मंगलवार, 31 जनवरी 2023

भारत ने 'आतंकवाद' के खिलाफ कड़ा रूख अपनाया

भारत ने 'आतंकवाद' के खिलाफ कड़ा रूख अपनाया

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंगलवार को कहा कि भारत ने आतंकवाद के खिलाफ कड़ा रूख अपनाया है और उसकी आवाज को हर मंच पर गंभीरता से सुना जा रहा है। राष्ट्रपति ने मंगलवार को यहां बजट सत्र के पहले दिन संसद के केन्द्रीय कक्ष में दोनों सदनों के संयुक्त अधिवेशन को संबोधित करते हुए कहा कि देश ने आतंकवाद के खिलाफ कड़ा रूख अपनाया है और दुनिया भी अब उसके इस रूख का समर्थन कर रही है।

उन्होंने कहा , “ भारत ने आतंकवाद को लेकर जो कड़ा रुख अपनाया है, उसको भी आज दुनिया समझ रही है। इसलिए आतंकवाद के विरुद्ध भारत की आवाज़ को हर मंच पर गंभीरता से सुना जा रहा है। पिछले वर्ष अक्टूबर में भारत में पहली बार संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद काउंटर-टेररिज्म कमेटी की एक विशेष बैठक आयोजित की गई। इसमें भी भारत ने आतंकवाद के विरुद्ध अपनी भूमिका को स्पष्ट किया।

साइबर सिक्योरिटी से जुड़ी चिंताओं को भी मेरी सरकार गंभीरता से पूरे विश्व के सामने रख रही है।” स्थायी शांति के लिए आतंकवाद के खात्मे को जरूरी बताते हुए उन्होंने कहा , “ मेरी सरकार का साफ मानना है कि स्थाई शांति तभी संभव है, जब हम राजनीतिक और रणनीतिक रूप से सशक्त होंगे। इसलिए अपनी सैन्य शक्ति के आधुनिकीकरण पर हम निरंतर बल दे रहे हैं।”

वार्षिक वन क्षेत्र वृद्धि में तीसरे स्थान पर 'भारत'

वार्षिक वन क्षेत्र वृद्धि में तीसरे स्थान पर 'भारत'

अकांशु उपाध्याय/सुनील श्रीवास्तव 

नई दिल्ली/वाशिंगटन डीसी। सरकार की स्वच्छ ऊर्जा, जलवायु परिवर्तन और गरीबी उन्मूलन से संबंधित नीतियों के कारण दुनिया में वार्षिक वन क्षेत्र वृद्धि में भारत तीसरे स्थान पर आ गया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को संसद में आर्थिक समीक्षा 2022-23 पेश करते हुए कहा कि भारत विश्‍व के सबसे महत्‍वाकांक्षी स्‍वच्‍छ ऊर्जा वितरण और पारेषण कार्यक्रमों में प्रमुखता से भागीदारी कर रहा है और जलवायु परिवर्तन की समस्‍या से निपटने के लिए अपने कर्तव्‍यों के प्रति वचनबद्ध है।

उन्होंने कहा कि भारत का जलवायु दृष्टिकोण विकास के साथ गंभीरता से जुड़ा हुआ है। भारत ने गरीबी उन्मूलन के उपायों और अपने सभी नागरिकों का आधारभूत कल्‍याण सुनिश्चित करने के लिए लक्ष्‍य निर्धारित किए हैं। उन्होंने बताया कि भारत का वन क्षेत्र वर्ष 2010 से 2020 के बीच की अवधि में औसत वार्षिक वन क्षेत्र की बढ़ोतरी के संबंध में वैश्विक रूप से तीसरा स्‍थान है।

समीक्षा के अनुसार इस वृद्धि का श्रेय मुख्‍य रूप से राष्‍ट्रीय और राज्‍यों सरकारों की नीतियों तथा मजबूत ढांचे को ही जाता है। इनसे वन क्षेत्र को बढ़ावा मिला और उनका संरक्षण सुनिश्चित हुआ है। ग्रीन इंडिया मिशन तथा प्रतिपूरक वनीकरण कोष प्रबंधन और योजना प्राधिकरण आदि योजनाओं का इस उपलब्धि में विशेष महत्‍व है। भारतीय राज्‍यों में अरुणाचल प्रदेश के वनों में सर्वाधिक कार्बन स्‍टॉक मौजूद हैं, वहीं जम्‍मू-कश्‍मीर में अधिकतम प्रति हेक्‍टेयर कार्बन स्‍टॉक 173.41 टन है। श्रीमती सीतारमण ने कहा कि भारत ने पारिस्थिकी तंत्र के संरक्षण के लिए केन्‍द्रीय प्रयासों के महत्‍वपूर्ण हिस्‍सों के रूप में भारत में 75 रामसर स्‍थल हैं। वर्ष 2021 के दौरान देश में मैंग्रोव क्षेत्र में 364 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि हुई है।

