बुधवार, 2 मार्च 2022

रंगदारी मामलें में देशमुख का बयान, अनुमति मिलीं

रंगदारी मामलें में देशमुख का बयान, अनुमति मिलीं    

कविता गर्ग         

मुंबई। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को मुंबई के पूर्व शीर्ष पुलिस अधिकारी परम बीर सिंह से जुड़े 100 करोड़ रुपये की रंगदारी के मामले में महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख का बयान दर्ज करने के लिए एक विशेष अदालत से अनुमति मिल गई है। सीबीआई ने हाल ही में विशेष अदालत के समक्ष एक याचिका दायर कर देशमुख के बयान दर्ज करने की अनुमति देने का अनुरोध किया था। सीबीआई को उनका बयान दर्ज करने के लिए आर्थर रोड जेल का दौरा करना होगा। देशमुख फिलहाल वहीं ठहरे हुए हैं।

जानकारी के मुताबिक, संघीय जांच एजेंसी लगातार तीन दिन- 3 मार्च, 4 और 5 मार्च को उनका बयान दर्ज करेगी। सीबीआई इस मामले में अब तक सात लोगों के बयान दर्ज कर चुकी है। एक सूत्र ने बताया कि जिन सात लोगों के बयान दर्ज किए गए, वे पुलिस के थे। उन्हें कथित तौर पर अनिल देशमुख की सुरक्षा में तैनात किया गया था। सिंह ने देशमुख पर पद से चूकने का आरोप लगाया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि देशमुख ही उन्हें मुंबई में बार और रेस्तरां से हर महीने 100 करोड़ रुपये वसूली के लिए मजबूर कर रहे थे।

ये आरोप उन्होंने तब लगाए थे, जब उन्हें पुलिस कमिश्नर पद से हटा दिया गया था। देशमुख ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों का खंडन किया है। सीबीआई ने 21 अप्रैल, 2021 को देशमुख के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी और जांच शुरू की थी। इस एफआईआर के सिलसिले में छापेमारी की जा रही है।


पश्चिमी देशों का संकट, 'ओलिगार्क' की फिर से चर्चा

पश्चिमी देशों का संकट, 'ओलिगार्क' की फिर से चर्चा   

सुनील श्रीवास्तव     

मास्को/कीव। रूस, यूक्रेन और पश्चिमी देशों के बीच का संकट बढ़ने के बाद ओलिगार्क की फिर से चर्चा हो रही है। जो रूस के बेहद रईस और रसूख़दार लोग हैं। पश्चिमी देशों की मीडिया में अक्सर ऐसे लोगों को पुतिन के 'क्रोनीज़' यानी जिगरी दोस्त, कहा जाता रहा है। यूक्रेन पर हमले के बाद पश्चिमी देशों की लगाई पाबंदियों का एक निशाना ये ओलिगार्क भी हैं। ओलिगार्क शब्द का इतिहास बहुत लंबा है। हालांकि आज के वक़्त में इसका एक ख़ास मतलब हो गया है। पारंपरिक परिभाषा या मान्यता के अनुसार ओलिगार्क वो लोग हैं। जो कुलीन तंत्र के सदस्य या समर्थक होते हैं। यानी एक ऐसी राजनीतिक व्यवस्था का हिस्सा होते हैं। अब इस शब्द का ज़्यादातर इस्तेमाल रूस के बहुत बड़े धनी लोगों के एक समूह के लिए होता है। 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद वहां ओलिगार्क तेज़ी से उभरकर सामने आए। ओलिगार्क शब्द ग्रीक शब्द ओलिगोई से निकला है, जिसका अर्थ 'कुछ' होता है। वहीं आर्क़िन शब्द का अर्थ 'शासन करना' होता है। ओलिगार्की इस तरह राजशाही (किसी एक व्यक्ति का शासन यानी मोनोस) या लोकतंत्र (लोगों का शासन या डेमोस) से अलग होती है।

