सोमवार, 9 मई 2022

29 को सम्मेलन-महासम्मेलन में भाग लेंगे 'राष्ट्रपति'

29 को सम्मेलन-महासम्मेलन में भाग लेंगे 'राष्ट्रपति'   

मनोज सिंह ठाकुर          

उज्जैन। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के इस महीने के आखिरी सप्ताह में प्रस्तावित मध्यप्रदेश के उज्जैन दौरे पर है। जिसको लेकर जिला कलेक्टर द्वारा आज यहां कार्यक्रम स्थल का निरीक्षण किया गया। इसके साथ ही उन्होंने हैलीपेड, सर्किट हाऊस का भी निरीक्षण किया। आधिकारिक जानकारी के अनुसार, राष्ट्रपति कोविंद 29 मई को यहां अखिल भारतीय आयुर्वेद महासम्मेलन, स्व-सहायता समूह सम्मेलन में भाग लेंगे तथा भगवान महाकालेश्वर के दर्शन करेंगे। राष्ट्रपति के उज्जैन के प्रस्तावित कार्यक्रमों के सम्बन्ध में कलेक्टर आशीष सिंह एवं पुलिस अधीक्षक सत्येन्द्र कुमार शुक्ल ने सोमवार को हैलीपेड, सर्किट हाऊस एवं कालिदास अकादमी संकुल हॉल का निरीक्षण किया एवं आवश्यक दिशा-निर्देश दिये।

जिला कलेक्टर ने हैलीपेड पर कारपेटिंग करने, पेड़ों की छंटाई करने, आन्तरिक मार्गों को ठीक करने के निर्देश दिये हैं। इसी तरह उन्होंने सर्किट हाऊस के रिनोवेशन के निर्देश दिये। उन्होंने भोजन कक्ष, बैठक हॉल एवं कक्षों का निरीक्षण किया एवं आवश्यक सुधार के निर्देश दिये।इसके बाद कालिदास अकादमी स्थित पं.सूर्यनारायण संकुल पर चल रही तैयारियों का निरीक्षण किया एवं निर्देश दिये कि हॉल का रिनोवेशन तथा कॉरिडोर में फर्श ठीक किया जाये। साथ ही उन्होंने जवाहर हॉस्टल से लगी हुई बाउंड्रीवाल बनाने के निर्देश दिये हैं।

करेत्तर राजस्व वसूली, बैठक आयोजित की

करेत्तर राजस्व वसूली, बैठक आयोजित की  

बृजेश केसरवानी       
प्रयागराज। जिलाधिकारी संजय कुमार खत्री की अध्यक्षता में सोमवार को संगम सभागार में कर-करेत्तर राजस्व वसूली की प्रगति के सम्बंध में समीक्षा बैठक आयोजित की गई। बैठक में जिलाधिकारी ने विभागवार समीक्षा करते हुए सम्बंधित विभागों के अधिकारियों को सख्त हिदायत देते हुए कहा कि लक्ष्य के सापेक्ष राजस्व वसूली में कमी पाये जाने पर सम्बंधित अधिकारी के विरूद्ध कड़ी कार्रवाई की जायेगी। कार्यों में लापरवाही या उदासीनता किसी भी स्तर पर क्षम्य नहीं है। वाणिज्यकर विभाग की समीक्षा करते हुए जिलाधिकारी ने सेक्टर 5 एवं 6 क्षेत्र की राजस्व वसूली कम पाये जाने पर सम्बंधित डिप्टी कमिश्नर वाणिज्यकर से स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। जिलाधिकारी ने वाणिज्यकर, आबकारी एवं परिवहन विभाग के अधिकारियों को प्रवर्तन की कार्यवाही में तेजी लाते हुए लक्ष्य के सापेक्ष वसूली सुनिश्चित किये जाने का निर्देश दिया है। स्टाम्प एवं रजिस्ट्रेशन की समीक्षा में हण्डिया में राजस्व प्राप्ति की प्रगति धीमी पाये जाने पर सम्बंधित उपनिबंधक से स्पष्टीकरण तलब करने का निर्देश दिया है। 
आबकारी विभाग के राजस्व वसूली की समीक्षा करते हुए जिलाधिकारी ने जिला आबकारी अधिकारी एवं आबकारी निरीक्षकों को प्रवर्तन की कार्यवाही में तेजी लाते हुए राजस्व वसूली बढ़ाये जाने का निर्देश दिया है। परिवहन विभाग की समीक्षा में अवैध रूप से चलने वाले टैक्सी स्टैण्डों पर प्रभावी कार्रवाई न किये जाने पर जिलाधिकारी ने सम्बंधित सहायक सम्भागीय परिवहन अधिकारियों के विरूद्ध स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। विद्युत विभाग की समीक्षा में मेजा एवं फाफामऊ क्षेत्र में राजस्व वसूली की प्रगति धीमी पाये जाने पर सम्बंधित अधिशाषी अभियंता विद्युत के विरूद्ध स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। जिलाधिकारी ने विद्युत विभाग के अभियंताओं को सख्त हिदायत देते हुए कहा है कि ट्रांसफार्मर खराब होने पर तत्काल उसकों बदलने की कार्रवाई सुनिश्चित करें, शिकायत पाये जाने पर सम्बंधित के विरूद्ध कड़ी कार्रवाई की जायेगी। 
नगर पंचायतों में राजस्व वसूली की समीक्षा करते हुए भारतगंज, हण्डिया, सिरसा, कोरांव एवं शंकरगढ़ नगर पंचायत की राजस्व वसूली कम पाये जाने पर सम्बंधित अधिशाषी अधिकारी नगर पंचायतों के विरूद्ध स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। विविध देय की वसूली की समीक्षा करते हुए जिलाधिकारी ने फूलपुर, हण्डिया, मेजा, कोरांव तहसील की राजस्व वसूली की प्रगति धीमी पाये जाने पर सम्बंधित तहसीलदारों से स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। मण्डी की समीक्षा करते हुए सिरसा मण्डी में राजस्व वसूली कम पाये जाने पर मण्डी सचिव सिरसा से भी स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। इस अवसर पर एडीएम वित्त एवं राजस्व जगदम्बा सिंह व सम्बंधित विभागों के अधिकारीगणों के अलावा सम्बंधित तहसीलों के तहसीलदार उपस्थित रहे।

