सोमवार, 31 अक्तूबर 2022

‘सशस्त्र बल (विशेषाधिकार) अधिनियम, 1958’ वापस

‘सशस्त्र बल (विशेषाधिकार) अधिनियम, 1958’ वापस

विमलेश यादव 

दिसपुर/गुवाहाटी। असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने सोमवार को कहा कि उनकी सरकार राज्य में दो और स्थानों से ‘सशस्त्र बल (विशेषाधिकार) अधिनियम, 1958’ (AFSPA ) को वापस लेने पर विचार कर रही है। बराक घाटी में कछार के लखीमपुर उप-संभाग के साथ तिनसुकिया, डिब्रूगढ़, चराईदेव, शिवसागर, जोरहाट, गोलाघाट, कार्बी आंगलोंग और दिमा हसाओ जिलों के लिए ‘अशांत क्षेत्र’ के टैग के साथ एक अक्टूबर से छह महीने के लिए अफ्स्पा लगाया गया था। सरकार ने पश्चिम कार्बी आंगलोंग जिले में स्थिति में काफी सुधार होने की बात कहते हुए वहां से इस विवादास्पद कानून को वापस ले लिया था।

अफस्पा सुरक्षा बलों को अभियान चलाने और बिना किसी वारंट के किसी को भी गिरफ्तार करने का अधिकार देता है और साथ ही यदि उनकी गोली से किसी की मौत हो जाती है तो उन्हें गिरफ्तारी और मुकदमे से छूट प्रदान करता है। शर्मा ने कहा, ‘असम और पूर्वोत्तर में शांति लौट आई है। आज राज्य के 65 प्रतिशत क्षेत्र से अफस्पा वापस ले लिया गया है। भविष्य में, हम कछार के लखीमपुर और पूरे कार्बी आंगलोंग जिले से इसे वापस लेने के बारे में विचार कर रहे हैं।' उन्होंने कहा कि दो और इलाकों के अफस्पा के दायरे से बाहर होने के बाद ऊपरी असम के केवल छह जिले कानून के दायरे में रहेंगे।

अफस्पा के तहत ‘अशांत क्षेत्र’ का दर्जा हटा दिया गया

आत्मसमर्पण करने वाले उग्रवादियों को उनके पुनर्वास के लिए वित्तीय सहयोग देने के लिहाज से आयोजित एक कार्यक्रम में शर्मा ने कहा कि त्रिपुरा, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड और मणिपुर के विभिन्न इलाकों से भी अफस्पा के तहत ‘अशांत क्षेत्र’ का दर्जा हटा दिया गया है. उन्होंने कहा, ‘असम में बहुत खून-खराबा हुआ है. हमारा कर्तव्य इसे रोकना और राज्य का विकास करना है. हम राज्य के बेरोजगार युवाओं को रोजगार के अवसर देने के लिए बड़ी योजना शुरू करने के बारे में सोच रहे हैं.’ मुख्यमंत्री ने 318 पूर्व उग्रवादियों को डिमांड ड्राफ्ट (डीडी) सौंपे जिन्होंने पिछले दिनों राज्य के पुलिस महानिदेशक और असम पुलिस, सेना एवं अर्द्धसैनिक बलों के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में हथियार छोड़ दिये थे.

असम में उल्फा (आई) को छोड़कर सभी उग्रवादी संगठन मुख्यधारा में लौट आए

यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (आई), यूनाइटेड गोरखा पीपल्स ऑर्गेनाइजेशन (यूजीपीओ), तिवा लिबरेशन आर्मी (टीएलए), कूकी लिबरेशन फ्रंट (केएलएफ), दिमासा नेशनल लिबरेशन आर्मी (डीएनएलए) और कूकी नेशनल लिबरेशन आर्मी (केएनएलए) के आत्मसमर्पण करने वाले उग्रवादियों को डेढ़-डेढ़ लाख रुपये की एकमुश्त अनुग्रह राशि दी गई। शर्मा ने कहा, ‘हमारी सरकार के पिछले डेढ़ साल में असम में उल्फा (आई) को छोड़कर सभी उग्रवादी संगठन मुख्यधारा में लौट आए हैं। मैं उल्फा (आई) के प्रमुख परेश बरुआ से एक बार फिर अपील करता हूं कि शांति से समाज को आगे ले जाएं, खून-खराबा करके नहीं।’ उन्होंने कहा कि पिछले साल मई में उनके पदभार संभालने के बाद अनेक संगठनों के 6,780 से अधिक कैडर आत्मसमर्पण कर चुके हैं।

बांग्ला अभिनेत्री चक्रवर्ती का निधन, शोक व्यक्त 

बांग्ला अभिनेत्री चक्रवर्ती का निधन, शोक व्यक्त 

मिनाक्षी लोढी 

कोलकाता। बांग्ला अभिनेत्री सोनाली चक्रवर्ती का लंबी बीमारी के बाद सोमवार को कोलकाता के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। वह 59 वर्ष की थीं और उनके परिवार में पति अभिनेता शंकर चक्रवर्ती और बेटी हैं। बांग्ला टेलीविजन की जानी-मानी अभिनेत्री चक्रवर्ती यकृत की बीमारी से जूझ रही थीं।

