रविवार, 5 फ़रवरी 2023

'राष्ट्रपति' मुशर्रफ का पार्थिव शरीर पाक लाया जाएगा 

'राष्ट्रपति' मुशर्रफ का पार्थिव शरीर पाक लाया जाएगा 

डॉक्टर सुभाषचंद्र गहलोत 

इस्लामाबाद/आबूधाबी। पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ (सेवानिवृत्त) का पार्थिव शरीर पाकिस्तान लाया जाएगा। खबरों में यह जानकारी दी गई है। दुबई में देश के महावाणिज्य दूतावास ने रविवार को पूर्व सैन्य शासक का पार्थिव शरीर उनके देश वापस भेजने के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) जारी किया। वर्ष 1999 में कारगिल युद्ध की साजिश रचने वाले मुशर्रफ का रविवार को एक लाइलाज बीमारी से वर्षों तक जूझने के बाद दुबई के एक अस्पताल में निधन हो गया। वह 79 वर्ष के थे। मुशर्रफ पाकिस्तान में अपने खिलाफ आपराधिक आरोपों से बचने के लिए 2016 से संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में रह रहे थे। 

रिपोर्ट के अनुसार, मुशर्रफ के परिवार ने दुबई में पाकिस्तानी वाणिज्य दूतावास में एक आवेदन दायर कर उनके पार्थिव शरीर को दफनाने के लिए पाकिस्तान ले जाने की अनुमति मांगी थी। खबर के अनुसार, मुशर्रफ का पार्थिव शरीर पाकिस्तान लाने के लिए एक विशेष सैन्य विमान नूर खान एयरबेस से दुबई के लिए उड़ान भरेगा।

खबर में हालांकि इस संबंध में विस्तृत जानकारी नहीं दी गई है। इस बीच खबर के अनुसार, दुबई में पाकिस्तान के महावाणिज्य दूतावास ने उनके पार्थिव शरीर को पाकिस्तान वापस भेजने के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी किया है। समाचार एजेंसी ने महावाणिज्यदूत हसन अफजल खान के हवाले से खबर में कहा, ‘‘हम परिवार के संपर्क में हैं और वाणिज्य दूतावास हर संभव मदद करेगा। वाणिज्य दूतावास ने अनापत्ति प्रमाण-पत्र जारी कर दिया है।’’

पाकिस्तान के पूर्व 'राष्ट्रपति' मुशर्रफ का निधन

पाकिस्तान के पूर्व 'राष्ट्रपति' मुशर्रफ का निधन

डॉक्टर सुभाषचंद्र गहलोत 

इस्लामाबाद/आबूधाबी। पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ का रविवार को निधन हो गया। वे 79 साल के थे। पाकिस्तान मीडिया ने सूत्रों के हवाले से यह खबर दी है। मुशर्रफ लंबे समय से बीमार चल रहे थे। दुबई के अस्पताल में उनका इलाज किया जा रहा था, वहीं उनका निधन हो गया।

लंबे समय से अमाइलॉइडोसिस बीमारी से परेशान थे

मुशर्रफ कई महीने से अस्पताल में भर्ती थे। उनके परिवार ने ट्विटर पर जानकारी देते हुए कहा था कि वे अमाइलॉइडोसिस नाम की बीमारी से जूझ रहे हैं, जिसके चलते उनके सभी अंगों ने काम करना बंद कर दिया है। अब रिकवरी की भी कोई गुंजाइश बाकी नहीं है। मुशर्रफ के परिवार ने 8 महीने पहले मुशर्रफ की यह तस्वीर जारी की थी, तब वे दुबई के अस्पताल में भर्ती थे। मुशर्रफ के परिवार ने 8 महीने पहले मुशर्रफ की एक तस्वीर जारी की थी, तब वे दुबई के अस्पताल में भर्ती थे।