कई भाषाओं में कंटेंट उपलब्ध, एकेडमी

कई भाषाओं में कंटेंट उपलब्ध, एकेडमी   

अखिलेश पांडेय
वाशिंगटन डीसी/कैलिफोर्निया। शिक्षा मानव का बुनियादी हक है। पहले के जमाने में गुरुकुल में अध्ययन और अध्यापन का काम किया जाता था। हालांकि, जैसे-जैसे टेक्नोलॉजी का विकास हुआ, वैसे-वैसे शिक्षा का तरीका भी बदला। आज के जमाने में खासकर कोरोना महामारी के बाद यह इंटरनेट पर पूरी तरह से निर्भर हो चुका है। दुनियाभर में लाखों की संख्या में वेबसाइट्स और ब्लॉगर्स शिक्षा को क्लास रूम से निकालकर विद्यार्थियों के घरों तक पहुंचा रहे हैं। इन्हीं में से एक है, खान एकेडमी। इसकी स्थापना बांग्लादेशी मूल के अमेरिकी साल खान ने साल 2008 में की थी। आज इस एकेडमी के जरिए दुनियाभर के 13 करोड़ से ज्यादा विद्यार्थी पढ़ते हैं।
गणित की शिक्षा देने वाली यह एकेडमी दुनियाभर के कई भाषाओं में अपने कंटेंट उपलब्ध करवाती है।
साल खान जब 20 साल के थे, तब उन्होंने बोस्टन में एक हेज-फंड एनलिस्ट के रूप में काम करना शुरू कर दिया था। उस समय न्यू ऑरलियन्स में रहने वाली उनकी 12 साल की चचेरी बहन ने गणित में उनकी कुछ मदद मांगी। नादिया गणित में कमजोर होने के कारण स्कूल में निचले ग्रेड में डाल दी गई थी। इसलिए, साल खान ने टेलिफोन के जरिए नादिया को पढ़ाना शुरू किया और जब परीक्षा हुई तो उनकी चचेरी बहन रेमेडियल क्लास से निकलकर स्कूल में मैथ्स की टॉप स्टूडेंट बन गई। इस सफलता ने साल खान को गणित पढ़ाने के लिए प्रेरित किया, जिसके बाद उन्होंने लुइसियाना में अपने 12 चचेरे भाई-बहनों को अलजेब्रा और कैल्कुलस पढ़ाना शुरू कर दिया।

