरफ से अभी यह नहीं बताया गया है कि कपूर को ब्लैकमेल क्यों किया जा रहा था। उन्होंने बस इतना बताया कि मामले की जांच एसआईटी को सौंप दी गई है।


एसएचओ का रेकॉर्ड साफ नहीं


शहीद के बारे में पता चला है कि वह 20 साल पहले पुलिस में सिपाही के तौर पर भर्ती हुए थे। उसके पिता आईपीएस अफसर के घर काम करते थे। उनके कहने पर ही शहीद को नौकरी मिलने में आसानी हुई थी। अपनी नौकरी के दौरान उनका रेकॉर्ड भी साफ नहीं है। सिपाही से एसएचओ तक के सफर पर भी काफी सवाल उठ रहे हैं।


रैली से नहीं हुआ,हुड्डा की राजनीति का निर्णय

फरिदाबाद। पिछले दिनों हरियाणा के कई इलाकों में इस गुट द्वारा बड़ी बड़ी रैलियों का आयोजन भी किया गया था l इस गुट की पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व के पास पहुँच होने के कारण वहां केंद्रीय नेतृत्व को फीड बैक भी इसी गुट द्वारा दी जाती है। राजनैतिक विश्लेषकों का मानना है जो फीड बैक इस गुट द्वारा दी जाती है। वह निश्चित तौर पर हरियाणा की राजनीती में कांग्रेस के इन दोनों नेताओं को लड़वाने और खुद का वर्चस्व बढ़ने के लिए कारगर होती है। यह भी माना जा रहा है कई पर्दे के पीछे से राजनीति के मोहरे चलने वाले इस गुट पर कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व पूरा भरोसा करता है और राहुल गाँधी के साथ श्रीमती सोनिया गाँधी का भी उसे पूरा आशीर्वाद प्राप्त है। 
बतादें कि एक दौर में सोनिया गांधी ने हरियाणा के दिग्गज नेता भजनलाल को दरकिनार कर हुड्डा को तरजीह दी थी। सोनिया से रिश्ते में खटास तब आई थी, जब 2016 में हुड्डा ने कांग्रेस के राज्यसभा कैंडिडेट आरके आनंद का सपॉर्ट करने से मना कर दिया था। इसका नतीजा रहा कि आरके आनंद हार गए और निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर सुभाष चंद्रा जीतकर राज्यसभा पहुंच गए। हाई कमान का करीबी इस गुट के नेता इसी बात को लेकर हुड्डा के खिलाफ कांग्रेस आला कमान को भड़काता रहता है।


प्रगति,समृद्धि और सुरक्षा आधारित समझौता

भूटान। ऐतिहासिक सिमटोखा जोंग स्थल पर अपने भूटानी समकक्ष के साथ प्रतिनिधिमंडल स्तरीय वार्ता के बाद संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि मैं दूसरे कार्यकाल के आरंभ में भूटान आकर बहुत खुश हूं। दोनों देशों ने अंतरिक्ष अनुसंधान, विमानन, आईटी, ऊर्जा और शिक्षा के क्षेत्र में 10 सहमति पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए। भूटान को भारत का ''विशेष मित्र'' करार देते हुए मोदी ने कहा कि भारत और भूटान के बीच संबंध दोनों देशों के लोगों की प्रगति, समृद्धि और सुरक्षा के साझा हितों पर आधारित है। उन्होंने कहा कि आज हमने मांगदेछू परियोजना के शुभारंभ के साथ इस यात्रा का एक और मील का पत्थर हासिल किया है। दोनों देशों के सहयोग से भूटान में पनबिजली उत्पादन की क्षमता 2000 मेगावाट को पार कर गयी है। मैं आश्वस्त हूं कि हम बहुत तेजी से अन्य परियोजनाओं को भी आगे ले जाएंगे।


