शुक्रवार, 2 सितंबर 2022

संस्कृत को 'राष्ट्रभाषा' घोषित करने की याचिका खारिज 

संस्कृत को 'राष्ट्रभाषा' घोषित करने की याचिका खारिज 

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में संस्कृत को राष्ट्रभाषा घोषित करने को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई हुई। कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया और कहा कि यह एक नीतिगत फैसला है, जिसक लिए संविधान में संशोधन की जरूरत है। जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने याचिकाकर्ता से संस्कृत में एक लाइन सुनाने के लिए भी कहा। सुप्रीम कोर्ट में रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट डीजी वंजारा की तरफ से याचिका दायर की गई थी। उन्होंने संस्कृत को राष्ट्रभाषा घोषित किए जान के जरिए भाषा के प्रचार की बात की थी। इसपर जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस कृष्ण मुरारी की बेंच ने कहा, ‘यह नीति निर्णय के दायरे में आता है। इसके लिए भी संविधान में संशोधन की जरूरत होगी। किसी भाषा को राष्ट्रभाषा घोषित करने के लिए संसद को रिट जारी नहीं किया जा सकता।’

बेंच ने सवाल किया कि भारत में कितने शहरों में संस्कृत बोली जाती है? इधर, वंजारा का कहना है कि वह केंद्र की तरफ से इस पर चर्चा चाहते हैं और अदालत की तरफ से एक दखल सरकार के स्तर पर चर्चा शुरू करने में मददगार होगा। बेंच ने पूछा कि क्या आप संस्कृत बोलते हैं? क्या आप संस्कृत में एक लाइन बोल सकते हैं या आपकी रिट याचिका की प्रार्थना का संस्कृत में अनुवाद कर सकते हैं। इसपर रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट ने एक श्लोक सुना दिया और बेंच की तरफ से जवाब मिला यह हम सभी को पता है।

सुनवाई के दौरान वंजारा ने ब्रिटिश राज के दौरान कलकत्ता के सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश के बयान का हवाला दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि उनकी तरफ से पढ़ी गई 22 भाषाओं में एक बात साफ है कि संस्कृत मातृभाषा है। वहीं, कोर्ट ने कहा, हम भी यह बात मानते हैं। हम जानते हैं कि हिंदी और राज्यों की कई भाषाओं के शब्द संस्कृत से आए हैं। लेकिन इसके आधार पर किसी भाषा को राष्ट्रभाषा नहीं घोषित किया जा सकता। हमारे लिए भाषा घोषित करना बहुत मुश्किल है।

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने अनुच्छेद 32 का हवाला दिया और कहा कि शीर्ष न्यायालय के पास इसे लेकर गुंजाइश हैं और केंद्र का मत जानकर चर्चा शुरू की जा सकती है। इसपर कोर्ट ने कहा अगर याचिकाकर्ता इस तरह रिप्रेजेंटेशन पेश का विचार रखते हैं, तो उनके पास इसे लेकर सरकार के पास जाने की आजादी हो सकती है।

भारतीय नौसेना के लिए नए ध्वज का अनावरण: पीएम 

भारतीय नौसेना के लिए नए ध्वज का अनावरण: पीएम 

अकांशु उपाध्याय/इकबाल अंसारी 

नई दिल्ली/कोच्चि। युद्धपोत आईएनसी विक्रांत भारतीय नौसेना में शामिल हो गया। इस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी के साथ रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी मौजूद रहे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2 सितंबर को कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड में भारत के पहले स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत को नेवी को सौंपते हुए भारतीय नौसेना के लिए नए ध्वज का भी अनावरण किया।

पुराने झंडे में तिरंगे के साथ सेंट जॉर्ज क्रॉस (अंग्रेजों की निशानी) को भी रखा गया था। प्रधानमंत्री ने इसे गुलामी का प्रतीक करार दिया। नए ध्वज में छत्रपति शिवाजी महाराज के चिन्ह को अपनाया गया है। नए निशान पर भारतीय नौसेना का आदर्श वाक्य ‘सम नो वरुणः’ अंकित है। बता दें कि 15 अगस्त, 1947 को देश जब आजाद हुआ, तो भारतीय रक्षा बलों ने ब्रिटिश औपनिवेशिक झंडे और बैज को जारी रखा। 26 जनवरी, 1950 को इसके पैटर्न में बदलाव किया गया था। नौसेना के ध्वज को भी बदल दिया गया था, लेकिन ध्वज में एकमात्र अंतर यह किया गया था कि यूनियन जैक की जगह तिरंगा लगाया गया था। जॉर्ज क्रॉस को बरकरार रखा गया था।

