शुक्रवार, 17 मार्च 2023

'ब्लू व्हेल' के दिल का वजन 181 किलोग्राम दर्ज 

'ब्लू व्हेल' के दिल का वजन 181 किलोग्राम दर्ज 

अखिलेश पांडेय 

नई दिल्ली/वाशिंगटन डीसी। ब्लू व्हेल दुनिया की सबसे बड़ी जीव हैं। 30 मीटर तक लंबे और 200 टन वजनी ब्लू व्हेल के दिल का आकार इतना ज्यादा बड़ा है कि उसे देखकर ही लोग दंग रह जाते हैं। हाल ही, सोशल मीडिया पर ब्लू व्हेल के दिल की एक तस्वीर छा गई है। इस फोटो को बिजनेसमैन हर्ष गोयनका ने पोस्ट किया है। हर्ष गोयनका ने 13 मार्च को कनाडा के 'रॉयल ओंटारियो म्यूजियम' में संरक्षित और प्रदर्शित ब्लू व्हेल के दिल की फोटो ट्विटर पर पोस्ट की।

उन्होंने कैप्शन में बताया- यह एक ब्लू व्हेल का संरक्षित दिल है, जिसका वजन 181 किलोग्राम है। यह 1.2 मीटर चौड़ा और 1.5 मीटर लंबा है। इस दिल की धड़कन को 3.2 किमी से अधिक दूर से सुना जा सकता है। गोयनका का ट्वीट सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है। कई यूजर्स ने इस पर प्रतिक्रिया भी दी। कई यूजर्स ने कुदरत की सराहना की। आपकी इस पर क्या राय है ?

हड़तालों के ‘खतरों को रोकने’ के लिए क्या कर रहें है ?

हड़तालों के ‘खतरों को रोकने’ के लिए क्या कर रहें है ?

कविता गर्ग 

मुंबई। बंबई उच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र के सरकारी कर्मचारियों के प्रदर्शन के बीच राज्य सरकार से शुक्रवार को पूछा कि गैरकानूनी हड़तालों के ‘‘खतरों को रोकने’’ के लिए वह क्या कर रही है ? अदालत ने कहा कि इन सब से आम नागरिकों को परेशानी नहीं होनी चाहिए। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एस.वी. गंगापुरवाला और न्यायमूर्ति संदीप मार्ने की खंडपीठ अधिवक्ता गुणरत्न सदावर्ते द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर करते हुए यह बात कही। याचिका में शिक्षण और चिकित्सकीय क्षेत्र के कर्मचारियों सहित अन्य सरकारी कर्मचारियों की हड़ताल को तत्काल वापस लेने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था। महाराष्ट्र में पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) बहाल करने की मांग को लेकर राज्य के लाखों सरकारी कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं। इससे राज्य में प्रशासनिक कामकाज और कई सेवाएं प्रभावित हो रही हैं।

महाधिवक्ता बीरेंद्र सराफ ने अदालत को बताया कि हड़ताल ‘‘अवैध’’ है और आश्वासन दिया कि राज्य सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए सभी प्रयास कर रही है कि हड़ताल के कारण किसी भी व्यक्ति को परेशानी न हो। पीठ ने सरकार से स्पष्ट रूप से यह बताने को कहा कि वह बुनियादी सुविधाओं व आवश्यक सेवाओं तक जनता की पहुंच सुनिश्चित करने के लिए क्या कदम उठा रही है।

अदालत ने कहा, ‘‘ हमें चिंता है आम नागरिक आवश्यक सेवाओं से वंचित न रह जाएं। आम नागरिकों को परेशानी नहीं होनी चाहिए। हम जानना चाहते हैं कि इस खतरे को रोकने के लिए राज्य क्या कदम उठा रहा है। लोगों को बुनियादी सुविधाएं तथा आवश्यक सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए सरकार क्या कर रही है।’’ अदालत ने मामले को 23 मार्च के लिए सूचीबद्ध करते हुए कहा कि लोगों को प्रदर्शन करने का अधिकार है लेकिन सरकार का यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वह उचित कार्रवाई करे, ताकि किसी को परेशानी न हो। 