ऐसे में एक ओलिगार्क का धर्म, रिश्तेदार, सम्मान, आ​र्थिक दर्जा और भाषा जो भी हो, वो उसी धर्म, भाषा-भाषी समूह के बाक़ी लोगों से अलग होते हैं। और वो शासन करने वाले गुट का हिस्सा होते हैं। ऐसे लोग अपने हितों को ध्यान में रखते हुए शासन करते हैं और इनके सा​धन अक्सर संदेह के दायरे में होते हैं। आजकल किसी ओलिगार्क का अर्थ अक्सर बहुत अमीर शख़्स के रूप में लिया जाता है। ऐसे इंसान ने शासन के सहयोग से कारोबार करके अकूत दौलत बनाई होती है। दुनिया में रूस के सबसे मशहूर ओलिगार्क में से एक ब्रिटेन के रोमन अब्रामोविच हैं, जो चेल्सी फुटबॉल क्लब के मालिक है। अनुमान है कि उनके पास इस समय 14.3 अरब डॉलर की संपत्ति है। उन्होंने सोवियत संघ के पतन के बाद रूस की जिन सरकारी संपत्तियों को खरीदा था, उसे बेच दौलत बनाई है। वहीं, ब्रिटेन के और ओलिगार्क एलेक्जेंडर लेबेदेव हैं, जो केजीबी के पूर्व अधिकारी और बैंकर हैं। उनके बेटे एवगेनी लेबेदेव लंदन से निकलने वाले बड़े अख़बार - इवनिंग स्टैंडर्ड -के मालिक हैं। एवगेनी ब्रिटेन के नागरिक हैं और उन्हें हाउस ऑफ़ लॉर्ड्स का सदस्य भी बनाया गया है। ऐसा नहीं है कि ये ओलिगार्क केवल रूस में ही हैं। दुनिया के दूसरे देशों में भी कुलीन वर्ग मौजूद हैं। 'यूक्रेन की बदहाली के ज़िम्मेदार हैं ये ओलिगार्क'।

कीएव की एक स्वतंत्र संस्था 'यूक्रेनियन इंस्टीट्यूट फ़ॉर द फ़्यूचर' (यूआईएफ़) का मानना है कि वहां की लड़खड़ाती अर्थव्यवस्था, समाज, उद्योग और राजनीति के ज़िम्मेदार ओलिगार्क ही हैं। अपनी एक रिपोर्ट में यूआईएफ ने कहा कि सोवियत संघ के पतन के बाद लियोनिद कुचमा के राष्ट्रपति रहने के दौरान देश के 'पुराने ओलिगार्क' काफ़ी फले-फूले। उसका कहना है, "यूक्रेन के ओलिगार्क ने अपनी अधिकांश संपत्ति अधिकारियों के साथ मिलीभगत करके और ग़ैर-पारदर्शी निजीकरण के ज़रिए कमाई। और तभी से अपने कारोबार को बचाने के लिए राजनीति पर नियंत्रण रखना, उनके लिए काफ़ी अहम बना हुआ है। इस बारे में यूक्रेन की संस्था यूआईएफ़ के कार्यकारी निदेशक विक्टर एंड्रुसिव ने वॉशिंगटन में एक कार्यक्रम के दौरान 2019 में कहा कि ओलिगार्क 'ख़ास वर्ग' के लोग हैं, जो 'ख़ास तरीक़े से कारोबार' करते हैं। उनके पास 'जीने और लोगों को प्रभावित करने का ख़ास तरीक़ा' भी होता है। एंड्रूसिव ने कहा, "वास्तव में वे कारोबारी नहीं हैं। वे अमीर बने हैं, पर जिस तरह से वे अमीर बने, वो किसी पूंजीवादी देश की तरह का मामला नहीं होता। उन्होंने कारोबार नहीं खड़ा किया, बल्कि देश के सहारे कारोबार पर क़ब्ज़ा कर लिया।

सोवियत संघ के ख़त्म होते वक़्त दिसंबर 1991 में मिख़ाइल गोर्बाचेव (बाएं) ने इस्तीफ़ा दे दिया। उसके बाद बोरिस येल्तसिन (दाएं) देश के नए राष्ट्रपति बने।आज लोग रूस के ओलिगार्क के बारे में इसलिए बात कर रहे हैं, क्योंकि 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद जो कुछ हुआ, वो इनके लिए अहम था। 1991 में क्रिसमस के दिन राष्ट्रपति मिख़ाइल गोर्बाचेव ने सोवियत संघ के राष्ट्रपति से इस्तीफ़ा देकर बोरिस येल्तसिन को सत्ता सौंप दी। हालांकि जब वहां कम्युनिस्ट शासन था, तब कोई निजी संपत्ति नहीं होती थी। लेकिन उसके बाद रूस की पूंजीवादी अर्थव्यवस्था के दौरान देश में बड़े पैमाने पर निजीकरण हुआ। ख़ासकर औद्योगिक, ऊर्जा और वित्तीय क्षेत्रों में। इसका नतीज़ा ये हुआ कि 90 के दशक के शुरू में हुए निजीकरण के दौरान बहुत से लोग यूं ही अमीर बन गए।

