मंगलवार, 3 मई 2022

वाघा सीमा, रेंजर्स में मिठाइयों का आदान-प्रदान

वाघा सीमा, रेंजर्स में मिठाइयों का आदान-प्रदान 
इकबाल अंसारी  
श्रीनगर। ईद पर देशभर से कई तस्वीरें सामने आ रही हैं। कई ईद में लोग देश में अमन चैन की दुआ मांग रहे हैं तो कहीं पत्थरबाजी से माहौल बिगाड़ने की कोशिश की जा रही है। ऐसे ही आज भारत-पाकिस्तान सीमा पर त्योहार की खुशियों के रंग नजर आए। ईद-उल-फितर के मौके पर अटारी-वाघा सीमा पर बीएसएफ और पाकिस्तानी रेंजर्स ने मिठाइयों का आदान-प्रदान किया।
बीएसएफ के कमांडेंट जसबीर सिंह ने कहा कि "ईद के मुबारक मौके पर आज बीएसएफ ने अटारी बॉर्डर पर पाकिस्तानी रेंजर्स को अपनी शुभकामनाएं भेंट की हैं। ये परंपरा के अनुसार दोनों देशों के बीच बॉर्डर की खुशहाली और शांति के लिए सहायक सिद्ध होगा।"
ईद पर जम्मू कश्मीर में बिगड़े हालात
इधर, जम्मू कश्मीर के अनंतनाग में नमाज के बाद मस्जिद के बाहर सुरक्षाबलों पर पथराव किया गया है। ईद की नमाज अदा होने के बाद कुछ प्रदर्शनकारी सड़कों पर आ गए और कश्मीर को लेकर नारेबाजी करने लगे। हालांकि वक्त रहते सुरक्षा बलों ने स्थिति पर नियंत्रण पा लिया।
इससे पहले राजस्थान के जोधपुर में दो गुटों में हिंसक झड़प होने की खबर मिली थी।कल देर शाम हिंसक झड़प के बाद आज सुबह भी उपद्रव शुरू हुई तो पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा और आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े। इसके बाद जिले में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं।


24 घंटे में 2568 नए मामलें सामने आए: भारत

24 घंटे में 2568 नए मामलें सामने आए: भारत
अकांशु उपाध्याय 
नई दिल्ली। कोरोना वायरस की बढ़ती रफ्तार ने नई लहर का संकट पैदा कर दिया है। देश में कोरोना के मंगलवार को ढाई हजार से ज्यादा मामले सामने आए हैं। हालांकि एक राहत भरी खबर ये भी है कि ये मामले कल के मुकाबले कम हैं। देश में 18.7 फीसदी मामले कम हुए हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, देश में पिछले 24 घंटे में कोरोना के 2568 नए मामले सामने आए हैं जो कल की तुलना में 18.7 फीसदी कम हैं। लेकिन कोरोना से 20 नए लोगों ने जान गंवा दी है।
ताजा आंकड़ों के अनुसार, सबसे ज्यादा मरीज दिल्ली में सामने आए हैं। उसके बाद दूसरे राज्य आते हैं। दिल्ली में सबसे ज्यादा 1076 नए मरीज मिले। जबकि हरियाणा में 439 मरीज मिले हैं। हरियाणा तो दिल्ली से सटा हुआ है। वहीं केरल में 250 नए मरीज सामने आए हैं और अगर बात उत्तर प्रदेश की करें जो देश का सबसे बड़ा राज्य है वहां सिर्फ 193 नए मामले सामने आए हैं। कर्नाटक में 111 नए मरीज मिले हैं। कोविड के नए केसों में 80.58 फीसदी मामले इन्ही राज्यों से आए हैं। अकेले दिल्ली की हिस्सेदारी 41.9 फीसदी है।
पिछले 24 घंटे में कोरोना की वजह से देश में 20 मौतें हुई हैं और अब तक 5,23,889 लोग अपनी जान से हाथ धो बैठे हैं।
दिल्ली अस्पतालों में भर्ती दर कम
वर्तमान में, दिल्ली के अस्पतालों में 178 कोविड-19 मरीज भर्ती हैं, जबकि 4,490 होम आइसोलेशन में भर्ती हैं।  विभिन्न अस्पतालों में कोविड ​​​​-19 रोगियों के लिए उपलब्ध 9,577 बिस्तरों में से केवल 191 (1.99 प्रतिशत) पर ही भर्ती है। वहीं दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने पिछले सप्ताह कहा था कि राजधानी में कोविड ​​​​-19 के मामले बढ़े हैं लेकिन स्थिति गंभीर नहीं है और अस्पताल में भर्ती होने की दर भी कम है।