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भूटान के अपने समकक्ष लोतै शेरिंग से शनिवार को विभिन्न विषयों पर बातचीत की। इस दौरान दोनों नेताओं ने विभिन्न क्षेत्रों में द्विपक्षीय भागीदारी को और प्रगाढ बनाने के कदमों पर चर्चा की। दोनों देशों ने अपने संबंधों में नयी ऊर्जा का संचार करने के लिए 10 सहमति करार पर हस्ताक्षर किए। प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट किया, 'हमने गहन चर्चा की, जिसमें हमने भारत और भूटान के बीच संबंधों पर विचार-विमर्श किया। हमारे राष्ट्रों के बीच आर्थिक और सांस्कृतिक संबंधों को और बेहतर बनाने की बहुत गुंजाइश है।' मोदी दूसरी बार भूटान आए हैं और इस साल मई में फिर से निर्वाचित होने के बाद उनकी यह पहली यात्रा है। उन्होंने 740 मेगावाट के मांगदेछू पनबिजली ऊर्जा संयंत्र का शुभारंभ किया तथा भारत-भूटान पनबिजली सहयोग के पांच दशक पूरे होने के उपलक्ष्य में टिकट भी जारी किए।


दोनों नेताओं ने भारत के नेशनल नॉलेज नेटवर्क और भूटान के ड्रूक रिसर्च एंड एजुकेशन नेटवर्क के बीच अंतर-सम्पर्क की ई-पट्टिका का भी अनावरण किया। उन्होंने कहा कि भूटान की प्रगति में बड़ा सहयोगी बनना भारत के लिए गौरव की बात है। भूटान की पंचवर्षीय योजना में भारत का सहयोग जारी रहेगा। दोनों नेताओं ने भूटान में दक्षिण एशिया उपग्रह के इस्तेमाल के लिए इसरो के सहयोग के साथ विकसित सैटकॉम नेटवर्क और ग्राउंड अर्थ स्टेशन का भी संयुक्त तौर पर शुभारंभ किया। मोदी ने कहा कि भारत अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल के जरिए भूटान के विकास को बढावा देने के प्रति कटिबद्ध है। भारत भूटान में संचार, लोक प्रसार और आपदा प्रबंधन कवरेज को बढ़ाएगा। उन्होंने भूटान के लोगों की जरूरतों को पूरा करने के लिए भारत से रसोई गैस एलपीजी की आपूर्ति हर महीने 700 एमटी से बढ़ाकर 1000 एमटी करने की घोषणा की।


मोदी ने शब्दरूंग नामग्याल द्वारा 1629 में निर्मित सिमटोखा जोंग में खरीदारी कर रूपे कार्ड की भी शुरुआत की। सिमटोखा जोंग भूटान में सबसे पुराने स्थलों में एक है और यह मठ और प्रशासनिक मामलों का केंद्र है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मैं आज बहुत खुश हूं, हमने भूटान में रूपे कार्ड की शुरूआत की है। इससे डिजिटल भुगतान और व्यापार तथा पर्यटन में हमारे संबंध और आगे बढ़ेंगे। हमारी साझा आध्यात्मिक धरोहर और लोगों के बीच मजबूत आपसी संपर्क हमारे संबंधों की कुंजी हैं। दक्षेस मुद्रा स्वैप प्रारूप के तहत भूटान के लिए मुद्रा स्वैप सीमा बढाने पर मोदी ने कहा कि भारत का रूख 'सकारात्मक' है। विदेशी विनिमय जरूरत पूरा करने के लिए वैकल्पिक स्वैप व्यवस्था के तहत भूटान को अतिरिक्त 10 करोड़ डॉलर उपलब्ध होगा।


पिता ने की रेप की कोशिश, फिर हत्या

गोरखपुर । उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में 19 साल की बेटी के साथ रेप की कोशिश और फिर उसकी हत्या कर देने का मामला सामने आया है। पुलिस ने आरोपी पिता को गिरफ्तार कर लिया है। एसएसपी सुनील कुमार गुप्‍ता ने बताया कि लड़की की डेड बॉडी बरामद कर ली गई है जो काफी बुरी हालत में थी।


