मंगलवार, 18 अप्रैल 2023

ईद-उल-फितर: नए व्यंजनों की पेशकश, घोषणा 

ईद-उल-फितर: नए व्यंजनों की पेशकश, घोषणा 

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। नई एयरलाइन कंपनी अकासा एयर ने ईद-उल-फितर के उपलक्ष्य में अपनी इनफ्लाइट मील सर्विस कैफे अकासा ने नए व्यंजनों की पेशकश की घोषणा की है। एयरलाइन ने मंगलवार को यहां जारी बयान में कहा कि यह पेशकश 30 अप्रैल तक जारी रहेगी। अकासा एयर के ग्राहक पारंपरिक मीठे सेवइयां (सेंवई) और कारमेल-स्वाद वाले खजूर के साथ-साथ अकासा एयर रूट नेटवर्क में सभी उड़ानों पर पेय के विकल्प के साथ मटन कीमा पफ के साथ विशेष भोजन का आनंद ले सकेंगे।

ये पेशकश अकासा एयर की वेबसाइट या मोबाइल ऐप पर प्री-बुकिंग और ऑनलाइन ट्रैवल एजेंटों (ओटीए) का चयन करने पर उपलब्ध है। इस पेशकश का उद्देश्य ग्राहकों को उत्सव का लुत्फ उठाना और अकासा एयर की सिग्नेचर सर्विस में अवसर की भावना जोड़ना है।

'पीएम' के काफिले पर हमला, 48 लोगों को सजा

'पीएम' के काफिले पर हमला, 48 लोगों को सजा

अखिलेश पांडेय 

ढाका। बंगलादेश के सतिखरा में वर्ष 2002 में तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष एवं वर्तमान प्रधानमंत्री शेख हसीना के काफिले पर हुए हमले के मामलें में बंगलादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के कुल 48 नेताओं और कार्यकर्ताओं को अलग-अलग कारावास की सजा सुनाई गई है। पूर्व वकील एवं बीएनपी के जिला अध्यक्ष हबीबुल इस्लाम हबीब सहित चार लोगों को आजीवन कारावास और 44 अन्य को सात साल कैद की सजा सुनाई गई है। सतखिरा स्पेशल ट्रिब्यूनल-3 के जज विश्वनाथ मंडल ने सभी पक्षाें की दलीलें सुनने के बाद मंगलवार को फैसला सुनाया।

इस मामले के बयान के अनुसार, 30 अगस्त, 2002 को सुश्री हसीना एक स्वतंत्रता सेनानी की पत्नी से मिलने गयी थीं। सेनानी की पत्नी के साथ दुष्कर्म हुआ था और उसे सतखिरा सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया था। सुश्री हसीना स्वतंत्रता सेनानी की पत्नी से मिलने के बाद जशोर लौट रही थीं। इसी दौरान उनके काफिले पर जिले के कलारोआ उपजिला में हमला हुआ। इस हमले में सुश्री हसीना बाल-बाल बच गईं, लेकिन अवामी लीग के लगभग 12 नेता और कार्यकर्ता तथा कुछ पत्रकार घायल हो गए। हमले के दौरान लगभग 15से 20 वाहनों में तोड़फोड़ की गई थी।

समलैंगिक विवाह को मान्यता देने का अनुरोध, सुनवाई 

समलैंगिक विवाह को मान्यता देने का अनुरोध, सुनवाई 

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने का अनुरोध करने वाली याचिकाओं पर मंगलवार को सुनवाई शुरू की। वहीं, केंद्र सरकार अपनी प्रारंभिक आपत्ति पर जोर दे रही है कि क्या अदालत इस प्रश्न पर सुनवाई कर सकती है या पहले इस पर अनिवार्य रूप से ससंद में चर्चा कराई जाएगी ? प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एस के कौल, न्यायमूर्ति एस आर भट, न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने मामले की सुनवाई शुरू की। पीठ ने केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि प्रारंभिक आपत्ति की प्रकृति और गुण-दोष इस बात पर निर्भर करता है कि याचिकाकर्ता का क्या कहना है और अदालत उनका पक्ष जानना चाहती है ?

