बुधवार, 13 जुलाई 2022

राष्ट्रपति चुनाव, एनडीए ने मुर्मू को अपना प्रत्याशी बनाया

राष्ट्रपति चुनाव, एनडीए ने मुर्मू को अपना प्रत्याशी बनाया 

अकांशु उपाध्याय  
नई दिल्ली। देश में राष्ट्रपति का चुनाव 18 जुलाई को होना है। इसके लिए सभी राजनीतिक दलों की ओर तैयारी की जा रही है। एनडीए ने राष्ट्रपति चुनाव के लिए द्रौपदी मुर्मू को अपना प्रत्याशी बनाया है। एनडीए की ओर से द्रौपदी मुर्मू को प्रत्याशी बनाए जाने के बाद से मुर्मू चुनाव प्रचार में जुटी हुईं है और उन्हें कई विपक्षी दलों का समर्थन भी मिलने लगा है। कांग्रेस राष्ट्रपति पद के लिए कोई प्रत्याशी घोषित नहीं करने का फैसला पहले ही कर चुकी है और अन्य विपक्षी दलों के साथ सूर में सूर मिलाने की बात कही है। राष्ट्रपति चुनाव प्रक्रिया के बीच कांग्रेस नेता अजय कुमार ने एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को लेकर विवादित बयान दिया है जिससे बड़ा विवाद खड़ा हो सकता है। उन्होंने कहा कि हमें मुर्मू को आदिवासी का प्रतीक नहीं बनाना चाहिए। साथ ही उन्होंने एनडीए उम्मीदवार की विचारधारा पर भी सवाल उठाए हैं। हालांकि, भारतीय जनता पार्टी ने भी पलटवार किया है और इसे मुर्मू का अपमान बताया है। भारतीय निर्वाचन आयोग की तरफ से जारी कार्यक्रम के अनुसार, राष्ट्रपति चुनाव 18 जुलाई को होने हैं।
विवाद बढ़ने की आशंका को देखते हुए उन्होंने कहा कि यह द्रौपदी मुर्मू के बारे में नहीं है। यशवंत सिन्हा अच्छे उम्मीदवार हैं और मुर्मू जी भी शालीन हैं। लेकिन वह भारत की बड़ी दुष्ट विचारधारा को दिखाती हैं। हमें उन्हें आदिवासी का प्रतीक नहीं बनाना चाहिए। हमारे पास राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद हैं और हाथरस हो गया। क्या उन्होंने एक भी शब्द कहा? अनुसूचित जाति की स्थिति बदतर हो गई है।’
उन्होंने कहा है कि समान विचारधारा वाली सभी पार्टियों को विपक्षी उम्मीदवार यशवंत सिन्हा के लिए वोट करना चाहिए। कुमार ने कहा कि प्रतीक बनाना और देश के लोगों को बेवकूफ बनाना ही मोदी सरकार का काम है। यह देश की आत्मा की लड़ाई है और एक जैसी विचारधारा वाली सभी पार्टियों को यशवंत सिन्हा के लिए वोट देना चाहिए।
खास बात है कि अगर मुर्मू राष्ट्रपति चुनाव जीत जाती हैं, तो वह देश की पहली आदिवासी और दूसरी महिला राष्ट्रपति होंगी। साल 2015 से 2021 तक वह झारखंड की पहली महिला राज्यपाल भी रह चुकी हैं। उनका जन्म ओडिशा के मयूरभंज में हुआ था। इसके अलावा वह भाजपा में साल 2002 से लेकर 2015 तक कई एसटी मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य समेत कई अहम पदों पर रह चुकी हैं।