पुलिस ने पिता के खिलाफ धारा 302 और 201 के तहत मामला दर्ज किया है। पिता को जेल भेज दिया गया है। पुलिस का कहना है कि आरोपी ने कड़ी पूछताछ के बाद अपना जुर्म कबूल कर लिया।पुलिस ने आरोपी की निशानदेही पर ही अलग-अलग जगहों से लड़की की डेड बॉडी के हिस्से बरामद किए। लड़की की बॉडी का ऊपरी हिस्सा खेत में था, जबकि निचला हिस्सा एक नाले से बरामद किया गया। पिता पर आरोप है कि उसने धारदार हथियार से गला काटकर बेटी की हत्या कर दी थी। पिछले करीब 20 दिन से वह रिश्तेदारों और अन्य लोगों को गुमराह कर रहा था।ये मामला गोरखपुर के गोला इलाके का है। पुलिस का कहना है कि जय प्रकाश गुप्‍ता नाम के व्यक्ति ने 26-27 जुलाई की रात घटना को अंजाम दिया। उसने डेड बॉडी के हिस्से को बोरे में भरकर नाला में फेंक‍ दिया।


शादी समारोह में धमाका 63 मौत,182 घायल

नई दिल्ली। अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में एक शादी समारोह में हुए धमाके से कम से कम 63 लोगों के मरने की खबर है। इस धमाके में 182 से अधिक घायल हुए हैं। यह धमाका शनिवार की रात में हुआ। खबरों के मुताबिक धमाका उस वक्त हुआ जब शादी समारोह का हॉल मेहमानों से खचाखच भरा हुआ था। इस धमाके के बाद वहां अफरातफरी और चीख पुकार मच गई। सभी इधर-उधर भागने लगे। धमाके के बाद से दहशत का माहौल है। हालांकि अभी तक किसी आतंकी संगठन ने इस हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है। इस धमाके को लेकर कुछ सूत्रों का कहना है कि यह सुसाइड बम धमाका था। कहा जा रहा है कि इस समारोह में करीब एक हजार लोगों को बुलाया गया था। इससे 10 दिन पहले भी काबुल में बम धमाका हुआ था, जिसमें 95 लोग घायल हो गए थे।


अधिकारियों की धुलाई करा दूंगा:गडकरी

नागपुर। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का एक कार्यक्रम में दिया बयान सुर्खियों में है। उन्होंने अफसरों को हिदायत देते हुए कहा है कि अगर उन्होंने आठ दिनों में यह काम पूरा नहीं किया तो वे लोगों से कहेंगे कि कानून व्ववस्था हाथ में लेकर धुलाई कर दो। ये बातें नितिन गडकरी ने लघु उद्योग भारती के नागपुर में आयोजित राष्ट्रीय अधिवेशन में कही। वह दरअसल लालफीताशाही पर नाराजगी व्यक्त कर रहे थे। एमएसएमई सेक्टर में काम करने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुडे़ संगठन लघु उद्योग भारती के कार्यक्रम में नितिन गडकरी ने कहा कि उन्होंने हाल में कुछ अधिकारियों को चेतावनी दी कि अगर कुछ मामले नहीं सुलझते हैं तो वह लोगों से कहेंगे कि धुलाई कर दो। नितिन गडकरी ने कहा, 'हमारे पास यह लालफीताशाही क्यों है। ये सब इंस्पेक्टर क्यों आते हैं, वे रिश्वत लेते हैं। मैं उनके मुंह पर कहता हूं कि आप सरकारी नौकर हैं। मैं जनता के द्वारा चुना गया हूं। मैं लोगों के प्रति जवाबदेह हूं। यदि आप चोरी करते हैं, तो मैं कहूंगा कि आप एक चोर हैं।


