मंगलवार, 13 दिसंबर 2022

जीवनकाल    'संपादकीय'

जीवनकाल    'संपादकीय'


'लिबास' देखकर हमें गरीब न समझ,

हमारे 'शौक़' ही तेरी जायदाद से ज्यादा है।

आजकल युवा पीढ़ी फैशन परस्ती में लोक-लाज, लिहाज सब भूलकर भारतीय संस्कृति का अपमार्जन करते हुए, अपमान की सभ्यता को तवज्जो देने लग गई है। जबसे पाश्चात्य सभ्यता ने दस्तक दी है, भारतीय संस्कृति का विलोपन होने लगा है। हर कोई पराया हो गया, कोई भी सगा नहीं है। रहन-सहन, पहनावा दिखावे का प्रचलन जोर पकड़ रहा है। जिधर देखिए देहउघारु कपड़े का चलन है। राह चलते आए दिन छेड़खानी और लफड़े होते हैं। सुन्दर काया लिए आज का आदमी पाश्चात्य पहनावा में जोकर लग रहा है। फिर भी गुमान है, हम आधुनिक इन्सान है? गजब साहब कभी सिर पर पल्लू रखें महिलाओं घर से निकलती थी तो उनके संस्कार का बखान होता था। परिवार का उनका चाल-चलन देखकर नाम होता था वो भी कोशिश करती थी कि राह चलते पैर का अंगूठा भी न दिखे। मगर आज साहब क्या बात है आधुनिक जमाने की पढ़ी लिखी जनरेशन का फैसला देखिए।

कोशिश करती है विवाह के मंडप में ही उसका सब कुछ सब लोग देखे? गजब गिरावट है। अब तो कुछ भी नहीं बचा। जिसमे नहीं होती मिलावट है। पुरानी पीढ़ी जो हिन्दुस्तानी संस्कृति के पहचान थी अब समापन के तरफ है। धोती कुर्ता सदरी का प्रचलन खत्म हो रहा है। फटा जीन्स पैन्ट फटी कमीज़ बिना तमीज सड़कों पर आवारा गर्दी किसी ने रोका तो बिना लाग लपेट बोल देते है यह हमारी मर्जी। अगर सलीके से साड़ी बांधे औरत और धोती कुर्ता में कोई मर्द दिखा तो जाहील गंवार गरीब अनपढ़ कहकर उपहास आज की युवा पीढ़ी करती है। उनको पता ही नहीं है की यही हमारी पहचान यही हमारी धरोहर है। इसी से हमारी शान है। यही आर्यावर्त, भारत, हिन्द,का असली हिन्दुस्तान है? मगर बदलते परिवेश में बदलाव की जो हवा विषाक्त वातावरण का निर्माण कर रही है। उसकी चपेट में आकर आज का वातावरण पूरी तरह प्रदूषित हो चला है।

शहरो में दिखावा फ़ूहड़ पहनावा फैसन मस्ती फैसन परस्ती आम बात है। वहां उनका अलग मिजाज  अलग जज़्बात है। लेकिन गांव जहा भोले भाले लोग आपसी मुखालफत में भी सराफत लिए आपसी भाई चारा के साथ पुरातन परम्परा के अनुगामी रहे है। आज वहां भी फैसन परस्ती ने बदनामी का मंजर तैयार कर दिया है। पूरुष हो या महिलाएं शर्म, हया, लाज लिहाज खत्म होता जा रहा है।पर्दा के भीतर जो मर्यादा सुरक्षित थी। आज बिना पर्दा खुलेआम बेशर्मी की सारी हदें पार कर रही है। नंगापन, फूहडपना,देह शउघारू कपड़ों का प्रचलन, जोर पकड़ लिया है।