मेहता ने पीठ से कहा कि याचिकाकर्ता अपना पक्ष रख सकते हैं और उनके द्वारा जतायी प्रारंभिक आपत्ति पर भी राय रख सकते हैं। इस पर सीजेआई ने मेहता से कहा, ‘‘मुझे माफ करिएगा श्रीमान सॉलिसिटर, हम फैसला लेंगे।’’ उन्होंने कहा कि अदालत पहले याचिकाकर्ताओं का पक्ष सुनेगी। उन्होंने कहा, ‘‘आप हमें बता नहीं सकते कि हम कैसे कार्यवाही का संचालन करेंगे। मैंने अपनी अदालत में कभी इसकी अनुमति नहीं दी है।’’ इस पर मेहता ने कहा कि वह ऐसा कभी नहीं करते हैं। मेहता ने कहा, ‘‘यह बहुत संवदेनशील मामला है जिस पर आप प्रारंभिक दलीलों पर गौर करेंगे और फिर मुझे कुछ वक्त देंगे। हमें विचार करना पड़ सकता है कि इस बहस में आगे भाग लेने के लिए सरकार का क्या रुख होगा ?''

सीजेआई ने कहा, ‘‘हम पर व्यापक दृष्टिकोण रखने के लिए भरोसा रखिए।’’ मेहता ने कहा कि उच्चतम न्यायालय जिस मामले पर सुनवाई कर रही है, वह वास्तव में विवाह का सामाजिक-कानूनी संबंध बनाने को लेकर है जो सक्षम विधायिका का कार्य क्षेत्र है। उन्होंने कहा, ‘‘जब विषय समवर्ती सूची में है तो हम एक राज्य के इस पर सहमत होने, दूसरे राज्य के इसके पक्ष में कानून बनाने तथा किसी तीसरे राज्य के इसके खिलाफ कानून बनाने की संभावना से इनकार नहीं कर सकते।

इसलिए राज्यों की अनुपस्थति में ये याचिकाएं विचार करने योग्य नहीं रहेंगी, यही मेरी प्रारंभिक आपत्तियों में से एक है।’’ इसे ‘‘बेहद मौलिक मुद्दा’’ बताते हुए उच्चतम न्यायालय ने 13 मार्च को इन याचिकाओं को सुनवाई के लिए पांच सदस्यीय संविधान पीठ के समक्ष भेजा था। सोमवार को शीर्ष न्यायालय समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने का अनुरोध करने वाली याचिकाओं की विचारणीयता पर सवाल उठाने वाली केंद्र की याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत हो गया था। केंद्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय से कहा था कि समलैंगिक विवाह को मान्यता देने का अनुरोध करने वाली याचिकाएं ‘‘शहरी संभ्रांतवादी’’ विचारों को प्रतिबिंबित करती हैं और विवाह को मान्यता देना अनिवार्य रूप से एक विधायी कार्य है, जिस पर अदालतों को फैसला करने से बचना चाहिए।

केंद्र ने याचिकाओं के विचारणीय होने पर सवाल करते हुए कहा कि समलैंगिक विवाहों की कानूनी वैधता ‘पर्सनल लॉ’ और स्वीकार्य सामाजिक मूल्यों के नाजुक संतुलन को गंभीर नुकसान पहुंचाएगी। इस मामले की सुनवाई और फैसला देश पर व्यापक प्रभाव डालेगा, क्योंकि आम नागरिक और राजनीतिक दल इस विषय पर अलग-अलग विचार रखते हैं।दो समलैंगिक जोड़ों ने विवाह करने के उनके अधिकार के क्रियान्वयन और विशेष विवाह कानून के तहत उनके विवाह के पंजीकरण के लिए संबंधित प्राधिकारियों को निर्देश देने का अनुरोध करते हुए अलग-अलग याचिकाएं दायर की हैं, जिन पर न्यायालय ने पिछले साल 25 नवंबर को केंद्र से अपना जवाब देने को कहा था।