ताजमहल की शाही मस्जिद में नमाज अदा की

ताजमहल की शाही मस्जिद में नमाज अदा की
शैलेश श्रीवास्तव  
आगरा। ईद के मौके पर मोहब्बत की मिसाल ताजमहल अकीदतमंदों से गुलजार हो गया। दो साल बाद ताजमहल की शाही मस्जिद में ईद उल फितर की नमाज अदा की गई। नमाज अदा करने के बाद लोगों ने एक दूसरे को मुबारकबाद दी। इस मौके पर ताजमहल में सुबह सात से नौ बजे तक प्रवेश निशुल्क रहा। ताजमहल के बाहर फतेहपुरी मस्जिद, काली मस्जिद में भी नमाज हुई। बता दें कि कोरोना संक्रमण के चलते 2020 और 2021 में ताजमहल बंद रहा था। जिससे ईद उल फितर पर नमाज के लिए लोगों को प्रवेश नहीं मिल सका था।
इंतजामिया कमेटी ने सभी लोगों से अपील की थी कि कोई भी सड़क पर नमाज न पढ़े। ताजमहल समेत क्षेत्र में कई मस्जिदें हैं, जहां अंदर ही नमाज अदा की जाए। इसके चलते ताजमहल के अलावा आगरा की प्रमुख मस्जिदों में भी बड़ी संख्या में मुस्लिम समाज के लोग नमाज अदा करने पहुंचे। उन्होंने नमाज अदा कर अमन चैन की दुआ मांगी। मथुरा, फिरोजाबाद, एटा-कासगंज और मैनपुरी जिलों में ईद का त्योहार पूरे रस्मो रिवाज के साथ मनाया जा रहा है। ईद को लेकर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई है।
ताजमहल में ईद की नमाज अदा करते मुस्लिम समाज के लोग
ताजमहल में ईद की नमाज अदा करते मुस्लिम समाज के लोग
ताजमहल की शाही मस्जिद में सुबह 8:30 बजे ईद की नमाज अदा की गई। इसके लिए सुबह सात बजे से ही नमाजी आने लगे थे। सुबह सात बजे से नौ बजे तक प्रवेश निशुल्क रहा। ऐसे में मुस्लिम समाज के लोग काफी संख्या में यहां नमाज अदा करने पहुंचे। यहां नमाजियों के साथ-साथ देश-विदेश से आए सैलानियों ने भी इन पलों को अपने कैमरे में कैद किया।
आगरा की शाही जामा मस्जिद में नमाज पढ़ते अकीदतमंद
आगरा की शाही जामा मस्जिद में नमाज पढ़ते अकीदतमंद
ताजमहल के अलावा ईदगाह, जामा मस्जिद, अकबरी मस्जिद, शाही मस्जिद कला साबुन कटरा, शाही मस्जिद लोहामंडी, मस्जिद जाल, मस्जिद नूरी, मस्जिद शहीद नगर, बड़ी मस्जिद समेत प्रमुख मस्जिदों में ईद की नमाज अदा की गई। नमाज अदा करने के बाद लोगों ने गले मिलकर एक-दूसरे की ईद की मुबारकबाद दी।
फतेहपुर सीकरी की शाही जामा मस्जिद में नमाज अदा करते लोग
फतेहपुर सीकरी की शाही जामा मस्जिद में नमाज अदा करते लोग
ईद उर फितर पर फतेहपुर सीकरी की शाही जामा मस्जिद में नमाज के लिए बड़ी संख्या में मुस्लिम समाज के लोग पहुंचे। अकीदतमंदों ने नमाज अदा कर अल्लाह से वतन की खुशहाली के लिए दुआ मांगी। इस मौके पर उप जिलाधिकारी किरावली, क्षेत्राधिकारी, संरक्षण सहायक प्रभारी निरीक्षक व पुलिस फोर्स मौजूद रहा।
मथुरा की ईदगाह मस्जिद से बाहर आते लोग
मथुरा की ईदगाह मस्जिद से बाहर आते लोग
मथुरा की शादी ईदगाह मस्जिद में ईद पर खुदा की इबादत में हजारों सिर झुके। अकीदतमंदों ने तय समय पर ईदगाह पर नमाज अदा की। इसके अलावा शहर और वृंदावन की मस्जिदों में बड़ी संख्या में लोगों ने पहुंचकर नमाज पढ़ी। अक्षय तृतीया और ईद एक ही दिन होने पर सुरक्षा के चाक-चौबंद इंतजाम किए गए हैं।
लोगों ने गले मिलकर दी ईद की मुबारकबाद
लोगों ने गले मिलकर दी ईद की मुबारकबाद
मथुरा और आगरा के अलावा आसपास के जिलों में भी ईद को लेकर काफी उत्साह है। फिरोजाबाद, मैनपुरी, एटा और कासगंज में भी सुबह-सुबह ही मुस्लिम समाज के लोग नए कपड़े पहनकर नमाज अदा करने मस्जिदों में पहुंचे। नमाज अदा करने के बाद गले मिलकर ईद की मुबारकबाद दी।