अब पहले वाली बात गांवों में नहीं रही निरंकुश ब्यवस्था उफान पर है। घर का मुखिया दुखिया बना बर्बाद होते परिवार को देखकर कूढ रहा है। मगर हालात दिन पर दिन बेकाबू हो रहा है। न किसी का डर न किसी का लिहाज। घर घर बर्बादी का दीपक जल रहा है। आज, कितना बदल गया समाज। जो कुछ पहले था ठीक उसके उल्टा हो गया। इस बदलाव के मौसम में आदमी की पहचान उसके मान सम्मान स्वाभिमान से नहीं उसके  मकान से मापा जा रहा है।उसकी हैसियत उसके कपड़ों से नापा जा रहा है। जिसके पास इज्जत का खजाना है। वह सबसे पिछड़ा है समाज में बेगाना है।जिनका जितना दिखावा आधुनिक पहनावा है उसी का जमाना है। समय के जिस तरह दरिया बदलता उसी तरह वक्त अपना नजरिया बदलता रहता है।अब न पुरातन संस्कार रहे। न पुरातन घर परिवार रहे। न लोगों में आपसी सद्भावना रहा। बिखराव बहाव का अन्धड चल रहा है। मजबूरी में आंखें बन्द करना है। अब न कोई रिश्ता है। न कोई फरिश्ता है। स्वार्थ की दरिया में उफान है।

साथ तभी तक है जब तक जरूरत पूरी नहीं होती है। ज्योही ज़िन्दगी की कश्ती झंझावात करती हवाओं से बचकर साहिल पर लंगर डाली वहीं औलाद बेगाना होगा गई ज्योहीं मिल गई घर वाली। अरमानों का महल बनाकर ख्वाब सजाकर सपनों की दुनियां में हर रात आखरी सफर के सौगात का भ्रम पाले वो मां बाप मुगालते में रहे जिनके अपने-सारे सपने तोड़कर मुंह मोड़कर तन्हाई में रहने को विवश कर दिए। परिवर्तन की पराकाष्ठा में आस्था धाराशाई है। जो कल तक अपना था आज वही बना तमाशाई है। गमों का बोझ लिए हर पल सिसकते हुए जीवन का हर क्षण सुख सम्बृधि की चाहत में आहत मन के साथ अपनों के भविष्य के लिए जिसने होम कर दिया। वहीं, आज आखरी सफर के कंटीले राह में अथाह दर्द की बेदना लिए सम्वेदना शून्य समाज में तिरस्कृत हो गया। उसी घर से वहिष्कृत हो गया, जिसको अपने खून पसीने से संवारा था।

जगदीश सिंह

पंवार को फोन करके जान से मारने की धमकी दी 

पंवार को फोन करके जान से मारने की धमकी दी 

कविता गर्ग 

मुंबई। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के अध्यक्ष शरद पंवार को मंगलवार को उनके आवास पर एक अज्ञात व्यक्ति ने फोन करके उन्हें जान से मारने की धमकी दी। पुलिस ने यह जानकारी दी। पुलिस ने बताया कि एक अज्ञात व्यक्ति ने पवार को दक्षिण मुंबई के सिल्वर ओक स्थित उनके घर पर एक फोन करके गोली मारने की धमकी दी। उन्होंने बताया कि फोन करने वाले की पहचान हो गई है और वह बिहार का रहने वाला है। इससे पहले भी इसी व्यक्ति ने पंवार को फोन करके धमकी दी थी।

पुलिस ने कहा कि व्यक्ति को हिरासत में लेकर पूछताछ की गई और बाद में उसे छोड़ दिया गया। राकांपा के मुख्य प्रवक्ता महेश तापसे ने इस घटना को लेकर कहा कि फोन करके धमकी देने वाला व्यक्ति मानसिक रूप से अस्वस्थ लगता है, जो नियमित अंतराल पर पंवार के आवास पर फोन करता रहता है और इस तरह की धमकी देता है।

तापसे ने कहा, "पिछले कुछ दिनों में उसने कई बार फोन किया और इसी तरह की धमकी दी। पुलिस को सूचित कर दिया गया है।" स्थानीय गामदेवी थाने में इस घटना के संबंध में मामला दर्ज करके जांच शुरू कर दी गई है। 