भारत नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में निवेश के लिए बहुत कम समय में पंसदीदा स्‍थल बन गया है। वर्ष 2014 से 2021 की अवधि के दौरान भारत में नवीकरणीय ऊर्जा के लिए 78.1 अरब डॉलर का निवेश आया था। आर्थिक समीक्षा के अनुसार वर्ष 2029-30 के अंत तक संभावित स्‍थापित क्षमता 800 गीगा वाट से अधिक होने की उम्‍मीद है, जिसमें से 500 गीगा वाट के लिए गैर-जीवाश्‍म ईंधन का इस्‍तेमाल होगा। यह अनुमान लगाया गया है कि 2014-15 की तुलना में 2029-30 तक औसत उत्‍सर्जन दर में करीब 29 प्रतिशत की गिरावट आएगी। भारत को एक स्‍वतंत्र ऊर्जा राष्‍ट्र बनाने और महत्‍वपूर्ण क्षेत्रों को डी-कार्बोनाइज करने के उद्देश्‍य से सरकार ने 19,744 करोड़ रुपये के प्रारंभिक परिव्‍यय के साथ राष्‍ट्रीय हरित हाईड्रोजन मिशन को स्‍वीकृति प्रदान की है।

इसके परिणाम स्‍वरूप 2050 तक कुल कार्बन डाइ ऑक्‍साइड उर्त्‍सन में 3.6 गीगा टन की कमी आएगी। समीक्षा में कहा गया है कि भारतीय रिजर्व बैंक ने वित्‍त वर्ष 2022-23 के लिए सॉवरेन ग्रीन बॉन्‍ड जारी करने के उद्देश्‍य से एक सांकेतिक कलेंडर जारी किया है। इन बॉन्‍ड का कुल मूल्‍य 16,000 करोड़ रुपये है। समीक्षा के अनुसार भारत ने 2018 में ही बाघों की संख्‍या दोगुनी करने का लक्ष्‍य हासिल कर लिया था, जबकि इसके लिए समय-सीमा चार वर्ष बाद 2022 तक के लिए निर्धारित थी। एशियाई शेरों की संख्‍या में भी बहुत तेज गति से बढ़ोतरी हुई है, जहां वर्ष 2015 में 523 शेर थे, 2020 में उनकी संख्‍या बढ़कर 674 हो गई है।

सरकार ने साहसिक और ठोस कदम उठाए: राष्ट्रपति 

सरकार ने साहसिक और ठोस कदम उठाए: राष्ट्रपति 

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मोदी सरकार को लगातार दो बार कार्य करने का अवसर देने के लिए जनता का आभार जताया और कहा कि इस अवधि में सरकार ने साहसिक और ठोस कदम उठाए हैं। मुर्मू ने मंगलवार को बजट सत्र के पहले दिन संसद के केंद्रीय कक्ष में दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित करते हुए कहा,“ मैं आज इस सत्र के माध्यम से, देशवासियों का आभार व्यक्त करती हूं कि उन्होंने लगातार दो बार, एक स्थिर सरकार को चुना है।सरकार ने देशहित को सदैव सर्वोपरि रखा, नीति-रणनीति में संपूर्ण परिवर्तन की इच्छाशक्ति दिखाई।”

उन्होंने कहा कि इस दौरान सरकार ने कई साहसिक निर्णय लिए हैं और ठोस कदम उठाकर देश की सीमाओं की सुरक्षा तथा देश के भीतर राष्ट्रीय एकरूपता को सुनिश्चित करने वाले कई कदम उठाए हैं। मुर्मू ने कहा, “ सर्जिकल स्ट्राइक से लेकर आतंकवाद पर कठोर प्रहार तक, एलओसी से लेकर एलएसी तक हर दुस्साहस के कड़े जवाब तक, अनुच्छेद 370 को हटाने से लेकर तीन तलाक तक, मेरी सरकार की पहचान एक निर्णायक सरकार की रही है। ” उन्होंने कहा, “ स्थिर और निर्णायक सरकार होने का लाभ हमें 100 साल की सबसे बड़ी आपदा और उसके बाद बनी परिस्थितियों से निपटने में मिल रहा है।