यदि उनके अच्छे संपर्क होते थे, तो अपने संपर्कों के दम पर वे रूसी उद्योग के बड़े हिस्से का अधिग्रहण कर सकते थे। ऐसे लोग अक्सर कच्चे मालों की आपूर्ति वाले, खनिज या गैस और तेल उद्योग में सक्रिय थे, क्योंकि इन चीज़ों की दुनिया भर में मांग थी। उसके बाद इस काम में मदद करने वाले अधिकारियों को उन्होंने पुरस्कृत किया और उन्हें डायरेक्टर जैसे पद से नवाज़ा। ओलिगार्क के पास मीडिया, तेल कुएं, इस्पात के कारखाने, इंजीनियरी कंपनियां आदि हो गईं। अक्सर वे अपने कारोबार के लिए बहुत कम कर का ही भुगतान करते थे। ऐसे ही लोगों ने बोरिस येल्तसिन को अपना समर्थन दिया और 1996 के उनके राष्ट्रपति चुनाव के दौरान उन्हें पैसे से मदद दी। व्लादिमीर पुतिन जब बोरिस येल्तसिन के उत्तराधिकारी बने, तो उन्होंने ओलिगार्कों पर लगाम लगाना शुरू कर दिया। हालांकि, जो ओलिगार्क उनके साथ जुड़े रहे वे और कामयाब होते गए। बैंकर बोरिस बेरेज़ोव्स्की जैसे पहले के कुछ कुलीन लोगों ने उनके साथ आने से इनकार कर दिया, तो उन्हें देश छोड़कर भागने को मजबूर होना पड़ा। कभी रूस के सबसे अमीर शख़्स माने जाने वाले मिख़ाइल ख़ोदोरकोव्स्की भी अब लंदन में रहते हैं। इस बारे में पूछे जाने पर व्लादिमीर पुतिन ने 2019 में फ़ाइनेंशियल टाइम्स से कहा था, "अब हमारे यहां कोई ओलिगार्क नहीं है।

हालांकि, जिन लोगों के पुतिन के साथ क़रीबी संबंध थे, वे उनके शासन में अपना व्यापारिक साम्राज्य बनाने में कामयाब रहे। ऐसे लोगों में, बोरिस रोटेनबर्ग हैं। वे दोनों बचपन में एक ही जूडो क्लब में खेलते थे। ब्रिटेन की सरकार ने रोटेनबर्ग को पुतिन के साथ नजदीकी और निजी रिश्ते रखने वाला एक अहम कारोबारी क़रार दिया है। फ़ोर्ब्स मैगज़ीन के अनुसार, रोटेनबर्ग की संपत्ति क़रीब 1.2 अरब डॉलर है। इसलिए जब पुतिन ने पूर्वी यूक्रेन के डोनेत्सक और लुहान्स्क के दो अलगाववादी क्षेत्रों को 'पीपल्स रिपब्लिक' का दर्जा दिया तो, बोरिस और उनके भाई अर्काडी दोनों को ब्रिटेन के प्रतिबंधों का सामना करना पड़ा है। ब्रिटेन के साथ यूक्रेन, अमेरिका, यूरोपीय संघ, ऑस्ट्रेलिया और जापान ने भी रूस के ओलिगार्क यानी कुलीन वर्गों पर प्रतिबंध लगाए हैं। यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद तो ये प्रतिबंध और कड़े ही होंगे। 

रूस के हमले की 'निंदा प्रस्ताव' का समर्थन करें पाक

रूस के हमले की 'निंदा प्रस्ताव' का समर्थन करें पाक    

अखिलेश पांडेय       

इस्लामाबाद। यूरोपीय संघ के देशों समेत 22 देशों के शीर्ष राजनयिकों ने पाकिस्तान सरकार से अपील की है कि वो संयुक्त राष्ट्र महासभा में यूक्रेन के ख़िलाफ़ रूस के हमले की निंदा प्रस्ताव का समर्थन करे। बीते सप्ताह रूस की सेना जिस दिन यूक्रेन में दाख़िल हुई तब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान मॉस्को में थे और उन्होंने राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाक़ात की थी।पाकिस्तान ने इस हमले को लेकर चिंता जताई थी लेकिन उसने इसकी निंदा नहीं की थी।

