सोमवार, 27 मार्च 2023

'एनसीईआरटी' की नई पाठ्यपुस्तकें पेश, संभावना

'एनसीईआरटी' की नई पाठ्यपुस्तकें पेश, संभावना

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के अनुसार संशोधित एनसीईआरटी की नई पाठ्यपुस्तकों को 2024-25 शैक्षणिक सत्र से स्कूलों में पेश किए जाने की संभावना है। शिक्षा मंत्रालय के अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की पाठ्यपुस्तकों को राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा (एनसीएफ) के अनुसार तैयार किया जाएगा।

शिक्षा मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "नयी पाठ्यपुस्तकों को 2024-25 शैक्षणिक सत्र से पेश किए जाने की संभावना है। यह एक लंबा काम है, लेकिन हम इसके लिए लक्ष्य बना रहे हैं। पाठ्यपुस्तकों को नयी एनसीएफ के अनुसार संशोधित किया जाएगा, जिस पर काम पहले से ही चल रहा है।"

उन्होंने कहा, "चूंकि कोविड-19 ने हमें सिखाया है कि डिजिटल शिक्षा की मांग है, सभी नयी पाठ्य पुस्तकों को एक साथ डिजिटल रूप से उपलब्ध कराया जाएगा ताकि कोई भी उन्हें डाउनलोड कर सके।" यह उल्लेख करते हुए कि पाठ्य पुस्तकों में "ठहराव" नहीं होना चाहिए, अधिकारी ने कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए एक संस्थागत ढांचा विकसित किया जाएगा, कि पाठ्यपुस्तकों को नियमित आधार पर अद्यतन किया जाए।

ब्याज दर के बारे में घोषणा कर सकता है 'ईपीएफओ'

ब्याज दर के बारे में घोषणा कर सकता है 'ईपीएफओ'

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) सोमवार से शुरू हो रही अपनी दो दिन की बैठक में 2022-23 के लिए कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) पर ब्याज दर के बारे में घोषणा कर सकता है। ईपीएफओ मार्च, 2022 में 2021-22 के लिए अपने करीब पांच करोड़ अंशधारकों के ईपीएफ पर ब्याज दर को घटाकर चार दशक से भी अधिक समय के निचले स्तर 8.1 प्रतिशत पर ले आया था।

यह दर 1977-78 के बाद से सबसे कम थी, तब ईपीएफ पर ब्याज दर आठ प्रतिशत हुआ करती थी। 2020-21 में यह दर 8.5 प्रतिशत थी। एक सूत्र ने बताया, ‘‘कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के निर्णय लेने वाले शीर्ष निकाय केंद्रीय न्यासी बोर्ड (सीबीटी) द्वारा 2022-23 के लिए ईपीएफ पर ब्याज दर के बारे में निर्णय सोमवार दोपहर से शुरू हो रही दो दिन की बैठक में लिया जा सकता है।’’

अधिक पेंशन की खातिर आवेदन देने के लिए उच्चतम न्यायालय ने चार महीने का वक्त देने संबंधी जो आदेश दिया था उस पर ईपीएफओ ने क्या कार्रवाई की है, इस बारे में भी बैठक में चर्चा हो सकती है। ईपीएफओ ने अपने अंशधारकों को तीन मई, 2023 तक का वक्त दिया है। मार्च, 2020 में ईपीएफओ ने भविष्य निधि जमा पर ब्याज दर को कम करके सात महीने के निचले स्तर 8.5 प्रतिशत पर ला दिया था। 2018-19 के लिए यह 8.65 प्रतिशत थी।

राज्यों के अधिकारों पर हमला कर रही है सरकार 

राज्यों के अधिकारों पर हमला कर रही है सरकार 

अमित शर्मा 

चंडीगढ़/जालंधर। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने सोमवार को राज्यों के साथ सौतेला व्यवहार का आरोप लगाते हुए केंद्र सरकार की आलोचना की। मान ने कहा कि देश के संघीय ढांचे को कमजोर कर केंद्र सरकार राज्यों के कानूनी अधिकारों पर हमला कर रही है और राज्यों के हितों की खुलेआम अनदेखी की जा रही है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त राज्यपाल लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई सरकारों की आवाज को दबाने के लिए मशीन की तरह काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा राज्यों के हितों पर हमला किया जा रहा है, जो लोकतंत्र और संघीय ढांचे के लिए हानिकारक है।

