शुक्रवार, 27 मई 2022

हादसा: गंगा नदी में डूबने से 3 युवकों की मौंत हुईं

हादसा: गंगा नदी में डूबने से 3 युवकों की मौंत हुईं  

अविनाश श्रीवास्तव     

भागलपुर। बिहार में भागलपुर जिले के अंतीचक थाना क्षेत्र में शुक्रवार को गंगा नदी में डूबने से तीन युवकों की मौंत हो गई। कहलगांव के अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी शिवानंद सिंह ने यहां बताया कि बटेश्वर स्थान घाट पर गंगा नदी में स्नान करने के दौरान तीन युवकों की डूबकर मौत हो गई। मृतक युवकों की पहचान राहुल कुमार (22), उसका भाई रोहित राय (18) एवं शिवम राय (14) वर्ष के रुप में की गई है। मृतक युवक पीरपैंती प्रखंड के टोपरा टोला गांव के निवासी थे। तीनों युवक अपने परिजनों के साथ शुक्रवार की सुबह मुडंन कार्यक्रम के लिए बटेश्वर स्थान घाट पर आये हुए थे।

सिंह ने बताया कि स्थानीय गोताखोरों की मदद से शवों को नदी से बाहर निकाल लिया गया है। इस सिलसिले में प्राथमिकी दर्ज कर शवों को पोस्टमार्टम के लिए भागलपुर के जवाहरलाल नेहरु मेडिकल कॉलेज अस्पताल भेज दिया गया है।

राहत: एनसीबी की चार्जशीट में आर्यन का नाम नहीं

राहत: एनसीबी की चार्जशीट में आर्यन का नाम नहीं 

कविता गर्ग   
मुंबई। क्रूज ड्रग्स मामले में अभिनेता शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान को बड़ी राहत मिली है। नारकोटिक कंट्रोल ब्यूरो (NCB) की चार्जशीट में आर्यन खान का नाम नहीं है। मामले में एनसीबी ने पुरानी चार्जशीट हटाकर नई चार्जशीट दाखिल की है जिसमें आर्यन खान के नाम को शामिल नहीं किया गया है। मामले में पहले ही खबर आई थी कि आर्यन खान के खिलाफ एसआईटी को कोई पुख्ता सबूत नहीं मिले हैं और न ही आर्यन के ड्रग्स को लेकर इंटरनेशनल लिंक होने का सबूत मिला है। 
एसआईटी जांच में यह बात भी सामने आई थी कि आर्यन के पास से ड्रग्स बरामद नहीं हुई थी। बता दें आर्यन खान एनबीसी ने 2 अक्तूबर की रात मुंबई के क्रूज शिप के टर्मिनल से गिरफ्तार किया था। आर्यन के साथ उनके दोस्त अरबाज मर्चेंट को भी एनबीसी ने हिरासत में लिया था। उस वक्त ड्रग्स केस में कुल 8 गिरफ्तारियां हुई थीं। एनसीबी का आरोप था कि मुंबई से गोवा जा रहे क्रूज शिप पर ड्रग्स पार्टी होने वाली थी। आर्यन खान इसी पार्टी का हिस्सा बनने जा रहे थे।