नितिन गडकरी ने इस दौरान कहा, 'आज मैंने आरटीओ कार्यालय में एक बैठक की, जिसमें निदेशक और परिवहन आयुक्त ने भाग लिया। मैंने उनसे कहा कि आप आठ दिनों के भीतर इस समस्या को हल करें, अन्यथा मैं लोगों को कानून हाथ में लेकर धुलाई करने को कहूंगा। उन्होंने आगे कहा कि उनके शिक्षकों ने यह सिखाया है कि उस सिस्टम को बाहर फेंक दो जो न्याय नहीं देती है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने अधिवेशन में भाग लेने आए उद्यमियों से निडर होकर अपने व्यापार का विस्तार करने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि अधिकारी व्यापारियों को परेशान नहीं कर सकते।


डूबी हुई रकम वापस हो सकती है:कुंभ

राशिफल


मेष- किसी प्रभावशाली व्यक्ति से सहयोग प्राप्त होगा। पूजा-पाठ में मन लगेगा। तीर्थदर्शन हो सकते हैं। विवेक का प्रयोग करें, लाभ होगा। मित्रों के साथ अच्‍छा समय बीतेगा। विरोध होगा। पारिवारिक सुख-शांति बनी रहेगी। चिंता तथा तनाव रहेंगे। झंझटों में न पड़ें। जल्दबाजी से हानि होगी। आलस्य हावी रहेगा।


वृष- स्वास्थ्य का पाया कमजोर रहेगा। चोट व दुर्घटना से हानि संभव है। कार्य करते समय लापरवाही न करें। बनते कामों में बाधा हो सकती है। विवाद से बचें। काम में मन नहीं लगेगा। किसी व्यक्ति के उकसाने में न आएं। विवेक का प्रयोग करें। आय बनी रहेगी। पारिवारिक सहयोग मिलेगा। व्यापार ठीक चलेगा।


मिथुन- घर-परिवार की चिंता रहेगी। किसी वरिष्ठ व्यक्ति का मार्गदर्शन व सहयोग प्राप्त होगा। जीवनसाथी से सहयोग मिलेगा। घर-परिवार में प्रसन्नता रहेगी। बाहर जाने का मन बनेगा। भाइयों से मतभेद दूर होंगे। व्यवसाय लाभप्रद रहेगा। वाणी में हल्के शब्दों के प्रयोग से बचें। संतान पक्ष से खुशियां प्राप्त होंगी।


कर्क- लेन-देन में जल्दबाजी न करें। आवश्यक वस्तु समय पर नहीं मिलने से क्रोध रहेगा। भूमि व भवन संबंधी बड़े सौदे बड़ा लाभ दे सकते हैं। उन्नति के मार्ग प्रशस्त होंगे। व्यापार-व्यवसाय मनोनुकूल रहेगा। बड़ा काम करने का मन बनेगा। रोजगार प्राप्ति के प्रयास सफल रहेंगे। आय में वृद्धि होगी।


सिंह- रचनात्मक कार्य सफल रहेंगे। किसी प्रबुद्ध व्यक्ति का मार्गदर्शन प्राप्त होगा। यात्रा मनोरंजक रहेगी। पार्टी व पिकनिक का आनंद मिलेगा। मनपसंद भोजन की प्राप्ति संभव है। पारिवारिक सदस्यों तथा मित्रों के साथ आनंदायक समय व्यतीत होगा। व्यापार-व्यवसाय ठीक चलेगा। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी।


कन्या- बुरी सूचना मिल सकती है। मेहनत अधिक होगी। स्वास्थ्य का पाया कमजोर रहेगा। आय में कमी रहेगी। नकारात्मकता बढ़ेगी। विवाद से क्लेश होगा। जल्दबाजी में कोई महत्वपूर्ण निर्णय न लें। अनावश्यक परेशानी खड़ी हो सकती है। दूसरों की बातों में न आएं। धैर्य रखें, समय सुधरेगा।


तुला- सामाजिक कार्यों में मन लगेगा। दूसरों की सहायता कर पाएंगे। मान-सम्मान मिलेगा। रुके कार्यों में गति आएगी। पारिवारिक सहयोग मिलेगा। व्यापार ठीक चलेगा। मनोरंजक यात्रा हो सकती है। मित्रों के साथ अच्‍छा समय व्यतीत होगा। घर-बाहर सुख-शांति रहेगी। झंझटों में न पड़ें। ईर्ष्यालु सक्रिय रहेंगे।