भगवंत मान ने कहा कि केंद्र सरकार का तानाशाही रवैया लोकतंत्र के ताने-बाने के लिए घातक है। मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार जानबूझकर राज्यों को परेशान कर रही है।उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के पास ग्रामीण विकास कोष (आरडीएफ) का 30 हजार करोड़ रुपये अभी भी बकाया है। मान ने कहा कि पंजाब सरकार ने सारी कागजी कार्रवाई पूरी कर ली है लेकिन केंद्र सरकार ने आरडीएफ में अनावश्यक अड़ंगा लगाया है और जीएसटी का फंड रोक रहा है। उन्होंने कहा कि एक अन्य फैसले में पंजाब को आवंटित कोयला खदान से कोयला श्रीलंका के रास्ते लाने को कहा गया था जो किसी भी तरह से जायज नहीं था।

मान ने कहा कि इस तरह के फैसलों का केंद्र और राज्यों के संबंधों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि अमृतपाल सिंह के मामले में कानून अपना काम करेगा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने पूरे पंजाब में शांति और सांप्रदायिक सद्भाव बनाए रखने के लिए हर संभव कदम उठाए हैं। मान ने हर कीमत पर पंजाब में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए राज्य सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई। मुख्यमंत्री ने कहा कि वे इस बात के समर्थक हैं कि विचारों और विचारों की भिन्नता वाला लोकतंत्र हमेशा सफल होता है।  मान ने कहा कि लोकतंत्र में विपक्ष और सत्ता पक्ष दोनों महत्वपूर्ण दल होते हैं। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में जनता की आवाज का हर कीमत पर सम्मान होना चाहिए। 

वित्त विधेयक 2023 को बिना चर्चा के लौटाया 

वित्त विधेयक 2023 को बिना चर्चा के लौटाया 

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। राज्यसभा ने सोमवार को विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच सरकार द्वारा लाए गए संशोधनों के साथ वित्त विधेयक 2023 को बिना चर्चा के ध्वनिमत से लोकसभा को लौटा दिया। इसी के साथ ही आगामी वित्त वर्ष के बजट की प्रक्रिया उच्च सदन में पूरी हो गई। उच्च सदन की बैठक एक बार के स्थगन के बाद दोपहर दो बजे शुरू हुई, तब सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि सुबह जो आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर नहीं रखे जा सके थे, उन्हें रखा गया मान लिया जाए। इसी बीच कांग्रेस समेत विपक्षी दलों के कई सदस्य अडाणी समूह से जुड़े आरोपों की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति गठित किए जाने की मांग को लेकर हंगामा करने लगे।

हंगामे के बीच ही वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने वित्त वर्ष 2023-24 के लिए केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के सामान्य बजट, अनुदान की अनुपूरक मांगें और उससे संबंधित विनियोग विधेयक सदन में पेश किया। सदन ने चर्चा के बिना जम्मू-कश्मीर के सामान्य बजट, अनुदान की अनुपूरक मांगें और उससे संबंधित विनियोग विधेयक को ध्वनिमत से लोकसभा को लौटा दिया। इसके बाद सभापति की अनुमति से वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से वित्त विधेयक 2023 को सदन में पेश किया। इस दौरान सदन में विपक्षी सदस्यों का हंगामा जारी था।

हंगामे के बीच ही वित्त विधेयक 2023 को बिना चर्चा के, ध्वनिमत से लोकसभा को लौटा दिया गया। वित्त विधेयक को लोकसभा को लौटाए जाने के साथ ही सदन में वित्त वर्ष 2023-24 के बजट की प्रक्रिया पूरी हो गई। सभापति धनखड़ ने वित्त विधेयक पर सदन में चर्चा के लिए निर्धारित 10 घंटे का सदस्यों द्वारा उपयोग नहीं करने को ‘‘दुर्भाग्यपूर्ण’’ बताया। लोकसभा में एक फरवरी को वित्त मंत्री निर्मल सीतारमण द्वारा आम बजट 2023-24 पेश किए जाने के साथ ही बजट प्रक्रिया प्रारंभ हुई थी। निचले सदन में यह विधेयक 24 मार्च को पारित हुआ था।

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प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

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1. अंक-165, (वर्ष-06)

2. मंगलवार, मार्च 28, 2023

3. शक-1944, चैत्र, शुक्ल-पक्ष, तिथि-सप्तमी, विक्रमी सवंत-2079‌।

4. सूर्योदय प्रातः 06:40, सूर्यास्त: 06:23। 

5. न्‍यूनतम तापमान- 16 डी.सै., अधिकतम- 24+ डी.सै.।

6. समाचार-पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है। सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा। सभी पद अवैतनिक है। 

7.स्वामी, मुद्रक, प्रकाशक, संपादक राधेश्याम व शिवांशु  (विशेष संपादक) श्रीराम व सरस्वती (सहायक संपादक) संरक्षण-अखिलेश पांडेय, ओमवीर सिंह, वीरसैन पवार, योगेश चौधरी आदि के द्वारा (डिजीटल सस्‍ंकरण) प्रकाशित। प्रकाशित समाचार, विज्ञापन एवं लेखोंं से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं हैं। पीआरबी एक्ट के अंतर्गत उत्तरदायी।