प्रधानमंत्री ने भारतीय नौसेना के नए निशान (ध्वज) का अनावरण करते हुए कहा कि भारत ने औपनिवेशिक अतीत को त्याग दिया है। उन्होंने कहा, ”आज दो सितंबर, 2022 की ऐतिहासिक तारीख को, इतिहास बदलने वाला एक और काम हुआ है। आज भारत ने, गुलामी के एक निशान, गुलामी के एक बोझ को अपने सीने से उतार दिया है। आज से भारतीय नौसेना को एक नया ध्वज मिला है।” प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि वह आईएनएस विक्रांत को मराठा योद्धा छत्रपति शिवाजी को समर्पित करते हैं। उन्होंने कहा, ”छत्रपति वीर शिवाजी महाराज ने इस समुद्री सामर्थ्य के दम पर ऐसी नौसेना का निर्माण किया, जो दुश्मनों की नींद उड़ाकर रखती थी।

जब अंग्रेज भारत आए, तो वे भारतीय जहाजों और उनके जरिए होने वाले व्यापार की ताकत से घबराए रहते थे। इसलिए उन्होंने भारत के समुद्री सामर्थ्य की कमर तोड़ने का फैसला लिया। इतिहास गवाह है कि कैसे उस समय ब्रिटिश संसद में कानून बनाकर भारतीय जहाजों और व्यापारियों पर कड़े प्रतिबंध लगा दिए गए।”

एससी ने तीस्ता सीतलवाड़ को अंतरिम जमानत दी 

एससी ने तीस्ता सीतलवाड़ को अंतरिम जमानत दी 

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने एक्टिविस्ट तीस्ता सीतलवाड़ को अंतरिम जमानत दी, उन्हें 2002 के गुजरात दंगों के मामलों में निर्दोष लोगों को फंसाने के लिए कथित रूप से दस्तावेज बनाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। प्रीम कोर्ट ने कहा है कि एक्टिविस्ट तीस्ता सीतलवाड़ लंबित जांच में पूरा सहयोग देगी और उसे अपना पासपोर्ट सरेंडर करने को कहा। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ को अंतरिम जमानत दे दी, जो 2002 के गुजरात दंगों के संबंध में मामले दर्ज करने के लिए कथित रूप से फर्ज़ी दस्तावेज बनाने के आरोप में 26 जून से हिरासत में हैं। हाईकोर्ट द्वारा मामले पर विचार किए जाने तक उन्हें अपना पासपोर्ट सरेंडर करने के लिए कहा गया है।

मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित, जस्टिस एस रवींद्र भट और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ ने कहा कि तीस्ता, एक महिला, दो महीनों से हिरासत में है और जांच तंत्र को 7 दिनों की अवधि के लिए हिरासत में पूछताछ का लाभ मिला है। पीठ ने यह भी कहा कि तीस्ता के खिलाफ कथित अपराध वर्ष 2002 से संबंधित हैं और अधिक से अधिक 2012 तक संबंधित दस्तावेज पेश करने की मांग की गई थी।

इस प्रकार, यह विचार था कि हिरासत में पूछताछ सहित जांच के आवश्यक तत्व, पूरे हो जाने के बाद, मामला एक जटिल रूप ले लेता है जहां अंतरिम जमानत की राहत स्पष्ट रूप से दी गई। बेंच ने कहा, हमारे विचार में अपीलकर्ता अंतरिम जमानत पर रिहा होने का हकदार है। यह कहा जाना चाहिए कि जैसा कि सॉलिसिटर जनरल ने तर्क दिया था कि मामला अभी भी हाईकोर्ट के समक्ष विचाराधीन है, इसलिए हम इस पर विचार नहीं कर रहे हैं कि अपीलकर्ता को जमानत पर रिहा किया जाए या नहीं। उस पर हाईकोर्ट द्वारा विचार किया जाना है। हम केवल इस दृष्टिकोण से विचार कर रहे हैं कि क्या मामले पर विचार के दौरान अपीलकर्ता की हिरासत पर जोर दिया जाना चाहिए।