राजकीय दमन के खिलाफ आंदोलन, 390 दिन पूरे

राजकीय दमन के खिलाफ आंदोलन, 390 दिन पूरे  

संजय पराते 
रायपुर/बस्तर। छत्तीसगढ़ के दक्षिण बस्तर में बीजापुर-सुकमा जिले की सीमा पर स्थित सिलगेर गांव में उन पर हुए राजकीय दमन के खिलाफ चल रहे प्रतिरोध आंदोलन के एक साल, या ठीक-ठीक कहें तो 390 दिन, पूरे हो चुके हैं। बीजापुर-जगरगुंडा मार्ग पर पहले से स्थापित दर्जनों सैनिक छावनियों की श्रृंखला में पिछले साल ही 12-13 मई की मध्य रात्रि को, तर्रेम में स्थापित एक छावनी के दो किमी. बाद ही, सिलगेर में चार आदिवासी किसानों की जमीन पर कब्जा करके बना दिये गए एक और छावनी के खिलाफ शांतिपूर्ण ढंग से विरोध प्रदर्शन कर रहे आदिवासियों के प्रतिरोध को कुचलने के लिए पुलिस और सैन्य बलों द्वारा अंधाधुंध फायरिंग में एक गर्भवती महिला सहित 5 लोग शहीद हो गए थे और 300 आदिवासी घायल हो गए थे। 
तब से इस सैन्य छावनी को हटाने और उस इलाके में खनिज दोहन के लिए बन रहे लंबे-चौड़े सड़क निर्माण को रोकने, इस फायरिंग के जिम्मेदार लोगों को सजा देने और हताहतों को मुआवजा देने की मांग पर पूरा दक्षिण बस्तर आंदोलित है। वास्तव में यह नरसंहार प्राकृतिक संसाधनों की कॉर्पोरेट लूट को सुनिश्चित करने के लिए राज्य प्रायोजित जनसंहार था और कांग्रेस सरकार इसकी जिम्मेदारी से बच नहीं सकती। एक साल बीत जाने के बाद भी आज तक कोई एफआईआर दर्ज नहीं हुई है, घायलों और शहीदों के परिवारों को मुआवजा मिलना तो दूर की बात है। आदिवासी एक "अंतहीन न्याय" की प्रतीक्षा कर रहे हैं। 13 मई 2021 को अचानक उगे इस अर्ध सैनिक बलों की इस छावनी ने पेसा और वनाधिकार कानून और मानवाधिकारों को कुचलने के सरकारी पराक्रम पर तीखे सवाल खड़े किए हैं।
इस जनसंहार को दबाने और आदिवासी प्रतिरोध को कुचलने की सरकार ने जितनी भी कोशिश की, यह आंदोलन तेज से तेज हो रहा है और इस बीहड़ क्षेत्र में आदिवासियों की लामबंदी बढ़ती ही जा रही है। यह आंदोलन पूरे बस्तर और छत्तीसगढ़ के आदिवासी इलाकों में प्राकृतिक संसाधनों की लूट के खिलाफ प्रतिरोध के प्रतिनिधि चेहरे के रूप में विकसित हो रहा है। मूलवासी बचाओ मंच द्वारा संचालित इस आंदोलन ने देशव्यापी किसान आंदोलन के साथ एकजुटता व्यक्त करते हुए जब अपनी सभा का आयोजन किया, 26 नवंबर को दस हजार से ज्यादा आदिवासी पुरुष-महिला, नौजवान-नवयुवतियां शामिल थे, जिनकी संख्या शहीदों की बरसी पर आयोजित इस सभा में बीस हजार तक पहुंच गई थी। इन दोनों सभाओं का किसान सभा प्रतिनिधि के रूप में हम लोग गवाह हैं।
इस जनसंहार के बाद कांग्रेस पार्टी ने एक प्रतिनिधिमंडल सिलगेर भेजा, लेकिन उसकी रिपोर्ट आज तक सामने नहीं आई। भाजपा के जनप्रतिनिधियों ने भी वहां का दौरा किया और चुप्पी साध ली। जन आक्रोश के दबाव में सरकार को दंडाधिकारी जांच की भी घोषणा करनी पड़ी, लेकिन एक साल बाद भी उसकी जांच का कोई अता-पता नहीं है। सिलगेर आंदोलन का संचालन कर रहे नौजवान आदिवासियों ने दो बार मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से बात की है, लेकिन थोथा आश्वासन ही मिला है, ठोस कार्यवाही कुछ नहीं हुई है। 
