मंगलवार, 21 जून 2022

योगेश्वर 'संपादकीय'

योगेश्वर    'संपादकीय' 

योग भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न अंग है। योग-प्राणायाम सनातन संस्कृति में एक विशेष महत्व रखता है। पुरातन काल से योग-साधना का वर्णन किया गया है। कई साधक-तपस्वियों ने योगी पद प्राप्त किया है। भगवान श्री कृष्ण को 'योगेश्वर' नाम से संबोधित भी किया गया है। अर्थात, योगियों के ईश्वर का वर्णन भी किया गया है। इससे यह तथ्य स्पष्ट हो जाता है कि योग की उत्पत्ति और सामूहिक उपयोग का सदैव भारत में प्रचलन रहा है। योग के महत्व को विश्व स्तर पर प्रचारित करने का श्रेय माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जाता है। आज 'विश्व योग दिवस' पर संपूर्ण विश्व में योगासन अभ्यास किए गए। इस माध्यम से योग-आसन को विश्व में बढ़ावा देने का प्रयास किया जा रहा है। आधुनिकता और प्रतिस्पर्धा की होड़ में योग के लाभ को जन-जन तक पहुंचाने का सराहनीय प्रयास किया जा रहा है। यह जनकल्याण की भावना को प्रदर्शित भी करता है। लेकिन दिखावा कुछ ज्यादा हो गया है। योग दिवस पर योगासन करते हुए फोटो-वीडियो को प्रचारित करना योगासन का परिहास हो गया है। योग हमारे जीवन में दैनिक गतिविधियों में सम्मिलित होना चाहिए। असाध्य व जटिल रोग मुक्ति का एक सरल साधन योग हैं। इंद्रियों और ज्ञानेंद्रियों पर नियंत्रण प्राप्त करने का एकमात्र उपाय योग हैं। 
हालांकि इसके विपरीत कुपोषित-अव्यवस्थित वर्ग इस मर्म से अनभिज्ञ हैं।कुपोषण-भुखमरी के कारण चटनी के साथ रूखा-सूखा खाने वाले व्यक्ति को योग की कोई आवश्यकता नहीं पड़ती है। न तो उनके शरीर में इतनी चर्बी चढ़ी होती है और नए कोई वसा वाला भोजन ही उन्हें प्राप्त होता है। जिसके कारण वसा से होने वाला कोई रोग उत्पन्न हो। ऐसी स्थिति में योग के उपभोग का कोई औचित्य ही नहीं रह जाता है। परंतु जीवन पर मोटापा बोझ बनने लगता है। शरीर रोगों का घर बन जाता है। ऐसी स्थिति में योग का विशेष महत्व हो जाता है। योग की सख्त आवश्यकता वालों की संख्या भारत की कुल आबादी की 20 प्रतिशत से अधिक नहीं है। इसके विपरीत कुपोषण के शिकार, भुखमरी से जुझने वालों की संख्या 80 प्रतिशत के लगभग है। सीधे तौर पर कहा जाए तो योग की सख्त आवश्यकता मात्र 20 प्रतिशत लोगों को ही है। 80 प्रतिशत लोगों को योग कि नहीं पौष्टिक भोजन की है। कुपोषण के शिकार भुखमरी से जुझने वालों की संख्या 4 गुना अधिक है। 
ऐसी स्थिति में जो खर्च योग शिविरों के आयोजनों पर किया जा रहा है। यदि वह धन कुपोषित वर्ग के प्रति खर्च किया जाए तो कुछ लोग, कुछ समय तक भरपेट पौष्टिक भोजन कर सकते हैं। ऐसा नहीं है कि नमक-मिर्च की चटनी और रुखा-सुखा भोजन उनकी जटाग्नि शांत नहीं कर पाता है। पेट तो खूब पानी पीकर भी भर जाता है। किंतु आवश्यक तत्वों की आपूर्ति नहीं हो पाती है। 'योगेश्वर' की इतनी अनुकंपा तो उन पर बनी हुई है। इसके बाद तो हमें खुद के गिरेबान में झांकने की जरूरत है।
राधेश्याम   'निर्भयपुत्र'