नवनिर्माण सेना प्रमुख के खिलाफ एनबीडब्ल्यू वारंट

नवनिर्माण सेना प्रमुख के खिलाफ एनबीडब्ल्यू वारंट

कविता गर्ग  

मुंबई। मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटाने को लेकर महाराष्ट्र सरकार को अल्टीमेटम दे चुके महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना प्रमुख राज ठाकरे कभी भी गिरफ्तार हो सकते हैं। दरअसल राज ठाकरे के खिलाफ शिराला की मजिस्ट्रेट कोर्ट ने 6 अप्रैल को गैर-जमानती वारंट जारी किया था। सांगली के शिराला में मजिस्ट्रेट कोर्ट ने 6 अप्रैल को मनसे प्रमुख राज ठाकरे के खिलाफ 2008 के एक मामले के संबंध में आईपीसी की धारा 143, 109, 117, 7 और बॉम्बे पुलिस अधिनियम के 135 के तहत गैर-जमानती वारंट जारी किया था।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, साल 2008 में मनसे कार्यकर्ताओं ने राज्य ठाकरे के समर्थन में परली में मौजूद राज्य परिवहन महामंडल (एसटी) की बसों पर पत्थरबाजी की थी। दरअसल रेलवे में प्रांतीय युवाओं की भर्ती मामले पर राज ठाकरे को साल 2008 में गिरफ्तार किया गया था। इस गिरफ्तारी के विरोध में मनसे कार्यकर्ताओं ने राज्य में कई जगहों पर विरोध किया था। अंबाजोगाई में एसटी बस को भी निशाना बनाया गया था।

इस संबंध में मामला दर्ज होने के बाद कोर्ट द्वारा राज ठाकरे को अक्सर पेश होने के लिए कहा जाता था। हालांकि, राज ठाकरे किसी भी सुनवाई में शामिल नहीं हुए। जमानत के बावजूद लगातार तारीखों पर हाजिर नहीं होने पर गैर जमानती वारंट जारी किया गया।

दुनिया के सबसे बड़े फैशन इवेंट का आयोजन

दुनिया के सबसे बड़े फैशन इवेंट का आयोजन 
सुनील श्रीवास्तव  
वाशिंगटन डीसी। मेट गाला को साल 2022 में  किया जा रहा है। तो पुरे विश्व की लोगो में इसको लेकर काफी उत्सुकता देखने को मिल रही है। भारत में भी यह जोरों से छाया हुआ है। मेटा गाला का आयोजन हर साल न्यूयॉर्क में किया जाता है जो की अमेरिका का एक मशहूर शहर है।
दुनिया भर की मशहूर हस्तियां अपने हुश्न के जलवे रेड कार्पेट पर, न्यूयॉर्क शहर में बिखेरने वाले है। बताया जाता है की यह एक दुनिया का सबसे बड़ा फैशन इवेंट कहा जाता है।
देसी ग्लैमर और अमेरिकन इंस्पिरेशन वाली इस आउटफिट को भारतीय डिजाइनर सब्यसाची मुखर्जी ने डिजाइन किया है। मेट गाला 2022 के लिए नताशा पूनावाला के बस्टियर टॉप  को शिअपरेल्ली से डिजाइन करवाया गया। यही कारण है कि नताशा को मेट गाला नाइट की बेस्ट ड्रेस्ड सेलेब्रिटीज की लिस्ट में शामिल कर दिया गया है। और अब हर ओर उनकी ही चर्चा हो रही है।
नताशा ने मेट गाला के आउटफिट में गोल्ड हैंडक्राफ्टेड टुले साड़ी के साथ-साथ स्वीपिंग ट्रेल रखा। इस साड़ी में सब्यसाची मुखर्जी ने रेशमी चमकदार कढ़ाई और सुनहरे धागों का इस्तेमाल किया है। बता दें कि इससे पहले भी भारतीय अदाकाराएं मेट गाला में देसी तड़का लगा चुकी हैं। लेकिन प्रियंका चोपड़ा का लुक हर साल चर्चाओं का विषय बना रहता है।