पीएम के खिलाफ 'विशेषाधिकार हनन' का नोटिस 

पीएम के खिलाफ 'विशेषाधिकार हनन' का नोटिस 

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता के सी वेणुगोपाल ने राज्यसभा में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का एक नोटिस दिया है। उन्होंने इस नोटिस में आरोप लगाया है कि प्रधानमंत्री द्वारा कांग्रेस नेताओं सोनिया गांधी और राहुल गांधी को नेहरू उपनाम रखने का सुझाव देना, दोनों नेताओं के विशेषाधिकार का उल्लंघन है और सदन की अवमानना है। कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य ने अपने नोटिस में क प्रधानमंत्री के उस सुझाव को ‘‘हास्यास्पद’’ करार दिया कि उन्हें (सोनिया और राहुल) नेहरू उपनाम का इस्तेमाल करने में क्यों शर्म आती है। उल्लेखनीय है कि संसद के बजट सत्र के पहले चरण में नौ फरवरी को प्रधानमंत्री मोदी ने राज्यसभा में गांधी परिवार के सदस्यों पर सीधा हमला बोलते हुए पूछा था कि उन्हें नेहरू उपनाम का इस्तेमाल करने में शर्म क्यों आती है।

राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा था कि 600 सरकारी योजनाएं सिर्फ गांधी-नेहरू परिवार के नाम पर हैं। प्रधानमंत्री ने कहा था कि किसी कार्यक्रम में अगर नेहरू के नाम का उल्लेख नहीं होता है तो कुछ लोगों के बाल खड़े हो जाते हैं और उनका लहु एकदम गर्म हो जाता है कि नेहरू जी का नाम क्यों नहीं दिया। उन्होंने कहा था, ‘‘मुझे ये समझ नहीं आता है कि उनकी पीढ़ी का कोई व्यक्ति नेहरू सरनेम (उपनाम) रखने से डरता क्यों है । क्या शर्मिंदगी है नेहरू सरनेम रखने से। क्या शर्मिंदगी है। इतना बड़ा महान व्यक्तित्व अगर आपको मंजूर नहीं है, परिवार को मंजूर नहीं है और हमारा हिसाब मांगते रहते हो।’’ वेणुगोपाल ने कहा कि प्रधानमंत्री को पता है कि पिता का उपनाम बेटी को नहीं मिलता है। उन्होंने कहा, ‘‘यह जानने के बावजूद प्रधानमंत्री ने मजाक उड़ाया।’’

वेणगोपाल ने नोटिस में कहा है कि प्रधानमंत्री का लहजा और अभिप्राय ‘‘अपमानजनक’’ था। उन्होंने कहा, ‘‘यह स्पष्ट रूप से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा सोनिया गांधी और राहुल गांधी पर आक्षेप के समान है, जो उनके विशेषाधिकारों का उल्लंघन करता है और सदन की अवमानना के समान भी है।’’ उन्होंने नोटिस में कहा, ‘‘सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ अपमानजनक, अरुचिकर और मानहानिकारक टिप्पणी करने के लिए मैं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ विशेषाधिकार हनन की कार्यवाही की मांग करता हूं।’’ 

सीएम ने अपने कार्यकाल का पहला बजट पेश किया

सीएम ने अपने कार्यकाल का पहला बजट पेश किया

श्रीराम मौर्य 

शिमला। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने वित्त वर्ष 2023-24 के लिए राज्य विधानसभा में अपने कार्यकाल का पहला बजट शुक्रवार को पेश किया। इसमें सुक्खू ने घोषणा की है कि राज्य के सार्वजनिक परिवहन में इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने के लिहाज से हिमाचल प्रदेश को एक आदर्श राज्य बनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि डीजल से चलने वाली कुल 1,500 बसों को 1,000 करोड़ रुपये की लागत से बदला जाएगा।

प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कांगड़ा जिले को पर्यटन राजधानी के तौर पर विकसित करने और सभी 12 जिलों को अगले एक वर्ष के दौरान हेलिपोर्ट सुविधा से जोड़ने की भी घोषणा की गई। हालांकि 2022-23 के दौरान राज्य के सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि घटकर 6.4 प्रतिशत रह गई जो 2021-22 के दौरान 7.6 प्रतिशत थी। संशोधित वेतनमान के बकाये और 11,000 करोड़ रुपये के महंगाई भत्ते के भुगतान के कारण राज्य पर 75,000 करोड़ रुपये का भारी कर्ज और अन्य देनदारियां हैं। 2022-23 के लिए 13,141 करोड़ रुपये की अनुदान की पूरक मांगों को 15 मार्च को सदन ने पारित किया था।