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9. पंजीकृत कार्यालयः 263, सरस्वती विहार लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102

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नवरात्रि का छठा दिन मां 'कात्यायनी' को समर्पित 

नवरात्रि का छठा दिन मां 'कात्यायनी' को समर्पित 

सरस्वती उपाध्याय 

दुर्गा पूजा के छठवें दिन देवी के कात्यायनी स्वरूप की उपासना की जाती है। इस दिन साधक का मन 'आज्ञा चक्र' में स्थित होता है। योग साधना में इस आज्ञा चक्र का महत्वपूर्ण स्थान है। इस चक्र में स्थित मन वाला साधक मां कात्यायनी के चरणों में अपना सर्वस्व निवेदित कर देता है। परिपूर्ण आत्मदान करने वाले ऐसे भक्त को सहज भाव से मां कात्यायनी के दर्शन प्राप्त हो जाते हैं।

मां का स्वरूप...

मां कात्यायनी अमोघ फलदायिनी हैं,इनका स्वरूप अत्यंत ही भव्य और दिव्य है। इनका वर्ण स्वर्ण के समान चमकीला और भास्वर है। शेर पर सवार मां की चार भुजाएं हैं, इनके बायें हाथ में कमल और तलवार व दाहिनें हाथों में स्वास्तिक व आशीर्वाद की मुद्रा अंकित है। भगवान कृष्ण को पाने के लिए व्रज की गोपियों ने इन्ही की पूजा कालिंदी नदी के तट पर की थी।ये ब्रज मंडल की अधिष्ठात्री देवी के रूप में प्रतिष्ठित हैं।

कौन हैं मां कात्यायनी ?

कत नामक एक प्रसिद्द महर्षि थे,उनके पुत्र ऋषि कात्य हुए। इन्हीं कात्य के गोत्र में विश्व प्रसिद्द महर्षि कात्यायन उत्पन्न हुए थे। इन्होने भगवती पराम्बा की उपासना करते हुए बहुत वर्षों तक बड़ी कठिन तपस्या की थी। उनकी इच्छा थी कि मां भगवती उनके घर पुत्री के रूप में जन्म लें। मां भगवती ने उनकी यह प्रार्थना स्वीकार कर ली। कुछ काल पश्चात जब दानव महिषासुर का अत्याचार पृथ्वी पर बहुत अधिक बढ़ गया था तब भगवान ब्रह्मा,विष्णु, महेश तीनों ने अपने-अपने तेज़ का अंश देकर महिषासुर के विनाश के लिए एक देवी को प्रकट किया। महर्षि कात्यायन ने सर्वप्रथम इनकी पूजा की और देवी इनकी पुत्री कात्यायनी कहलाईं।

पूजा विधि...

दुर्गा पूजा के छठे दिन भी सर्वप्रथम कलश व देवी के स्वरूप मां कात्यायनी की पूजा कि जाती है। पूजा की विधि शुरू करने पर हाथों में सुगन्धित पुष्प लेकर देवी को प्रणाम कर देवी के मंत्र का ध्यान करना चाहिए। मां को श्रृंगार की सभी वस्तुएं अर्पित करें। मां कात्यायनी को शहद बहुत प्रिय है इसलिए इस दिन मां को भोग में शहद अर्पित करें। देवी की पूजा के साथ भगवान शिव की भी पूजा करनी चाहिए।

पूजा फल...

देवी भागवत पुराण के अनुसार देवी के इस स्वरूप की पूजा करने से शरीर कांतिमान हो जाता है। इनकी आराधना से गृहस्थ जीवन सुखमय रहता है। मां कात्यायिनी की भक्ति और उपासना द्वारा मनुष्य को बड़ी सरलता से अर्थ, धर्म, काम,मोक्ष चारों फलों की प्राप्ति हो जाती है। उसके रोग,शोक, संताप और भय आदि सर्वथा नष्ट हो जाते हैं।

किनको होगा लाभ ?

जिनके विवाह में विलम्ब हो रहा हो या जिनका वैवाहिक जीवन सुखी नहीं है वे जातक विशेष रूप से मां कात्यायिनी की उपासना करें,लाभ होगा।

स्तुति मंत्र...

या देवी सर्वभूतेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।


चंद्र हासोज्जवलकरा शार्दूलवर वाहना।

कात्यायनी शुभंदद्या देवी दानवघातिनि।।

चेन्नई सुपर किंग्स ने ग्लीसन को टीम में शामिल किया

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