वायरस: चीन के 26 शहरों में अभी लॉकडाउन

वायरस: चीन के 26 शहरों में अभी लॉकडाउन  
सुनील श्रीवास्तव 
बीजिंग। पिछले दो-ढाई साल से लगातार कोशिशों के बावजूद चीन में कोरोना वायरस रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं। हालात कुछ यूं हैं कि चीन के 26 शहरों में अभी भी लॉकडाउन लगा हुआ है। लगभग 21 करोड़ लोग अभी भी अपने-अपने घरों में कैद हैं। यही कारण रहा कि 73 साल में पहली बार ऐसा हुआ कि चीन में 1 मई को मजदूर दिवस नहीं मनाया गया। कोविड की वजह से देश की आर्थिक राजधानी शंघाई और वास्तविक राजधानी बीजिंग में सख्त लॉकडाउन है। खुद राष्ट्रपति शी जिनपिंग  इस मुद्दे पर कुछ नहीं बोल रहे हैं। शी जिनपिंग ने शंघाई के लोगों के नाम अपना संबोधन भी नहीं दिया। एक्सपर्ट्स का कहना है कि शी जिनपिंग जान-बूझकर इस तरह की चीजों से बच रहे हैं। उनका मानना है कि लॉकडाउन की पाबंदियों और कोरोना रोकने में नाकामी की वजह से लोगों के गुस्से को शी जिनपिंग समझ रहे हैं, इसीलिए वह कोई बयान नहीं दे रहे हैं।
लंबे समय से लॉकडाउन की वजह से चीन की अर्थव्यवस्था बेहाल है। 26 शहरों में लॉकडाउन के कारण चीन की 22 फीसदी जीडीपी पर असर पड़ रहा है। यही वजह है कि चीन की 1126 लाख करोड़ में से 247 लाख करोड़ रुपये की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ रहा है। अप्रैल तक के आंकड़ों के मुताबिक, चीन के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का उत्पादन भी सबसे कम रहा है।
कम पड़ गए सरकारी कर्मचारी, सड़क पर उतरे कम्युनिस्ट कार्यकर्ता
लॉकडाउन के चलते चीन में हालात बुरे हैं। लोगों को खाने-पीने और जरूरी चीजों के लिए तरसना पड़ रहा है। पहले 75 लाख सरकारी कर्मचारियों को राहत सामग्री बांटने और दूसरे कामों में लगाया था, लेकिन समस्या बरकरार रहने कारण लोगों की कमी पड़ गई। अब कम्युनिस्ट पार्टी के लगभग 50 लाख कार्यकर्ताओं को काम पर लगा दिया गया है।
दो महीने से स्कूल बंद
चीन के आठ राज्यों में लगभग दो महीने से स्कूल बंद हैं। ओमिक्रॉन वायरस के कारण संक्रमण बढ़ रहा है और केस बढ़ते ही जा रहे हैं। इसी वजह से स्कूल बंद हैं। अब इन राज्यों में सरकार ने आदेश दिया है कि प्राइमरी स्कूल के बच्चों का भी कोरोना टेस्ट किया जाए। इस वजह से बच्चों को घर से लाकर उनका कोरोना टेस्ट किया जा रहा है।
5 मई तक छुट्टी का आदेश
कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए चीन की सरकार ने 5 मई तक छुट्टी कर दी है। साथ ही, लोगों को आदेश दिए गए हैं कि वे अपने घर पर ही खाना बनाएं। इस दौरान, होटल और रेस्तरां बंद रहेंगे। फिलहाल, चीन में हर दिन 15 हजार कोरोना केस रोज आ रहे हैं। आने वाले समय में चीन के बीजिंग शहर में 15 हजार टेस्टिंग सेंटर पर लगभग 2.1 करोड़ लोगों का कोरोना टेस्ट किए जाने की तैयारी है।

