मंगलवार, 30 अगस्त 2022

केंद्र के निर्णय की संवैधानिक वैधता की जांच करेंगे 

केंद्र के निर्णय की संवैधानिक वैधता की जांच करेंगे 

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि वह मुसलमानों को आरक्षण देने वाले एक स्थानीय कानून को खारिज करने संबंधी उच्च न्यायालय के फैसले के विरोध में दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई करने से पहले आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों को दाखिले तथा नौकरी में दस प्रतिशत आरक्षण देने के केंद्र के निर्णय की संवैधानिक वैधता की जांच करेगा। प्रधान न्यायाधीश उदय उमेश ललित, न्यायमूर्ति दिनेश महेश्वरी, न्यायमूर्ति रविंद्र भट्ट, न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला की पांच सदस्यीय संवैधानिक पीठ ने कहा कि वह प्रक्रियागत पहलुओं तथा अन्य ब्योरों पर छह सितंबर को निर्णय लेगी और 13 सितंबर से याचिकाओं पर सुनवाई करेगी। केन्द्र ने 103वें संविधान संशोधन अधिनियम 2019 के माध्यम से आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लिए दाखिलों तथा लोक सेवाओं में आरक्षण का प्रावधान जोड़ा था।

शीर्ष अदालत आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली राज्य सरकार की याचिकाओं और अन्य याचिकाओं पर सुनवाई करेगी। आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने मुसलमानों को आरक्षण देने वाले एक स्थानीय कानून को खारिज कर दिया था। आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय की पांच न्यायाधीशों वाली पीठ ने चार भिन्न मतों वाले फैसले में ‘स्टेट टू मुस्लिम कम्युनिटी अधिनियम’ 2005 के तहत इन प्रावधानों को असंवैधानिक घोषित किया था संवैधानिक पीठ ने चार वकीलों शादान फरासत, नचिकेता जोशी, महफूज नजकी और कनू अग्रवाल को नोडल अधिवक्ता के रूप में कार्य करने के लिए कहा।

‘कोयला चोरी घोटाले’ की जांच, बनर्जी को समन जारी 

‘कोयला चोरी घोटाले’ की जांच, बनर्जी को समन जारी 

मिनाक्षी लोढी 

कोलकाता। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी को ‘कोयला चोरी घोटाले’ की जांच के सिलसिले में पूछताछ के लिए मंगलवार को समन जारी किया। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि केंद्रीय एजेंसी ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी को शुक्रवार की सुबह अपने कोलकाता स्थित कार्यालय में पेश होने को कहा है। ईडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि  हमने अभिषेक बनर्जी को यहां अपने अधिकारियों के सामने पेश होने के लिए तलब किया है। नई दिल्ली से हमारे अधिकारी उनसे पूछताछ करने आएंगे।

तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो ममता बनर्जी ने सोमवार को एक कार्यक्रम में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर निशाना साधते हुए आशंका जतायी थी कि केंद्रीय एजेंसियां उनके भतीजे और अन्य वरिष्ठ नेताओं को नोटिस भेज सकती है।

पार्श्वगायक नौटियाल का नया गीत 'मीठी मीठी' रिलीज 

पार्श्वगायक नौटियाल का नया गीत 'मीठी मीठी' रिलीज 

कविता गर्ग 

मुंबई। जाने-माने पार्श्वगायक जुबिन नौटियाल का नया गीत 'मीठी मीठी' रिलीज हो गया है। जुबिन नौटियाल के गीत 'मीठी मीठी' को टी सीरीज के ऑफिशियल यूट्यूब चैनल पर रिलीज किया गया है। इस गीत के बोल लिखे हैं रश्मि - विराग ने और संगीत दिया है पायल देव ने।

गीत को जुबिन नौटियाल और पायल देव ने गाया है। गीत के म्यूजिक वीडियो में जुबिन नौटियाल और शानवी श्रीवास्तव नजर आए हैं। गीत को विजय सिंह ने निर्देशित किया है।