इस आंदोलन स्थल से सीधी रिपोर्टिंग कर रहे पत्रकार पूर्णचन्द्र रथ ने अपने डिस्पैच में लिखा है, कि "कैम्प हटाने का कोई प्रयास सरकार का नहीं दिखाई देता, बल्कि आंदोलन को कमजोर करने की तमाम कोशिशें की जाती रही। पास के तर्रेम थाने को पार करते ही सभी तरह के मोबाइल नेटवर्क का समापन हो जाता है और संचार के लिए सिर्फ पुलिस का वायरलेस सेट काम करता है। साल भर के इस प्रदर्शन में सर्दी, गर्मी, बरसात जैसी सारी प्राकृतिक विपदाओं के बीच आंदोलन जारी रहा। हालांकि कोरोना काल में सरकार द्वारा धारा 144 लगा कर इकट्ठा होने को अपराध घोषित किया गया, बीते साल से अब तक बाहर से आने वालों को बार-बार रोका गया, बातचीत में समाधान न होने पर भी आंदोलन खत्म होने की कहानियां फैलाई गई, पर आंदोलन उसी जोश से जारी रहा।
इसमें भागीदारी कर रहे ग्रामीणों की संख्या 17 मई 2022 को 20 हजार से ज्यादा नज़र आ रही थी और उनमें 90% 12 से 35 वर्ष के युवा थे, जिनमे युवतियों की संख्या सर्वाधिक थी। कुछ लोगों से ही हिंदी में संवाद हो पाता था, जिनके अनुसार वे 40 से 50 किमी. दूर गांवों से आये थे और बारी-बारी से आंदोलन में अपनी क्षमता अनुसार समय और धन का योगदान करते हैं। भोजन और चाय की व्यवस्था कर रहे युवाओं के बीच सुनीता से बात हुई, तो उसने कहा कि पंचायत स्तर पर घूम-घूम कर चावल और रुपयों की व्यवस्था करते है। यहां तक कि छोटी-मोटी बीमारियों, चोट, दस्त के लिए दवाइयां भी यहां आने-जाने वालों के लिए फ्री में उपलब्ध है। किसी भी लंबे चलने वाले आंदोलन के लिये जरूरी सभी व्यवस्थाएं अपने स्थानीय संसाधनों से करने की पूरी कोशिश की गई थी। 
तेज गर्मी में लोगों के बैठने के लिये ताड़ के पत्तों से ढका मात्र 6 फ़ीट ऊंचा तकरीबन 80,000 वर्ग फ़ीट का मंडप बनाया गया था। मिट्टी की लिपाई से बना मंच, जिसकी लंबाई करीब 40 फ़ीट और चौड़ाई करीब 20 फ़ीट होगी, रंग-बिरंगे कागजों के फूलों से सजाया गया था। मंच पर सोलर फोटोवोल्टिक शीट से ऊर्जा प्राप्त माईक सिस्टम और लैपटॉप, प्रिंटर की व्यवस्था थी, जिससे मूलवासी मंच की विज्ञप्ति और सूचनाएं प्रिंट करके बांटी जा रही थी। इस दूरस्थ स्थल पर कवरेज के लिए आने वाले पत्रकारों को लिखित धन्यवाद पत्र भी बांटा गया।
मूलवासी बचाओ मंच के पर्चे में आंदोलन की अब तक की घटनाओं को सिलसिलेवार ढंग से रखने की कोशिश की गई है। पूरे आयोजन में कम से कम 5 मोबाइल कैमरे निरंतर वीडियो रिकार्डिंग करते रहते हैं, कोई भी कार्यकर्ता जब बयान देता या बातचीत करता है, तो बेहद गंभीरता से एक-एक मुद्दे को बताता है, जिसे रिकार्ड करने उनका कोई साथी भी मौजूद रहता है।" किसी भी आंदोलन में जनता की उपस्थिति और उसमें लगने वाले जोशीले नारे महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। लेकिन लंबे समय तक चलने वाले ऐसे आंदोलनों में, जिसका कोई ओर-छोर दिखाई नहीं देता और जिसकी सफलता-असफलता की कोई निर्णायक भविष्यवाणी नहीं की जा सकती, पर्दे के पीछे का सांस्कृतिक हस्तक्षेप इससे ज्यादा महत्वपूर्ण होता है। देशव्यापी किसान आंदोलन में भी हमने यह देखा, सिलगेर आंदोलन की ताकत के पीछे भी यही सांस्कृतिक हस्तक्षेप है, जो व्यापक जन लामबंदी और जोश को संगठित करने में और इस पूरे आंदोलन को आत्मिक बल देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