वृश्चिक- उत्साहवर्धक सूचना प्राप्त होगी। भूले-बिसरे साथियों से मुलाकात होगी। कोई नया बड़ा काम करने की योजना बनेगी। भाइयों का सहयोग प्राप्त होगा। व्यापार-व्यवसाय मनोनुकूल चलेगा। भ्रम की स्थिति बन सकती है। बुद्धि का प्रयोग करें। लाभ में वृद्धि होगी। समय प्रसन्नतापूर्वक व्यतीत होगा।


धनु- यात्रा मनोरंजक रहेगी। भेंट व उपहार की प्राप्ति संभव है। किसी बड़ी समस्या का हल मिलेगा। व्यावसायिक साझेदार पूर्ण सहयोग करेंगे। कोई नया उपक्रम प्रारंभ करने का मन बनेगा। सेहत का ध्यान रखें। वरिष्ठजनों की सलाह काम आएगी। नए मित्र बनेंगे। आय बनी रहेगी। हर कार्य बेहतर होगा।


मकर- अनावश्यक जोखिम न लें। किसी भी व्यक्ति के उकसावे में न आएं। फालतू खर्च होगा। पुराना रोग उभर सकता है। सेहत को प्रा‍थमिकता दें। लेन-देन में जल्दबाजी से हानि होगी। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। महत्वपूर्ण निर्णय लेने का समय नहीं है। चिंता तथा तनाव रहेंगे। व्यापार मनोनुकूल चलेगा।


कुंभ- मनोरंजक यात्रा की योजना बनेगी। डूबी हुई रकम प्राप्त हो सकती है। आय में वृद्धि होगी। बिगड़े काम बनेंगे। प्रसन्नता रहेगी। मित्रों के साथ अच्‍छा समय व्यतीत होगा। व्यस्तता के चलते स्वास्‍थ्य बिगड़ सकता है, ध्यान रखें। व्यापार-व्यवसाय लाभदायक रहेगा। भाग्य का साथ मिलेगा। प्रमाद न करें।


मीन- घर-परिवार के साथ आराम तथा मनोरंजन के साथ समय व्यतीत होगा। मान-सम्मान मिलेगा। व्यापार मनोनुकूल चलेगा। योजना फलीभूत होगी। कार्यस्थल पर परिवर्तन संभव है। विरोध होगा। काम करते समय लापरवाही न करें। चोट लग सकती है। थकान तथा कमजोरी महसूस होगी। मित्रों का सहयोग प्राप्त होगा।


पत्रकारिता की सार्थकता एवं दृष्टिकोण

सामाजिक सरोकारों तथा सार्वजनिक हित से जुड़कर ही पत्रकारिता सार्थक बनती है। सामाजिक सरोकारों को व्यवस्था की दहलीज तक पहुँचाने और प्रशासन की जनहितकारी नीतियों तथा योजनाओं को समाज के सबसे निचले तबके तक ले जाने के दायित्व का निर्वाह ही सार्थक पत्रकारिता है।


पत्रकारिता को लोकतंत्र का चौथा पाया (स्तम्भ) भी कहा जाता है। पत्रकारिता ने लोकतंत्र में यह महत्त्वपूर्ण स्थान अपने आप नहीं हासिल किया है। बल्कि सामाजिक सरोकारों के प्रति पत्रकारिता के दायित्वों के महत्त्व को देखते हुए समाज ने ही दर्जा दिया है। कोई भी लोकतंत्र तभी सशक्त है। जब पत्रकारिता सामाजिक सरोकारों के प्रति अपनी सार्थक भूमिका निभाती रहे। सार्थक पत्रकारिता का उद्देश्य ही यह होना चाहिए कि वह प्रशासन और समाज के बीच एक महत्त्वपूर्ण कड़ी की भूमिका अपनाये।