मक्का उत्पादन को 4.4-4.5 करोड़ टन करें, जरूरत 

मक्का उत्पादन को 4.4-4.5 करोड़ टन करें, जरूरत 

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। एथनॉल उत्पादन और पोल्ट्री उद्योग के लिए अनाज की बढ़ती मांग के बीच देश के मक्का उत्पादन को अगले पांच वर्षों में बढ़ाकर 4.4-4.5 करोड़ टन करने की जरूरत है। केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण सचिव मनोज आहूजा ने यहां मंगलवार को उद्योग निकाय फिक्की द्वारा आयोजित नौवें 'भारत मक्का शिखर सम्मेलन' में यह बात कही।

उन्होंने पूरी मक्का मूल्य श्रृंखला में नुकसान को व्यवस्थित रूप से कम करने की जरूरत पर भी जोर दिया। आहूजा ने कहा, ''वर्तमान में, देश में मक्का का उत्पादन 3.3-3.4 करोड़ टन की सीमा में है। हमें एथनॉल और पोल्ट्री उद्योग की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए अगले पांच वर्षों में मक्का उत्पादन को बढ़ाकर 4.4-4.5 करोड़ टन करने की जरूरत है।''

उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन के बढ़ते खतरे के बीच बेहतर बीज उपलब्धता में सुधार, भंडारण और विपणन संपर्क स्थापित करने, सार्वजनिक और निजी भागीदारी बनाने पर ध्यान दिया जाना चाहिए। महाराष्ट्र के कृषि मंत्री अब्दुल सत्तार ने कार्यक्रम में कहा कि राज्य सरकार उन निजी कंपनियों का समर्थन करने को तैयार है, जो महाराष्ट्र में मक्का की मूल्य श्रृंखला और एथनॉल उत्पादन में निवेश करने की इच्छुक हैं।

24 को सुनवाई करने के लिए सहमत हुआ 'एससी'

24 को सुनवाई करने के लिए सहमत हुआ 'एससी'

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में गैंगस्टर से नेता बने अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या की स्वतंत्र जांच का अनुरोध करने वाली याचिका पर 24 अप्रैल को सुनवाई करने के लिए मंगलवार को सहमत हो गया। अतीक और अशरफ़ को शनिवार रात को पत्रकार बनकर आए तीन लोगों ने उस वक्त नजदीक से गोली मार दी थी, जब वे चिकित्सा जांच के लिए प्रयागराज के एक मेडिकल कॉलेज में पुलिसकर्मियों द्वारा ले जाते समय पत्रकारों के सवालों का जवाब दे रहे थे।

प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने मामले की तत्काल सुनवाई के लिए उल्लेख करने वाले वकील विशाल तिवारी की दलीलों पर गौर किया। याचिका में 2017 के बाद से उत्तर प्रदेश में हुई 183 मुठभेड़ों की जांच का भी अनुरोध किया गया है। याचिका में अतीक और अशरफ की हत्या की जांच करने के लिए एक स्वतंत्र विशेष समिति गठित करने का अनुरोध किया गया है।

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प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

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1. अंक-187, (वर्ष-06)

2. बुधवार, अप्रैल 19, 2023

3. शक-1944, बैशाख, कृष्ण-पक्ष, तिथि-चतुर्दशी, विक्रमी सवंत-2079‌‌।

4. सूर्योदय प्रातः 06:40, सूर्यास्त: 06:23। 

5. न्‍यूनतम तापमान- 25 डी.सै., अधिकतम- 33+ डी.सै.।

6. समाचार-पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है। सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा। सभी पद अवैतनिक है। 

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