सीएम गहलोत अध्यक्ष का पद संभाले: गांधी 

सीएम गहलोत अध्यक्ष का पद संभाले: गांधी 

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद म्यूजिकल चेयर बन गया है। अध्यक्ष का पद नेताओं के इर्द गिर्द घूम रहा हैं मगर नेता अध्यक्ष बनने से इनकार कर रहे है। कांग्रेस पार्टी के हर बड़े नेता चाहते हैं कि राहुल गांधी ही एक बार फिर से कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने। राहुल गांधी अध्यक्ष बनने से लगातार इनकार कर रहे हैं। उन्होंने पार्टी नेताओं को साफ शब्दों में कह दिया है कि वह किसी भी सूरत में कांग्रेस अध्यक्ष बनना नहीं चाहते हैं। वह बिना पद के ही पार्टी का काम करना चाहते हैं। राहुल गांधी के इनकार के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ, राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, पार्टी महासचिव मुकुल वासनिक, वर्किंग कमेटी की सदस्य कुमारी शैलजा सहित कई नेताओं के नाम अध्यक्ष पद की दौड़ में शामिल हो गए हैं। 

मगर कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने तो यहां तक कहा कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अध्यक्ष का पद संभाले। अशोक गहलोत कांग्रेस पार्टी के सबसे वरिष्ठ नेता है। वे इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, सोनिया गांधी, राहुल गांधी के साथ काम कर चुके हैं। ऐसे में वह सबके साथ तालमेल बिठाकर काम कर सकते हैं लेकिन जैसे ही कांग्रेसी हलकों में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए अशोक गहलोत का नाम आगे आया वैसे ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अध्यक्ष बनने से इनकार कर दिया। गहलोत का कहना है कि राहुल गांधी ही अध्यक्ष के रूप में पार्टी को मजबूत कर सकते हैं। गहलोत का कहना है कि अध्यक्ष के रूप में राहुल गांधी ने कांग्रेस पार्टी को मजबूत करने के लिए कई कार्य प्रारंभ किए थे जिसका लाभ आने वाले समय में कांग्रेस को मिलेगा। गहलोत राहुल गांधी को अध्यक्ष बनाने के लिए 250 से अधिक बड़े नेताओं से समर्थन लेकर राहुल गांधी को मनाने का प्रयास कर रहे हैं। 

गहलोत का कहना है कि मुझे राजस्थान की जिम्मेवारी मिली हुई है, जहां मेरा कार्यकाल बाकी है। अभी मैं राजस्थान की जनता की सेवा करना चाहता हूं। गहलोत का कहना है कि राजस्थान के मुख्यमंत्री के साथ ही गुजरात में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव के लिए उन्हें सोनिया गांधी ने वरिष्ठ पर्यवेक्षक नियुक्त किया है। ऐसे में वह अपनी दोनों जिम्मेदारियों का सफलतापूर्वक निर्वहन कर रहे हैं। उनका प्रयास है कि गुजरात विधानसभा चुनाव में भाजपा को सत्ता से बाहर कर कांग्रेस की सरकार बनाएं। अभी वह इसी मिशन में लगे हुए हैं। ऐसे में कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष पद संभालना उनके लिए अनुकूल नहीं है। यह सभी को पता है कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत वर्तमान में कांग्रेस पार्टी के सबसे वरिष्ठ नेता है। वे इंदिरा गांधी, राजीव गांधी व नरसिम्हा राव की सरकार में मंत्री रह चुके हैं। कांग्रेस के राष्ट्रीय संगठन महासचिव, सेवा दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष के साथ ही गहलोत तीन बार राजस्थान कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष, राजस्थान विधानसभा में विपक्ष के नेता, तीसरी बार मुख्यमंत्री के रूप में काम कर रहे हैं। 