इस आंदोलन से जुड़े और 8वीं तक पढ़े आज़ाद ने बताया कि अन्य दिनों में उपस्थिति 200-500 तक रहती है। सबसे ज्यादा पढ़ाई रघु ने की है 12वीं तक और वे इस आंदोलन के असली चेहरा है। हमने देखा कि सैन्य बलों की भारी उपस्थिति के बीच भी वे निर्भीकता से अपनी बात पत्रकारों के बीच रख रहे थे। इस दौरान आदिवासियों के शोषण और लूट के खिलाफ संघर्ष की चमक और जीत का आत्मविश्वास उनके चेहरे पर स्पष्ट देखा जा सकता था। रघु के साथी गजेंद्र ने भी केवल 12वीं तक पढ़ाई की है। 
कला संस्कृति मंच इस आंदोलन में लगातार सक्रिय है। इससे जुड़े साथी यहां के आंदोलनकारियों के साथ मिलकर गीत लिख रहे हैं। आज़ाद बताते हैं कि लिखने की इस प्रक्रिया में हिंदी गानों ने उनकी बहुत मदद की है। वे उचित शब्द की खोज में डिक्शनरी का भी सहारा लेते हैं। सभी मिलकर इन गीतों की धुनें भी बनाते हैं और किसी भी बड़े कार्यक्रम के आयोजन के हफ्ता-दस दिन पहले सब मिलकर नृत्य की रिहर्सल भी करते है। हमने देखा कि उनका सांस्कृतिक प्रदर्शन मंत्र मुग्ध करने वाला और पोलिटिकल कंटेंट लिए हुए होता है। इन गीतों में वे अपने दुश्मनों की पहचान कर रहे हैं। उनके लिए नरेंद्र मोदी, अमित शाह देशद्रोही हैं, तो भूपेश बघेल-कवासी लखमा राजद्रोही हैं। पिछले एक साल से धरना स्थल पर हर रात उनका सांस्कृतिक अभ्यास चल रहा है। 
जब हम लोग 17 मई की सुबह सिलगेर पहुंचे, हजारों आदिवासी सैन्य छावनी के सामने अपने नारों और गीतों के साथ प्रदर्शन कर रहे थे। इस छावनी के सामने ही उन्होंने अपने शहीदों की याद में स्मारक बनाया है। हरे रंग से पुते हुए इस स्मारक पर हंसिया-हथौड़ा अंकित "हरा झंडा" शान से लहरा रहा है। प्रदर्शन के दौरान उन्होंने नृत्य के साथ अपने प्रतिरोधी गीत गाये। एक आदिवासी कार्यकर्ता एक चैनल के सामने अपना बयान दर्ज करा रहा है कि यदि सरकार उनके जल-जंगल-जमीन छीनना ही चाहती है, तो उन सबको लाइन से खड़ा करके गोलियों से उड़ा दें और कब्जा कर लें। आदिवासियों के इस साहसपूर्ण प्रदर्शन के सामने सैनिकों के बंदूकों की नोकें झुकी हुई है। असल में आदिवासी संस्कृति अपनी मृत्यु का शोक नहीं मनाती, उसका उत्सव मनाती है। यह आत्मबल उन्हें इसी उत्सवी संस्कृति से मिलता है।
पिछले एक साल से बीजापुर को जगरगुंडा से जोड़ने वाले सड़क निर्माण का काम रुका हुआ है। सिलगेर में जो छावनी बनाई गई है, उससे आगे काम बढ़ नहीं पाया है। साफ है कि जब तक आंदोलन जिंदा है, तब तक कॉर्पोरेट लूट का रास्ता भी आसान नहीं है। सामूहिक उपभोग की आदिवासी संस्कृति कॉर्पोरेट लूट के खिलाफ एक प्रतिरोधक शक्ति है, जिसे सत्ता में बैठे दलाल राम और कृष्ण के नाम पर खत्म करने की मुहिम चला रहे हैं। इस बीच इस आंदोलन के 'नक्सल प्रायोजित' होने का सरकारी दुष्प्रचार भी खूब हुआ है, लेकिन इस आंदोलन की धार तेज ही हुई है। वर्ष 1910 के भूमकाल आंदोलन के बाद व्यापक जन लामबंदी के साथ यह पहला आंदोलन है, जिसकी धमक पूरी देश-दुनिया में फैली है। इस आंदोलन ने आदिवासियों को इस देश का नागरिक ही न मानने की, कॉर्पोरेट लूट के लिए अपने ही बनाये संविधान और कानूनों को और नागरिक अधिकारों को अपने पैरों तले कुचलने वाली कांग्रेस-भाजपा की सरकारों का असली चेहरा बेनकाब कर दिया है।