दर्शन: 6,415 तीर्थयात्रियों का 14वां जत्था रवाना

दर्शन: 6,415 तीर्थयात्रियों का 14वां जत्था रवाना  

इकबाल अंसारी 
श्रीनगर। कड़ी सुरक्षा के बीच 6,415 तीर्थयात्रियों का 14वां जत्था दक्षिण कश्मीर में 3,880 मीटर ऊंचाई पर स्थित पवित्र अमरनाथ गुफा के दर्शन के लिए बुधवार की सुबह रवाना हुआ। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। अमरनाथ गुफा के पास आठ जुलाई को बादल फटने पर हुई भीषण बारिश के कारण अचानक बाढ़ आने से कम से कम 16 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 40 से अधिक लोग अब भी लापता हैं।
इसके बाद यात्रा को रविवार को स्थगित कर दिया गया था और सोमवार को यात्रा फिर बहाल की गई। अधिकारियों ने बताया कि केन्द्रीय रिज़र्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की कड़ी सुरक्षा के बीच 258 वाहनों में कुल 6,415 तीर्थयात्री यहां भगवती नगर यात्री निवास से रवाना हुए। उन्होंने बताया कि इन श्रद्धालुओं में 4,545 पुरुष, 1,744 महिलाएं, 43 बच्चे, 79 साधु और चार साध्वी हैं। उन्होंने बताया कि बालटाल आधार शिविर के लिए जाने वाले 2,428 तीर्थयात्री 88 वाहनों में तड़के करीब साढ़े तीन बजे सबसे पहले रवाना हुए।
इसके बाद कश्मीर में पहलगाम शिविर के लिए 3,987 तीर्थयात्रियों को लेकर 170 वाहनों का दूसरा काफिला सुबह करीब साढ़े चार बजे रवाना हुआ। बाबा बर्फानी के दर्शन के लिये 43 दिन की वार्षिक यात्रा दक्षिण कश्मीर के पहलगाम में पारंपरिक 48 किलोमीटर के नुनवान मार्ग और मध्य कश्मीर के गांदरबल में 14 किलोमीटर के बालटाल मार्ग से 30 जून को शुरू हुई थी। अधिकारियों ने बताया कि अभी तक 1.30 लाख से अधिक तीर्थयात्री पवित्र गुफा में बर्फ से बने शिवलिंग के दर्शन कर चुके हैं। अमरनाथ यात्रा 11 अगस्त को रक्षा बंधन के अवसर पर समाप्त होगी।

भगवान शिव की पूजा में सक्षम नहीं है, यह चीजें

भगवान शिव की पूजा में सक्षम नहीं है, यह चीजें 

सरस्वती उपाध्याय
देवों के देव महादेव का प्रिय महीना सावन भी 14 जुलाई से शुरू होने जा रहा है। हिंदू धर्म में देवी-देवाताओं को प्रसन्न करने के लिए पूजा सामग्री का विशेष महत्व है। धर्म ग्रंथों में विस्तार से बताया गया है कि किस देवता को पूजा में कौन-सी सामग्री अर्पित करनी चाहिए और किन वस्तुओं का पूजा में होना वर्जित माना जाता है। देवों के देव महादेव का प्रिय महीना सावन भी 14 जुलाई से शुरू होने जा रहा है। शिवपुराण के अनुसार कुछ ऐसी सामग्री हैं। जिन्हें शिवजी की पूजा में शामिल नहीं करना चाहिए। मान्यता है, जितनी जल्दी शिव प्रसन्न होते हैं। उतनी ही तीव्र गति से उन्हें क्रोध भी आता है। आइए जानते हैं, सावन में शिवलिंग पर कौन-सी चीजें अर्पित नहीं करनी चाहिए ?

शिवलिंग पर केतकी के फूल अर्पित करने पर भगवान शिव नाराज हो जाते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार केतकी के फूल ने ब्रह्मा जी का झूठ में साथ दिया था, इसलिए क्रोधित होकर भगवान शिव ने श्राप दे दिया था कि उनकी पूजा में कभी केतकी के फूल का उपयोग नहीं होगा।

शिवजी की पूजा में न शंख बजाया जाता है, न ही शंख से उनका जलाभिषेक किया जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार भगवान शंकर ने त्रिशुल शंखचूड़ नामक राक्षस का वध किया था। उसकी राख से शंख की उत्पन्न हुआ था।

सावन में भोलेभंडारी की पूजा में तुलसीदल का पत्ता भी नहीं चढ़ाया जाता। कथा के अनुसार भगवान शिव ने तुलसी के पति जालंधर का संहार किया था। तब से ही तुलसी ने खुद को भगवान शिव की पूजन सामग्री में शामिल न होने की बात कही थी।

भगवान भोलेनाथ तो वैरागी हैं, जो अपने पूरे शरीर पर राख लगाते हैं। कुमकुम और सिंदूर विवाहित महिलाएं लगाती है और पुराणों के अनुसार शिव विनाशक हैं। सावन में शिवजी की पूजा में कभी सिंदूर या कुमकुम को शामिल न करें।
भगवान शिव को छोड़कर लगभग सभी देवी-देवताओं की पूजा में हल्दी का इस्तेमाल किया जाता है। हल्दी को सौभग्य का प्रतीक माना जाता है और शिव तो वैरागी हैं। शास्त्रों के अनुसार, शिव को हल्दी चढ़ाने से चंद्रमा कमजोर होता है।