111 गैर मान्यता प्राप्त पंजीकृत दलों को सूची से हटाया

111 गैर मान्यता प्राप्त पंजीकृत दलों को सूची से हटाया

अकांशु उपाध्याय  

नई दिल्ली। चुनावी सुधारों को लेकर गंभीर चुनाव आयोग ने देश के और 111 गैर मान्यता प्राप्त पंजीकृत राजनीतिक दलों को अपनी सूची से हटा दिया है। साथ ही इनके चुनाव चिन्ह और मिलने वाली सभी तरह की सुविधाएं भी छीन ली हैं। बता दें कि निर्वाचन आयोग इससे पहले भी 87 गैर मान्यता प्राप्त पंजीकृत राजनीतिक दलों के खिलाफ ऐसी कार्रवाई कर चुका है। बता दें कि चुनाव आयोग ने गैर मान्यता प्राप्त पंजीकृत राजनीतिक दलों के खिलाफ सख्त कदम उठाने के संकेत पिछले दिनों ही दिए थे। इसमें 21 सौ से ज्यादा दलों को नियमों का पालन नहीं करने का आरोपित पाया गया था। आयोग ने इन सभी दलों को नोटिस भी जारी किया था।इनमें से तीन ऐसे दल भी थे, जो गंभीर वित्तीय अनियमितताओं में शामिल पाए गए है। यह कार्रवाई वित्तीय वर्ष 2017-18, 2018-19 और 2019-20 की रिपोर्ट के आधार पर की है। इसमें बड़ी संख्या में आयोग को चंदे से जुड़ी कोई जानकारी नहीं दी है। अकेले वर्ष 2019-20 में ऐसे दलों की संख्या 23 सौ से अधिक है। जिसके बाद से चुनाव आयोग सभी दलों की जांच पड़ताल में लग गई है।

चुनाव सुधार की इस मुहिम में चुनाव आयोग ने अब राजनीतिक दलों को मिलने वाले छोटे-छोटे चंदे पर भी नजर रखने की रणनीति तैयार करने में जुटा है। इसमें राजनीतिक दलों को ऐसे सभी चंदे का ब्योरा भी देना होगा, जो भले ही 20 हजार से कम होगा।आयोग के मुताबिक राजनीतिक दल 20-20 हजार से कम की राशि में कई किस्तों में लेकर ब्योरा देने से बच जाते है। आयोग से जुड़े सूत्रों के मुताबिक कानून मंत्रालय को इस संबंध में प्रस्ताव भेजा गया है। जैसे ही इसकी मंजूरी मिल जाएगी, इसे लागू कर दिया जाएगा।इसके इसके अलावा एक व्यक्ति से एक सीट से ही चुनाव लड़ने की व्यवस्था करने पर भी विचार किया जा रहा है। अगर कोई प्रत्याशी दो जगहों से लड़ेगा और एक सीट छोड़ेगा, तो चुनाव का पूरा खर्च उससे लिए जाने आदि का प्रस्ताव शामिल है।

'ध्रुवीकरण-कुशासन’ से ध्यान भटकाने का आरोप लगाया

'ध्रुवीकरण-कुशासन’ से ध्यान भटकाने का आरोप लगाया

इकबाल अंसारी  
दिसपुर। असम विधानसभा में विपक्ष के नेता देवव्रत सैकिया ने मंगलवार को राज्य में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेतृत्व वाली सरकार पर ‘ध्रुवीकरण’ और ‘कुशासन’ से ध्यान भटकाने का आरोप लगाते हुए कहा, “आप कुछ समय के लिए लोगों को बेवकूफ बना सकते हैं। लेकिन हर समय नहीं”। सैकिया ने विश्वास व्यक्त किया कि कांग्रेस जमीनी स्तर पर अपने काम को अंजाम देने के लिए हरसंभव प्रयत्न करेगी।
सैकिया ने यूनीवार्ता को दिए एक विशेष साक्षात्कार में मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा के ‘मदरसा’ वाले बयान के बारे में कहा, “सत्तारूढ भाजपा ने कुछ मुद्दों को जानबूझकर अपने ‘कुशासन’ से लोगों का ध्यान भटकाने और वोटों का ‘ध्रुवीकरण’ करने के मकसद से बनाया है। यह मुख्यमंत्री सरमा और भाजपा को एजेंडे का हिस्सा है। हम इसके खिलाफ जमकर लड़ेंगे।”  सरमा ने पिछले महीने यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया था कि ‘मदरसा’ शब्द विलुप्त हो जाना चाहिए, क्योंकि यदि यह शब्द बच्चों के दिमाग घर कर गया तो वे इंजीनियर और डॉक्टर नहीं बन सकते।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने असम मवेशी संरक्षण विधेयक, 2021 का जिक्र किया। जिसे सत्तारूढ़ भाजपा ने पूर्वोत्तर राज्य में लगातार दूसरी बार सत्ता में आने के बाद कुछ महीनों बाद विधानसभा में पारित होने के लिए लाया गया था। उन्होंंने कहा कि वर्ष की शुरूआत में सरकार गाय संरक्षण विधेयक लाई। इस संबंध में हमारे पास पहले से ही 1950 का कानून था। असम मवेशी संरक्षण अधिनियम, 2021, मवेशियों के वध कर उनकोे खाने और अवैध परिवहन को विनियमित करके उनके संरक्षण के लिए एक अधिनियम है।
सैकिया ने भाजपा सरकार पर सभी मोर्चों में विफल रहने का आरोप लगाते हुए कहा, “असम के लिए 2016-2025 तक के भाजपा के विजन दस्तावेजों का क्या हुआ। पहले ही छह साल को समय निकल गया है लेकिन वे विधानसभा चुनाव से पहले उनके द्वारा की गई प्रमुख घोषणाओं को लागू नहीं कर सके। असम का सबसे बड़ा मुद्दा बेरोजगारी और गरीबी उन्मूलन है। सरकार सभी मोर्चों में असफल रही है।” उन्होंने सत्ता पक्ष पर हमला बोलते हुए कहा, “आप कुछ समय तक जनता को बेवकूफ बना सकते हैं लेकिन हर समय नहीं।
” असम में लगातार बारिश के कारण बाढ़ की मौजूदा स्थिति का जिक्र करते हुए सैकिया ने इस संबंध में सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा और दावा किया कि राज्य पिछले कुछ वर्षों में केंद्रीय सहायता से वंचित रहा है। नजीरा विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस विधायक ने कहा, “भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हमेशा ‘डबल इंजन’ सरकार के फायदे का जिक्र करते रहते हैं। केंद्र के साथ-साथ राज्य में भी सत्ता में रहने के बावजूद मोदी सरकार ने आज तक असम को कोई केंद्रीय सहायता नहीं दी है।
जबकि अन्य राज्यों गुजरात, तमिलनाडु और ओडिशा को केन्द्र से सहायता मिली है।” सैकिया ने भाजपा पर हमला बोलते हुए कहा, “ भाजपा ने असम की बाढ़ और कटाव को प्राकृतिक आपदा घोषित करने का वादा किया। मुझे उम्मीद है कि पार्टी अपना वादा नहीं भूली होगी और उसे निभाएगी। मुझे उम्मीद है की पार्टी अपना वादा पूरा करेगी। असम में बाढ़ और कटाव से पिछले तीन-चार वर्षों में हुए नुकसान को कम करने के लिए सरकार को तत्काल विशेष केंद्रीय राहत के रूप में 20,000 करोड़ रुपये जारी करने चाहिए।
” आम आदमी पार्टी (आप) और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के राज्य के राजनीति में आने पर सैकिया ने कहा, “कुछ नए लोग आए हैं। मुझे नहीं लगता कि वर्ष 2024 के आम चुनाव से पहले इतने थोड़े समय के भीतर वे ज्यादा असर नहीं डाल सकेंगे और जीत दर्ज नहीं कर पाएंगे।” उन्होंने कहा, “राज्य में केवल कांग्रेस ही भाजपा को कड़ी टक्कर दे सकती है और पार्टी इस संबंध में जमीनी स्तर पर काम कर रही है।
वर्ष 2014, 2016, 2019 और 2021 में जनता को बहलाया गया था। वर्ष 2024 में जनता फिर से झूठे वादों में नहीं आयेगी।” नेशनल हेराल्ड मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से पूछताछ के बारे में सैकिया ने इसे ‘राजनीतिक प्रतिशोध’ करार दिया।  सैकिया ने नयी भर्ती के अग्निपथ योजना पर कहा, “यह भविष्य की संभावनाओं के बिना एक संविदात्मक नौकरी की तरह है। सरकार को इस पर पुनर्विचार करना चाहिए।” उन्होंने युवा को इस योजना के खिलाफ प्रदर्शन करने की अपील की और कहा कि वे लोकतांत्रिक तरीके से अपना अधिकार के मामले को उठाये लेकिन सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान नहीं पहुंचायें।

लापरवाही: बिजली के तार टूटने से 5 मवेशियों की मौंत

लापरवाही: बिजली के तार टूटने से 5 मवेशियों की मौंत 

दुष्यंत टीकम
गरियाबंद। गरियाबंद जिले के धुरसा गाँव मे मंगलवार को बड़ा हादसा हो गया। मिली जानकारी के मुताबिक तालाब के करीब ट्यूबवेल के लिए गए बिजली के तार टूटने से चारा चरने गए मवेशी करेंट की चपेट में आ गए। जिसके चलते मौके पर ही 5 मवेशियों की मौंत हो गई। इस पूरे मामले में विद्युत विभाग की लापरवाही सामने आई है।
ट्यूबवेल के लिए गए तार के टूटने के चलते ये बड़ा हादसा हुआ है। जिसके चलते 5 बेजुबान जानवरों की मौंत हो गई। बता दें, कि ग्रामीण क्षेत्र में इन दिनों खेती किसानी का कार्य भी प्रारंभ है।
ऐसे में ग्रामीण भी खेतों की ओर जाते है। विद्युत विभाग की इस लापरवाही का नतीजा और भी भयावह हो सकता था। वक़्त रहते अगर विभाग टूटे हुए बिजली के तार हटा लेता, तो ये हादसा नही होता।

बरेली-शाहजहांपुर के बीच हादसा, 5 युवकों की मौंत

बरेली-शाहजहांपुर के बीच हादसा, 5 युवकों की मौंत 

संदीप मिश्र/पंकज कपूर      
शाहजहांपुर/बरेली/रामनगर। मंगलवार की सुबह भीषण सड़क हादसे में रामनगर के 5 युवकों की मौंत हो गई। युवक रामनगर के मोहल्ला गुलरघट्टी के रहने वाले थे। बताया जा रहा है कि वे सभी लोग रामनगर से उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में स्थित बिलग्राम शरीफ जा रहे थे। उनकी कार को ट्रक ने टक्कर मारी है। बताया जा रहा कि हादसा मंगलवार सुबह बरेली-शाहजहांपुर के बीच हुआ।
टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि कार के परखच्चे उड़ गए। 
सुबह करीब 5:00 बजे ट्रक ने युवकों की कार को टक्कर मार दी। जिससे कार में सवार 5 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई। बताया जा रहा है कि 2 कारों से 10 लोग सवार होकर बिलग्राम शरीफ जा रहे थे। जहां एक कार को ट्रक ने टक्कर मार दी। सभी मृतक रामनगर के गुलरघट्टी के रहने वाले थे। जिनका नाम इमरान खान, ताहिर, मुजम्मिल ,सगीर और फरीद है। मृतकों में से एक मेडिकल स्टोर के स्वामी का भाई था।सूचना के बाद मृतकों के परिजन घटनास्थल के लिए रवाना हो गए हैं। वहीं, इस दुखद खबर से रामनगर में शोक की लहर है।

राष्ट्रपति ने 'अंतरराष्ट्रीय योग दिवस' पर बधाई दी

राष्ट्रपति ने 'अंतरराष्ट्रीय योग दिवस' पर बधाई दी 

अकांशु उपाध्याय  
नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंगलवार को 'अंतरराष्ट्रीय योग दिवस' पर लोगों को बधाई देते हुए कहा कि योग मानवता को भारत का उपहार है और यह स्वास्थ्य एवं कुशलक्षेम के लिए एक समग्र दृष्टिकोण है, जो तन, मन तथा आत्मा को संतुलित करता है। उन्होंने सभी से योग को अपने दैनिक जीवन का हिस्सा बनाने और इसके लाभ का अनुभव करने के लिए भी कहा। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस हर साल 21 जून को मनाया जाता है।
कोविंद ने ट्वीट किया, ‘‘अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की बधाई। योग हमारी प्राचीन भारतीय विरासत का एक हिस्सा है। योग मानवता को भारत का उपहार, यह स्वास्थ्य एवं कुशलक्षेम के लिए एक समग्र दृष्टिकोण है। हमारे तन, मन और आत्मा को संतुलित करता है। मैं सभी से योग को अपने दैनिक जीवन का हिस्सा बनाने और इसके लाभ का अनुभव करने का आग्रह करता हूं।’’ राष्ट्रपति भवन ने अन्य लोगों के साथ योगाभ्यास करते हुए राष्ट्रपति की तस्वीरें भी ट्विटर पर साझा की।

तकनीकी खराबी के कारण सेवाएं बाधित रहीं

तकनीकी खराबी के कारण सेवाएं बाधित रहीं 

अकांशु उपाध्याय  

नई दिल्ली। मेट्रो की येलो लाइन के एक हिस्से पर तकनीकी खराबी के कारण मंगलवार दोपहर को करीब एक घंटे तक सेवाएं बाधित रहीं। सूत्रों ने बताया कि ओएचई (ओवरहेड उपकरण) संबंधी कोई समस्या पैदा हो गई थी। येलो लाइन दिल्ली के समयपुर बादली और गुरुग्राम के हुडा सिटी सेंटर को जोड़ती है। दिल्ली मेट्रो रेल निगम (डीएमआरसी) ने दोपहर करीब एक बजे ट्वीट किया, ''येलो लाइन संबंधी ताजा जानकारी, समयपुर बादली और विश्वविद्यालय के बीच सेवाओं में विलंब। अन्य सभी लाइन पर सेवाएं सामान्य।'' डीएमआरसी ने दोपहर करीब दो बजे एक अन्य ट्वीट कर बताया कि सामान्य सेवाएं बहाल हो गई हैं।मेट्रो की ब्लू लाइन पर जून में कई बार सेवाएं बाधित हुई हैं। ब्लू लाइन दिल्ली के द्वारका सेक्टर 21 और नोएडा के इलेक्ट्रानिक सिटी को जोड़ती है। यमुना बैंक मेट्रो स्टेशन से इसकी एक शाखा गाजियाबाद के वैशाली तक जाती है।

दिल्ली मेट्रो रेल निगम (डीएमआरसी) के अधिकारियों ने बताया था कि मंडी हाउस में एक ट्रेन में आई गड़बड़ी के कारण रविवार को सेवाएं कुछ देर बाधित रहीं। इससे पहले, नौ जून को ब्लू लाइन पर एक बड़ी तकनीकी गड़बड़ी आने के कारण यात्री दो घंटे से अधिक समय तक फंसे रहे थे। इसी लाइन पर छह जून को तकनीकी गड़बड़ी के कारण डेढ़ घंटे सेवाएं बाधित रही थीं।


कुएं में मिला नवजात शिशु का शव, मचा हड़कंप

कुएं में मिला नवजात शिशु का शव, मचा हड़कंप  दुष्यंत टीकम  जशपुर/पत्थलगांव। जशपुर जिले के एक गांव में कुएं में नवजात शिशु का शव मिला है। इससे...