ब्रिटेन की नेशनल हेल्थ सर्विस (NHS) के मुताबिक, अमाइलॉइडोसिस दुर्लभ और गंभीर बीमारियों का समूह है। इसमें इंसान के शरीर में अमाइलॉइड नाम का असामान्य प्रोटीन बनने लगता है। यह दिल, किडनी, लिवर, नर्वस सिस्टम, दिमाग आदि अंगों में जमा होने लगता है, जिस वजह से इन अंगों के टिशूज ठीक से काम नहीं कर पाते।

सेना में जुड़े मुशर्रफ, 1965 में भारत से लड़े थे युद्ध, पाकिस्तान ने माना वीर

कॉलेज की पढ़ाई खत्म करने के बाद 21 साल की उम्र परवेज मुशर्रफ ने बतौर जूनियर अफसर पाकिस्तानी आर्मी जॉइन कर ली। उन्होंने 1965 के युद्ध में भारत के खिलाफ लड़ाई लड़ी। ये युद्ध पाकिस्तान हार गया। बावजूद इसके बहादुरी से लड़ने के लिए पाक सरकार की ओर से मुशर्रफ को मेडल दिया गया। 1971 के युद्ध में भी मुशर्रफ की महत्वपूर्ण भूमिका रही। जिसे देखते हुए सरकार ने उन्हें कई बार प्रमोट किया। 1998 में परवेज मुशर्रफ जनरल बने। उन्होंने भारत के खिलाफ़ कारगिल की साजिश रची। लेकिन बुरी तरह से असफल रहे। अपनी जीवनी ‘ ‘इन द लाइन ऑफ फायर – अ मेमॉयर’ में जनरल मुशर्रफ ने लिखा कि उन्होंने कारगिल पर कब्जा करने की कसम खाई थी। लेकिन नवाज शरीफ की वजह से वो ऐसा नहीं कर पाए।

जिस नवाज शरीफ ने बनाया सेनाध्यक्ष, उन्हें ही सत्ता से बाहर किया

1998 में तत्कालीन पाक पीएम नवाज शरीफ ने परवेज मुशर्रफ पर भरोसा करके उन्हें पाकिस्तानी सेना का प्रमुख बनाया। लेकिन एक साल बाद ही 1999 में जनरल मुशर्रफ ने नवाज शरीफ का तख्तापलट कर दिया और पाकिस्तान के तानाशाह बन गए। उनके सत्ता संभालते ही नवाज शरीफ को परिवार समेत पाकिस्तान छोड़ना पड़ा था।

सत्ता में रहते हुए जनरल मुशर्रफ ने बलूचिस्तान में आजादी की मांग करने वालों के साथ काफी बुरा सुलूक किया। सैकड़ों लोगों की हत्या कर दी गई। यही कारण है कि सत्ता जाने के बाद में बलूच महिलाओं ने अमेरिका से जनरल मुशर्रफ को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने की मांग की थी।

राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप शुरू 

राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप शुरू 

इकबाल अंसारी 

कोलकाता। बीरभूम जिले के मारग्राम में हुए बम विस्फोट में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के एक कार्यकर्ता की मौत और सत्तारूढ़ पार्टी के पंचायत प्रमुख के भाई के घायल होने के बाद रविवार को राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गए। घटना में मारे गए न्यूटन शेख के परिवार के सदस्यों ने आरोप लगाया कि शनिवार को हुए हमले के लिए कांग्रेस समर्थक जिम्मेदार थे। वहीं, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि मारग्राम में पार्टी की सांगठनिक ताकत बहुत कम है और पार्टी किसी हमले में शामिल नहीं है। बम हमले में न्यूटन शेख की मौत हो गई, जबकि घायल लाल्टू शेख को इलाज के लिए कोलकाता के सरकारी एसएसकेएम अस्पताल लाया गया।