पढ़ाई को रोचक बनाने के लिए स्थापित की वेबसाइट...
अपनी पढ़ाने की कला को और रोचक बनाने के लिए साल खान ने एक वेबसाइट को बनाया और कुछ सॉफ्टवेयर का ईजाद किया। इसके जरिए वे अपने विद्यार्थियों के लिए प्रैक्टिस सेट बनाते थे। इसी दौरान साल खान के एक दोस्त ने सुझाव दिया कि वो अपनी पढ़ाई का वीडियो बनाकर उसे यूट्यूब पर अपलोड कर सकते हैं। उस समय तक सात खान का यह मानना था कि यूट्यूब तो पियानो बजाने वाली बिल्लियों और स्केटबोर्ड पर सरकने वाले कुत्तों के लिए है। इसके बावजूद उन्होंने अपना वीडियो अपलोड करने का फैसला किया। इस दौरान उनके चचेरे भाइयों ने बताया कि वो यूट्यूब के जरिए पढ़ने को अधिक पसंद करते हैं, क्योंकि इसे जितनी बार चाहें उतनी बार देख सकते हैं और बार-बार एक ही टॉपिक के रिपीट करने से पढ़ाने वाला भी नाराज नहीं होता है। 
बिल गेट्स की तारीफ ने साल खान को प्रसिद्ध कर दिया...
जिसके बाद साल खान को लगने लगा कि यह उनकी पढ़ाई के लिए एक अच्चा प्लेटफॉर्म हो सकता है। वे धीरे-धीरे गणित की कठिन अवधारणाओं के सरल भाषा में वीडियो बनाकर उसके वीडियो को यूट्यूब पर अपलोड करने लगे। 2008 से पढ़ाना शुरू करने के चार साल बाद यूट्यूब पर उनके ऑनलाइन ट्यूटोरियल को हर महीने हजारों लोग देखने लगे थे। फिर एक दिन बिल गेट्स ने कॉन्फ्रेंस में कहा कि वह खान के वीडियो का इस्तेमाल अपने बच्चों को गणित सिखाने के लिए कर रहे थे। जिसके बाद उनका यूट्यूब चैनल वायरल हो गया। उस दौरान तो गूगल ने उन्हें फ्री वर्ल्ड क्लास एजुकेशन फॉर एनीवन, एनीवेयर के अपने सपने का विस्तार करने के लिए 2 मिलियन डॉलर की पेशकश की थी।

कैलिफ़ोर्निया के माउंटेन व्यू में है खान एकेडमी का ऑफिस...
जिसके बाद उन्होंने कैलिफ़ोर्निया के माउंटेन व्यू में गूगल के पुराने ऑफिस के ठीक पास खान एकेडमी का ऑफिस खोल लिया। वर्तमान में खान एकेडमी के 190 देशों में 135 मिलियन से अधिक रजिस्टर्ड यूजर्स हैं। वे 51 अलग-अलग भाषाओं में अपने कंटेंट उपलब्ध करवाते हैं। 2016 में खान एकेडमी का टर्नओवर 350 करोड़ रुपये था, निश्चित तौर पर इस समय यह आंकड़ा 4 से 5 गुना ज्यादा होगा। खान एकेडमी इंटरनेट कनेक्शन वाले किसी भी व्यक्ति को हजारों मुफ्त वीडियो ट्यूटोरियल और एक्सरसाइज उपलब्ध करवाता है। कोरोना महामारी की शुरुआत में जब दुनियाभर में स्कूल-कॉलेज बंद हो गए, तब खान एकेडमी के यूजर्स की संख्या 30 मिलियन से बढ़कर 85 मिलियन तक पहुंच गई थी। जो इस समय धीरे-धीरे बढ़कर 135 मिलियन तक पहुंच गई है।
बेहद सादगी का जीवन जीते हैं साल खान
हर साल अरबों रुपये की कमाई करने वाले साल खान अब भी बहुत सादगी की जिंदगी जीते हैं। वे अपनी डॉक्टर पत्नी उमैमा और अपने तीन बच्चों के साथ चार बेडरूम वाले एक घर में रहते हैं। उनके पास टेस्ला या फेरारी के बजाय दो होंडा की कारें हैं। 
उनके पास अपना कोई निजी जेट या निजी शेफ भी नहीं है। उन्होंने बताया कि उनका बचपन लुइसियाना के मेटाएरी में गरीबी में गुजरा। उनकी मां भारतीय मूल की थीं, जो घर को चलाने के लिए एक स्टोर में काम करतीं थीं। उनके पिता बांग्लादेशी मूल के थे, जो डॉक्टरी की पढ़ाई करने के लिए अमेरिका आए थे।