पत्रकारिता के इतिहास पर नजर डाले तो स्वतंत्रता के पूर्व पत्रकारिता का मुख्य उद्देश्य स्वतंत्रता प्राप्ति का लक्ष्य था। स्वतंत्रता के लिए चले आंदोलन और स्वाधीनता संग्राम में पत्रकारिता ने अहम और सार्थक भूमिका निभाई। उस दौर में पत्रकारिता ने पूरे देश को एकता के सूत्र में पिरोने के साथ-साथ पूरे समाज को स्वाधीनता की प्राप्ति के लक्ष्य से जोड़े रखा।


इंटरनेट और सूचना के आधिकार ने आज की पत्रकारिता को बहुआयामी और अनंत बना दिया है। आज कोई भी जानकारी पलक झपकते उपलब्ध की और कराई जा सकती है। मीडिया आज काफी सशक्त, स्वतंत्र और प्रभावकारी हो गया है। पत्रकारिता की पहुँच और आभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का व्यापक इस्तेमाल आमतौर पर सामाजिक सरोकारों और भलाई से ही जुड़ा है, किंतु कभी कभार इसका दुरपयोग भी होने लगा है।


संचार क्रांति तथा सूचना के आधिकार के अलावा आर्थिक उदारीकरण ने पत्रकारिता के चेहरे को पूरी तरह बदलकर रख दिया है। विज्ञापनों से होनेवाली अथाह कमाई ने पत्रकारिता को काफी हद्द तक व्यावसायिक बना दिया है। मीडिया का लक्ष्य आज आधिक से आधिक कमाई का हो चला है। मीडिया के इसी व्यावसायिक दृष्टिकोण का नतीजा है कि उसका ध्यान सामाजिक सरोकारों से कहीं भटक गया है। मुद्दों पर आधारित पत्रकारिता के बजाय आज इन्फोटेमेंट ही मीडिया की सुर्खियों में रहता है।


इंटरनेट की व्यापकता और उस तक सार्वजनिक पहुँच के कारण उसका दुष्प्रयोग भी होने लगा है। इंटरनेट के उपयोगकर्ता निजी भड़ास निकालने और अतंर्गत तथा आपत्तिजनक प्रलाप करने के लिए इस उपयोगी साधन का गलत इस्तेमाल करने लगे हैं। यही कारण है कि यदा-कदा मीडिया के इन बहुपयोगी साधनों पर अंकुश लगाने की बहस भी छिड़ जाती है। गनीमत है कि यह बहस सुझावों और शिकायतों तक ही सीमित रहती है। उस पर अमल की नौबत नहीं आने पाती। लोकतंत्र के हित में यही है कि जहाँ तक हो सके पत्रकारिता को स्वतंत्र और निर्बाध रहने दिया जाए, और पत्रकारिता का अपना हित इसमें है कि वह आभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उपयोग समाज और सामाजिक सरोकारों के प्रति अपने दायित्वों के ईमानदार निवर्हन के लिए करती रहे।


जनसंख्या नियंत्रण संरचना, प्रभाव

 जन्‍म दर को कम करके जनसंख्या वृद्धि में कटौती करने को ही आम तौर पर जनसँख्या नियंत्रण माना जाता है। प्राचीन ग्रीस दस्तावेजों में मिले उत्तरजीविता के रिकॉर्ड जनसँख्या नियंत्रण के अभ्यास एवं प्रयोग के सबसे पहले उदाहरण हैं। इसमें शामिल है उपनिवेशन आन्दोलन, जिसमे भूमध्य और काला सागर के इर्द-गिर्द यूनानी चौकियों का निर्माण किया गया। ताकि अलग- अलग राज्यों की अधिक जनसँख्या को बसने के लिए पर्याप्त जगह मुहैया कराई जा सके। कुछ यूनानी नगर राज्यों में जनसँख्या कम करने के लिए शिशु हत्या और गर्भपात को प्रोत्साहन दिया गया। 