बम ने जहाज को बीच से दो टुकड़े में तोड़ दिया

बम ने जहाज को बीच से दो टुकड़े में तोड़ दिया
अखिलेश पांडेय  
वॉशिंगटन डीसी। यूक्रेन पर रूस के हमले के बीच अमेरिका की वायुसेना ने युद्धपोतों को तबाह करने वाले नए स्‍मार्ट बम का परीक्षण किया है। यूएस एयरफोर्स ने एक वीडियो जारी करके दिखाया है कि किस तरह से 900 किलो के नए GBU-31/B ज्‍वाइंट डायरेक्‍ट अटैक बम ने एक जहाज को बीच से दो टुकड़े में तोड़ दिया। इस बम नए बम को ‘क्विकसिंक’ प्रोग्राम के तहत बनाया गया है। इस बम का परीक्षण मैक्सिको की खाड़ी में किया गया है।
इस वीडियो में नजर आ रहा है कि अज्ञात जहाज पानी के अंदर हिल रहा है और संभवत: धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा है। अमेरिकी एयरफोर्स की शोध प्रयोगशाला इस ‘क्विक सिंक’ प्रोग्राम को चला रही है। प्रयोगशाला ने द वार जोन को बताया कि यह जहाज एक पुराना कार्गोशिप था लेकिन उसके बारे में और ज्‍यादा डिटेल नहीं दिया। इस जहाज पर एक अमेरिकी वायुसेना अपने 900 किलो के GBU-31/B बम को गिराती है। बम के गिरते ही समुद्र में भूचाल सा आ जाता है और जलस्‍तर काफी बढ़ जाता है।
हर मौसम में सटीक हमला करने में सक्षम।
इस बम का असर इतना जोरदार होता है कि जहाज दो टुकड़े में बंट जाता है और देखते ही देखते तेजी से डूब जाता है। यूएस एयरफोर्स ने इस अभ्‍यास के दौरान पर्यावरण का ध्‍यान रखा। इस जहाज पर जब बम गिरता है तो ऐसा लगता है कि यह जहाज पर किसी भारी टारपीडो ने हमला किया। अमेरिकी वायुसेना ने पिछले साल सार्वजनिक रूप से क्विक सिंक प्रोग्राम का ऐलान किया था। अमेरिकी वायुसेना चाहती थी कि उसे ऐसा बम मिले जिसमें टारपीडो की तरह से युद्धपोत को डूबोने की ताकत हो।
रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका का क्विकसिंक बम एक मोडिफाइड GBU-31/B बम है जो जीपीएस से लैस है। इस बम अगले हिस्‍से पर एक सीकर लगा है जो उसे लक्ष्‍य की पहचान करने में मदद करता है। यह सीकर उसे हर मौसम में सटीक हमला करने में मदद करता है। इस बम की प्रभावी मारक क्षमता 24 किमी है। माना जा रहा है कि जब दुश्‍मन का एयर डिफेंस सिस्‍टम तबाह हो जाएगा तब इस बम का इस्‍तेमाल अमेरिकी वायुसेना दुश्‍मन के युद्धपोत को डूबोने के लिए करेगी।