22 देशों के राजनयिकों ने एक साझा बयान में कहा, “इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ़ पाकिस्तान में मिशन के प्रमुख होने के नाते हम मांग करते हैं कि रूस की कार्रवाई की निंदा में पाकिस्तान में हमारे साथ आए। इस साझा बयान में यूरोपीय संघ के सदस्य देश फ़्रांस, जर्मनी, ग्रीस, हंगरी, इटली, पुर्तगाल, पोलैंड, स्पेन, ऑस्ट्रिया, बेल्जियम समेत ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, जापान, नॉर्वे और ब्रिटेन भी शामिल हैं। 193 सदस्यों वाली संयुक्त राष्ट्र महासभा में इस सप्ताह मॉस्को की कार्रवाई के ख़िलाफ़ प्रस्ताव पेश किया जाएगा। इससे पहले शुक्रवार को सुरक्षा परिषद में पेश किए गए प्रस्ताव के ख़िलाफ़ रूस ने वीटो का प्रयोग किया था।

रूस: एप्पल ने अपने उत्पादों की बिक्री पर रोक लगाईं

रूस: एप्पल ने अपने उत्पादों की बिक्री पर रोक लगाईं   

सुनील श्रीवास्तव         

मास्को। एप्पल ने अपने सभी उत्पादों की रूस में बिक्री पर रोक लगा दी है। यूक्रेन पर हमले के कारण ऐसा फ़ैसला लेने वाली एप्पल सबसे बड़ी कंपनियों में से एक है। एप्पल के अलावा ऊर्जा कंपनी एक्सॉनमॉबिल ने भी रूस में अपना काम बंद करने और निवेश रोकने की घोषणा की है। आईफ़ोन निर्माता कंपनी ने कहा है कि वो रूस के हमले से ‘बेहद चिंतित’है और उनके साथ खड़ी है, जो ‘हिंसा से पीड़ित’ हैं। इसके साथ ही रूस में एप्पल पे और एप्पल मैप जैसी सेवाओं को भी सीमित कर दिया गया है।

गूगल ने रूस के सरकारी सहायता प्राप्त मीडिया आरटी को भी अपने फ़ीचर्स से हटा दिया है। समाचार एजेंसी आरआईए के मुताबिक़, रूस के वीटीबी बैंक जैसे ऐप अब एप्पल के आईओएस ऑपरेटिंग सिस्टम में रूसी भाषा में नहीं चल पाएंगे। एप्पल ने अपने बयान में बताया है कि उसने यूक्रेन में एप्पल मैप्स में ‘यूक्रेनी नागरिकों की सुरक्षा के लिहाज़ से’ट्रैफ़िक और लाइव इंसिडेंट्स को डिसेबल्ड कर दिया है।

रूस की अर्थव्यवस्था पर भारी दबाव डालेगा प्रतिबंध

रूस की अर्थव्यवस्था पर भारी दबाव डालेगा प्रतिबंध   

सुनील श्रीवास्तव         

मास्को/ कीव/ वाशिंगटन डीसी। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने संसद को संबोधित करते हुए इस बात की पुष्टि की है कि रूस की सभी उड़ानें, अब अमेरिकी हवाई क्षेत्र का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगी। उन्होंने अपने भाषण के दौरान कहा कि इन रूसी उड़ानों में सभी प्रकार की कमर्शियल और प्राइवेट उड़ानें शामिल हैं। इसी तरह का क़दम पहले ही यूरोपीय राष्ट्र और कनाडा उठा चुके हैं।बाइडन ने कहा है कि यह प्रतिबंध रूस को और अलग-थलग करेगा और उसकी अर्थव्यवस्था पर भारी दबाव डालेगा। 

उन्होंने यह भी बताया कि रूसी मुद्रा रूबल और स्टॉक मार्केट पहले ही अपनी वैल्यू 30 से 40 फ़ीसदी गंवा चुके हैं। राष्ट्रपति बाइडन ने अमेरिकियों से यूक्रेनी लोगों से प्रेरणा लेने को भी कहा। उन्होंने कहा,“पुतिन टैंक्स से कीएव को ज़रूर घेर सकते हैं लेकिन वो कभी भी यूक्रेनी लोगों के दिलों को नहीं जीत पाएंगे।