कोई एक इंच भी जमीन पर कब्जा नहीं कर सकता

कोई एक इंच भी जमीन पर कब्जा नहीं कर सकता

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को कहा कि जब तक देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा की सरकार है, तब तक कोई एक इंच भी जमीन पर कब्जा नहीं कर सकता। अरुणाचल प्रदेश में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच झड़प की पृष्ठभूमि में उन्होंने यह बात कही। संसद में विपक्ष ने इस मुद्दे पर चर्चा कराने की मांग की। 

शाह ने संसद भवन परिसर में संवाददाताओं से कहा कि कांग्रेस ने राजीव गांधी फाउंडेशन के एफसीआरए (विदेशी अनुदान नियमन कानून) पंजीकरण को रद्द करने संबंधी प्रश्नों से बचने के लिए संसद में सीमा मुद्दे को उठाया। उन्होंने आरोप लगाया कि राजीव गांधी फाउंडेशन को चीनी दूतावास से एक करोड़ 35 लाख रुपए का अनुदान प्राप्त हुआ था,जो एफसीआरए कानून और उसकी मर्यादाओं के अनुरूप नहीं था, इसलिए इसका पंजीकरण रद्द कर दिया गया। 

गृह मंत्री ने कहा, (जवाहरलाल) नेहरू के चीन प्रेम की वजह से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता छोड़ दी गयी। उन्होंने भारतीय सैनिकों की बहादुरी की प्रशंसा करते हुए कहा, मैं स्पष्ट रूप से कहना चाहता हूं कि जब तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा की सरकार है, तब तक कोई हमारी एक इंच भी जमीन कब्जा नहीं सकता।

ट्विटर का अधिग्रहण करने के बाद कई बदलाव किए 

ट्विटर का अधिग्रहण करने के बाद कई बदलाव किए 

अखिलेश पांडेय 

टोरंटो/ओटावा/वाशिंगटन डीसी। अरबपति कारोबारी एलन मस्क ने ट्विटर का 28 अक्टूबर को अधिग्रहण करने के बाद से इस सोशल मीडिया मंच में कई बदलाव किए हैं। जिसके परिणामस्वरूप कंपनी के भीतर व्यापक अराजकता और उथल-पुथल मची हुई है। ट्विटर के संचालन को संभालने के कुछ दिनों के भीतर, मस्क ने कंपनी के शीर्ष अधिकारियों और 7,500 में से आधे कर्मचारियों को निकाल दिया, विविधता और समावेशन का प्रतिनिधित्व करने वाले कर्मचारियों को असंगत तरीके से बाहर नहीं करने की सलाह को नजरअंदाज कर दिया और रोजगार श्रम कानूनों एवं कर्मचारी अनुबंधों का उल्लंघन किया। 

इसके बाद मस्क ने 16 नवंबर को शेष कर्मचारियों को चेतावनी देते हुए एक ईमेल भेजा: पूरी तरह खुद को काम में झोंक दो या कंपनी छोड़ दो। पत्र में कहा गया, इसका मतलब है, बहुत तेजी के साथ घंटों काम करना। केवल असाधारण प्रदर्शन करने वालों को ही उत्तीर्ण किया जाएगा।

ऐसा बताया जा रहा है कि कुछ कर्मचारी काम करते करते अपने कार्यालयों में ही सो गए। ऐसी स्थिति पैदा करना मस्क के लिए नई बात नहीं है। उनका पहले से ही अधिकारियों को बर्खास्त करने और टेस्ला में बड़े पैमाने पर छंटनी करने का इतिहास रहा है। मनुष्यों से मशीन के पुर्जों की तरह व्यवहार मस्क यांत्रिक शैली के प्रबंधन में भरोसा करते हैं, जिसके तहत कर्मचारियों से इंसानों के बजाय मशीन में लगे पुर्जे की तरह व्यवहार किया जाता है। 

अमेरिकी इंजीनियर फ्रेडरिक टेलर प्रबंधन सिद्धांत के शुरुआती समर्थकों में से एक थे। उन्होंने 1910 में प्रकाशित द प्रिंसिपल्स ऑफ साइंटिफिक मैनेजमेंट’ में लिखा था: अतीत में मनुष्य पहले रहा है। भविष्य में व्यवस्था पहले होनी चाहिए... हमारी योजना में, हम अपने कर्मचारियों से पहल नहीं मांगते है...

..हम कोई पहल नहीं चाहते। हम उनसे केवल यही चाहते हैं कि वे हमारे द्वारा दिए गए आदेशों का पालन करें, जो हम कहते हैं, वह करें और इसे शीघ्र करें। इस शैली के तहत उत्पादन के साधनों को कर्मचारियों की भावनात्मक स्थिति से अधिक महत्व दिया जाता है, किंतु कर्मचारी वास्तव में भावनात्मक एवं संवेदनशील होते हैं, जिनके पास सोचने-समझने की ताकत है और जब उनके साथ उचित व्यवहार किया जाता है तो वे अपना काम अच्छी तरह से करते हैं।

मानव केन्द्रित कार्य
यांत्रिक प्रबंधन की कमियों के कारण मानवतावादी प्रबंधन दृष्टिकोण उत्पन्न हुआ। मानवतावादी दृष्टिकोण भावनात्मक रूप से स्वस्थ कार्यस्थलों, लैंगिक समानता, सम्मान, उत्पीड़न-विरोधी कर्मचारियों के बीच जुड़ाव और संघर्ष प्रबंधन को प्राथमिकता देता है। वैश्विक महामारी शुरू होने के बाद से अधिक मानवीय कार्यस्थल की अवधारणा तेजी से बढ़ रही है। कार्यस्थलों पर असंतोष के परिणामस्वरूप कर्मचारी अधिक मानव-केंद्रित कार्यस्थलों की मांग कर रहे हैं और अपने अधिकारों के लिए खड़े हो रहे हैं। 

पत्रकार टॉम गिब्बी ने फोर्ब्स में कहा कि कर्मचारी अपनी जरूरतों और चाहतों के बारे में स्पष्ट हैं। यदि उनका वर्तमान नियोक्ता उन जरूरतों को पूरा नहीं करता है, तो वे एक नया नियोक्ता ढूंढते हैं जो उनकी परवाह करता है। यह स्पष्ट है कि मस्क की कार्यस्थल संस्कृति के भले ही कोई भी लाभ हों, लेकिन यह स्वस्थ नहीं है।

गुजरात: 18वें मुख्यमंत्री के रूप में कार्यभार संभाला

गुजरात: 18वें मुख्यमंत्री के रूप में कार्यभार संभाला

इकबाल अंसारी 

अहमदाबाद। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता भूपेंद्र पटेल ने गांधीनगर में राज्य सचिवालय में गुजरात के 18वें मुख्यमंत्री के रूप में मंगलवार को कार्यभार संभाला। एक आधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, पटेल के साथ कैबिनेट स्तर के आठ मंत्रियों सहित सभी 16 मंत्रियों ने भी स्वर्णिम संकुल-1 और स्वर्णिम संकुल-2 में अपने-अपने विभागों का प्रभार संभाला।

पटेल ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केंद्रीय मंत्रियों और पार्टी शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की मौजूदगी में सोमवार को एक भव्य समारोह में गुजरात के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में पटेल का यह लगातार दूसरा कार्यकाल है। मुख्यमंत्री पद का कार्यभार संभालने से पहले पटेल ने मंगलवार को सभी मंत्रियों को उनके दफ्तर में जाकर बधाई दी। कैबिनेट मंत्रियों में कनू देसाई, ऋषिकेश पटेल, राघवजी पटेल, बलवंत सिंह राजपूत, कुंवरजी बावलिया, मुलुभाई बेरा, कुबेर डिंडोर और भानुबेन बावरीया शामिल हैं। हर्ष सांघवी और जगदीश विश्वकर्मा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) हैं। राज्य के छह अन्य मंत्रियों में पुरुषोत्तम सोलंकी, बच्चूभाई खाबाद, मुकेश पटेल, प्रफुल्ल पंशेरिया, भीखूसिंह परमार और कुवरजी हलपति शामिल हैं।

148 दिनों में एक करोड़ निवेशकों के खाते जोड़े

148 दिनों में एक करोड़ निवेशकों के खाते जोड़े

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। प्रमुख स्टॉक एक्सचेंज बीएसई ने 148 दिन की अवधि में अपने मंच पर एक करोड़ पंजीकृत निवेशक खाते जोड़े हैं, जिसके साथ उसके पास ऐसे कुल खातों की संख्या 12 करोड़ हो गई है। बीएसई ने मंगलवार को एक बयान में कहा कि उसने इस साल 18 जुलाई से 13 दिसंबर के बीच एक करोड़ निवेशकों के खाते जोड़े। बीएसई को 11 करोड़, 10 करोड़, नौ करोड़ और आठ करोड़ खातों के पड़ाव तक पहुंचने में इससे पहले क्रमशः 124 दिन, 91, 85 और 107 दिन का वक्त लगा था

एक्सचेंज ने कहा, ''बीएसई ने 13 दिसंबर, 2022 को यूनिक क्लाइंट कोड (यूसीसी) के आधार पर 12 करोड़ पंजीकृत उपयोगकर्ताओं के पड़ाव को पार कर लिया। इन 12 करोड़ उपयोगकर्ताओं में से 42 प्रतिशत खाताधारक 30 से 40 वर्ष आयु वर्ग के हैं, 23 प्रतिशत 20 से 30 वर्ष में और 11 प्रतिशत 40 से 50 आयु वर्ग के हैं।

कुल 12 करोड़ निवेशकों में से 20 प्रतिशत की हिस्सेदारी के साथ महाराष्ट्र निवेशकों के मामले में सबसे आगे रहा। इसके बाद गुजरात 10 प्रतिशत, उत्तर प्रदेश नौ प्रतिशत और राजस्थान एवं तमिलनाडु प्रत्येक छह-छह प्रतिशत पर रहे।हालांकि एक्सचेंज ने यह नहीं बताया कि इनमें से कितने खाते सक्रिय हैं या सिर्फ म्यूचुअल फंड निवेश के लिए उपयोग किए जाते हैं। वर्ष 1875 में स्थापित बीएसई (पूर्व में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज) छह माइक्रोसेकंड की गति के साथ दुनिया का सबसे तेज शेयर बाजार है। 

वाणिज्यिक वाहनों के दाम दो प्रतिशत तक बढ़ाएंगे 

वाणिज्यिक वाहनों के दाम दो प्रतिशत तक बढ़ाएंगे 

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। वाहन कंपनी टाटा मोटर्स वाहन विनिर्माण की बढ़ती लागत के प्रभाव को दूर करने के लिए जनवरी से अपने वाणिज्यिक वाहनों के दाम दो प्रतिशत तक बढ़ाएगी। कंपनी ने मंगलवार को एक बयान में यह कहा। कंपनी के मुताबिक हालांकि कीमतों में वृद्धि अलग-अलग मॉडल और संस्करण के अनुसार भिन्न होगी लेकिन यह वाणिज्यिक वाहनों की पूरी श्रृंखला पर लागू होगी।

बयान में कहा गया है कि कंपनी बढ़ी हुई लागत का ज्यादातर भार खुद पर ले रही है। लेकिन कुल लागत में तीव्र वृद्धि की वजह से उसे वाहनों की कीमतों में न्यूनतम वृद्धि करना पड़ रही है। टाटा मोटर्स, वाणिज्यिक वाहन खंड में देश की अग्रणी कंपनी है। कंपनी ने पहले ही घोषणा कर दी है कि वह अगले महीने से अपने यात्री वाहनों की कीमतों में वृद्धि करने पर विचार कर रही है ताकि अपने वाहनों को अप्रैल, 2023 में लागू होने जा रहे सख्त उत्सर्जन मानदंडों के अनुरूप तैयार कर सके। 

पायलट ने फ्लाइट अटेंडेंट को प्रपोज किया

पायलट ने फ्लाइट अटेंडेंट को प्रपोज किया  अखिलेश पांडेय  वारसॉ। अक्सर लोग अपने प्यार का इजहार किसी खास जगह पर करने का सोचते हैं। ताकि वो पल ज...