शुक्रवार, 31 मार्च 2023

पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप के खिलाफ अभियोग चलाने की मंजूरी 

पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप के खिलाफ अभियोग चलाने की मंजूरी 

अखिलेश पांडेय/सुनील श्रीवास्तव 

वाशिंगटन डीसी/न्यूयॉर्क। अमेरिका की एक ग्रैंड ज्यूरी ने पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप (76) पर 2016 के कैंपेन के दौरान पॉर्न स्टार स्टॉर्मी डेनियल्स को हश मनी (चुप रहने के लिए किसी को किया गया भुगतान) देने के मामले में अभियोग चलाने की मंज़ूरी दी है। अमेरिका के इतिहास में यह किसी भी पूर्व राष्ट्रपति के खिलाफ पहला आपराधिक मामला है। अमेरिका में राष्ट्रपति पद के चुनाव प्रचार अभियान के दौरान 2016 में एक पोर्न स्टार को चुप रहने के लिए धन देने के मामले में मैनहट्टन ग्रैंड जूरी ने पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ अभियोग चलाने का फैसला किया है। इसी के साथ ट्रंप आपराधिक आरोपों का सामना करने वाले देश के पहले पूर्व राष्ट्रपति बन गए हैं। यही नहीं, फैसले से 2024 में फिर से राष्ट्रपति बनने की उनकी उम्मीदों को बड़ा झटका लगा है।

मामले की जांच कर रहे मैनहट्टन जिला अटॉर्नी एल्विन ब्रैग के कार्यालय ने पुष्टि की कि उसने अनिर्दिष्ट आरोपों पर ट्रंप के आत्मसमर्पण के लिए समन्वय करने के इरादे से बृहस्पतिवार को उनके वकीलों से संपर्क किया था। ब्रैग के प्रवक्ता ने बताया कि अभियोग के संबंध में मैनहट्टन के जिला अटॉर्नी के कार्यालय में ट्रंप के आत्मसमर्पण को लेकर समन्वय के लिए पूर्व राष्ट्रपति के अटॉर्नी से संपर्क किया गया है और सुनवाई की तारीख तय होने के बाद आगे की जानकारी दी जाएगी।  

खबर के अनुसार, इस मामले की जानकारी रखने वाले पांच अधिकारियों ने बताया कि ग्रैंड जूरी ने एक पोर्न स्टार को कथित संबंधों को लेकर चुप रहने के लिए धन देने के मामले में 76 वर्षीय ट्रंप के खिलाफ अभियोग चलाने का फैसला किया है। खबर में कहा गया है कि यह निर्णय एक ऐतिहासिक फैसला है, जो 2024 में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया को हिलाकर रख देगा। ट्रंप देश के पहले ऐसे पूर्व राष्ट्रपति बन गए हैं, जो आपराधिक आरोपों का सामना करेंगे।

ट्रंप ने 2017 से 2021 तक अमेरिका के 45वें राष्ट्रपति के रूप में सेवाएं दी थीं। इस मामले की जानकारी रखने वाले दो सूत्रों ने सीबीएस न्यूज को बताया कि ऐसी संभावना है कि ट्रंप फ्लोरिडा से सोमवार को न्यूयॉर्क आएंगे और मंगलवार को अदालत में पेश होंगे। सुनवाई के संक्षिप्त रहने की संभावना है, जिसमें उन पर लगाए गए आरोप पढ़कर सुनाए जाएंगे। ट्रंप ने इन आरोपों से इनकार किया है। उन्होंने इस अभियोग को राजनीतिक उत्पीड़न और चुनाव में हस्तक्षेप का प्रयास करार दिया है।

ट्रंप ने डेमोक्रेटिक पार्टी के नेताओं पर अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी को सजा देने के लिए न्यायिक प्रणाली को हथियार की तरह इस्तेमाल करने का आरोप भी लगाया है। उन्होंने मैनहट्टन के जिला अटॉर्नी पर (अमेरिका के) राष्ट्रपति जो बाइडन के गंदे काम करने का आरोप लगाया। ट्रंप के वकील सुसन नेचेलेस और जोसेफ टैकोपिना ने एक बयान जारी कर कहा कि पूर्व राष्ट्रपति ने कोई अपराध नहीं किया है और उन्होंने अदालत में इस राजनीतिक अभियोजन का मजबूती से मुकाबला करने का संकल्प लिया है।

यह मामला 2016 में पोर्न स्टार स्टॉर्मी डेनियल्स को किए गए 1.30 लाख डॉलर के भुगतान में ट्रंप की संलिप्तता की जांच से जुड़ा है। आरोप है कि यह भुगतान इसलिए किया गया, ताकि डेनियल्स रिपब्लिकन नेता ट्रंप से अपने कथित यौन संबंधों पर चुप रहें। राष्ट्रपति चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी का उम्मीदवार बनने की होड़ में शामिल विवेक रामास्वामी और निकी हेली ने आरोप लगाया कि ट्रंप के खिलाफ अभियोग बदले की राजनीति है।