राजस्थान में अशोक गहलोत कांग्रेस के सबसे बड़े चेहरे हैं। बहुमत नहीं मिलने पर भी जोड़-तोड़ कर वह दूसरी बार सरकार बनाकर सफलतापूर्वक चला रहे हैं ऐसे में वह किसी भी स्थिति में मुख्यमंत्री का पद नहीं छोड़ना चाहते हैं। गहलोत को पता है कि यदि वह कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनकर जयपुर से दिल्ली जाते हैं तो उनके स्थान पर कांग्रेस आलाकमान उनके कट्टर विरोधी सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बना सकता है। गहलोत किसी भी स्थिति में नहीं यह होने देना चाहते हैं। अशोक गहलोत व सचिन पायलट के बीच छत्तीस का आंकड़ा किसी से छुपा हुआ नहीं है। दोनों नेता एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप करते रहते है। कांग्रेस आलाकमान द्वारा अपने स्तर पर दोनों नेताओं के मध्य सुलह करवाने के उपरांत भी दोनों नेताओं के मन अभी तक नहीं मिल पाए हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत नहीं चाहेंगे कि उनके बाद पायलट राजस्थान में मजबूत होकर अपने पैर जमा सकें। गहलोत को पता है कि राजस्थान की राजनीति व दिल्ली की राजनीति में बड़ा फर्क है। राजस्थान की राजनीति को तो वह वर्षों से अपनी अंगुली पर नचा रहे हैं मगर दिल्ली जाने के बाद ऐसा कर पाना संभव नहीं होगा। 

उनको पता है कि यदि वह पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बन भी जाते हैं तो पार्टी तो गांधी परिवार के नियंत्रण में रहेगी। ऐसे में वह मात्र कठपुतली बनकर रह जाएंगे। ऊपर से राजस्थान भी उनके हाथ से निकल जाएगा। अगले कुछ महीनों में गुजरात, हिमाचल प्रदेश की विधानसभाओं के चुनाव होने हैं। उसके बाद अगले साल कर्नाटक, राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ विधानसभाओं के चुनाव होंगे। यदि विधानसभाओं के चुनावी नतीजे कांग्रेस पार्टी के मनमाफिक नहीं रहते हैं तो पूरी जिम्मेदारी उनकी मानी जाएगी तब असफलता का ठीकरा उनके सर ही फूटेगा। गहलोत किसी भी सूरत में ऐसा नहीं होने देना चाहते हैं। इसीलिए वह दिल्ली जाने के लिए आनाकानी कर रहे हैं। कांग्रेस की राष्ट्रीय राजनीति में सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी कि अपनी-अपनी वफादारों की मंडली है। जिन की सलाह पर यह नेता काम करते हैं। यदि गहलोत दिल्ली में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में इन वफादार नेताओं की बातों को अनसुना करते हैं तो उन्हें उनकी साजिशों का शिकार होना पड़ेगा और उनका दिल्ली की राजनीति में टिके रहना मुश्किल हो जाएगा। 

अभी गहलोत राजस्थान में जैसा चाहते हैं वैसा ही पार्टी करती है। राजस्थान के अधिकांश मंत्री व विधायक उनके ही वफादार हैं। राजनीतिक नियुक्तियों में भी ज्यादातर गहलोत समर्थकों को बनाया गया हैं। पिछले दिनों राजस्थान से राज्यसभा की तीन सीट के चुनाव हुये थे। जिनमें गहलोत ने कांग्रेस आलाकमान की पसंद को तवज्जो देते हुये तीनो ही बाहरी लोगों को चुनाव जीता कर भेजा था। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस के राष्ट्रीय संगठन महासचिव के सी वेणुगोपाल, कांग्रेस महासचिव मुकुल वासनिक, रणदीप सिंह सुरजेवाला व प्रमोद तिवारी राजस्थान से राज्यसभा सांसद हैं। यह सभी दिल्ली की राजनीति में भारी-भरकम नेता माने जाते हैं तथा दिल्ली में गहलोत की खुलकर पैरवी करते हैं। दिल्ली में अपनी मजबूत लाबी के बल पर ही गहलोत पायलट को हासिये पर लगा पाये हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पांच बार लोकसभा, पांच बार विधानसभा का चुनाव जीत चुके हैं। 

गहलोत 1980 में पहली बार लोकसभा सदस्य बने थे और उसी दौरान 1982 में इंदिरा गांधी के मंत्रिमंडल में उप मंत्री बनाए गए थे। उसके बाद राजीव गांधी के प्रधानमंत्री बनने पर भी गहलोत केंद्र सरकार में राज्य मंत्री बने थे। गहलोत को पता है कि राजनीति में हमेशा बहार नहीं रहती हैं। उदय के साथ अस्त भी होता है। इसी लिये वह चाहते हैं कि राजस्थान के मुख्यमंत्री के रूप में अपना तीसरा कार्यकाल पूरा करें और यदि अगले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को प्रदेश में सफलता मिलती है तो वह फिर से मुख्यमंत्री ही बने न कि कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष। क्योंकि कांग्रेस पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद आगे के सभी विकल्प बंद हो जाते हैं। इस बात का उन्हें बखूबी ज्ञान है। इसीलिए गहलोत राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने से इनकार कर रहे हैं।