सोलर एवं पवन ऊर्जा में सबसे आगे 'चीन'

सोलर एवं पवन ऊर्जा में सबसे आगे 'चीन'


सौर हो या पवन, चीन नंबर वन

नई दिल्ली/वाशिंगटन डीसी/बीजिंग। क्या आपको पता है, दुनिया के किस देश में सौर ऊर्जा उत्पादन की सबसे ज़्यादा क्षमता है? अच्छा क्या आपको पता है दुनिया के किस देश में पवन ऊर्जा उत्पादन क्षमता सबसे ज़्यादा है? चलिये एक इशारा देते हैं आपको। इन दोनों मामलों में हमारा एक पड़ोसी देश सबसे ऊपर पर बैठा है।
अब तो इशारा आप समझ ही गए होंगे। जी हाँ, बात यहाँ चीन की हो रही है। दुनिया में न सिर्फ सोलर एनेर्जी की सबसे ज़्यादा स्थापित उत्पादन क्षमता चीन के पास है, बल्कि पवन ऊर्जा में भी सबसे आगे चीन ही है। पवन ऊर्जा के मामले में भारत पांचवे पायदान पर आता है, और सोलर में नंबर 3 पर।
इन सब आंकड़ों की जानकारी मिलती है, ग्लोबल एनेर्जी मॉनिटर के ताज़ा जारी ट्रेकर से।
ग्लोबल एनर्जी मॉनिटर ने रिन्यूबल एनेर्जी के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर हो रहे एनेर्जी ट्रांज़िशन पर नजर रखने के लिए 2 नए टूल जारी किए। इनमें से एक पवन ऊर्जा ट्रैकर है जो 10 मेगा वाट या उससे अधिक क्षमता वाले वायु ऊर्जा फार्म को कवर करता है। वहीं, दूसरा एक सौर ऊर्जा ट्रैकर है जो 20 मेगा वाट या उससे अधिक क्षमता वाले यूटिलिटी स्केल सौर ऊर्जा फार्म पर नजर रखता है। सरकार, कारपोरेट जगत तथा अन्य सार्वजनिक डाटा के संयोजन से यह दोनों ट्रैकर परियोजना स्तरीय डाटा उपलब्ध कराते हैं ताकि इस बात का पता लगाया जा सके कि दुनिया के विभिन्न देश किस हद तक और किस रफ्तार से सौर तथा वायु ऊर्जा रूपांतरण की दिशा में काम कर रहे हैं।
ग्लोबल विंड पावर ट्रैकर (जीडब्ल्यूपीटी) 144 देशों में 13263 संचालित यूटिलिटी स्केल विंड फार्म फेसेज को अपने दायरे में लेता है, जिनसे 681.7 गीगावॉट बिजली पैदा होती है। साथ ही इसमें 5233 अतिरिक्त प्रस्तावित परियोजनाएं भी शामिल हैं जिनसे 882 गीगावॉट बिजली का उत्पादन होगा। सबसे ज्यादा क्रियाशील यूटिलिटी स्केल वायु बिजली उत्पादन क्षमता की परियोजनाओं वाले देश इस प्रकार हैं :