स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से ग्रसित होने का खतरा

स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से ग्रसित होने का खतरा

डॉक्टर सुभाषचंद्र गहलोत 

लंदन। अपनी संतानों को अनुशासन में रखने के लिए उनके साथ सख्ती बरतने वाले माता-पिता के बच्चों में मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से ग्रसित होने का खतरा अन्य बच्चों के मुकाबले डेढ़ गुणा अधिक होता है। अनुसंधानकर्ताओं ने तीन, पांच और नौ साल की उम्र के बच्चों में घबराहट, समाज से दूर रहने, गुस्सा और अत्यधिक सक्रिय रहने जैसे मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े लक्षणों का अध्ययन किया। उन्होंने पाया कि 7,500 से अधिक बच्चों में से 10 प्रतिशत बच्चों में खराब मानसिक स्वास्थ्य का अत्यधिक जोखिम है और अधिक सख्ती बरतने वाले माता-पिता के बच्चों के इस श्रेणी में आने की अधिक संभावना है। ब्रिटेन स्थित कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय और आयरलैंड स्थित यूनिवर्सिटी कॉलेज डबलिन के शोधकर्ताओं ने यह अध्ययन किया और इसे एक पत्रिका में प्रकाशित किया गया है।

सख्ती बरतने का तात्पर्य शारीरिक या मनोवैज्ञानिक दोनों तरह के तरीकों से है। इसमें बच्चों पर बार-बार चिल्लाना, उन्हें अक्सर शारीरिक रूप से दंडित करना, गलत व्यवहार करने पर उन्हें अलग-थलग करना, उनके आत्म सम्मान को ठेस पहुंचाना या माता पिता का अपने मिजाज के हिसाब से बच्चों को सजा देना शामिल है। इस अनुसंधान के लेखक एवं कैम्बिज विश्वविद्यालय में कार्यरत आयोनिस कैटसेंटोनिस ने कहा, ‘‘10 में से एक बच्चा मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्या के अत्यधिक खतरे की श्रेणी में आती है। यह बात चिंताजनक है और हमें यह पता होना चाहिए कि बच्चों का पालन-पोषण करने का तरीका इसमें क्या भूमिका निभाता है।’’

जिन बच्चो को अध्ययन में शामिल किया गया, उनमें से 83.5 प्रतिशत बच्चे नौ साल की उम्र तक मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के कम जोखिम की श्रेणी में रहे, जबकि 6.43 बच्चे मध्यम खतरे की श्रेणी और 10.07 बच्चे अत्यधिक खतरे की श्रेणी में रहे। अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि सख्ती से पालन-पोषण करने पर बच्चे के अत्यधिक खतरे की श्रेणी में आने की आशंका डेढ़ गुणा अधिक और मध्यम खतरे की श्रेणी में आने की आशंका 1.6 गुणा अधिक होती है।

कोविड-19 के मामलों में बढ़ोतरी पर सरकार की नजर 

कोविड-19 के मामलों में बढ़ोतरी पर सरकार की नजर 

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शुक्रवार को कहा कि दिल्ली सरकार कोविड-19 के मामलों में बढ़ोतरी पर नजर रख रही है और ‘‘हर प्रकार की स्थिति से निपटने के लिए तैयार’’ है। केजरीवाल ने कहा कि पिछले चार-पांच दिन में संक्रमण से तीन मरीजों की मौत हुई और ये लोग पहले से ही किसी ‘‘अत्यंत गंभीर’’ बीमारी से ग्रसित थे। 

उन्होंने कहा कि आकलन में पता चला है कि संक्रमित लोगों की मौत अन्य गंभीर बीमारियों के कारण हुई और उनकी मौत का मुख्य कारण कोविड नहीं था, लेकिन इस बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता। केजरीवाल ने कोविड संबंधी हालात पर एक समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करने के बाद संवाददाताओं से कहा कि चिंता करने की अभी कोई आवश्यकता नहीं है और शहर की सरकार हर जरूरी कदम उठा रही है।

उन्होंने कहा, ‘‘दिल्ली सरकार कोविड-19 संबंधी स्थिति पर नजर रखे हुए हैं और वह किसी भी प्रकार की स्थिति का सामना करने के लिए तैयार है।’’ स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली में बृहस्पतिवार को कोरोना वायरस संक्रमण के 295 नए मामले सामने आए थे और संक्रमण की दर 12.48 प्रतिशत रही। दिल्ली में पिछले साल 31 अगस्त के बाद एक दिन में सबसे अधिक 300 मामले बुधवार को सामने आए थे और दो लोगों की मौत हुई थी। संक्रमण दर 13.89 प्रतिशत दर्ज की गई थी।