महीनों से अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। उन्होंने ‘दादर कीर्ति’ (1980), ‘हार जीत’ (2002) और ‘बंधन’ (2004) जैसी फिल्मों में अभिनय किया। आखिरी बार उन्हें धारावाहिक ‘गाछोरा’ में देखा गया था। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए शोक संतप्त परिवार के प्रति संवेदना प्रकट की है।

विज्ञान: शोधकर्ताओं की टीम ने एक नई वस्तु खोजी

विज्ञान: शोधकर्ताओं की टीम ने एक नई वस्तु खोजी

अकांशु उपाध्याय

नई दिल्ली। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, गांधीनगर (आईआईटीजीएन) और जापान एडवांस्ड इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (जेएआईएसटी) के शोधकर्ताओं की एक टीम ने एक नई वस्तु खोजी है, जो लिथियम बैटरी को मिनटों में रिचार्ज कर सकती है। इसके जरिए जल्द ही आप अपने बैटरी वाले उपकरणों और यहां तक ​​कि इलेक्ट्रिक वाहनों को बहुत तेज गति से चार्ज कर पाएंगे।

टीम के अनुसार, टाइटेनियम डाइबोराइड (टीआईबी2) से प्राप्त नैनोशीट्स का उपयोग करके नयी द्वि-आयामी (2डी) वस्तु तैयार की गई है। यह वस्तु कई परतों वाले सैंडविच जैसी दिखती है, जिसमें परतों के बीच धातु के परमाणु बोरॉन लगे हुए हैं। आईआईटीजीएन और जेएआईएसटी की शोध टीमों ने एक ऐसी वस्तु विकसित करने का लक्ष्य रखा था जो न केवल बैटरी को तेजी से चार्ज करने में सक्षम हो, बल्कि उसे लंबा जीवन भी प्रदान करे।

आईआईटीजीएन में केमिकल इंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रोफेसर कबीर जासुजा ने कहा, ” फिलहाल, ग्रेफाइट और लिथियम टाइटेनेट व्यावसायिक रूप से उपलब्ध लिथियम-आयन बैटरी (एलआईबी) में सबसे व्यापक रूप से उपयोग किए जाने वाली एनोड सामग्रियों में से हैं। ये लैपटॉप, मोबाइल फोन और इलेक्ट्रिक वाहनों को पावर देती हैं। ग्रेफाइट एनोड से लैस लिथियम-आयन बैटरी किसी इलेक्ट्रिक वाहन को एक बार चार्ज करने पर सैकड़ों किलोमीटर तक चला सकती है। उन्होंने कहा कि हालांकि, सुरक्षा के मोर्चे पर इनकी अपनी चुनौतियां हैं क्योंकि इनमें आग लगने का खतरा रहता है। लिथियम टाइटेनेट एनोड सुरक्षित और अधिक पसंदीदा विकल्प हैं, और ये फास्ट चार्जिंग की सुविधा भी देते हैं।

‘रेड लाइट ऑन, गाड़ी ऑफ’ अभियान की फाइल भेजी 

‘रेड लाइट ऑन, गाड़ी ऑफ’ अभियान की फाइल भेजी 

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। दिल्ली सरकार ने ‘रेड लाइट ऑन, गाड़ी ऑफ’ अभियान की फाइल एक बार फिर उपराज्यपाल वी. के. सक्सेना को विचारार्थ भेजी है। सूत्रों ने सोमवार को यह जानकारी दी। यह कदम ऐसे समय आया है, जब उपराज्यपाल सक्सेना ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से इस तरह के ‘अस्थायी’ उपाय की प्रभावशीलता पर सवाल उठाते हुए अभियान पर पुनर्विचार करने के लिए कहा है क्योंकि दिल्ली उच्च वायु प्रदूषण से जूझ रही है।

महीने भर के ‘रेड लाइट ऑन, गाडी ऑफ’ अभियान का मकसद ट्रैफिक सिग्नल पर इंतजार कर रहे वाहन चालकों को इंजन बंद करने के लिए प्रोत्साहित करना है। सूत्रों ने कहा, हमने उपराज्यपाल के विचारार्थ फाइल फिर से भेजी है। सरकार ने पर्याप्त मात्रा में सबूत भेजे हैं जिनमें अभियान के अनुकूल परिणामों को रेखांकित किया गया है। इसी तरह के अभियान देश के 40 शहरों में चलाए गए हैं।’

उन्होंने कहा, अमेरिका और लंदन में भी इस तरह के अभियान चलाए गए हैं। ‘सीआरआरआई’ के मुताबिक, ट्रैफिक सिग्नल पर सिर्फ 20 फीसदी चालक ही इंजन बंद करते हैं लेकिन यह पाया गया कि अभियान के दौरान 80 फीसदी लोगों ने सिग्नल पर अपने इंजन बंद कर दिए।’ राजधानी में वाहनों से होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए पहली बार यह अभियान 16 अक्टूबर, 2020 को शुरू किया गया था। इस अभियान के तहत, वाहन चालकों को ट्रैफिक लाइट के हरे होने की प्रतीक्षा करते हुए अपने वाहनों का इंजन बंद करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।

दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने शनिवार को कहा था कि नगर सरकार अभियान के संबंध में उपराज्यपाल द्वारा उठाए गए सभी सवालों का जवाब देगी और उनकी मंजूरी के लिए फाइल फिर से उन्हें भेजेगी। उन्होंने उपराज्यपाल पर ऐसे मुद्दे पर राजनीति करने का आरोप लगाया था जो दिल्ली के लोगों के जीवन से जुड़ा है।

जांच के तरीके पर तत्काल रोक लगाने का आदेश

जांच के तरीके पर तत्काल रोक लगाने का आदेश

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बलात्कार मामले की जांच के दौरान ‘टू-फिंगर टेस्ट’ कराये जाने को अवैज्ञानिक, पितृसत्तात्मक, लैंगिक भेदभावपूर्ण और पीड़िता को दोबारा आघात पहुंचाने वाला करार देते हुए जांच के तरीके पर तत्काल रोक लगाने का सोमवार को आदेश दिया। न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने ‘टू-फिंगर टेस्ट’ पर तत्काल रोक लगाने का केंद्र सरकार को आदेश देते हुए कहा कि इस प्रक्रिया से जांच करने वाले को दोषी ठहराया जाएगा। शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि बलात्कार पीड़िताओं का ‘टू-फिंगर टेस्ट’ नहीं किया जाए। इसके साथ ही सभी राज्यों के पुलिस प्रमुखों को अपने आदेश की प्रति भेजने का भी अदालत ने निर्देश दिया।

शीर्ष न्यायालय ने तेलंगाना हाई कोर्ट के एक फैसले को पलटते हुए यह आदेश दिया। तेलंगाना की एक अदालत ने बलात्कार के दोषियों को आजीवन कारावास की सजा दी थी, लेकिन राज्य के उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के फैसले के खिलाफ की गयी अपील पर सुनवाई के बाद दोषियों को रिहा करने का आदेश दिया था। शीर्ष अदालत ने सोमवार को तेलंगाना उच्च न्यायालय के उस फैसले को पलटते हुए निचली अदालत द्वारा दोषियों को आजीवन कारावास की सजा को कानून सम्मत करार दिया।

शीर्ष अदालत ने इस मामले की अपील पर सुनवाई करते हुए कहा कि ‘टू फिंगर टेस्ट’ का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। जांच का यह चलन गलत धारणा पर आधारित है, जो पीड़िता को दोबारा प्रताड़ित करता है। शीर्ष अदालत इस प्रकार के जांच का तरीका अपनाने को बार-बार हतोत्साहित करती रही है। सर्वोच्च अदालत के मुख्य न्यायाधीश नियुक्त न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि यह खेदजनक है कि आज भी ‘टू फिंगर टेस्ट’ का चलन बना हुआ है। पीठ ने यह भी कहा कि इस अदालत ने बलात्कार और यौन उत्पीड़न के मामलों में ‘टू-फिंगर टेस्ट’ प्रक्रिया की बार-बार निंदा करते हुए इसे हतोत्साहित किया है।

शीर्ष अदालत ने आदेश देते हुए कहा,तथाकथित परीक्षण का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। यह महिलाओं को फिर से पीड़ित और पुन: पीड़ित करता है। ‘टू फिंगर टेस्ट’ नहीं की जाना चाहिए। यह एक गलत धारणा पर आधारित है कि एक यौन सक्रिय महिला का बलात्कार नहीं किया जा सकता है। सच्चाई से आगे कुछ भी नहीं हो सकता है।

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प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

प्राधिकृत प्रकाशन विवरण


1. अंक-386, (वर्ष-05)

2. मंगलवार, नवंबर 1, 2022

3. शक-1944, कार्तिक, शुक्ल-पक्ष, तिथि-अष्टमी, विक्रमी सवंत-2079‌‌।

4. सूर्योदय प्रातः 06:25, सूर्यास्त: 05:44। 

5. न्‍यूनतम तापमान- 22 डी.सै., अधिकतम-34+ डी.सै.।

6. समाचार-पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है। सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा। सभी पद अवैतनिक है। 

7.स्वामी, मुद्रक, प्रकाशक, संपादक राधेश्याम व शिवांशु, (विशेष संपादक) श्रीराम व सरस्वती (सहायक संपादक) संरक्षण-अखिलेश पांडेय, ओमवीर सिंह, वीरसैन पवार, योगेश चौधरी आदि के द्वारा (डिजीटल सस्‍ंकरण) प्रकाशित। प्रकाशित समाचार, विज्ञापन एवं लेखोंं से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं हैं। पीआरबी एक्ट के अंतर्गत उत्तरदायी। 

8. संपर्क व व्यवसायिक कार्यालय- चैंबर नं. 27, प्रथम तल, रामेश्वर पार्क, लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102। 

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(सर्वाधिकार सुरक्षित)

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