मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि कोरोना काल में हमने सिर्फ छत्तीसगढ़ के ही नहीं बल्कि यहां से गुजरकर दूसरे राज्यों को जाने वाले मजदूरों की भी मदद की है। हमने अपने राज्य के मजदूरों के खाने-पीने, ठहरने, गांवों में क्वारंटाइन होने, जांच और उपचार की व्यवस्था के अलावा उन्हें अपने ही राज्य में रोजगार दिलाने के उपाय किए थे। हमारे बेहतर प्रबंधन को राष्ट्रीय स्तर पर सराहना मिली थी। उसी समय हमने घोषणा की थी कि प्रवासी श्रमिकों के लिए नीति बनाएंगे। इस तरह हमने छत्तीसगढ़ प्रवासी श्रमिक नीति 2020 को तैयार कर अधिसूचित किया है। इस नीति के तहत वापस लौटे प्रवासी श्रमिकों का ऑनलाइन पंजीयन किया गया। पलायन पंजी के ऑनलाइन संधारण की व्यवस्था की गई है। हम संगठित और असंगठित दोनों क्षेत्रों के श्रमिकों के कल्याण की योजनाएं संचालित कर रहे हैं। श्रमिकों के परंपरागत कौशल को नवीन ज्ञान से संवारने हेतु उनके प्रशिक्षण की व्यवस्था की जा रही है। हम छत्तीसगढ़ में ऐसे अवसर पैदा कर रहे हैं कि हमारे प्रदेश के श्रमिकों को अन्य प्रदेशों में जाना ही नहीं पड़े। उनका कौशल और मेहनत राज्य के विकास के काम आए।
भारत सरकार की ओर से असंगठित श्रमिकों के पंजीयन के लिए जो ई-श्रम पोर्टल बनाया गया है। उसमें भी हमने 64 लाख श्रमिकों का पंजीयन करते हुए देश में तीसरा स्थान हासिल किया है। हमने कारखाना अधिनियम के तहत कामगारों की सेवानिवृत्ति आयु 58 से बढ़ाकर 60 वर्ष कर दी है। इसके अलावा दो नई योजनाओं की घोषणा 26 जनवरी के अवसर पर की है। प्रत्येक जिला मुख्यालय तथा विकासखण्ड स्तर पर ‘मुख्यमंत्री श्रमिक संसाधन केन्द्र’ की स्थापना की जाएगी।
श्रमिक परिवारों की बेटियों की शिक्षा, रोजगार, स्वरोजगार तथा विवाह में सहायता के लिए ‘मुख्यमंत्री नोनी सशक्तीकरण सहायता योजना’ शुरू की जाएगी। इस योजना के तहत ‘छत्तीसगढ़ भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण मण्डल’ में पंजीकृत हितग्राहियों की प्रथम दो पुत्रियों के बैंक खाते में 20-20 हजार रुपए की राशि का भुगतान एकमुश्त किया जाएगा। विगत तीन वर्षों में एक ओर जहां नक्सलवाद और उसकी हिंसक गतिविधियों पर प्रभावी अंकुश लगा है वहीं दूसरी ओर उद्योग, व्यापार और कारोबार में लगे लोगों को यह विश्वास हुआ है कि सरकार उनके साथ खड़ी है। प्रदेश के आर्थिक विकास के लिए उत्साहजनक वातावरण निर्मित हुआ है, जिससे हर क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़े हैं।
मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि हमने अधोसंरचना विकास के लिए बहुस्तरीय रणनीति अपनाई है। प्रदेश में 21 हजार करोड़ रुपए से अधिक लागत से सड़कों के निर्माण की कार्ययोजना बनाई गई है, जिसमें विभिन्न स्तरों पर काम चल रहा है। प्रदेश में सिंचाई क्षमता बढ़ाने के लिए केलो परियोजना, खारंग परियोजना, मनियारी परियोजना, अरपा भैंसाझार परियोजना को इस वर्ष पूर्ण करने के लिए तेजी से कार्य किया जा रहा है। इसके अलावा हमने अनेक व्यावहारिक उपाय करते हुए मरम्मत व अन्य तरीकों से वास्तविक सिंचाई क्षमता को दोगुना कर दिया है। हमने विगत तीन वर्षों में डॉक्टरों तथा मेडिकल स्टाफ की संख्या लगभग दोगुनी कर दी है। विभिन्न विभागों के निर्माण कार्यों से स्थानीय युवाओं को जोड़ने के लिए हमने ई-श्रेणी पंजीयन की व्यवस्था की है, जिसमें विकासखण्ड स्तर पर 5 हजार युवाओं का पंजीयन किया गया है और उन्हें 200 करोड़ रूपए से अधिक लागत के काम सीमित प्रतियोगिता के आधार पर दिए गए हैं। इसके साथ ही ग्रामीण अधोसंरचना के विकास के लिए सुराजी गांव योजना संचालित की जा रही है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था के लिए चार तरह के संसाधनों का सबसे ज्यादा योगदान हो सकता है-पहला खनिज, दूसरा कृषि, तीसरा वानिकी और चौथा मानव संसाधन। खनिज आधारित उद्योगों की स्थापना के लिए पूर्व में अनेक प्रयास हुए हैं लेकिन उनकी अपनी सीमाएं भी हैं। कृषि, वन और मानव संसाधन की भागीदारी को बहुत बड़े पैमाने में बढ़ाने की संभावनाएं हैं, जिस पर पहले गंभीरता से काम नहीं किया गया। दशकों से कृषि के नाम पर धान, वन के नाम पर तेन्दूपत्ता और मानव संसाधन के नाम पर सीमित सरकारी नौकरियों से अधिक की सोच नहीं रखी गई। हमने पूरी रणनीति ही बदल दी है। खनिज आधारित उद्योगों के स्थान पर ऐसे उद्योगों को प्राथमिकता दी गई जिससे पर्यावरण प्रभावित न हो। कृषि और वानिकी को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई।