रविवार, 19 जून 2022

गूगल ने 'फादर्स डे' के मौके पर खास डूडल बनाया

गूगल ने 'फादर्स डे' के मौके पर खास डूडल बनाया 

सुनील श्रीवास्तव/अकांशु उपाध्याय 
वाशिंगटन डीसी/नई दिल्ली। भारतीय घरों में पिता की छवि ऐसी मानी जाती है कि पापा हमेशा सख्त रहते हैं, डांटते हैं। यही वजह है कि लड़का हो या लड़की अधिकतर बच्चे अपनी मां से हर बात शेयर कर लेते हैं, लेकिन पिता से कहने में डरते हैं या हिम्मत नहीं कर पाते। हालांकि, ऐसा नहीं है कि पिता बच्चों को प्यार नहीं करते।
बच्चे जब धीरे-धीरे बड़े होते हैं और उन्हें जिम्मेदारियों की समझ होने लगती है, तो अहसास होता है कि पिता क्या होता है और पिता की क्या भूमिका होती है। पिता के प्रेम, त्याग को सम्मान देने के लिए दुनिया के तमाम देशों में फादर्स डे मनाया जाता है। पिता को स्पेशल फील कराने के लिए हर साल जून महीने के तीसरे रविवार को फादर्स डे मनाया जाता है। सर्च इंजन गूगल ने पिछले साल की तरह, इस साल भी फादर्स डे के मौके पर आज, 19 जून 2022 को एक खास डूडल बनाया है। फादर्स डे पर गूगल के डूडल में छोटे और बड़े हाथ दिखाई दे रहे हैं। पापा को समर्पित फादर्स डे के डूडल में साफ दिखाई दे रहा है कि बच्चा किस तरह से पिता की छवि बनता है।

आइए जानते हैं कि फादर्स डे मनाने की शुरुआत कब और कैसे हुई ?

फादर्स डे मनाने की शुरुआत 1910 से हुई थी। माना जाता है कि वॉशिंगटन के स्पोकन शहर में रहने वाली लड़की सोनोरा डॉड ने फादर्स डे की शुरुआत की थी। सोनोरा की मां के निधन के बाद पिता ने ही अकेले उनकी परवरिश की। पिता ने एक मां की तरह बेटी को प्यार दिया तो एक पिता की तरह सुरक्षा की। सोनोरा के पिता उन्हें कभी मां की कमी का अहसास नहीं होने देते थे। सोनोरा के मन में ख्याल आया कि जब मां के मातृत्व को समर्पित मदर्स डे मनाया जा सकता है तो फिर पिता के प्रेम और स्नेह के सम्मान में फादर्स डे भी मनाना चाहिए।
सोनोरा के पिता का जन्मदिन जून में होता था। इसलिए उन्होंने जून में फादर्स डे मनाने की मांग को लेकर याचिका दायर की। जिसे मान लिया गया और 19 जून 1910 को पहली बार फादर्स डे मनाया गया। इसके बाद साल 1916 में अमेरिकी राष्ट्रपति वुडरो विल्सन ने फादर्स डे मनाने के प्रस्ताव को भी स्वीकार किया। साल 1924 में राष्ट्रपति कैल्विन कूलिज ने फादर्स डे को राष्ट्रीय आयोजन घोषित कर दिया। बाद में 1966 में राष्ट्रपति लिंडन जॉनसन ने फादर्स डे को जून के तीसरे रविवार को मनाने का ऐलान किया।

प्लेन में आग लगने की वजह से इमरजेंसी लैंडिंग कराई

प्लेन में आग लगने की वजह से इमरजेंसी लैंडिंग कराई

अविनाश श्रीवास्तव  
पटना। बिहार के पटना में रविवार को एक बड़ा हादसा होते-होते टल गया। दरअसल, पटना में स्पाइसजेट के प्लेन की इमरजेंसी लैंडिंग कराई गई है। जानकारी के मुताबिक, प्लेन में आग लगने की वजह से इसकी इमरजेंसी लैंडिंग कराई गई है। बता दें दिल्ली जा रहे इस विमान को पटना एयरपोर्ट पर लैंड कराया गया है। इस विमान में 185 लोग सवार थे। अबत क की रिपोर्ट के अनुसार विमान में सवार सभी यात्री सुरक्षित हैं। अधिकारियों के मुताबिक, सभी यात्रियों को सुरक्षित निकाल लिया गया है।
जानकारी के मुताबिक, विमान के उड़ान भरते समय इंजन में आग लग गई। मौके पर फायर ब्रिगेड और दमकल की गाड़ियों को बुला लिया गया है। जानकारी के मुताबिक ये विमान पटना के जयप्रकाश इंटरनेशनल एयरपोर्ट से 12 बजतक 10 मिनट पर उड़ा था। टेक ऑफ के कुछ ही मिनट के बाद इस विमान के एक पंखे में आग  लग गई।
हैरानी की बात ये है कि इस विमान के पंखे में लगी आग को नीचे से लोगों ने देखा। लोगों ने देखा कि विमान के एक पंखे से आग का लपटें निकल रही थी। लोगों ने इस घटना की सूचना तत्काल पटना पुलिस को दी। इसके बाद इस घटना की सूचना एयरपोर्ट को दी गई। फिर इस विमान को वापस लाया गया।

8,000 प्राचीन टॉड और मेंढक की हड्डियां मिलीं

8,000 प्राचीन टॉड और मेंढक की हड्डियां मिलीं 

सुनील श्रीवास्तव  
लंदन। ब्रिटेन में कैम्ब्रिज के पास वैज्ञानिकों ने कुछ ऐसा देखा, जिसे देखकर वे हैरान रह गए। बार हिल पर एक सड़क के किनारे खुदाई के दौरान, वैज्ञानिकों को 8,000 प्राचीन टॉड और मेंढक की हड्डियां मिलीं हैं। 2016-2018 के बीच, लौह युग  में बने एक घर के पास ये खुदाई हुई थी। इस दौरान 14-मीटर लंबी यानी कुछ 6 फुट गहरे गड्ढे में हड्डियां मिली थीं। वैज्ञानिकों को मेंढकों के इस कब्रगाह तक पहुंचने के लिए एक मीटर की टॉप सॉइल और सब सॉइल‌ खोदनी पड़ी थी। एक ही जगह पर इतने सारे अवशेषों का मिलना असामान्य और असाधारण खोज है। साथ ही वैज्ञानिक अब तक ये समझ नहीं पाए हैं कि ये सब गड्ढे में पहुंचे कैसे ?

लंदन पुरातत्व संग्रहालय का वरिष्ठ पुरातत्वविद् विकी इवेन्स का कहना है कि लंदन में इतनी साइटों पर काम करते हुए, हमें इतने मेंढक कहीं नहीं मिले। एक गड्ढे से इतनी सारी हड्डियों का मिलना हैरान करता है‌। वैज्ञानिकों के मुताबिक, ये हड्डियां ज्यादातर मेंढक और टोड की सामान्य प्रजाति से हैं, जो पूरे देश में पाई जाती हैं। इसमें पोखर में पाए जाने वाले मेंढक के अवशेष भी हैं, जो हौरान करने वाले हैं। बात करें तो ऐसे प्रमाण पाए गए हैं जो ये बताते हैं कि तब लोग मेंढक खाया करते थे। हालांकि, गड्ढे में मिली हड्डियों पर किसी तरह का न तो कोई कट है न ही जलने का निशान। इसलिए यह भी नहीं कहा जा सकता कि लोगों ने इन मेंढकों को खाया था। हालांकि, अगर मेंढकों को उबाला भी गया होता, तो भी इसके निशान मिलते। जहां से ये अवशेष मिले हैं, वहां से जले हुए अनाज के प्रमाण मिले थे, जिससे पता चलता है कि लोग फसल को प्रोसेस करते थे। फसलों की वजह से दूसरे कीट वहीं आते होंगे और उन्हें खाने के लिए मेंढक वहां आए होंगे। प्रागैतिहासिक काल में मेंढकों के साथ हुई इस त्रासदी के पीछे एक और थ्योरी दी जाती है।वह ये कि मेंढक प्रजनन क्षेत्रों की तलाश में वसंत में इस इलाके में आए होंगे और गड्ढे में गिरकर फंस गए होंगे। ये भी कहा जा रहा है कि हो सकता है कड़ाके की ठंड ने इन मेंढकों की जान ली होगी। एक थ्योरी यह भी है कि ऐसा मेंढकों में किसी बीमारी की वजह से हुआ होगा। ब्रिटेन में 1980 के दशक में रानावायरस ने मेंढकों की आबादी को खत्म कर दिया था। इस वायरस से मेंढक इतने प्रभावित हुए कि रोग की निगरानी और रिपोर्ट करने के लिए फ्रॉग मेर्टैलिटी प्रोजेक्ट शुरू किया गया था। रानावायरस ऐसे वायरस हैं, जो कुछ मछलियों और सरीसृपों की बड़ी संख्या को प्रभावित करते हैं। 

विकी इवेन्स का कहना है कि यह एक हैरान करने वाली खोज है, जिसे हम अब भी समझने की कोशिश कर रहे हैं। मेंढक के अवशेषों के एक साथ होने के कई अलग-अलग कारण हो सकते हैं। आने वाले समय में हम यह भी जान जाएंगे। लेकिन अभी हमें नहीं पता कि ऐसा क्यों था। साइट पर केवल मेंढक की हड्डियां ही नहीं पाई गई थीं, बल्कि कलाकृतियों के साथ-साथ इंसानों और जानवरों के अवशेष भी मिले थे। नमूनों पर अब भी काम किया जा रहा है।उम्मीद है कि यह रहस्य जल्दी सुलझेगा।

3 दिवसीय जैविक विज्ञान में अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन कराया

3 दिवसीय जैविक विज्ञान में अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन कराया

अकांशु उपाध्याय/सुनील श्रीवास्तव/अमित शर्मा   

नई दिल्ली/वाशिंगटन डीसी/गुरुग्राम। सोसाइटी ऑफ एकेडमिक रिसर्च फॉर रूरल डवेलपमेन्ट, एस.जी.टी. विश्वविद्यालय, गुरुग्राम एवं आ.सी.ए.आर. सेन्ट्रल सोईल सैलिनीटी रिसर्च इन्स्टीयूट द्वारा संयुक्त रूप से 3 दिवसीय जैविक विज्ञान में हालिया प्रगति पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन कराया गया। तीन दिनों तक चलने वाले इस सम्मेलन में देश एवं विदेशों से छात्रों, शोधकर्ताओं, वैज्ञानिकों एवं विभिन्न संस्थानों के प्रमुखों ने भाग लिया। 
उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में आई.सी.ए.आर. के अतिरिक्त महानिदेशक (बीज) डॉ. डी. के. यादव एवं अन्तराष्ट्रीय अतिथि के रूप में अमेरिका के अंतरराष्ट्रीय खरपतवार संस्था के अध्यक्ष डॉ. समुन्दर सिंह, डीन फैक्लटी आफ एग्रीकल्चर सांईसेस एस.जी.टी. विश्वविद्यालय, गुरूग्राम के डॉ. अशोक कुमार, तथा सोसाईटी के अध्यक्ष डॉ. नितिन तनवर एवं मुख्य कार्यकर्ता डॉ. हिना, डॉ. नितिन गोयल, डॉ. मनीष वर्मा, डॉ. वी. रवि, डॉ. कैलाश कुमार, डॉ. ललित कुमार, डॉ. प्रवीन, डॉ. दीपांकर, सहित भारत के विभिन्न शैक्षिणिक एवं शोध संस्थानों से आये प्रसिद्ध विद्वानों ने सिरकत की एवं अपने-अपने विचार रखें। सी.सी.एस.एच.ए.यू. विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त डा. बी. के. हूड्डा ने बायोलॉजिकल रिसर्च में सांख्यिकी के महत्व पर व्याख्यान दिया। सम्मेलन में कृषि विज्ञान में उत्कृष्ट कार्यों के लिए डॉ. सौरव शर्मा युवा वैज्ञानिक के रूप में एवं भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान के शोध छात्र डॉ. नीरज को यंग रिर्सचर अवार्ड से सम्मानित किया गया। डॉ. नीरज ने नैनो सिल्वर के दुष्प्रभाव पर शोध किया है। कार्यक्रम समापन के दौरान मुख्य आयोजक डॉ. नितिन तनवर ने कार्यक्रम में आये सभी अतिथियों का आभार व्यक्त कर धन्यवाद दिया।

युवाओं के जीवन व महत्वाकांक्षाओं से खिलवाड़, गलत

युवाओं के जीवन व महत्वाकांक्षाओं से खिलवाड़, गलत

कविता गर्ग  

मुंबई। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने अग्निपथ सैन्य भर्ती योजना को लेकर केंद्र पर रविवार को प्रहार किया और कहा कि देश के युवाओं के जीवन और महत्वाकांक्षाओं से खिलवाड़ करना गलत है। शिवसेना के 56वें स्थापना दिवस पर पार्टी के विधायकों और वरिष्ठ नेताओं को संबोधित करते हुए ठाकरे ने कहा कि यदि युवाओं के पास नौकरी नहीं होगी तो केवल भगवान राम के बारे में बात करने का कोई मतलब नहीं है। उन्होंने कहा कि केंद्र के कुछ कृषि कानूनों के खिलाफ पहले किसान सड़कों पर उतरे थे। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘आपको सिर्फ वही आश्वासन देना चाहिए, जो आप पूरा कर सकते हैं।’ 

ठाकरे ने सवाल किया, ‘‘योजनाओं को अग्निपथ और अग्निवीर नाम क्यों दिया गया? 17 से 21 साल तक के युवा चार वर्षों बाद क्या करेंगे?’’ शिवसेना प्रमुख ने कहा, ‘‘संविदा पर सैनिक रखना खतरनाक है और युवाओं के जीवन एवं महत्वाकांक्षाओं से खिलवाड़ करना गलत है। यदि युवाओं के पास नौकरी नहीं होगी तो केवल भगवान राम के बारे में बात करने का कोई मतलब नहीं है।’’ उन्होंने कहा कि अग्निपथ योजना के खिलाफ देश के कुछ हिस्सों में हिंसक प्रदर्शन होने के बावजूद महाराष्ट्र शांत है। ठाकरे ने कहा, ‘‘आज मेरा दिन हो सकता है, कल कोई और बेहतर विकल्प के तौर पर उभरेगा।’’

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प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

प्राधिकृत प्रकाशन विवरण  

1. अंक-254, (वर्ष-05)
2. सोमवार, जून 20, 2022
3. शक-1944, आषाढ़, कृष्ण-पक्ष, तिथि-सप्तमी, विक्रमी सवंत-2079।
4. सूर्योदय प्रातः 05:22, सूर्यास्त: 07:15।
5. न्‍यूनतम तापमान- 26 डी.सै., अधिकतम-34+ डी.सै.। उत्तर भारत में बरसात की संभावना।
6. समाचार-पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है। सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा। सभी पद अवैतनिक है।
7.स्वामी, मुद्रक, प्रकाशक, संपादक राधेश्याम व शिवांशु, (विशेष संपादक) श्रीराम व सरस्वती (सहायक संपादक) संरक्षण-अखिलेश पांडेय, ओमवीर सिंह, वीरसेन पवार, योगेश चौधरी आदि के द्वारा (डिजीटल सस्‍ंकरण) प्रकाशित। प्रकाशित समाचार, विज्ञापन एवं लेखोंं से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं हैं। पीआरबी एक्ट के अंतर्गत उत्तरदायी।
8. संपर्क व व्यवसायिक कार्यालय- चैंबर नं. 27, प्रथम तल, रामेश्वर पार्क, लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102।
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