पंचायती राज विभाग मंत्री ने पद से इस्तीफा दिया 

पंचायती राज विभाग मंत्री ने पद से इस्तीफा दिया 

संदीप मिश्र 

लखनऊ। लोक भवन में आयोजित की जा रही योगी आदित्यनाथ सरकार की कैबिनेट बैठक से पहले राज्य के पंचायती राज विभाग मंत्री ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। यूपी सरकार की इस कैबिनेट बैठक में विधानसभा के मानसून सत्र की शुरुआत करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी जा सकती है। मंगलवार को राजधानी लखनऊ के लोक भवन में योगी आदित्यनाथ सरकार की कैबिनेट बैठक बुलाई गई है। बैठक में भारतीय जनता पार्टी के नवनियुक्त अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी को भी शामिल होने के लिए बुलावा भेजा गया है। उधर बैठक से पहले भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष पद पर नियुक्ति होने की वजह से पंचायती राज विभाग के कैबिनेट मंत्री भूपेंद्र चौधरी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। बताया जा रहा है कि कैबिनेट की बैठक में वाराणसी, अयोध्या एवं मथुरा के विकास कार्यों पर सरकार की मुहर लग सकती है।

इसके अलावा कैबिनेट द्वारा विधानसभा का मानसून सत्र बुलाए जाने के प्रस्ताव को भी अपनी मंजूरी दी जा सकती है। बताया जा रहा है कि कैबिनेट की बैठक में राज्य की स्वास्थ्य, शिक्षा और इंडस्ट्री से जुड़े प्रस्ताव भी रखे जाएंगे। इन सभी प्रस्तावों के ऊपर भी कैबिनेट बैठक में सरकार की मोहर लगने की संभावना है। सिंचाई विभाग से जुड़े एक बड़े प्रस्ताव के अलावा एमएसएमई विभाग से जुड़े प्रस्ताव को भी बैठक में मंजूरी के कयास लगाए गए हैं।

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प्राधिकृत प्रकाशन विवरण 

प्राधिकृत प्रकाशन विवरण 


1. अंक-326, (वर्ष-05)

2. बुधवार, अगस्त 31, 2022

3. शक-1944, भाद्रपद, शुक्ल-पक्ष, तिथि-चतुर्थी, विक्रमी सवंत-2079।

4. सूर्योदय प्रातः 05:51, सूर्यास्त: 06:56। 

5. न्‍यूनतम तापमान- 26 डी.सै., अधिकतम-34+ डी.सै.। उत्तरभारत में बरसात की संभावना। 

6. समाचार-पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक कासहमत होना आवश्यक नहीं है। सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा। सभी पद अवैतनिक है। 

7.स्वामी, मुद्रक, प्रकाशक, संपादक राधेश्याम व शिवांशु,(विशेष संपादक) श्रीराम व सरस्वती (सहायक संपादक) संरक्षण-अखिलेश पांडेय, ओमवीर सिंह, वीरसेन पवार, योगेश चौधरी आदि के द्वारा (डिजीटल सस्‍ंकरण) प्रकाशित। प्रकाशित समाचार, विज्ञापन एवं लेखोंं से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं हैं। पीआरबी एक्ट के अंतर्गत उत्तरदायी। 

8. संपर्क व व्यवसायिक कार्यालय- चैंबर नं. 27,प्रथम तल, रामेश्वर पार्क, लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102। 

9. पंजीकृत कार्यालयः263, सरस्वती विहार लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102http://www.universalexpress.page/ www.universalexpress.in 

email:universalexpress.editor@gmail.com 

संपर्क सूत्र :- +919350302745--केवल व्हाट्सएप पर संपर्क करें, 9718339011 फोन करें।

 (सर्वाधिकार सुरक्षित)

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