चीन-रूस की सप्लाई चेन से अलग होने की रणनीति

चीन-रूस की सप्लाई चेन से अलग होने की रणनीति

अकांशु उपाध्याय/सुनील श्रीवास्तव

नई दिल्ली/कीव। यूक्रेन संकट के बाद दुनिया के फिर दो खेमों में बंटने और शीतयुद्ध का दूसरा दौर शुरू होने के मद्देनजर लोकतांत्रिक विकसित देेश, चीन व रूस की सप्लाई चेन से अपने को अलग करने की रणनीति पर काम करने लगे हैं। दरअसल, कोरोना महामारी और रूस यूक्रेन युद्ध ने जनतांत्रिक विकसित देशों को एक अहम सबक सिखाया है। भविष्य में वे कच्चा माल और कलपुर्जों की सप्लाई के लिए मात्र एक देश पर निर्भर नहीं रहेंगे। चीन ने सस्ते और कुशल कामगार तथा सुव्यवस्थित कानून व्यवस्था के साथ विशाल उपभोक्ता बाजार की बदौलत विकसित देशों की बहुराष्ट्रीय कंपनियों को आकर्षित किया। इन कंपनियों ने चीन में कार, इनके कलपुर्जे, सेमीकंडक्टर चिप्स आदि बनाने शुरू किए और पूरी दुनिया को सप्लाई करने लगीं। धीरे-धीरे कंपनियों ने कलपुर्जों के उत्पादन अपने देश में बंद कर दिए और चीन के निर्माण उद्योग को चमकाने लगीं। नतीजतन चीन समृद्ध, ताकतवर और घमंडी होता गया।

वैसे तो जनतांत्रिक विकसित देशों के चीन से रिश्तों में तनाव कोरोना महामारी के पहले से ही शुरू हो गया था लेकिन जिस तरह कोरोना और यूक्रेन युद्ध के दौरान व्यापारिक माल को हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया गया, उससे विकसित देश सहम गए हैं। हाल में अमेरिका व चीन और ऑस्ट्रेलिया व चीन के बीच चले व्यापारिक युद्ध के मद्देनजर भारत सहित तमाम देशों में यह आशंका है कि चीन से किसी टकराव या कोरोना जैसी किसी प्राकृतिक आपदा की स्थिति में इन उत्पादों की सप्लाई चेन टूट सकती है। इसलिए अमेरिका व यूरोपीय देश इस सप्लाई चेन का विकल्प खोज रहे हैं जिसमें वे भारत को महत्वपूर्ण साझेदार मानने लगे हैं। यही वजह है कि 25 अप्रैल को यूरोपीय संघ की प्रेजिडेंट उर्सुला लेयेन ने अपने भारत दौरे में भारत के साथ ट्रेड एंड टेक्नलॉजी काउंसिल (टीटीसी) की स्थापना पर सहमति दी है। 27 देशों के संगठन यूरोपीय यूनियन ने इस तरह की काउंसिल का गठन इसके पहले केवल अमेरिका के साथ ही किया है।

प्रस्तावित परिषद का दीर्घकालीन इरादा उच्च तकनीक वाले उत्पादों के लिए चीन का वैकल्पिक स्रोत तैयार करना है और इनके उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल करनी है ताकि इनकी सप्लाई के लिए चीन का मोहताज नहीं रहना पड़े। इसके पहले मार्च 2021 में चार देशों के संगठन क्वाड (ऑस्ट्रेलिया, जापान , अमेरिका और भारत) ने चीन की सप्लाई चेन का विकल्प खोजने के लिए क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नलॉजी वर्किंग ग्रुप का गठन किया था, जिसका मकसद उच्च तकनीक वाले ऐसे उत्पादों की पहचान कर उनका क्वाड के साझेदार देशों में साझा उत्पादन करना है जिनके लिए क्वाड के देश चीन पर अत्यधिक निर्भर हैं। इसके बाद ऑस्ट्रेलिया ने भी दुर्लभ खनिज का साझा उत्पादन कर बाकी दुनिया को सप्लाई करने पर भारत के साथ सहमति बनाई। दोनों देशों ने हाल में मुक्त व्यापार संधि कर सहयोग की इस सहमति को नया आयाम दिया है। वास्तव में दुर्लभ खनिज व उच्च तकनीक वाले कलपुर्जों की सप्लाई पर चीन का एकाधिकार है और चीन यदि किसी देश को इनमें से किसी की भी सप्लाई रोक दे तो उस देश का उद्योग-धंधा चौपट हो सकता है। ऐसे में चीन ने कुछ सालों से 5-जी नेटवर्क के विकास में महारत हासिल की और यूरोपीय देशों व अमेरिका-ब्रिटेन से लेकर भारत तक के बाजार में छा जाने का सपना देखने लगा तो उन देशों के कान खड़े हुए। यदि 5-जी पर भी चीन का एकाधिकर स्थापित हो जाए तो पूरी दुनिया चीन की मुट्ठी में होगी। इसलिए उच्च तकनीक वाले औद्योगिक कच्चा माल व कलपुर्जों की सप्लाई चेन का दायरा बढ़ाने की महत्वाकांक्षी रणनीति पर भारत के साथ विकसित देश गंभीरता से आगे बढ़ रहे हैं। वे देश चाहते हैं कि धीरे-धीरे चीन से इनका आयात कम किया जाए। इसके लिए वे देश अपनी कंपनियों को भी चीन छोड़ कर किसी और देश में जाने को प्रोत्साहित कर रहे हैं। ऐसी कुछ कंपनियां भारत की ओर देख रही हैं तो कुछ अन्य वियतनाम व अन्य दक्षिण पूर्व एशियाई देशों को परख रही हैं। लेकिन भारत के पास वैज्ञानिक व औद्योगिक आधार का जो विशाल दायरा है वह वियतनाम, थाइलैंड, मलयेशिया, इंडोनेशिया जैसे देशों के पास नहीं।

अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जापान और यूरोपीय देशों ने हाल में भारत के साथ जिस तरह के सहयोग समझौते किए हैं। वह भारत की औद्योगिक व तकनीकी क्षमता को मान्यता प्रदान करता है। सहयोग की ये सहमतियां और समझौते प्रभावी ढंग से अमल में लाए गए तो आने वाले सालों में भारत निश्चित रूप से चीन का कारगर विकल्प बन सकता है। लेकिन इसमें कई पेंच हैं। बड़ा सवाल यह है कि क्या भारत इसके लिए तैयार है। इसके लिए विकसित देशों की कंपनियों को अनुकूल घरेलू माहौल प्रदान करना होगा। समुचित माहौल बनाने के लिए न केवल देश भर में कानून व्यवस्था की स्थिति सुधारनी होगी बल्कि राज्य सरकारों को भी अपने स्तर पर निवेश के अनुकूल नीतियां बनानी होंगी, माहौल ठीक करना होगा और लालफीताशाही दूर करनी होगी।

पूर्वी एशिया की 'यथास्थिति' बदलने की कोशिश

पूर्वी एशिया की 'यथास्थिति' बदलने की कोशिश 

अकांशु उपाध्याय/अखिलेश पांडेय      

नई दिल्ली/टोक्यो। इस बीच जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने पिछले हफ़्ते अपने ब्रिटेन दौरे पर चेताया है कि जो यूक्रेन के साथ हुआ, वह ताइवान के साथ भी हो सकता है और इस क्षेत्र में स्थिरता न सिर्फ़ जापान की सुरक्षा के लिए, बल्कि पूरे अंतरराष्ट्रीय समुदाय की सुरक्षा के लिए ज़रूरी है। उनका इशारा सीधे चीन की ओर था। दूसरी ओर डायरेक्टर विलियम बर्न्स ने भी कहा है कि चीन यूक्रेन में रूस के हमले पर पैनी नज़र रखे हुए है और इससे ताइवान को लेकर उसके आकलन भी प्रभावित हो रहे हैं। भारत पहले से ही चीन की आक्रामकता झेल रहा है।

अप्रैल 2019 के बाद से लेकर अब तक एलएसी पर यथास्थिति बनाए रखने के लिए चीन के साथ कई दौर की सैन्य वार्ताएं हो चुकी हैं, जिनमें से अधिकांश बेनतीजा रही हैं। अब जापान के प्रधानमंत्री ने कहा है कि चीन पूर्वी एशिया की यथास्थिति बदलने की कोशिश कर सकता है। कहा जा रहा है कि जापान के पीएम किशिदा का बयान भारत के लिए भी चिंता का विषय हो सकता है। भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने हाल ही में कहा था कि एशिया में नियम आधारित व्यवस्था को चुनौती मिल रही है लेकिन पश्चिम के देश इस पर ख़ामोश रहे और यूक्रेन के मामले में भारत पर दबाव बनाया जा रहा है।