केदारनाथ धाम, श्रद्धालुओं की संख्या में बड़ा इजाफा

केदारनाथ धाम, श्रद्धालुओं की संख्या में बड़ा इजाफा 

पंकज कपूर 
देहरादून। उत्तराखंड स्थित विश्व प्रसिद्ध केदारनाथ धाम के कपाट खुलने के बाद से चारधाम की यात्रा शुरू हो गई है, जो अब तक जारी है। केदारनाथ धाम की यात्रा करने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में इस साल बड़ा इजाफा हुआ है। क्योंकि, इस साल कोरोना महामारी को लेकर केंद्र सरकार की ओर से नियमों में ढील दी गई है। फिर भी मास्क लगाने सहित दो गज की दूरी को अनिवार्य किया गया है।
अभी बारिश का मौसम है और देश के कई राज्यों में भारी बारिश हो रही है जिसमें उत्तराखंड राज्य भी शामिल है। चारधाम यात्रा के दौरान भगवान शंकर के भव्य शिवलिंग के दर्शन के लिए बड़ी संख्या में पहुंचे श्रद्धलुओं को प्राकृतिक आपदा से बचाने के लिए उत्तराखंड की सरकार सीएम पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर केदारनाथ धाम में मौसम बदलने की पल-पल की जानकारियों के लिए जिला प्रशासन ने नया ऑटोमैटिक वैदर सिस्टम स्थापित किया गया है। यात्रियों की सुविधाओं के लिए IIT कानपुर के सहयोग से जिला प्रशासन ने इसे लगवाया है।
इस सिस्टम से शीघ्र ही मौसम संबंधी गतिविधियों की रीडिंग प्राप्त की जा सकेगी। जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने बताया कि सिस्टम स्थापित होने से केदारनाथ में पुनर्निर्माण कार्यों, यात्रा संचालन, हैलीकॉप्टर संचालन इत्यादि महत्वपूर्ण कार्यों में काफी सहायता प्राप्त हो सकेगी।
साथ ही केदारनाथ धाम में दर्शन करने आने वाले तीर्थयात्रियों को मौसम की जानकारी समय से प्राप्त होगी, जिसके चलते श्रद्धालु अपनी यात्रा सुगमता के साथ कर सकेंगे। एक सप्ताह के भीतर केदारपुरी क्षेत्र में मौजूद लोगों को केदारनाथ मौसम की पल-पल की जानकारी मोबाइल पर भी मिलने लगेगी।

एक समुदाय के न्याय के लिए निष्पक्ष कार्रवाई नहीं

एक समुदाय के न्याय के लिए निष्पक्ष कार्रवाई नहीं 

संदीप मिश्र 
लखनऊ। सुप्रीम कोर्ट में बुलडोजर कार्रवाई मामले में सुनवाई के दौरान जमीयत के वकील दुष्यंत दवे ने दलील देते हुए कहा कि देश में एक समुदाय के खिलाफ पिक एंड चॉइस की तरह बर्ताव हो रहा है। उन्होंने कहा कि एक समुदाय के न्याय के लिए निष्पक्ष कार्रवाई नहीं हो रही है।
उत्तर प्रदेश में बुलडोजर कार्रवाई मामले में सुप्रीम कोर्ट में आज एक बार फिर से सुनवाई हुई। इस दौरान दोनों पक्षों में जोरदार बहस हुई। जमीयत के वकील दुष्यंत दवे ने कहा कि देश में एक समुदाय के खिलाफ पिक एंड चॉइस की तरह बर्ताव हो रहा है। उन्होंने कहा कि एक समुदाय के न्याय के लिए निष्पक्ष कार्रवाई नहीं हो रही है। इसपर सोलिसिटर जेनरल ने कहा कि देश में कोई अन्य समुदाय नहीं है और केवल भारतीय समुदाय है। सॉलिसीटर जनरल ने कहा कि कानूनी कार्रवाई को बेवजह सनसनीखेज बनाया जा रहा है।
वहीं दलील सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को राज्यों में विध्वंस पर रोक लगाने का अंतरिम निर्देश पारित करने से इनकार कर दिया और कहा कि वह अधिकारियों को कार्रवाई करने से रोकने के लिए एक सर्वव्यापी आदेश पारित नहीं कर सकता है।

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प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

प्राधिकृत प्रकाशन विवरण  

1. अंक-278, (वर्ष-05)
2. बृहस्पतिवार, जुलाई 14, 2022
3. शक-1944, श्रावण, कृष्ण-पक्ष, तिथि-प्रतिपदा, विक्रमी सवंत-2079।
4. सूर्योदय प्रातः 05:22, सूर्यास्त: 07:15।
5. न्‍यूनतम तापमान- 30 डी.सै., अधिकतम-34+ डी.सै.। उत्तर भारत में बरसात की संभावना।
6. समाचार-पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है। सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा। सभी पद अवैतनिक है।
7.स्वामी, मुद्रक, प्रकाशक, संपादक राधेश्याम व शिवांशु, (विशेष संपादक) श्रीराम व सरस्वती (सहायक संपादक) संरक्षण-अखिलेश पांडेय, ओमवीर सिंह, वीरसेन पवार, योगेश चौधरी आदि के द्वारा (डिजीटल सस्‍ंकरण) प्रकाशित। प्रकाशित समाचार, विज्ञापन एवं लेखोंं से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं हैं। पीआरबी एक्ट के अंतर्गत उत्तरदायी।
8. संपर्क व व्यवसायिक कार्यालय- चैंबर नं. 27, प्रथम तल, रामेश्वर पार्क, लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102।
9. पंजीकृत कार्यालयः 263, सरस्वती विहार लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102
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