दुनिया में जहां भी राजनीतिक अस्थिरता है, वे देश आज भीषण संकटों से घिरे हैं, लेकिन मेरी सरकार ने राष्ट्रहित में जो भी निर्णय किए उससे भारत बाकी दुनिया से बहुत बेहतर स्थिति में है। आज इनकम टैक्स रिटर्न (आईटीआर) भरने के कुछ ही दिनों के भीतर रिफंड मिल जाता है। आज जीएसटी से पारदर्शिता के साथ-साथ करदाताओं की गरिमा भी सुनिश्चित हो रही है।” 

भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का लक्ष्य, दोहराया 

भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का लक्ष्य, दोहराया 

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने के लक्ष्य को दोहराते हुए देशवासियों से इसके लिए हर क्षण अपने पूर्ण सामर्थ्य के साथ काम करने की अपील की और कहा कि विकसित भारत ऐसा हो जिसकी जड़ें अतीत के गौरव के साथ जुड़ी हों और साथ ही उसमें आधुनिकता के सभी संभावित आयाम भी समाहित हों। उन्होंने मुश्किल से मुश्किल लक्ष्य को संभव बनाने और भविष्योन्मुखी दृष्टि के साथ कल के काम को आज पूरा करने का आह्वान करते हुए कहा कि उनकी सरकार ने निर्णय क्षमता का प्रदर्शन किया है, जिससे देश में अनेक सकारात्मक बदलाव आएं हैं।

लोगों का आत्मविश्वास बढा है और दुनिया में भारत को नये नजरिये से देखा जा रहा है।राष्ट्रपति ने मंगलवार को बजट सत्र के पहले दिन संसद के केन्द्रीय कक्ष में दोनों सदनों के संयुक्त अधिवेशन को पहली बार संबोधित करते हुए कहा कि आजादी के अमृतकाल का 25 वर्ष का कालखंड विकसित भारत के निर्माण का कालखंड है और प्रत्येक नागरिक को इसके लिए कर्तव्यों की पराकाष्ठा प्रदर्शित करनी होगी।

श्रीमती मुर्मू ने भ्रष्टाचार को लोकतंत्र तथा सामाजिक न्याय का शत्रु बताते हुए कहा कि सरकार इससे निरंतर लड़ रही है और प्रत्यक्ष लाभांतरण जैसे कदमों तथा बेनामी संपत्ति जब्त करने जैसे कानूनों से इस दिशा में प्रगति हुई है। उन्होंने अनुच्छेद 370 को हटाने तथा तीन तलाक पर रोक जैसे निर्णयों का उल्लेख करते हुए कहा कि सरकार साहसिक फैसले ले रही है। दूरदराज के इलाकों के विकास, आदिवासी और पिछड़ी आबादी के कल्याण के कार्यक्रमों से लोगों की आकांक्षाएं बढी हैं।

सरकार के सख्त रूख और विकास की नीतियों से वामपंथी उग्रवाद का भौगोलिक दायरा भी सिमट गया है। उन्होंने कहा कि भारत ने आतंकवाद को लेकर कड़ा रूख अपनाया है और आज दुनिया भी इसे समझ रही है। भारत की आवाज को विश्व मंच पर गंभीरता से सुना जा रहा है। राष्ट्रपति ने संयुक्त राष्ट्र जैसी अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं में सुधार की जरूरत बताते हुए कहा कि चुनौतीपूर्ण विश्व में कई कारणों से इनकी प्रासंगिकता पर सवाल उठ रहे हैं।

उन्होंने सामाजिक और आर्थिक बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए सरकार द्वारा उठाये गये विभिन्न कदमों की सफलता का जिक्र किया और कहा कि मेड इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत अभियानों की सफलता का लाभ देश को मिल रहा है। देश की विनिर्माण क्षमता बढ रही है और विनिर्माण क्षेत्र की विदेशी कंपनी भारत आ रही हैं। उन्होंने कहा , “ आज हम भारत में ही सेमिकंडक्टर चिप से लेकर हवाई जहाज के निर्माण के लिए प्रयास शुरू कर चुके हैं। 

श्रीमती मुर्मू ने कहा कि सरकार की नीतियों तथा योजनाओं से रक्षा निर्यात छह गुना बढा है। सेना में स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत का शामिल होना गर्व की बात है। देश मोबाइल का बड़ा निर्यातक बन गया है। खिलौनों के आयात में 70 प्रतिशत की कमी और निर्यात में 60 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। भारत वैश्विक नवाचार सूचकांक में 2015 के 81वें स्थान से 40वें स्थान पर आ गया है। देश में 90 हजार स्टार्टअप पंजीकृत हो चुके हैं।