विधानसभा की सदस्यता से रामास्वामी का इस्तीफा 

विधानसभा की सदस्यता से रामास्वामी का इस्तीफा 

इकबाल अंसारी 

बेंगलुरु। कर्नाटक में 10 मई को होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले जनता दल (एस) के वरिष्ठ नेता ए टी रामास्वामी ने शुक्रवार को विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। वह अर्कलगुड से विधायक थे। रामास्वामी इस सप्ताह विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने वाले जद (एस) के दूसरे विधायक हैं। इससे पहले 27 मार्च को पार्टी के एक अन्य विधायक एस आर श्रीनिवास ने इस्तीफा दे दिया था और वह बाद में कांग्रेस में शामिल हो गए थे।

रामास्वामी ने यहां विधान सौध में विधानसभा सचिव को अपना इस्तीफा सौंपा, क्योंकि विधानसभाध्यक्ष विश्वेश्वर हेगड़े कागेरी शहर में नहीं थे। वह अभी अपने गृहनगर सिरसी में हैं। अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि रामास्वामी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल होंगे या कांग्रेस में। रामास्वामी ने संवाददाताओं से बातचीत करते हुए कहा, "मैंने अर्कलगुड के विधायक के तौर पर इस्तीफा दे दिया है।

मैंने अपना इस्तीफा विधानसभा सचिव को सौंप दिया है और विधानसभा अध्यक्ष के आने के बाद मैं उनसे मिलूंगा और उनसे इस्तीफा स्वीकार करने का अनुरोध करूंगा।" उन्होंने विधानसभा सदस्य के रूप में सेवा करने का अवसर देने के लिए जद (एस) को धन्यवाद दिया और कहा कि उन्होंने कभी भी व्यक्तिगत लाभ के लिए राजनीति नहीं की और पूरी ईमानदारी से राज्य एवं अपने निर्वाचन क्षेत्र के लोगों की सेवा की है।

रामास्वामी ने कहा, "मैंने जद (एस) नहीं छोड़ा। उन्होंने खुद ही मुझे बाहर कर दिया... मैं धन बल का शिकार हुआ हूं। मैंने आज आधिकारिक रूप से इस्तीफा दे दिया है, मैं भविष्य के बारे में चर्चा करूंगा और फिर निर्णय लूंगा... अन्य दलों के लोगों ने मुझसे संपर्क किया है।"

हाईकोर्ट ने केजरीवाल पर 25 हजार का जुर्माना ठोका

हाईकोर्ट ने केजरीवाल पर 25 हजार का जुर्माना ठोका

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को बड़ा झटका लगा है। केजरीवाल पर गुजरात हाईकोर्ट ने पच्चीस हजार का जुर्माना ठोका है। केजरीवाल पर ये जुर्माना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एमए की डिग्री मांगने को लेकर लगाया गया है। गुजरात हाईकोर्ट ने शुक्रवार को फैसला सुनाया कि प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की स्नातक और स्नातकोत्तर डिग्री का प्रमाणपत्र प्रस्तुत करने की जरूरत नहीं है।

गुजरात हाईकोर्ट की सिंगल जज बेंच के जस्टिस बीरेन वैष्णव ने मुख्य सूचना आयोग (सीआईसी) के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें पीएमओ के जन सूचना अधिकारी (पीआईओ) और गुजरात विश्वविद्यालय और दिल्ली विश्वविद्यालय के पीआईओ को प्रधानमंत्री मोदी की स्नातक और स्नातकोत्तर डिग्री का विवरण प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया था। अदालत ने पीएम की डिग्री मांगने के मामले में ही अरविंद केजरीवाल पर 25000 रुपये का जुर्माना भी लगाया है।

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प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

प्राधिकृत प्रकाशन विवरण


1. अंक-169, (वर्ष-06)

2. शनिवार, अप्रैल 1, 2023

3. शक-1944, चैत्र, शुक्ल-पक्ष, तिथि-एकादशी, विक्रमी सवंत-2079‌‌।

4. सूर्योदय प्रातः 06:40, सूर्यास्त: 06:23। 

5. न्‍यूनतम तापमान- 18 डी.सै., अधिकतम- 24+ डी.सै.।

6. समाचार-पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है। सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा। सभी पद अवैतनिक है। 

7.स्वामी, मुद्रक, प्रकाशक, संपादक राधेश्याम व शिवांशु  (विशेष संपादक) श्रीराम व सरस्वती (सहायक संपादक) संरक्षण-अखिलेश पांडेय, ओमवीर सिंह, वीरसैन पंवार, योगेश चौधरी आदि के द्वारा (डिजीटल सस्‍ंकरण) प्रकाशित। प्रकाशित समाचार, विज्ञापन एवं लेखोंं से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं हैं। पीआरबी एक्ट के अंतर्गत उत्तरदायी।

8. संपर्क व व्यवसायिक कार्यालय- चैंबर नं. 27, प्रथम तल, रामेश्वर पार्क, लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102। 

9. पंजीकृत कार्यालयः 263, सरस्वती विहार लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102

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