फूट डालो राज करो की नीति ठीक नहीं: ममता

फूट डालो राज करो की नीति ठीक नहीं: ममता
मीनाक्षी लोढी 
कोलकाता। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार को ईद पर एक कार्यक्रम में कहा कि आज देश में जो फूट डालो राज करो की नीति चल रही है, वो ठीक नहीं है। अलगाव की राजनीति चल रही है, वो ठीक नहीं है। ईद के अवसर पर कोलकाता की रेड रोड पर करीब 14 हजार लोगों की भीड़ को संबोधित करते हुए ममता बनर्जी ने कहा कि कुछ लोग हिंदू-मुसलमान को अलग करने की बात करते हैं, उनकी बात मत सुनिए।
सीएम ममता बनर्जी ने बारिश के पानी से भीगी रेड रोड पर ईद-उल-फ़ितर की नमाज के बाद लोगों को संबोधित किया। उन्होंने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, ‘अच्छे दिन आएंगे, लेकिन ये झूठे वाले अच्छे दिन नहीं होंगे। अच्छे दिन आएंगे, सबके साथ आएंगे। सबको एक साथ में रहना है, एक साथ काम करना है। जो लोग गुमराह करने की बात करते हैं, हिंदू-मुसलमान को अलग करने की बात करते हैं, उनकी बात मत सुनिए। ममता बनर्जी ने वहां एकत्रित लोगों से भयभीत ना होने और बेहतर भविष्य के लिए एकजुट होने का आग्रह किया।
तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता ने इस मौके पर कहा कि देश में स्थिति सही नहीं है। फूट डालो और राज करो की नीति और देश में चल रही अलगाव की राजनीति सही नहीं है। लेकिन भयभीत न हों और लड़ाई जारी रखें। ममता ने आश्वासन दिया कि न तो मैं, न मेरी पार्टी और न ही मेरी सरकार ऐसा कुछ भी करेगी जिससे आप दुखी हों।
ममता बनर्जी ने आगे कहा कि हमें ऐसे लोग बहुत गालियां देते हैं।
बहुत बड़ी-बड़ी बातें करते हैं। मुझे कामयाबी और लड़ने की शक्ति आप लोगों ने दी है। ये इंसाफ की शक्ति है। अमन की शक्ति है। खुदा की शक्ति है। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया देखती है कि बंगाल में जैसी एकजुटता है, वैसी पूरे हिंदुस्तान में कहीं नहीं है। इससे वो लोग जलते हैं। इसी वजह से मेरी बेइज्जती करते हैं और आगे भी करते रहेंगे। उन्हें करने दो। हम उनसे डरते नहीं हैं। हम डरपोक नहीं हैं। हम लड़ते हैं और लड़ना जानते हैं।
अपने संबोधन से पहले ममता बनर्जी ने ट्वीट करके ईद की मुबारकबाद दी। उन्होंने लिखा है कि सभी के लिए ढेर सारी खुशियां, शांति, संपन्नता और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करती हूं। प्रार्थना करें कि हमारी एकता और सद्भाव का बंधन और मजबूत हों। अल्लाह सबको नेमत बख्शे।

खोज: 40 लाख साल पहले का जीवाश्म मिला

खोज: 40 लाख साल पहले का जीवाश्म मिला
सुनील श्रीवास्तव 
जकार्ता। वैज्ञानिकों ने बोर्नियो द्वीप पर पत्ते के जीवाश्म की खोज की है। ये जीवाश्म द्वीप पर प्रमुख रूप से पाए जाने वाले वृक्ष डिप्टरोकार्प्स के हैं। लेकिन खास बात ये है कि वैज्ञानिकों को जो जीवाश्म मिला है, वह 40 लाख साल पहले का है। इससे वैज्ञानिकों ने ये निष्कर्ष निकाला है कि लगभग 40 लाख सालों से डिप्टरोकार्प्स ने वर्षावनों को घेर रखा है। ये पेड़ 60 मीटर तक लंबे हो सकते हैं। करीब 40-50 मीटर की ऊंचाई तक इनमें कोई शाखा नहीं होती है। अगर इन पेड़ों के होने तक डॉनासोर जिंदा होते तो सबसे बड़ा डायनासोर जिराफैटिटान जो 12 मीटर का होता था, वह भी उसकी पत्तियों तक न पहुंच पाता।
पेन स्टेट यूनिवर्सिटी के नेतृत्व में एक अतंरराष्ट्री रिसर्च टीम ने पाया की द्वीप पर जिस तरह का लैंडस्केप आज है। उसी तरह 26 लाख से 53 लाख साल पहले प्लियोसीन युग के दौरान भी था। शोधकर्ता मानते हैं कि उनका निष्कर्ष गंभीर रूप से लुप्त हुई प्रजातियों को संरक्षित करने के लिए और अधिक औचित्य जोड़ते हैं, जिनका ये कभी घर हुआ करता था।

एशिया के टापुओं पर थे डिप्टरोकार्प्स...
पेन स्टेट कॉलेज अर्थ एंड मिनरल साइंसेज में भूविज्ञान के प्रोफेसर पीटर विल्फ ने कहा, ‘ये पहली बार है जब पता चलता है कि बोर्नियों समेत एशिया के अन्य समुद्र तटीय क्षेत्रों में डिप्टरोकार्प्स के पेड़ मौजूद थे, बल्कि प्रभावशाली भी थे। हमें किसी भी अन्य पौधों के समूह की जगह डिप्टरोकार्प्स के जीवाश्म मिले हैं।’