एशिया के सबसे अमीर व्यक्ति बनें गौतम, पछाड़ा

एशिया के सबसे अमीर व्यक्ति बनें गौतम, पछाड़ा    

अकांशु उपाध्याय             
नई दिल्ली। गौतम अडानी एक बार फिर मुकेश अंबानी  को पछाड़कर एशिया के सबसे अमीर व्यक्ति बन गए हैं। फोर्ब्स रियल टाइम बिलेनियर इंडेक्स में दिए गए 10:56 बजेत तक आंकड़ों के मुतातिक, 59 साल के अडानी की नेटवर्थ 89.6 अरब डॉलर पहुंच चुकी है। जबकि अंबानी की नेटवर्थ 89.6 अरब डॉलर ही है। आज अडानी की संपत्ति में 1.9 अरब डॉलर का इजाफा हुआ है। वहीं, अंबानी की संपत्ति में 42 मिलियन डॉलर की कमी हुई है।
बता दें ब्लूमबर्ग के मुताबिक, अडानी की संपत्ति में इस साल तक 7.66 बिलियन डॉलर का इजाफा हुआ है। इसी के साथ अडानी इस साल दुनिया में सबसे तेज कमाई करने वाले अरबपतियों में तीसरे नंबर पर हैं। वहीं, अंबानी की नेटवर्थ में 1.9 बिलियन डॉलर की गिरावट आई है। गौतम अडानी एश‍िया के सबसे अमीर शख्‍स बनने के साथ ही दुनिया के टॉप 10 अमीरों की लिस्‍ट में भी आ गए हैं, जबकि मुकेश अंबानी इस लिस्ट से बाहर हो चुके हैं। अमीरों की इस लिस्ट में अंबानी 11वें नंबर पर आ गए हैं। टेस्ला के सीईओ एलन मस्क 235.3 अरब डॉलर की नेटवर्थ के साथ पहले नंबर पर बने हुए हैं।
फोर्ब्स के मुताबिक साल 2017 में गौतम अडानी की कुल संपत्ति 5.8 अरब डालर थी और वह दुनिया के अमीरों की लिस्ट में 250वें नंबर नर थे। 2018 में उनकी संपत्ति बढ़कर 9.7 अरब डॉलर पर पहुंच गई और इसके साथ ही वह 154वें स्थान पर पहुंच गए। इसके बाद 2019 में यह घटकर 8.7 अरब डॉलर पर आ गई और फोर्ब्स की लिस्ट में 154वें स्थान से खिसकर 167वें स्थान पर पहुंच गए।। साल 2020 में भी बहुत ज्यादा ग्रोथ नहीं हुई यह केवल 8.9 अरब डॉलर पर ही पहुंच पाई। इसके साथ ही उनके रैंक में थोड़ा सुधार हुआ और वह 155वें स्थान पर पहुंच गए। गौतम अडानी के लिए साल 2021 कई बहुत बड़ा साबित हुआ। उनकी संपत्ति 8.9 अरब डॉलर से छलांग लगाकर या यूं कहिए उड़ान भर कर 50.5 अरब डालर पर पहुंच गई। इसके साथ ही फोर्ब्स की लिस्ट में 131 पायदान की छलांग लगाकर 24वें स्थान पर काबिज हो गए।
गौतम अडानी ने एक छोटी सी कमोडिटी ट्रेडिंग कंपनी से व्यापार की शुरुआत की थी, जिसका उन्होंने कई बंदरगाहों , खानों और ग्रीन एनर्जी के क्षेत्र में विस्तार किया। वर्तमान में अडानी का बिजनेस पोर्ट्स, माइन्स, ग्रीन एनर्जी समेत कई क्षेत्रों में है। गौतम अडानी ने नवीकरणीय उर्जा के क्षेत्र में व्यापार विस्तार किया साथ ही एयपोर्ट्स, डेटा सेंटर और रक्षा सौदों में कारोबार बढ़ाया। पिछले 2 साल में अडानी की कंपनी के शेयरों में करीबन 600% का इजाफा हुआ है।
फोर्ब्स के मुताबिक साल 2017 में मुकेश अंबानी की कुल संपत्ति 232 अरब डॉलर थी। 2018 में उनकी संपत्ति बढ़कर 40.1 अरब डॉलर पर पहुंच गई। बढ़त का सिलसिला इसके बाद भी जारी रहा और 2019 में 50 अरब डॉलर की कुल संपत्ति के साथ वह फोर्ब्स की लिस्ट में भारत के सबसे अमीर शख्स बन गए। साल 2020 में अंबानी को बड़ा झटका लगा और उनकी संपत्ति घटकर 36.8 अरब डॉलर ही रह गई। हलांकि कोरोना की वजह से दुनिया भर के अमीरों की दौलत में कमी होने के कारण मुकेश अंबानी फोर्ब्स की लिस्ट में 21वें स्थान पर न केवल पहुंचे बल्कि भारत के सबसे अमीर शख्स का ताज अपने सिर पर बरकरार रखा। अडानी की तरह मुकेश अंबानी के लिए भी साल 2021 बहुत बड़ा साबित हुआ। उनकी संपत्ति में दोगुना से अधिक इजाफा हुआ।