सुक्खू ने कहा कि उनकी सरकार लोगों के कल्याण की खातिर काम करने आई है और इसी क्रम में पुरानी पेंशन योजना को बहाल किया गया है। सुक्खू ने कहा कि उनकी सरकार जनता से किए सभी वादों को चरणबद्ध तरीके से पूरा करेगी। पहले चरण में, 2,31,000 महिलाओं को वादे के मुताबिक प्रतिमाह 1,500 रुपये दिए जाएंगे। उन्होंने राज्य के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाली 20,000 लड़कियों को इलेक्ट्रिक स्कूटी खरीदने पर 25,000 रुपये की सब्सिडी देने की भी घोषणा की।

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प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

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1. अंक-155, (वर्ष-06)

2. शनिवार, मार्च 18, 2023

3. शक-1944, चैत्र, कृष्ण-पक्ष, तिथि-एकादशी, विक्रमी सवंत-2079‌।

4. सूर्योदय प्रातः 06:40, सूर्यास्त: 06:23। 

5. न्‍यूनतम तापमान- 17 डी.सै., अधिकतम- 28+ डी.सै.।

6. समाचार-पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है। सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा। सभी पद अवैतनिक है। 

7.स्वामी, मुद्रक, प्रकाशक, संपादक राधेश्याम व शिवांशु  (विशेष संपादक) श्रीराम व सरस्वती (सहायक संपादक) संरक्षण-अखिलेश पांडेय, ओमवीर सिंह, वीरसैन पवार, योगेश चौधरी आदि के द्वारा (डिजीटल सस्‍ंकरण) प्रकाशित। प्रकाशित समाचार, विज्ञापन एवं लेखोंं से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं हैं। पीआरबी एक्ट के अंतर्गत उत्तरदायी।

8. संपर्क व व्यवसायिक कार्यालय- चैंबर नं. 27, प्रथम तल, रामेश्वर पार्क, लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102। 

9. पंजीकृत कार्यालयः 263, सरस्वती विहार लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102

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(सर्वाधिकार सुरक्षित)

गुरुवार, 16 मार्च 2023

216 रिक्तियों के संबंध में कोई सिफारिशें नहीं मिलीं

216 रिक्तियों के संबंध में कोई सिफारिशें नहीं मिलीं

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। सरकार ने बृहस्पतिवार को राज्यसभा में कहा कि विभिन्न उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों के 334 पद रिक्त हैं और कॉलेजियम द्वारा की गई 118 सिफारिशें प्रक्रिया के विभिन्न चरणों में हैं, वहीं 216 रिक्तियों के संबंध में अभी कोई सिफारिशें नहीं मिलीं हैं। विधि एवं न्याय मंत्री किरेन रीजीजू ने एक सवाल के लिखित जवाब में राज्यसभा को यह जानकारी दी। उन्होंने अपने जवाब में कहा, ‘‘ 10 मार्च 2023 की स्थिति के अनुसार उच्चतम न्यायालय में कोई रिक्ति नहीं है। जहां तक उच्च न्यायालयों का संबंध है, 1,114 न्यायाधीशों के स्वीकृत पदों के विरुद्ध, 780 न्यायाधीश कार्यरत है और न्यायाधीशों के 334 पद रिक्त हैं।’’ रीजीजू ने कहा, ‘‘ वर्तमान में, उच्च न्यायालय के कॉलेजियम द्वारा 118 प्रस्तावों की सिफारिश की गई है, जो प्रक्रिया के विभिन्न चरणों में हैं।

उच्च न्यायालय कॉलेजियम से उच्च न्यायालयों की 216 रिक्तियों के विरुद्ध सिफारिशें अभी तक प्राप्त नहीं हुई हैं।’’ उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालयों में रिक्तियों को भरना एक सतत, एकीकृत और सहयोगात्मक प्रक्रिया है, जिसके लिए विभिन्न संवैधानिक प्राधिकारियों से परामर्श और अनुमोदन की आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा कि न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति, पदत्याग या पदोन्नति के कारण रिक्तियां पैदा होती रहती हैं और सरकार रिक्तियों को समयबद्ध तरीके से शीघ्र भरने के लिए प्रतिबद्ध है।

रिजीजू ने कहा कि सरकार उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों से अनुरोध करती रही है कि उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए प्रस्ताव भेजते समय, नियुक्ति में सामाजिक विविधता सुनिश्चित करने के लिए अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्प संख्यकों और महिलाओं के उपयुक्त अभ्यर्थियों पर उचित विचार किया जाए।

यूपी: गर्मी के चलते स्कूलों का समय बदला

यूपी: गर्मी के चलते स्कूलों का समय बदला  संदीप मिश्र  लखनऊ। यूपी में गर्मी के चलते स्कूलों का समय बदल गया है। कक्षा एक से लेकर आठ तक के स्कू...