पत्तियों से मिले बड़ी जानकारी...
इससे पहले शोधकर्ताओं ने अपनी रिसर्च को बोर्नियो में पराग (Pollen) के जीवाश्म की रिसर्च तक सीमित कर रखा था। इस पराग के जरिए शोधकर्ता बोर्नियो के जंगल जीवन के बारे में रिसर्च कर रहे थे। लेकिन पराग उनके लिए उतना अच्छा विकल्प नहीं रहा, क्योंकि ये बेहद तेजी से गलते हैं। लेकिन पत्तियों के मिलने से पूरी इनफॉर्मेशन मिल सकती है।

सपा द्वारा असंतोष दूर करने की कोशिश: राजनीति

सपा द्वारा असंतोष दूर करने की कोशिश: राजनीति
हरिओम उपाध्याय
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में मुस्लिम वोट बैंक किसके साथ रहेगा। क्या समाजवादी पार्टी का एम+वाई (मुस्लिम-यादव) समीकरण बिखर जाएगा। अगर मुस्लिम वोट बैंक समाजवादी पार्टी से छिटका तो उनका दूसरा ठिकाना कौन बनेगा? इन तमाम सवालों के बीच रमजान का महीना गुजर गया। ईद के बाद उत्तर प्रदेश की राजनीति में कई बदलावों की चर्चा की कानाफूसी हो रही है। इन कानाफूसी के बीच प्रदेश की राजनीति किस किनारे लगेगी, यह भविष्य बताएगा। 
फिलहाल, हर तरफ से अपने वोट बैंक को बचाने और खोए वोट बैंक को पाने की खींचतान चल रही है। उत्तर प्रदेश में भले ही चुनाव आने में करीब दो साल का समय हो, लेकिन अखिलेश यादव की बड़ी परीक्षा अगले कुछ माह में होने वाली है। आजम खान की नाराजगी के बहाने अल्पसंख्यक वोट बैंक में उपजे असंतोष को तमाम गैर-भाजपा राजनीतिक दल हवा देकर माहौल को अपने पक्ष में करने की कोशिश में जुटे हुए हैं। वहीं, अखिलेश यादव रोजा-इफ्तार पार्टियों के जरिए असंतोष को दूर करने की कोशिश करते दिख रहे हैं।
आजम के मुद्दे ने बढ़ाया है प्रदेश का राजनीतिक तापमान
उत्तर प्रदेश के राजनीतिक तापमान को आजम खान के मुद्दे ने काफी बढ़ा दिया है। अल्पसंख्यक समाज के भीतर अखिलेश यादव के रवैये पर एक नाराजगी साफ दिख रही थी। चाहे केंद्र हो या राज्य की भाजपा सरकार, उनकी नीतियों के खिलाफ अखिलेश ने उस प्रकार का विरोध नहीं दर्ज कराया, जिसकी उम्मीद यह समाज कर रहा था। नाहिद हसन हों या शहजिल इस्लाम, दोनों के ठिकानों पर बुलडोजर चला तो अखिलेश खुलकर सामने आकर विरोध नहीं कर पाए। कानून व्यवस्था के मसले पर होने वाली कार्रवाई के मामलों में भी अखिलेश का विरोध लोग सतही मानने लगे हैं। ऐसे में आजम खान के प्रवक्ता की ओर से उनके पार्टी और पार्टी अध्यक्ष के खिलाफ नाराजगी का मामला सामने आया तो समाज को एक आवाज मिल गई। सुर में सुर मिले तो लखनऊ तक हिल गया।
अखिलेश ने लगातार रोजा-इफतार कार्यक्रमों में हुए हैं शामिल।
रोजा-इफ्तार के जरिए वोट बैंक का साधने की कोशिश
रमजान के महीने में राजधानी और अन्य स्थानों पर रोजा-इफ्तार कार्यक्रमों में अखिलेश यादव ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। पिछले दिनों में उन्हें दो से तीन ऐसे कार्यक्रमों में शिरकत करते देखा गया। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि आजम खान की नाराजगी के साथ बढ़ रहे अल्पसंख्यक समुदाय के आक्रोश को कम करने के लिए इस प्रकार की कवायद की गई। इस दरम्यान प्रदेश के अन्य नेताओं की आवक इन कार्यक्रमों में नहीं दिखी। संकेतों में अखिलेश यादव, मायावती और कांग्रेस नेताओं पर तंज कसते रहे। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी यूपी चुनाव परिणाम के बाद से लखनऊ की राजनीति में दिख ही नहीं रही हैं। ऐसे में अखिलेश अपने नाराज वोट बैंक को मनाने की भरसक कोशिश कर रहे हैं। वे जानते हैं कि अभी उनकी जगह को भरने वाला कोई दिख नहीं रहा।