जांच: मंगल ग्रह पर दिखा 'फूल की तरह' का पत्थर

जांच: मंगल ग्रह पर दिखा 'फूल की तरह' का पत्थर      

सुनील श्रीवास्तव    
ह्यूस्टन। नासा के क्यूरियोसिटी रोवर ने मंगल ग्रह पर मछली के आकार का पत्थर देखा था। इसकी तस्वीर सामने आते ही एलियन से प्रेम करने वाले लोगों ने कई तरह की कहानियां बनानी शुरु कर दी थीं। हालांकि यह एक पत्थर था, जो किसी तरह से वह मछली, जैसे आकार में बदल गया था। मंगल ग्रह से लगातार ऐसी तस्वीरें आ रही हैं, जो किसी को भी हैरान कर सकती हैं। कई आकार और रंगों के पत्थरों के मिलने के बाद अब लाल ग्रह पर एक ऐसा पत्थर दिखा है, जो एक फूल की तरह दिखता है। इसकी तस्वीर नासा के क्यूरियोसिटी रोवर ने ली है। पहले तो वैज्ञानिकों को लगा कि यह कोई फूल है। जब जांच की तो पता चला कि यह एक पत्थर है, जिसका निर्माण बेहद ही रोचक तरीके से हुआ है।
फूल जैसे इस पत्थर का निर्माण खनिजों के जुड़ने की वजह से इस तरह का हुआ है। ऐसे लगता है कि फूल की अलग-अलग पंखुड़ियां अलग-अलग दिशा में निकल रही हों। इस तरह की आकृतियों को डाइजेनेटिक क्रिस्टल क्लस्टर कहते हैं। डाइजेनेटिक मतलब अलग-अलग खनिजों के मिलने से थ्री-डायमेंशनल आकार बनता है। इस फूल में कई खनिजों का मिश्रण है। 
क्यूरियोसिटी मिशन की डिप्टी प्रोजेक्ट साइंटिस्ट एबिजिल प्रेमैन ने अपने ट्विटर पर लिखा है कि इस तरह की आकृतियां नमक से बनी होती है, जिन्हें सल्फेट्स  कहते हैं। ये किसी बड़े पत्थरों पर मौजूद खनिजों के अलग-अलग कणों के मिलने से बनती हैं। चुंकि हवाओं की दिशा और गति बदलती रहती है, इसलिए इनकी कोई निश्चित आकृति नहीं होती, बस ये आपस में जुड़ते चले जाते हैं। कुछ समय के बाद ये खत्म भी हो जाते हैं।
इस फूल जैसी आकृति वाले पत्थर को नासा के वैज्ञानिकों ने पिछले हफ्ते ही देखा था। आखिर में इसे नाम दिया गया ब्लैकथॉर्न सॉल्ट इसकी तस्वीर क्यूरियोसिटी रोवर पर लगे मार्स हैंड लेंस इमेजर  ने ली है। इस कैमरे के पास जूम करने का ज्यादा ताकत है। यह बेहद क्लोज अप तस्वीरें लेने में सक्षम है। इसकी वजह से कई पत्थरों की सतह पर खनिजों और टेक्स्चर का खुलासा हो पाता है।
इसके कुछ दिन पहले भी क्यूरियोसिटी रोवर ने लाल ग्रह  पर स्पर्म  की आकृति का पत्थर देखा था। जिसे लेकर वैज्ञानिक बेहद खुश थे। इस पत्थर को प्रकृति ने जिस तरह से तराशा है, वह काबिल-ए-तारीफ है। ऐसा नहीं है कि मंगल पर सिर्फ पत्थर मिलते हैं। कई तो इतने खूबसूरत या फिर विचित्र आकार के होते हैं कि वह दुनिया भर का ध्यान खींच लेते हैं।
हाल ही में मंगल ग्रह पर इंसान के पुट्ठे जैसी आकृति का एक पत्थर मिला था। इसे मार्स पर्सिवरेंस रोवर ने खोजा था। इससे पहले भी लाल ग्रह पर हरा पत्थर दिखा था। डायनासोर के मुंह जैसा पत्थर दिखा था। मछली के आकार और इंसानी चेहरे जैसी आकृतियां दिखाई दी थीं। 
केविन एम. गिल रोवर द्वारा भेजी गई खराब और टूटी-फूटी फोटोग्राफ्स को जोड़कर एक पूरी तस्वीर बनाने का काम भी करते हैं। कई बार उन्होंने ऐसी चीजें खोजी हैं, जो दुनिया भर को हैरानी में डाल देती हैं। साथ ही इन्हें देखकर खुशी भी होती है। यानी मंगल ग्रह की तस्वीरों से आपको एक हास्यास्पद राहत भी मिलती है। जैसे इस पत्थर को ही देख लीजिए। ये किसी ब्राचियोसॉरस  डायनासोर की गर्दन की तरह दिखता है। हां बस आकार कम है।
इससे अलावा लाल ग्रह यानी मंगल पर जब किसी भी अन्य रंग के होने की उम्मीद नहीं होती, तब नासा के पर्सिवरेंस रोवर ने एक हरे पत्थर की खोज की थी। नासा के मार्स पर्सिवरेंस रोवर को यह पत्थर तब दिखा जब वह इंजीन्यूटी हेलिकॉप्टर को सतह पर उतारने के बाद आगे बढ़ रहा था। इस रहस्यमयी हरे रंग के पत्थर की असलियत का खुलासा अभी नहीं हुआ है। ये कहां से आया है। ये किस चीज से बना है। लेकिन इसमें छोटे-छोटे गड्ढे हैं और बीच-बीच में चमकदार हरे रंग के क्रिस्टल जैसी वस्तु। यह रोशनी पड़ने पर तेजी से चमक जाती है।
नासा का वाइकिंग-1 ऑर्बिटर ने साल 1976 में जब मंगल ग्रह के चारों तरफ चक्कर लगा रहा था, तब उसे एक ऐसी तस्वीर दिखी जो ऐतिहासिक बन चुकी है। इस तस्वीर में मंगल ग्रह की सतह पर इंसानी चेहरा (काले घेरे में) दिखाई दे रहा है। अगर आपके पास कलात्मक दिमाग है तो आप सतह पर इस घेरे के अंदर दो आंखें, एक नाक, एक मुंह और अजीब हेयरस्टाइल भी देख सकेंगे।