अनिवार्य जनसंख्या नियंत्रण का एक महत्वपूर्ण उदाहरण है। पीपल्स रिपब्लिक ऑफ़ चाइना, की एक ही बच्चे की नीति जिसमें एक से ज्यादा बच्चे होना बहुत बुरा माना जाता है। इस नीति के परिणाम स्वरुप जबरन गर्भपात, जबरन नसबंदी और जबरन शिशु हत्या जैसे आरोपों को बढ़ावा मिला। देश के लिंग अनुपात में ११४ लड़कों की तुलना में सिर्फ १०० लड़कियों का जन्म ये प्रदर्शित करता है कि शिशु हत्या प्रायः लिंग के चुनाव के अनुसार की जाती है।


यह बात उपयोगी होगी अगर प्रजनन नियंत्रण करने को व्यक्ति के व्यक्तिगत निर्णय के रूप में और जनसंख्या नियंत्रण को सरकारी या राज्य स्तर की जनसंख्या वृद्धि की विनियमन नीति के रूप में देखा जाए। प्रजनन नियंत्रण की संभावना तब हो सकती है जब कोई व्यक्ति या दम्पति या परिवार अपने बच्चे पैदा करने के समय को घटाने या उसे नियंत्रित करने के लिए कोई कदम उठाये। अन्सले कोले द्वारा दिए गए संरूपण में, प्रजनन में लगातार कमी करने के लिए तीन पूर्वप्रतिबंध दिए गए हैं: (१) प्रजनन के मान्य तत्व के रूप में परिकलित चुनाव को स्वीकृति (भाग्य या अवसर या दैवीय इच्छा की तुलना में), (२) कम किये गए प्रजनन से ज्ञात लाभ और (३) नियंत्रण के प्रभावी तरीकों का ज्ञान और उनका प्रयोग करने का कुशल अभ्यास। प्राकृतिक प्रजनन पर विश्वास करने वाले समाज के विपरीत वो समाज जो कि प्रजनन को सीमित करने की इच्छा रखते हैं और ऐसा करने के लिए उनके पास संसाधन भी उपलब्ध हैं। वो इन संसाधनों का प्रयोग बच्चों के जन्म में विलम्ब, बच्चों के जन्म के बीच अंतर रखने, या उनके जन्म को रोकने के लिए कर सकते हैं। संभोग (या शादी) में देरी, या गर्भनिरोध करने के प्राकृतिक या कृत्रिम तरीके को अपनाना ज्यादा मामलों में व्यक्तिगत या पारिवारिक निर्णय होता है। इसका राज्य नीति या सामाजिक तौर पर होने वाले अनुमोदनों से कोई सरोकार नहीं होता है। दूसरी ओर, वो व्यक्ति, जो प्रजनन के मामले में खुद पर नियंत्रण रख सकते हैं। ऐसे लोग बच्चे पैदा करने की प्रक्रिया को ज्यादा योजनाबद्ध बनाने या उसे सफल बनाने की प्रक्रिया को और तेज़ कर सकते हैं।


सामाजिक स्तर पर, प्रजनन में गिरावट होना महिलाओं की बढती हुई धर्मनिरपेक्ष शिक्षा का एक अनिवार्य परिणाम है। हालाँकि, यह ज़रूरी नहीं है कि मध्यम से उच्च स्तर तक के प्रजनन नियंत्रण में प्रजनन दर को कम करना शामिल हो। यहां तक कि जब ऐसे अलग अलग समाज की तुलना हो जो प्रजनन नियंत्रण को अच्छी खासी तरह अपना चुके है, तो बराबर प्रजनन नियंत्रण योग्यता रखने वाले समाज भी काफी अलग अलग प्रजनन स्तर (जन्म लेने वाले बच्चों की संख्या के सन्दर्भ में) दे सकते हैं। जो कि इस बात से जुड़ा होता है कि छोटे या बड़े परिवार के लिए या बच्चों की संख्या के लिए व्यक्तिगत और सांस्कृतिक पसंद क्या है।