जानलेवा हमला करने के मामलें में 2 आरोपी बरी किए 

जानलेवा हमला करने के मामलें में 2 आरोपी बरी किए 

भानु प्रताप उपाध्याय 

मुजफ्फरनगर। कार में सवार होकर जा रहे दो लोगों के ऊपर फायर करते हुए जानलेवा हमला करने के मामलें में नामजद कराए गए दो आरोपियों को अदालत द्वारा सबूत के अभाव में बरी कर दिया गया है। आरोपियों की ओर से वकील द्वारा जोरदार पैरवी अदालत के सामने की गई थी। शुक्रवार को एडीजे-10 की अदालत में वर्ष 2012 की 9 दिसंबर को मंसूरपुर थाना क्षेत्र के गांव सोंटा के रास्ते पर कार में सवार होकर जा रहे विवेक एवं सागर पर फायर करते हुए जानलेवा हमला करने के मामले की सुनवाई की गई। अदालत के सामने इस मामले में नामजद कराए गए दो आरोपियों कपिल एवं विक्की को बरी किए जाने को लेकर वकील शाहबाज एडवोकेट की ओर से जोरदार पैरवी की गई थी।

अभियोजन पक्ष के वकीलों ने भी विद्वान जज हेमलता त्यागी के सामने अपना पक्ष रखा। दोनों पक्षों की पैरवी को सुनने के बाद न्यायाधीश हेमलता त्यागी ने सबूत के अभाव में दोनों आरोपियों को बरी किए जाने का फरमान सुनाया। अभियोजन की कहानी के अनुसार वर्ष 2012 की 9 दिसंबर को थाना मंसूरपुर क्षेत्र के गांव सोंटा को जाने वाले रास्ते पर कार में सवार होकर जा रहे विवेक एवं सागर के ऊपर बाइक पर सवार होकर आए दो बदमाशों ने फायर करते हुए जानलेवा हमला कर दिया था। इस मामले में दोनों पीड़ित बाल-बाल बच गए थे। विवेक ने फायरिंग के इस मामले में अज्ञात लोगों के विरुद्ध मंसूरपुर थाने में मुकदमा दर्ज कराया था। पुलिस द्वारा की गई जांच में जब कपिल एवं विक्की के नाम प्रकाश में आए तो पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था।

भाजपा को 2024 के चुनाव में सत्ता से बेदखल करेंगे

भाजपा को 2024 के चुनाव में सत्ता से बेदखल करेंगे 

अविनाश श्रीवास्तव 

समस्तीपुर। जनता दल यूनाइटेड के वरिष्ठ नेता एवं बिहार के ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने आज कहा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई मे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के खिलाफ देश की सभी क्षेत्रीय दलों को एकजुट किया जा रहा है।

कुमार ने शुक्रवार को यहां पत्रकारों से बातचीत में कहा कि क्षेत्रीय दल एकजुट होकर भाजपा को 2024 के लोकसभा चुनाव में सत्ता से बेदखल करेंगे। उन्होंने दावा किया कि 2024 के लोकसभा चुनाव मे भाजपा सत्ता से बाहर होगी। जदयू नेता ने कहा कि भाजपा की गलत नीतियों के कारण धीरे-धीरे क्षेत्रीय दल भाजपा को छोड़ रही है।

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प्राधिकृत प्रकाशन विवरण 

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1. अंक-329, (वर्ष-05)

2. शनिवार, सितंबर 3, 2022

3. शक-1944, भाद्रपद, शुक्ल-पक्ष, तिथि-सप्तमी, विक्रमी सवंत-2079।

4. सूर्योदय प्रातः 05:51, सूर्यास्त: 06:56। 

5. न्‍यूनतम तापमान- 28 डी.सै., अधिकतम-36+ डी.सै.। उत्तरभारत में बरसात की संभावना। 

6. समाचार-पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है। सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा। सभी पद अवैतनिक है। 

7.स्वामी, मुद्रक, प्रकाशक, संपादक राधेश्याम व शिवांशु,(विशेष संपादक) श्रीराम व सरस्वती (सहायक संपादक) संरक्षण-अखिलेश पांडेय, ओमवीर सिंह, वीरसेन पवार, योगेश चौधरी आदि के द्वारा (डिजीटल सस्‍ंकरण) प्रकाशित। प्रकाशित समाचार, विज्ञापन एवं लेखोंं से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं हैं। पीआरबी एक्ट के अंतर्गत उत्तरदायी। 

8. संपर्क व व्यवसायिक कार्यालय- चैंबर नं. 27,प्रथम तल, रामेश्वर पार्क, लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102। 

9. पंजीकृत कार्यालयः263, सरस्वती विहार लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102http://www.universalexpress.page/ www.universalexpress.in 

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 (सर्वाधिकार सुरक्षित)

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