यूएसए आधारित कई प्लेटफॉर्म ने रूस पर बैन लगाया

यूएसए आधारित कई प्लेटफॉर्म ने रूस पर बैन लगाया  

अखिलेश पांडेय         

कीव/ मास्को/नई दिल्ली। यूक्रेन पर हमले के बाद गूगल, एपल, फेसबुक, यूट्यूब जैसे अमेरिका आधारित कई प्लेटफॉर्म ने रूस पर बैन लगा दिया। जिससे वहां उसके सब ऑपरेटिंग सिस्टम बंद हो गए हैं। इन प्लेटफॉर्म से होने वाले लेनदेन खत्म होने से रूस के मेट्रो स्टेशनों और सार्वजनिक जगहों पर लंबी-लंबी लाइन लग गई है। यही नहीं रूसी सरकारी मीडिया को भी इन प्लेटफॉर्म पर नहीं दिखाया जा रहा है। रूस में मची इस अफरातफरी के बीच सोशल मीडिया पर भारत के प्रधानमंत्री मोदी की जमकर तारीफ हो रही जिन्होंने पीएम बनने के बाद इन सभी महत्वपूर्ण नेटवर्क में लगभग आत्मनिर्भरता प्राप्त कर ली है। डिजिटल पेमेंट की आदत से लोगों ने कैश रखना छोड़ दिया है, ऐसे में पेमेंट सर्विस बंद होने से गंभीर समस्या पैदा हो गई है। भारत में अपना पेमेंट सिस्टम तैयार किए जाने को लेकर मोदी सरकार की वाहवाही हो रही है और ट्विटर पर Rupay ट्रेंड कर रहा है।

ट्विटर हैंडल पर लिखा, अमेरिका ने पिछले कुछ वर्षों में अपने सिस्टम पर हरेक देश को निर्भर बना दिया है। वो अपना एकछत्र साम्राज्य कायम करके मनमानी शर्तें मनवाता है, जैसा कि भारत में सोशल मीडिया कंपनियां कर रही हैं। यूपीआई और रूपे ने मास्टर कार्ड और विजा का दबदबा खत्म कर दिया। आरबीआई का डिजिटल रुपया इनके ताबूत में आखिरी कील साबित होगा।’ ध्यान रहे कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2022-23 का बजट पेश करते हुए ऐलान किया था कि भारत का केंद्रीय बैंक अपनी डिजिटल करेंसी लॉन्च करेगी। ‘भारत का अपना जीपीएस सिस्टम, अपना रुपये कार्ड, अपना UPI सिस्टम, अपनी डिजिटल करेंसी, अपना सर्च इंजन, भारत का ‘₹’ एक्सचेंज सिस्टम, अपना सैटलाइट नेटवर्क, अपने रक्षा उपकरण, अपना एएसएटी नेटवर्क, अपना रक्षा उत्पादन, भारतीय फार्मा नेटवर्क… आत्मनिर्भरता के लिहाज से ये सब बहुत महत्वूपूर्ण हैं।’