प्रजनन क्षमता पर नियंत्रण के विपरीत, जो मुख्य रूप से एक व्यक्तिगत स्तर का निर्णय है। सरकार जनसँख्या नियंत्रण करने के कई प्रयास कर सकती है। जैसे गर्भनिरोधक साधनों तक लोगों की पहुँच बढ़ाकर या अन्य जनसंख्या नीतियों और कार्यक्रमों के द्वारा। जैसा की ऊपर परिभाषित है, सरकार या सामाजिक स्तर पर 'जनसंख्या नियंत्रण' को लागू करने में "प्रजनन नियंत्रण" शामिल नहीं है, क्योंकि एक राज्य समाज की जनसंख्या को तब भी नियंत्रित कर सकता है जबकि समाज में प्रजनन नियंत्रण का प्रयोग बहुत कम किया जाता हो। जनसंख्या नियंत्रण के एक पहलू के रूप में आबादी बढाने वाली नीतियों को अंगीकृत करना भी ज़रूरी है और ज़रूरी है कि ये समझा जाए की सरकार जनसँख्या नियंत्रण के रूप में सिर्फ जनसख्या वृद्धि को रोकना नहीं चाहती| जनसंख्या वृद्धि को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार न केवल अप्रवास का समर्थन कर सकती है बल्कि जन्म समर्थक नीतियों जैसे कि कर लाभ, वित्तीय पुरस्कार, छुट्टियों के दौरान वेतन देना जारी रखने और बच्चों कि देख रेख में मदद करने द्वारा भी लोगों को अतिरिक्त बच्चे पैदा करने के लिए प्रोत्साहित कर सकती है। उदाहरण के लिए हाल के सालों में इस तरह की नीतियों फ्रांस और स्वीडन में अपनाई गयीं। जनसंख्या वृद्धि बढ़ने के इसी लक्ष्य के साथ, कई बार सरकार ने गर्भपात और जन्म नियंत्रण के आधुनिक साधनों के प्रयोग को भी नियंत्रित करने की कोशिश की है। इसका एक उदाहरण है मांग किये जाने पर गर्भनिरोधक साधनों और गर्भपात के लिए वर्ष 1966 में रोमानिया में लगा प्रतिबन्ध।


पारिस्थितिकी में, कई बार जनसंख्या नियंत्रण पूरी तरह सिर्फ परभक्षण, बीमारी, परजीवी और पर्यावरण संबंधी कारकों द्वारा किया जाता है। एक निरंतर वातावरण में, जनसंख्या नियंत्रण भोजन, पानी और सुरक्षा की उपलब्धता द्वारा ही नियंत्रित होता है। एक निश्चित क्षेत्र अधिकतम कुल कितनी प्रजातियों या कुल कितने जीवित सदस्यों को सहारा दे सकता है उसे उस जगह की धारण क्षमता कहते हैं। कई बार इसमें पौधों और पशुओं पर मानव प्रभाव भी इसमें शामिल होता है। किसी विशेष ऋतू में भोजन और आश्रय की ज्यादा उपलब्धता वाले क्षेत्र की ओर पशुओं का पलायन जनसंख्या नियंत्रण के एक प्राकृतिक तरीके के रूप में देखा जा सकता है। जिस क्षेत्र से पलायन होता है वो अगली बार के लिए पशुओं के बड़े समूह हेतु भोजन आपूर्ति जुटाने या पैदा करने के लिए छोड़ दिया जाता है।


भारत एक और ऐसा उदाहरण है जहाँ सरकार ने देश की आबादी कम करने के लिए कई उपाय किये हैं। तेज़ी से बढती जनसँख्या आर्थिक वृद्धि और जीवन स्तर पर दुष्प्रभाव डालेगी, इस बात की चिंता के चलते 1950 के दशक के आखिर मे और 1960 के दशक के शुरू में भारत ने एक आधिकारिक परिवार नियोजन कार्यक्रम लागू किया। विश्व में ऐसा करने वाला ये पहला देश था।


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