बीरभूम जिले की सीमा झारखंड से लगे होने के मद्देनजर हमले में माओवादियों की भूमिका के बारे में पूछे जाने पर पश्चिम बंगाल के शहरी विकास मंत्री फरहाद हाकिम ने कहा कि पुलिस को सभी पहलुओं की जांच करनी चाहिए। मारग्राम में टीएमसी पंचायत प्रमुख के भाई घायल लाल्टू से मिलने के बाद उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘मुझे लगता है कि यह एक बड़ी साजिश है और इन बमों को बनाने के लिए सामग्री के स्रोत की जांच की जानी चाहिए।’’

उन्होंने इस बात से इनकार किया कि घटना टीएमसी में फूट का परिणाम हो सकती है, जैसा कि विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस आरोप लगा रही है। अधीर चौधरी ने कहा कि मारग्राम में कांग्रेस के पास कोई सांगठनिक ताकत नहीं है, यह जानते हुए भी अगर कोई पार्टी को चर्चा में लाना चाहता है तो उन्हें इससे कोई दिक्कत नहीं है। चौधरी ने कहा, ‘‘हर कोई जानता है कि हमलावर और पीड़ित दोनों टीएमसी के हैं।’’

अपने पीछे एक ‘विवादित विरासत’ छोड़ गए है राष्ट्रपति 

अपने पीछे एक ‘विवादित विरासत’ छोड़ गए है राष्ट्रपति 

अकांशु उपाध्याय/अखिलेश पांडेय 

नई दिल्ली/इस्लामाबाद। रणनीतिक मामलों के विशेषज्ञों ने रविवार को कहा कि पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ अपने पीछे एक ‘‘विवादित विरासत’’ छोड़ गए हैं। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के पूर्व सैन्य तानाशाह परवेज मुशर्रफ 1999 के करगिल युद्ध के सूत्रधार थे। हालांकि, बाद में मुशर्रफ को एहसास हुआ, कि उन्हें अपने देश की स्थिरता के लिए भारत के साथ अच्छे संबंध रखने की जरूरत है। पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति जनरल (सेवानिवृत्त) परवेज मुशर्रफ का रविवार को दुबई के एक अस्पताल में निधन हो गया। वह 79 वर्ष के थे। मुशर्रफ ने 1999 में सैन्य तख्तापलट कर लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकार को गिरा दिया और नौ साल तक देश पर शासन किया।

पाकिस्तान में तैनात रहे पूर्व भारतीय उच्चायुक्त जी. पार्थसारथी और टी.सी.ए. राघवन ने मुशर्रफ की विरासत को ‘‘विवादित’’ बताया और कहा कि उन्होंने करगिल युद्ध के बाद महसूस किया कि अगर भारत के साथ अच्छे संबंध नहीं रखे गए तो पाकिस्तान में कुछ भी बदलाव नहीं आएगा। राघवन ने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच बेहतर संबंधों का दौर 2004 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में शुरू हुआ था और यह प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान नवंबर 2008 में मुंबई में हुए आतंकी हमले तक जारी रहा।

पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री खुर्शीद महमूद कसूरी के अपनी किताब ‘नाइदर ए हॉक, नॉर ए डव’ में किए गए इस दावे के बारे में पूछे जाने पर कि भारत और पाकिस्तान वाजपेयी और मुशर्रफ के बीच 2001 के आगरा शिखर सम्मेलन के दौरान कश्मीर समस्या का समाधान खोजने के करीब थे, राघवन ने कहा, ‘‘ऐसा था और इसमें थोड़ी सच्चाई है।’’ उन्होंने पीटीआई-भाषा से कहा कि मुशर्रफ के कार्यकाल में भारत-पाकिस्तान संबंधों में उतार-चढ़ाव दोनों देखे गए।

राघवन ने कहा, ‘‘मुशर्रफ करगिल युद्ध के सूत्रधार थे, लेकिन इसके बाद उन्होंने यह भी महसूस किया कि उन्हें भारत के साथ अच्छे संबंध रखने की जरूरत है और उन्होंने इस संबंध में अच्छी प्रगति की। विशेष रूप से नियंत्रण रेखा पर तनाव कम करके तथा सीमा पार व्यापार और लोगों की आवाजाही की शुरुआत करके कुछ सकारात्मक कदम उठाए गए। तो यह एक दोहरे प्रकार की विरासत है।’’