चीन (261.2 गीगा वाट)।
अमेरिका (127.3 गीगा वाट)।
जर्मनी (39.6 गीगा वाट)।
स्पेन (26.8 गीगा वाट)।
भारत (23.7 गीगा वाट)।

ग्लोबल सोलर पावर ट्रैकर (जीएसपीटी) 148 देशों में 5190 संचालित यूटिलिटी स्केल सोलर फार्म फेसेज को अपने दायरे में लेता है। जिनसे 289.7 गीगावॉट बिजली पैदा होती है। साथ ही इसमें 3551 अतिरिक्त प्रस्तावित परियोजनाएं भी शामिल हैं जिनसे 651.6 गीगावॉट बिजली का उत्पादन होगा सबसे ज्यादा क्रियाशील यूटिलिटी स्केल सौर बिजली उत्पादन क्षमता की परियोजनाओं वाले देश इस प्रकार हैं :

चीन (130.3 गीगावॉट)।
अमेरिका (43.4 गीगावॉट)।
भारत (29.0 गीगावॉट)।
वियतनाम (11.3 गीगावॉट)।
मेक्सिको (10.5 गीगावॉट)।

ग्लोबल एनर्जी मॉनिटर के ग्लोबल विंड पावर ट्रैकर के परियोजना प्रबंधक इनग्रिद बेहरसिन अपनी प्रतिकृया देते हुए कहती हैं, “दुनिया भर में यूटिलिटी सोलर और विंड केपेसिटी को उसके पूरे विस्तार तक जानना एनेर्जी ट्रांज़िशन की दिशा में हो रही प्रगति को मापने के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण है। इस डाटा के साथ अब हम इस बात पर नजर रखने के लिए मजबूत स्थिति में है कि किस तरह से दुनिया के विभिन्न देश अक्षय ऊर्जा से संबंधित अपने ही लक्ष्यों के सापेक्ष काम कर रहे हैं।”

कांग्रेस में भगदड़ मची हुई हैं और टूटन जारी: मिश्रा

कांग्रेस में भगदड़ मची हुई हैं और टूटन जारी: मिश्रा  

मनोज सिंह ठाकुर          

खण्डवा। मध्यप्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कांग्रेस पार्टी पर हमला करते हुए कहा है कि कांग्रेस में भगदड़ मची हुई है और टूटन जारी है। गृहमंत्री डॉ़ मिश्रा आज सुबह यहाँ पहुंचे और अधिकारियों के साथ जिले की कानून व्यवस्था पर चर्चा की। इसी दौरान उन्होंने कांग्रेस पर कटाक्ष करते हुए कहा शुक्रवार को कांग्रेस की हालत देखकर यह गाना याद आता है 'एक दिल के टुकड़े हजार हुए, कोई यहाँ गिरा कोई वहाँ'। उन्होंने कहा कि एक हफ्ते में कपिल सिब्बल, सुनील जाखड़ और हार्दिक पटेल ने कांग्रेस को अलविदा कर दिया।