'एमएसएमई' इकाइयों को संकट में जाने से बचाया 

'एमएसएमई' इकाइयों को संकट में जाने से बचाया 

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। केंद्र सरकार की आपात ऋण सुविधा गारंटी योजना (ईसीएलजीएस) ने एमएसएमई इकाइयों को वित्तीय संकट में जाने से बचाया है और उन्हें कर्ज देने में उल्लेखनीय रूप से उच्च वृद्धि ने उनके जल्द पुनरुद्धार में मदद की है। इन इकाइयों के जीएसटी कर भुगतान से यह पहलू सामने आता है। मंगलवार को संसद में पेश आर्थिक समीक्षा 2022-23 से यह जानकारी मिली। भारत में छह करोड़ से अधिक सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) हैं, जिनमें विभिन्न क्षेत्रों और उद्योगों के लगभग 12 करोड़ लोग काम करते हैं। देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में इनका योगदान करीब 35 फीसदी है।

सरकार ने वित्त वर्ष 2020-21 में ईसीएलजीएस योजना शुरू की थी जो एमएसएमई उद्योगों को वित्तीय संकट में जाने से रोकने में मददगार रही है। समीक्षा के मुताबिक, एमएसएमई क्षेत्र को कर्ज वृद्धि जनवरी से नवंबर 2022 के दौरान उल्लेखनीय रूप से अधिक और औसतन 30.6 फीसदी से ऊपर रही है। इसे केंद्र सरकार की ईसीएलजीएस से समर्थन मिला। इसमें कहा गया, एमएसएमई क्षेत्र का पुनरुद्धार तेजी से बढ़ रहा है। यह उनके द्वारा भुगतान किए जाने वाले माल एवं सेवा कर (जीएसटी) से नजर भी आता है।

सर्वेक्षण के मुताबिक, सिबिल की हालिया रिपोर्ट (ईसीएलजीएस इनसाइट्स, अगस्त 2022) बताती है कि योजना ने कोविड महामारी के झटके का मुकाबला करने में एमएसएमई की मदद की और ईसीएलजीएस का लाभ उठाने वाले 83 फीसदी कर्जदार छोटे उद्यम थे। इनमें से आधी से अधिक इकाइयों ने 10 लाख रुपये से भी कम राशि का कर्ज लिया।

सिबिल के आंकड़ों से यह भी पता चला कि ईसीएलजीएस के कर्जदारों की गैर-निष्पादित आस्तियों की दर भी उन उद्यमों की तुलना में कम थी, जिन्होंने योजना के लिए पात्र होने के बावजूद इस योजना का लाभ नहीं उठाया।आर्थिक समीक्षा के मुताबिक, एमएसएमई इकाइयों का जीएसटी भुगतान 2020-21 में घटने के बाद से लगातार बढ़ रहा है और अब यह महामारी से पहले के स्तर को भी पार कर चुका है।

अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान 

अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान 

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर अगले वित्त वर्ष में घटकर 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है। हालांकि, भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना रहेगा। आर्थिक समीक्षा 2022-23 में मंगलवार को यह अनुमान जताया गया। भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष (अप्रैल 2022 से मार्च 2023) में सात प्रतिशत रहने का अनुमान है। पिछले साल यह 8.7 प्रतिशत थी। दुनिया के बाकी हिस्सों की तरह भारत को भी यूरोप में लंबे समय से चल रहे युद्ध से वित्तीय चुनौतियां का सामना करना पड़ा है और आपूर्ति श्रृंखला में बाधाएं भी आई हैं। समीक्षा में कहा गया, ‘‘ज्यादातर अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में भारत ने चुनौतियों का बेहतर तरीके से सामना किया।’’

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा संसद में पेश की गई आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि भारत पीपीपी (क्रय शक्ति समानता) के मामले में दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी और विनिमय दर के मामले में पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। समीक्षा में कहा गया, ‘‘अर्थव्यवस्था ने जो कुछ खोया था, उसे लगभग फिर से पा लिया है। जो रुका हुआ था, उसे नया कर दिया है, और महामारी के दौरान तथा यूरोप में संघर्ष के बाद जो गति धीमी हो गई थी, उसे फिर से सक्रिय कर दिया है।’’ इसमें संकेत दिया गया है कि मुद्रास्फीति की स्थिति बहुत चिंताजनक नहीं हो सकती है, हालांकि, कर्ज की लागत ‘लंबे समय तक ऊंचे स्तर पर रहने की संभावना है। एक जटिल मुद्रास्फीति सख्ती के चक्र को लंबा कर सकती है।