ट्विटर हैंडल का कहना है कि अमेरिकी टेक कंपनियां अपने दबदबे का गलत इस्तेमाल करती हैं। उन्होंने लिखा, ‘बड़ी टेक कंपनियां, दुनियाभर में वीजा, मास्टरकार्ड, गूगल आदि का मनमानापन आपको हमेशा दबोचेगा क्योंकि ये सभी अमेरिकी मिलिट्री इंडस्ट्रियल कॉम्प्लेक्स के साथ खड़ा होती हैं। भारत ने अपना रूपे, यूपीआई, पेटीएम, आधार और तमाम ऐसी पहलों से शानदार काम किया है।’ ‘पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत ने दूर दृष्टि अपनाते हुए रूपे और यूपीआई की व्यवस्था शुरू की। दुर्भाग्य से ज्यादातर नेता, बाबू आदि पीएम का वीजन नहीं समझ रहे। उम्मीद है यूक्रेन-रूस युद्ध से पैदा हो रही परिस्थितियां उनकी आखें खोल देंगी।’ कुछ लोगों ने रूस को इतना ताकतवर होते हुए भी अमेरिका पर निर्भरता बनाए रखने को लेकर नाराजगी का इजहार किया है। ट्विटर हैंडल ने लिखा, सैन्य क्षमता की दृष्टि से इतना ताकतवर होते हुए भी रूस की तैयारी कितनी बुरी है, यह चौंकाने वाला है। सैन्य क्षेत्र को छोड़ दें तो उनका टेक्नोलॉजिकल प्रोग्रेस बहुत खराब है। पुतिन बहुत अच्छा प्रशासक हैं, लेकिन खराब सुधारक। जबकि भारत ने सिर्फ चार वर्षों में ही यूपीआई, रूपे, भीम जैसे सरकारी सिस्टम तैयार कर लिए।

भारत: 24 घंटे में कोरोना के 7,554 नए मामलें

भारत: 24 घंटे में कोरोना के 7,554 नए मामलें     

अकांशु उपाध्याय      

नई दिल्ली। देश में जानलेवा कोरोना वायरस महामारी के मामलों में आज बढ़ोतरी दर्ज की गई है। देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना वायरस के 7 हजार 554 नए केस सामने आए हैं और 223 लोगों की मौत हो गई। यानी, कल की तुलना में मामले बढ़े हैं। 

केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक, देश में अब एक्टिव मामलों की संख्या घटकर 85 हजार 680 हो गई है। वहीं, इस महामारी से जान गंवाने वालों की संख्या बढ़कर 5 लाख 14 हजार 246 हो गई है। आंकड़ों के मुताबिक, अभी तक 4 करोड़ 23 लाख 38 हजार 673 लोग संक्रमण मुक्त हो चुके हैं।

रूसी कुलीन वर्गों के खिलाफ कदम उठाएगा अमेरिका

रूसी कुलीन वर्गों के खिलाफ कदम उठाएगा अमेरिका   

अखिलेश पांडेय         

वाशिंगटन डीसी/मास्को। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने बुधवार को स्टेट यूनियन को दिए अपने भाषण में कहा कि वह पुतिन का समर्थन करने वाले रूसी कुलीन वर्गों के खिलाफ कदम उठाएगा। राष्ट्रपति बाइडेन ने कहा कि यूक्रेन पर आक्रमण के लिए राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन अकेले दोषी हैं और आश्वासन दिया कि रूसी नेता लंबे समय तक निरंतर उच्च कीमत चुकाएंगे।' सीएनएन के अनुसार, उन्होंने कहा,"मैं इस हिंसक शासन से अरबों डॉलर कमाने वाले रूसी कुलीन वर्गों और भ्रष्ट नेताओं से कहता हूं, अब और नहीं। 

अमेरिका का न्याय विभाग रूसी कुलीन वर्गों के खिलाफ जाने के लिए एक समर्पित टास्क फोर्स का गठन कर रहा है।" उन्होंने कहा, "हम उनकी जहाजों, उनके लक्जरी अपार्टमेंट, उनके निजी जेट विमानों को खोजने और जब्त करने के लिए यूरोपीय सहयोगियों के साथ शामिल हो रहे हैं।'

प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

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1. अंक-145, (वर्ष-05)
2. ब्रहस्पतिवार, मार्च 3, 2022
3. शक-1984, फाल्गुन, शुक्ल-पक्ष, तिथि-प्रतिपदा, विक्रमी सवंत-2078।
4. सूर्योदय प्रातः 07:04, सूर्यास्त: 06:24।
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