कांग्रेस को भारत जोड़ो के बजाय, कांग्रेस जोड़ो रैली निकालना चाहिए, तो फायदा रहेगा। उन्होंने पुलिस कंट्रोल रूम में आयोजित बैठक में खण्डवा में कानून व्यवस्था के साथ ही, ट्रेफिक की समस्या और पुलिसकर्मियों के आवास एवं अन्य समस्याओं पर भी विस्तृत चर्चा की। उन्होंनेे बताया कि पुलिस के हाऊसिंग क़्वार्टर के विषय में भी इसे नए बजट में जोड़ने के लिए बात हुई है।


पीएम ने सबसे बड़े ड्रोन महोत्सव का उद्घाटन किया

पीएम ने सबसे बड़े ड्रोन महोत्सव का उद्घाटन किया  

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। दिल्ली के प्रगति मैदान में प्रधानमंत्री मोदी ने देश के सबसे बड़े ड्रोन महोत्सव का उद्घाटन किया। पीएम मोदी ने यहां ड्रोन एग्जिबिशन को देखा और इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर रहे लोगों से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने यहां मौजूद तमाम लोगों को संबोधित भी किया। जिसमें उन्होंने कहा कि, मैं इस काम से जुड़े सभी लोगों को शुभकामनाएं देता हूं। इस टेक्नोलॉजी को लेकर जो उत्साह देखने को मिल रहा है वो काफी अद्भुत है। पीएम ने कहा कि, पहले टेक्नोलॉजी का डर दिखाया जाता था, लेकिन हमने इसे लोगों तक पहुंचाने का काम किया।

पीएम ने कहा- टेक्नोलॉजी में तेजी से आगे बढ़ रहा भारत...

ड्रोन महोत्सव को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि, आज भारत स्टार्टअप पावर के तौर पर ड्रोन टेक्नोलॉजी में तेजी से आगे बढ़ रहा है। ये उत्सव सिर्फ टेक्नोलॉजी का नहीं है, बल्कि नए भारत की नई गर्वनेंस का नए प्रयोगों के प्रति अभूतपूर्व पॉजिटिविटी का भी उत्सव है। 8 साल पहले यही वो समय था जब भारत में हमने सुशासन के नए मंत्रों को लागू करने की शुरुआत की थी। हमने ईज और लिविंग और ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को प्राथमिकता बनाया। हमने सबका साथ सबका विकास के मंत्र पर चलते हुए देश के हर नागरिक को सरकार से कनेक्ट करने का रास्ता चुना। हमने आधुनिक टेक्नोलॉजी पर भरोसा किया।

प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

प्राधिकृत प्रकाशन विवरण  

1. अंक-231, (वर्ष-05)
2. शनिवार, मई 28, 2022
3. शक-1944, ज्येष्ठ, कृष्ण-पक्ष, तिथि-त्रियोदशी, विक्रमी सवंत-2079।
4. सूर्योदय प्रातः 05:33, सूर्यास्त: 07:01।
5. न्‍यूनतम तापमान- 29 डी.सै., अधिकतम-40+ डी.सै.। उत्तर भारत में बरसात की संभावना।
6. समाचार-पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है। सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा। सभी पद अवैतनिक है।
7.स्वामी, मुद्रक, प्रकाशक, संपादक राधेश्याम व शिवांशु, (विशेष संपादक) श्रीराम व सरस्वती (सहायक संपादक) के द्वारा (डिजीटल सस्‍ंकरण) प्रकाशित। प्रकाशित समाचार, विज्ञापन एवं लेखोंं से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं हैं। पीआरबी एक्ट के अंतर्गत उत्तरदायी।
8. संपर्क व व्यवसायिक कार्यालय- चैंबर नं. 27, प्रथम तल, रामेश्वर पार्क, लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102।
9. पंजीकृत कार्यालयः 263, सरस्वती विहार लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102
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कुएं में मिला नवजात शिशु का शव, मचा हड़कंप

कुएं में मिला नवजात शिशु का शव, मचा हड़कंप  दुष्यंत टीकम  जशपुर/पत्थलगांव। जशपुर जिले के एक गांव में कुएं में नवजात शिशु का शव मिला है। इससे...