समीक्षा में कहा गया है कि महामारी के बाद भारत में पुनरुद्धार अपेक्षाकृत तेज था, ठोस घरेलू मांग से वृद्धि को समर्थन मिला, पूंजी निवेश में तेजी आई, लेकिन अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में और बढ़ोतरी के अनुमान से रुपये के लिए चुनौतियां बढ़ीं। चालू खाते के घाटे (कैड) में बढ़ोतरी जारी रह सकती है, क्योंकि वैश्विक जिंस कीमतें ऊंची बनी हुई हैं। अगर कैड और बढ़ता है, तो रुपया दबाव में आ सकता है।

समीक्षा के मुताबिक, निर्यात के मोर्चे पर चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में वृद्धि में कमी आई है। धीमी वैश्विक वृद्धि, सिकुड़ते वैश्विक व्यापार के कारण चालू वर्ष की दूसरी छमाही में निर्यात प्रोत्साहन में कमी आई। वित्त वर्ष 2023-24 के लिए वर्तमान कीमतों पर वृद्धि दर के 11 प्रतिशत रहने का अनुमान है। समीक्षा में कहा गया कि आगामी वित्त वर्ष के दौरान ज्यादातर वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं के मुकाबले भारत की वृद्धि दर मजबूत रहेगी।

ऐसा निजी खपत में सुधार, बैंकों द्वारा ऋण देने में तेजी और कंपनियों द्वारा पूंजीगत व्यय में बढ़ोतरी के कारण होगा। समीक्षा में कहा गया है कि मजबूत खपत के कारण भारत में रोजगार की स्थिति में सुधार हुआ है, लेकिन रोजगार के अधिक मौके तैयार करने के लिए निजी निवेश में वृद्धि जरूरी है।

1,54,070 स्‍वास्‍थ्‍य एवं कल्‍याण केन्‍द्र संचालित 

1,54,070 स्‍वास्‍थ्‍य एवं कल्‍याण केन्‍द्र संचालित 

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। देशभर में 1,54,070 स्‍वास्‍थ्‍य एवं कल्‍याण केन्‍द्र संचालित किए जा रहे हैं और इनमें 135 करोड़ से अधिक लोगों का आगमन हुआ है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को संसद में पेश आर्थिक समीक्षा 2022- 23 में कहा गया है कि इन केंद्रों में कुल 87 करोड़ से अधिक लोगों की गैर-संचारी रोगों के लिए जांच की गई।

योग सहित 1.60 करोड़ से अधिक कल्‍याण सत्र आयोजित किए गए और आयुष्‍मान भारत स्‍वास्‍थ्‍य केन्‍द्रों में 1,12,987 वार्ताओं के माध्‍यम से नौ करोड़ 30 लाख दूरभाष परामर्श दिए गए हैं। आयुष्‍मान भारत योजना के अंतर्गत लगभग 22 करोड़ लाभार्थियों का सत्‍यापन किया गया। आयुष्‍मान भारत के अंतर्गत पूरे देश में 1.54 लाख से अधिक स्‍वास्‍थ्‍य एवं कल्‍याण देखभाल केन्‍द्र शुरू किए गए।

आयुष्‍मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्‍य योजना के अंतर्गत चार जनवरी 2023 तक 21.90 करोड़ लाभार्थियों का सत्‍यापन किया गया है। इसमें राज्‍यों की सूचना प्रौद्योगिकी प्रणाली के अंतर्गत सत्‍यापित तीन करोड़ लाभार्थी शामिल हैं। इसके अलावा 50,409 करोड़ रुपये के व्‍यय से अस्‍पतालों में लगभग चार करोड़ तीस लाख रोगियों का उपचार किया गया है।

केन्‍द्रों के माध्‍यम से वर्तमान मातृ एवं शिशु स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं और संचारी रोग सेवाओं को विस्‍तारित एवं सुदृढ़ करके तथा मानसिक तनाव, मधुमेह और मुंह, स्‍तन और गर्भाशय के तीन समान कैंसर रोगों के उपचार से जुड़ी सेवाओं को इसमें शामिल करके समग्र प्राथमिक स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल सेवाएं प्रदान की जा रही हैं।

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