इफ्तार कार्यक्रमों में पहले अखिलेश दिखता था अलग लुक
इफ्तार कार्यक्रमों में पहले अखिलेश दिखता था अलग लुक
टोपी-रुमाल का भी उठ रहा मुद्दा
अखिलेश यादव भले ही रोजा-इफ्तार में जमकर भागीदारी कर रहे हों, लेकिन उनके पहनावे का मुद्दा भी खासा जोर पकड़ रहा है। अखिलेश यादव की पुरानी रोजा-इफ्तार कार्यक्रमों की तस्वीरें देखेंगे तो उसमें वे सफेद टोपी और कंधे पर गमछा लिए दिख जाएंगे। इस बार वह लुक बदला हुआ दिखा। अखिलेश यादव पार्टी की टोपी यानी लाल टोपी में ही रोजा-इफ्तार कार्यक्रमों में नजर आए। इस पर भी मुस्लिम समाज में चर्चा का बाजार गर्म है कि अखिलेश यादव को भी हिंदू वोट बैंक की चिंता सताने लगी है। अगर उन्होंने लुक बदला तो इसे अलग रूप में पेश किया जाएगा। इसलिए, वे उनकी तरह नहीं दिखना चाहते हैं।
अखिलेश के पहले के लुक और बदले लुक की हो रही चर्चा
अखिलेश के पहले के लुक और बदले लुक की हो रही चर्चा
ईद के दिन आजम खान ने अपनी नाराजगी व्यक्त कर साफ कर दिया है कि समाजवादी पार्टी अब उनकी प्राथमिकता में नहीं है। पार्टी को उनकी चिंता नहीं है। ऐसे में आगे सुप्रीम कोर्ट में होने वाली जमानत याचिका पर सुनवाई के बाद उन्हें बेल मिलती है। वे बाहर आते हैं तो उनके अगले कदम पर हर किसी की नजर होगी। इलाहाबाद हाई कोर्ट के सीनियर वकील एस. फरमान नकवी के अनुसार, मुस्लिम समुदाय को नया विकल्प बनाना होगा। मतलब साफ है कि मुस्लिमों में अब सपा के विकल्प की तलाश होने लगी है। ऐसे में अगर आजम खान एक अलग राह पकड़ते हैं तो यह वर्ग उनके साथ जाता दिखाई दे सकता है।
लोकसभा चुनाव वर्ष 2024 में है और विधानसभा चुनाव वर्ष 2027 में। फिर अभी अखिलेश यादव की नाराजगी क्यों बढ़ी हुई है। इसको ऐसे समझिए, अगले कुछ माह में अखिलेश की बड़ी परीक्षा होने वाली है। इसमें अल्पसंख्यक वोट बैंक सबसे महत्वपूर्ण होगा। वह परीक्षा है आजमगढ़ और रामपुर में लोकसभा उप चुनाव। आजमगढ़ से अखिलेश यादव सांसद थे। वहीं, रामपुर से आजम खान। दोनों ने यूपी चुनाव 2022 के परिणाम के बाद अपनी सांसदी छोड़ दी। अब उप चुनाव में अगर अल्पसंख्यक वोट बैंक का बिखराव होता है।
अखिलेश यादव के खिलाफ यह वर्ग नाराज रहता है तो समाजवादी पार्टी की परंपरागत दोनों सीटों पर चुनाव परिणाम बदल सकता है। यह अखिलेश यादव के नेतृत्व पर सवाल खड़ा कर देगा। इसलिए, अखिलेश अभी इस वर्ग को किसी और पाले में जाने देने के मूड में नहीं है। वैसे, उन्हें लगता है कि वक्त के साथ नाराजगी भी दूर हो ही जाएगी, लेकिन तत्कालिक नाराजगी अगर बनी रही तो मुश्किलें बढ़ सकती हैं।

प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

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1. अंक-207, (वर्ष-05)
2. बुधवार, मई 4, 2022
3. शक-1984, वैशाख, शुक्ल-पक्ष, तिथि-चतुर्थी, विक्रमी सवंत-2078‌‌। 
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