अधिकारियों ने तालाब से अतिक्रमण हटवाया

अधिकारियों ने तालाब से अतिक्रमण हटवाया  

भानु प्रताप उपाध्याय  
मुजफ्फरनगर। जनपद में अवैध कब्जों पर जिला प्रशासन की कडी कार्यवाही लगातार जारी है। इसी कडी में सोमवार को अधिकारियों ने फोर्स के साथ कस्बा भोकरहेडी में तालाब से अतिक्रमण हटवाया।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक जनपद के कस्बा भोकरहेडी के गोटकी तालाब पर आज जिला प्रशासन द्वारा अवैध निर्माण हटाया गया। जिले में अवैध अतिक्रमण करने वालो पर लगातार प्रशासन का चाबुक चल रहा है।
अतिक्रमण हटाने की इस कार्यवाही के दौरान तहसीलदार जानसठ, ईओ भोकरहेड़ी, लेखपाल व भारी पुलिस बल के साथ मौके पर मौजूद रहे।

चुनिंदा लोगों को सूट करता है नीलम, खासियत

चुनिंदा लोगों को सूट करता है नीलम, खासियत 

श्रीराम मौर्य           
आजकल हर कोई डायमंड पहनता है। फैशन के चक्‍कर में डायमंड पहनना भारी भी पड़ सकता है क्‍योंकि डायमंड सभी राशि वालों को सूट नहीं करता है। इसी तरह नीलम रत्‍न भी चुनिंदा लोगों को ही सूट करता है। लेकिन इन दोनों रत्‍नों की खासियत है कि ये जिन्‍हें सूट कर जाएं उन्‍हें फर्श से अर्श पर पहुंचा देते हैं। वहीं जिन्‍हें सूट न हों तो उन्‍हें तबाह कर देते हैं।

बहुत ताकतवर हैं ये दोनों रत्‍न...
कुंडली के शुक्र और शनि जैसे ग्रहों के अशुभ असर को कम करने के लिए और इन ग्रहों को मजबूत करने के लिए हीरा और नीलम रत्‍न धारण किए जाते हैं। ये रत्‍न दिखने में जितने सुंदर होते हैं, प्रभाव के मामले में उतने ही ताकतवर होते हैं। इनके शुभ और अशुभ असर दोनों ही बहुत दमदार होते हैं इसलिए जीवन पर बड़ा प्रभाव डालते हैं। लिहाजा इन रत्‍नों को कभी भी बिना विशेषज्ञ की सलाह के नहीं पहनना चाहिए।
नीलम रत्‍न शनि का प्रमुख रत्न है। जिन जातकों की कुंडली के लिहाज से यह रत्‍न शुभ हो यह उन्‍हें सफलता के चरम पर पहुंचा देता है। वहीं जिन लोगों के लिए अशुभ हो, उन्‍हें मिट्टी में मिला देता है। बड़ी दुर्घटना, कंगाली, मान हानि कराता है। इसलिए विशेषज्ञ को अपनी कुंडली दिखाकर ही नीलम रत्‍न धारण करना चाहिए। बल्कि इसे अंगूठी, पेंडेंट में पहनने से पहले नीले कपड़े में बांधकर तकिए के नीचे रखकर या हाथ में बांध कर सोना चाहिए। यह रत्‍न 24 घंटे में असर दिखाने लगता है। नीलम रत्‍न मकर, कुंभ, वृष, मिथुन, कन्या और तुला के जातक धारण कर सकते हैं।
डायमंड हीरे का संबंध शुक्र ग्रह से है। यह रत्‍न जीवन में सुख-समृद्धि, धन-दौलत देता है। साथ ही लव लाइफ-मैरिड लाइफ पर असर डालता है। लेकिन हीरा हर किसी को सूट नहीं करता है। हालांकि कम वजन के हीरे पहनने से कोई असर नहीं पड़ता है लेकिन बड़ा हीरा बहुत सोच-समझकर पहनना चाहिए। डायमंड केवल वृषभ, तुला राशि वालों को शुभ फल देता है। यदि यह अशुभ रहे तो जातक धन हानि, दांपत्‍य में समस्‍या झेलता है। इसके अलावा बड़े नुकसान और दुर्घटना का कारण भी बन सकता है।

कुएं में मिला नवजात शिशु का शव, मचा हड़कंप

कुएं में मिला नवजात शिशु का शव, मचा हड़कंप  दुष्यंत टीकम  जशपुर/पत्थलगांव। जशपुर जिले के एक गांव में कुएं में नवजात शिशु का शव मिला है। इससे...