पार्थसारथी ने कहा, ‘‘जब मैं उच्चायुक्त था, मैं मुशर्रफ को व्यक्तिगत रूप से जानता था। वह करगिल युद्ध के सूत्रधार थे और उन्हें विश्वास था कि वह करगिल में पूरे पहाड़ी क्षेत्रों पर नियंत्रण करने में सफल होंगे और हमारे संचार तंत्र को प्रभावित कर सकेंगे।’’ उन्होंने कहा कि करगिल युद्ध में हार के बाद मुशर्रफ को अपने देश में आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। पार्थसारथी ने  कहा, ‘‘इस बात को लेकर कुछ संदेह था कि तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को युद्ध के बारे में पूरी जानकारी थी या नहीं।’’

मुशर्रफ ने कश्मीर मुद्दे को सुलझाने की कोशिश की थी

मुशर्रफ ने कश्मीर मुद्दे को सुलझाने की कोशिश की थी

इकबाल अंसारी

श्रीनगर। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने रविवार को कहा कि पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ एकमात्र पाकिस्तानी जनरल थे, जिन्होंने ईमानदारी से कश्मीर मुद्दे को सुलझाने की कोशिश की थी। मुशर्रफ का रविवार को दुबई के एक अस्पताल में 79 साल की उम्र में निधन हो गया। जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री ने ट्वीट किया, ‘‘गहरी संवेदना।

वह एकमात्र पाकिस्तानी जनरल थे जिन्होंने कश्मीर मुद्दे को ईमानदारी से सुलझाने की कोशिश की थी। वह जम्मू-कश्मीर की जनता की इच्छा के अनुरूप ऐसा समाधान चाहते थे जो भारत और पाकिस्तान को स्वीकार्य हो। हालांकि, भारत सरकार ने उनके और (पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी) वाजपेयी द्वारा लिए गए सभी विश्वास बहाली के कदमों को उलट दिया है , केवल संघर्ष विराम बाकी है।’’

मुशर्रफ वर्ष 1999 में तख्तापलट कर सत्ता पर काबिज हुए थे और वर्ष 2001 से 2008 तक पाकिस्तान के राष्ट्रपति पद पर रहे। पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री खुर्शीद महमूद कसूरी ने अपनी किताब ‘नाइदर ए हॉक नॉर ए डव’ में दावा किया था कि भारत और पाकिस्तान वर्ष 2001 में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और मुशर्रफ के बीच हुए शिखर सम्मेलन के दौरान कश्मीर मुद्दे के समाधान के करीब पहुंच गए थे। 

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प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

प्राधिकृत प्रकाशन विवरण


1. अंक-116, (वर्ष-06)

2. सोमवार, फरवरी 6, 2023

3. शक-1944, पौष, कृष्ण-पक्ष, तिथि-प्रतिपदा, विक्रमी सवंत-2079‌‌।

4. सूर्योदय प्रातः 07:09, सूर्यास्त: 06:01। 

5. न्‍यूनतम तापमान- 11 डी.सै., अधिकतम- 21+ डी.सै.।

6. समाचार-पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है। सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा। सभी पद अवैतनिक है। 

7.स्वामी, मुद्रक, प्रकाशक, संपादक राधेश्याम व शिवांशु  (विशेष संपादक) श्रीराम व सरस्वती (सहायक संपादक) संरक्षण-अखिलेश पांडेय, ओमवीर सिंह, वीरसैन पवार, योगेश चौधरी आदि के द्वारा (डिजीटल सस्‍ंकरण) प्रकाशित। प्रकाशित समाचार, विज्ञापन एवं लेखोंं से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं हैं। पीआरबी एक्ट के अंतर्गत उत्तरदायी।

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9. पंजीकृत कार्यालयः 263, सरस्वती विहार लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102

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